54 ईसी बॉन्ड
यह भी एक तरह का हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया, पॉवर फाइनेंस कॉर्पोरेशन आदि द्वारा जारी किया जाने वाला सरकारी लिस्टेड बॉन्ड है. इस बॉन्ड में टैक्स स्लैब के नियमों के अनुसार टैक्स का भुगतान करना होता है.
आप भी करते हैं बॉन्ड में इन्वेस्टमेंट तो जान लें कितना लगेगा टैक्स, ये हैं टैक्स का पूरा गणित
By: ABP Live | Updated at : 31 Mar 2022 12:21 PM (IST)
बॉन्ड खरीदने के फायदे
बॉन्ड एक साधन है जिसके द्वारा सरकार और कंपनियां पैसा जुटाती है. हर साल सरकार और अलग-अलग प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां भी अपना बॉन्ड जारी करती है. इस बॉन्ड के जरिए सरकार क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? और कंपनियां पैसा जुटाती है. सरकार जिस बॉन्ड को जारी करती है वह सरकारी बॉन्ड यानी Government Bond कहलाता है. वहीं प्राइवेट कंपनियां जिस बॉन्ड को जारी करती है उस बॉन्ड को कॉर्पोरेट बांड कहते हैं. सरकार और प्राइवेट कंपनियां अपने खर्चे को पूरा करने के लिए निवेशकों के लिए बॉन्ड जारी करती है. बाद में इस बॉन्ड को वह बेच देती है. इससे जो पैसा जुटता है वह सरकारी प्रोजेक्ट और कंपनी की ग्रोथ के लिए खर्च किया जाता है.
बॉन्ड खरीदने के फायदे-
अगर आप अलग-अलग जगह पर निवेश करना पसंद करते हैं तो उसमें बॉन्ड में निवेश भी शामिल करें. ऐसा करने से लोगों के पोर्टफोलियो में अलग-अलग तरह के निवेश दिखते हैं और यह डायवर्सिफाई हो पाता है. बता दें कि मार्केट में ऐसे बॉन्ड भी मौजूद है जो आपको टैक्स छूट में लाभ देते हैं. इसके अलावा ऐसे बॉन्ड भी मार्केट में है जो आपको लॉन्ग टर्म में कैपिटल गेन्स पर किसी तरह का टैक्स नहीं देना होगा. गौरतलब है कि बॉन्ड में निवेश करना बहुत सुरक्षित माना जाता है.
भारत बॉन्ड ईटीएफ में पैसा लगाने का आज आखिरी दिन, क्या निवेश करना होगा फायदे का सौदा?
- News18 हिंदी
- Last Updated : December 09, 2022, 08:10 IST
हाइलाइट्स
यह भारत बॉन्ड ईटीएफ की चौथी किस्त है.
इसमें आपको करीब 7 फीसदी रिटर्न मिलेगा.
इस बॉन्ड की मैच्योरिटी डेट 18 अप्रैल 2023 है.
नई दिल्ली. सरकार के भारत बॉन्ड ईटीएफ के न्यू फंड ऑफर (एनएफओ) की चौथी किस्त में निवेश आज यानी 8 दिसंबर, 2022 को बंद हो जाएगा. अगर आप क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? इसमें निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं तो पहले इसे अच्छे से समझ लें और यह जान लें कि इसमें निवेश के क्या फायदे हैं. इस बॉन्ड ईटीएफ के इंडेक्स को एएए-रेटिंग प्राप्त है जो दिखाता है कि क्या काफी स्थिर निवेश विकल्प है.
बात अगर रिटर्न की करें तो ऐसी सिक्योरिटीज में आमतौर पर 7.5 प्रतिशत तक का मुनाफा मिल जाता है. इसकी मैच्योरिटी डेट 18 अप्रैल 2033 है और मोडिफाइड ड्यूरेशन 6.66 साल है. इस पर आपको 6.9 फीसदी यील्ड मिलने का अनुमान है.
लिक्विडिटी
आप एक्सचेंज पर किसी भी समय इसे खरीद-बेच सकते हैं. आप विशेष बास्केट साइज में इसे एएमसी के माध्यम से खरीद-बेच सकते हैं. इसलिए लिक्विडिटी के मामले में यहां कोई परेशानी नहीं नजर आती है.
Short Term Investment: शॉर्ट टर्म के लिए लगाना है पैसा, चुनें 1 महीने से 1 साल मैच्योरिटी वाली स्कीम, 24% तक सालाना मिल रहा है रिटर्न
एक्सपर्ट एक्टिवली मैनेजड शॉर्ट ड्यूरेशन वाले फंड में निवेश की सलाह दे रहे हैं. (File)
Short Duration Maturity Funds Return: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मई से अबतक 3 बार में ब्याज दरों क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? में 140 बेसिस प्वॉइंट का इजाफा कर दिया है. रेपो रेट 5.40 फीसदी पर आ गया है. महंगाई कंट्रोल करने के लिए ब्याज दरों में कुछ और बढ़ोतरी की जा सकती है. ब्याज दरों में बढ़ोतरी या कटौती का सीधा असर बॉन्ड मार्केट डेट मार्केट पर होता है. एक्सपर्ट का मानना है कि बाजार को दरों में कुछ और इजाफे की उम्मीद है. हालांकि मौजूदा दरें बॉन्ड मार्केट के लिए कंफर्टेबल दिख रही है, खासतौर से शॉर्ट मैच्येारिटी वाले पेपर्स के लिए. लॉन्ग ड्यूरेशन बॉन्ड में वोलेटिलिटी दिख रही है. एक्सपर्ट एक्टिवली मैनेज्ड शॉर्ट ड्यूरेशन वाले फंड में निवेश की सलाह दे रहे हैं.
शॉर्ट से मिड ड्यूरेशन मैच्योरिटी फंड का सुधरा रिटर्न
बॉन्ड मार्केट के रिटर्न चार्ट पर नजर डालें क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? तो अब इसमें सुधार हो रहा है. मिड ड्यूरेशन के फंडों की बात करें तो इसमें 24 फीसदी तक सालाना के हिसाब से रिटर्न मिल रहा है. वहीं शाूर्ट ड्यूरेशन फंडों में 12 फीसदी तक, लो ड्यूरेशन फंडों में 12 फीसदी तक और अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंडों में 7 फीसदी तक सालाना के हिसाब से रिटर्न दिख रहा है. एक्सपट्र भी इनमें पैसे लगाने की सलाह दे रहे हैं.
PGIM India MF के हेड-फिक्स्ड इनकम पुनीत पाल का कहना है कि आरबीआई ने अगस्त पॉलिसी रेपो दर में 50 बीपीएस की बढ़ोतरी करके मैक्रो स्टेबिलिटी और 35 बेसिस प्वॉइंट के अनुमान से महंगाई पर फोकस किया है. उम्मीद है कि आगे दरों में बढ़ोतरी की स्पीड कम होगी. ऐसा अनुमान है कि अप्रैल 2023 तक रेपो रेट 6 फीसदी से 6.25 फीसदी के दायरे में रह सकता है. यह शॉर्ट टर्म मैच्योरिटी वाले फंडों के लिए कंफर्टेबल है. निवेशकों को एक्टिवली मैनेज्ड शॉर्ट टर्म फंड में पैसे लगाने चाहिए. वहीं रिस्क क्षमता के अनुसार कुछ पैसे डायनमिक बॉन्ड फंड में लगाया जा सकता क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? है.
एफडी रेट घटने पर शॉट टर्म बॉन्ड फंड ऑप्शन बेहतर
एफडी रेट घटने पर शॉट टर्म बॉन्ड फंड ऑप्शन बेहतर
यह आपकी रकम की सेफ्टी सुनिश्चित करता है। सबसे पहली बात यह है कि ये स्कीमें तीन महीने वाले पेपर में निवेश करती हैं। इससे यह पक्का होता है कि इंटरेस्ट रेट में बदलाव का रिटर्न पर ज्यादा असर न हो। अगर इन्वेस्टर ने अच्छे ट्रैक रेकॉर्ड वाली स्कीम में निवेश किया है तो वे निश्चिंत होकर बैठ सकते हैं। फाइनैंशल प्लैनिंग सर्विसेज देने वाली कंपनी अर्थयंत्र के सीईओ नितिन वी ने बताया, 'ऐसी ज्यादातर स्कीमों में एग्जिट लोड न के बराबर होता है, जबकि बैंक एफडी में मैच्योरिटी क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? से पहले पैसे निकालने पर पेनल्टी लगती है।'
अगर Bonds में करते हैं निवेश तो जानिए क्या इसको लेकर टैक्स के नियम, हर बॉन्ड की है अपनी खासियत
निवेशक के तौर पर जब आप अपने लिए ज्यादा सुरक्षित विकल्प की तलाश करते हैं तो बॉन्ड में निवेश करना बेहतर माना जाता है. यह एक डेट इंस्ट्रूमेंट है, जिसमें आपको फिक्स्ड रिटर्न मिलता है. इक्विटी मार्केट में निवेश पर रिटर्न ज्यादा मिलता है, लेकिन रिस्क भी ज्यादा होता है. वहीं डेट इंस्ट्रूमेंट में रिटर्न कम होता है, लेकिन फिक्स्ड होता है.
यही वजह है कि जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो डेट फंड का रिटर्न कम होता है, वहीं इक्विटी फंड में बेहतर रिटर्न ऑफर किया जाता है. बॉन्ड, डिबेंचर, लीज, सर्टिफिकेट, बिल ऑफ एक्सचेंज प्रमुख डेट इंस्ट्रूमेंट्स हैं. इस आर्टिकल में बॉन्ड में निवेश के बारे में विशेष रूप से जानेंगे. इसमें निवेश के क्या फायदे हैं और टैक्स को लेकर क्या नियम हैं, आइए इसके बारे में विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं.
पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड और बैलेंस्ड रखें
पोर्टफोलियो मैनेजर्स क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? हमेशा एकबात को कहते हैं को अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड रखें. इसमें इक्विटी के साथ-साथ डेट को भी शामिल करें. इससे नेट आधार पर रिटर्न भी अच्छा मिलेगा और पोर्टफोलियो भी सुरक्षित रहेगा. अगर आप बॉन्ड में निवेश करना चाहते हैं तो बाजार में यह कई तरह का उपलब्ध है.
अलग-अलग बॉन्ड के लिए टाइम पीरियड, टैक्स बेनिफिट, कूपन रेट और लॉक-इन पीरियड अलग-अलग हैं. कुछ बॉन्ड क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? टैक्सेशन का लाभ देते हैं तो कई बॉन्ड पर फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले ज्यादा इंट्रेस्ट ऑफर किया जाता है. अगर बॉन्ड का ड्यूरेशन लंबा है तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स भी देना होता है.
54EC Bonds की खासियत
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI), रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन, पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन और इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन की तरफ से जो बॉन्ड जारी किया जाता है वह अनलिस्टेड होता है. यह 54EC Bonds होता है. इसमें इंट्रेस्ट पर टैक्स जमा करना होता है, हालांकि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स फ्री होता है. कम से कम 10 हजार और अधिकतम 50 लाख निवेश किया जा सकता है.
लिस्टेड बॉन्ड में निवेश करने पर इंट्रेस्ट इनकम टैक्सेबल होती है. शॉर्ट टर्म कैपिटल भी टैक्सेबल होता है, जबकि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 10.40 फीसदी की दर से क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? टैक्स लगता है. 1 साल से ज्यादा होने पर लॉन्ग टर्म माना जाता है.
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