इसका असर घरेलू बाजार पर भी पड़ा। इससे बीएसई के सभी 20 समूह बिकवाली की भेंट चढ़ गए। इस दौरान कमोडिटीज 0.98, सीडी 1.36, ऊर्जा 0.67, वित्तीय सेवाएं 0.70, हेल्थकेयर 1.33, इंडस्ट्रियल्स 1.32, आईटी 1.24, दूरसंचार 0.63, यूटिलिटीज 0.83, आॅटो 1.13, बैंकिंग 0.68, कैपिटल गुड्स 1.26, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 0.91, धातु 0.64, तेल एवं गैस 0.80, पावर 1.08, रियल्टी 1.57, टेक 1.25 और सर्विसेज समूह के शेयर 1.70 प्रतिशत गिर गए।

निवेशकों को नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज की चेतावनी

National Foundation for Corporate Governance

National Foundation for Corporate Governance (NFCG) was set up in the year 2003 by the Ministry of Corporate Affairs (MCA), in partnership with Confederation of Indian Industry (CII), Institute of Company Secretaries of India (ICSI) and Institute of Chartered Accountants of India (ICAI) to promote good Corporate Governance practices both at the level of individual corporates and Industry as a whole. In the year 2010, Institute of Cost Accountants of India (ICAI) and निवेशकों को नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज की चेतावनी National Stock Exchange (NSE) and in 2013 Indian Institute of Corporate Affairs (IICA) were included in NFCG as Trustees.

To catalyze capacity building in new emerging areas of Corporate Governance.

To further research, scholarship, and education in corporate governance in India.

क्या होता है बुल और बेयर मार्केट?

शेयर बाजार में बुल और बेयर शब्दों का इस्तेमाल शेयर बाजार के चढ़ने व गिरने के लिए किया जाता है. यानी कीमतें जब लगातार ऊपर की ओर जा रही हों तो उसे बुलिश मार्केट कहा जाता है. इसी तरह जब कीमतें लगातार गिर रही हों तो उसे बेयर मार्केट कहा जाता है. लेकिन किसी बाजार को पूरी तरह बेयर मार्केट सिर्फ कीमतों के कुछ समय तक जारी गिरावट के आधार पर नहीं कहा जाता.

कुछ विशेषज्ञों के लिए यह शब्दावली ज्यादा मायने नहीं रखती और वे कंपनियों की आय, कीमत, ब्याज दरों और आर्थिक परिस्थितियों जैसी तमाम बातों की गणना करने को जरूरी मानते हैं. कुछ निवेशक मानते हैं कि किसी बाजार का अपने सर्वोच्च स्तर से 20 फीसदी नीचे चले जाना इस बात का संकेत है कि बाजार बेयरिश हो गया है यानी अब गिरावट वाले क्षेत्र में चला गया है.

इसी तरह कुछ निवेशक मानते हैं कि जब बाजार अपने सबसे निचले स्तर से 20 प्रतिशत ऊपर चला जाए तो बाजार को बुलिश कहा जा सकता है यानी अब वह ऊपर की ओर चढ़ने के क्षेत्र में आ गया है.

सरकार के लिए महंगाई प्राथमिकता

अमेरिकी अधिकारी शेयर बाजार की उथल-पुथल पर नजर बनाए हुए हैं लेकिन उनका कहना है कि महंगाई सरकार की प्राथमिकता है. क्लीवलैंड संघीय बैंक की अध्यक्ष लोरेटा मेस्टर ने कहा कि वित्तीय बाजारों की अस्थिरता से निवेशकों के फैसले प्रभावित होते हैं और डॉलर की कीमत से अमेरिकी अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है लेकिन कीमतों की स्थिरता पहला मकसद है.

मेस्टर ने कहा, "लक्ष्यों के लिहाज हम अपन नीति बनाने में इस माहौल का ध्यान रखेंगे ताकि अमेरिका में कीमतों की स्थिरता हासिल की जा सके." मसैचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एक कार्यक्रम में मेस्टर ने कहा कि मुद्रास्फीति निवेशकों को नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज की चेतावनी नियंत्रित करने के लिए जरूरत से ज्यादा कदम ना उठाना ज्यादा महंगा पड़ सकता है.

अटलांटा के संघीय बैंक के अध्यक्ष रफाएल बोस्टिक ने भी कहा कि इस वक्त मुद्रास्फीति नियंत्रण ज्यादा जरूरी है. निवेशकों के रवैये को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि वे अति-आशावान हैं या नहीं, जरूरी बात यह है कि हमें मुद्रास्फीति को काबू में लाना है. जब तक ऐसा नहीं होगा, तब तक हर दिशा में अस्थिरता दिखाई देगी.”

भारत पर असर

अगस्त में भारत में खुदरा बाजार में महंगाई दर में अनुमान से ज्यादा वृद्धि हुई और यह 7 प्रतिशत पर पहुंच गई. खाद्य पदार्थों और ईंधन की लगातार बढ़ती कीमतों के कारण मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर बनी हुई है.

बीते साल के मुकाबले खाद्य पदार्थों की कीमत में अगस्त महीने 7.62 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि ईंधन और बिजली निवेशकों को नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज की चेतावनी की कीमतें 10.78 फीसदी बढ़ीं. कपड़ों व जूतों के दाम में 9.91 फीसदी बढ़त हुई जबकि घरों की कीमतें 4.06 फीसदी बढ़ीं.

अतीव डांग कहते हैं कि भारत को सुरक्षित मानना सही नहीं है. वह कहते हैं, “जब वैश्विक मंदी आती है तो कोई बाजार सुरक्षित नहीं होता. हमने देखा था कि सोमवार को भारतीय शेयर दो प्रतिशत तक गिर गए थे. इस हफ्ते आरबीआई 0.35 से 0.5 फीसदी तक ब्याज दर बढ़ा सकता है. और बढ़ती ब्याज दरें शेयर बाजारों की सबसे बड़ी दुश्मन होती हैं.”

डांग ध्यान दिलाते हैं कि अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने का अर्थ यह भी है कि विदेशी संस्थागत निवेशक भारतीय बाजारों से अपना निवेशकों को नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज की चेतावनी धन निकाल लेंगे. वह कहते हैं, “शुक्रवार को ही निवेशकों ने 29 अरब रुपये के शेयर बेचे हैं. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के मुताबिक मई और जून में ही विदेशी निवेशकों को नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज की चेतावनी निवेशकों ने 90 हजार करोड़ रुपये निकाले हैं. हालांकि आशा की हल्की किरण के रूप में अगस्त में 51 हजार करोड़ रुपये निवेश भी किए गए हैं लेकिन सितंबर में के दूसरे हिस्से में फिर निकासी जारी रही.”

ब्याज की ऊंची दरों से शेयर बाजार धड़ाम

Stock Market

मुंबई (एजेंसी)। दुनिया भर में ब्याज की दरें ऊंची रहने से सहमे निवेशकों की बिकवाली से वैश्विक बाजार के एक माह के निचले स्तर तक गिरने निवेशकों को नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज की चेतावनी के दबाव में स्थानीय स्तर पर हुई चौतरफा बिकवाली से आज दोनों मानक सूचकांक सेंसेक्स निवेशकों को नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज की चेतावनी और निफ्टी लगातार दूसरे दिन भी गिरकर बंद हुए।

छोटी कंपनियों में भी बिकवाली हुई

बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 461.22 अंक अर्थात 0.75 प्रतिशत लुढ़ककर 61337.81 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 145.90 अंक यानी निवेशकों को नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज की चेतावनी 0.79 प्रतिशत का गोता लगाकर 18269 अंक पर आ गया। दिग्गज कंपनियों की तरह बीएसई की मझौली और छोटी कंपनियों में भी बिकवाली हुई, जिससे मिडकैप 1.44 प्रतिशत टूटकर 25,739.21 अंक और स्मॉलकैप 0.96 प्रतिशत उतरकर 29,516.75 अंक पर रहा।

इस दौरान बीएसई में कुल 3662 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ, जिनमें से 2120 में बिकवाली जबकि 1414 में लिवाली हुई वहीं 128 में कोई बदलाव नहीं हुआ। इसी तरह एनएसई में 45 कंपनियां लाल जबकि शेष पांच हरे निशान पर रही। विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत दरों में बढ़ोतरी के ठीक एक दिन बाद यूरो क्षेत्र, ब्रिटेन, स्विटजरलैंड, डेनमार्क, नॉर्वे, मैक्सिको और ताइवान के केंद्रीय बैंक ने भी महंगाई पर लगाम लगाने का हवाला देते हुए गुरुवार को ब्याज दरें बढ़ा दी। इससे दुनिया के शेयर बाजार आज एक महीने के निचले स्तर तक गिर गए। इस दौरान ब्रिटेन का एफटीएसई 0.54, जर्मनी का डैक्स 0.70, जापान का निक्केई 1.87 और चीन का शंघाई कंपोजिट 0.02 प्रतिशत टूट गया जबकि हांगकांग के हैंगसेंग में 0.42 प्रतिशत की बढ़त रही।

सीएंडसी ग्रुप एच1 का मुनाफा बढ़ा, एच2 आउटलुक 'चुनौतीपूर्ण' की चेतावनी

कैलकुलेटर डीएल 1

गणक Pixabay

172.00p

16:42 16/12/22

पेय निर्माता सी एंड सी ग्रुप ने गुरुवार को कहा कि 31 अगस्त को समाप्त छह महीनों में अंतर्निहित आय और परिचालन लाभ दोनों में वृद्धि हुई थी, जो राजस्व में वृद्धि और मजबूत मार्जिन से प्रेरित थी, लेकिन आगाह किया कि।

27,646.76

16:54 16/12/22

FTSE 250

18,588.48

16:54 16/12/22

4,048.95

16:54 16/12/22

4,010.49

17:14 16/12/22

सी एंड सी ग्रुप ने कहा कि समायोजित अंतर्निहित आय 132.5% बढ़कर € 70.9m हो गई और परिचालन लाभ 254.2% बढ़कर € 54.9m हो गया क्योंकि शुद्ध राजस्व में साल-दर-साल 35.6% की वृद्धि हुई और ऑपरेटिंग मार्जिन 2.3% से बढ़कर 6.1% हो गया। प्रति शेयर आय 284% बढ़कर 9.6 यूरोपीय संघ सेंट हो गई।

FTSE 250-सूचीबद्ध समूह ने कहा कि इसकी "अंतर्निहित नकदी पैदा करने की क्षमता" के निवेशकों को नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज की चेतावनी परिणामस्वरूप € 55.3m पूर्व-असाधारण का मुफ्त नकदी प्रवाह और € 78.0m के गैर-आवर्ती पुनर्भुगतान सहित 16.1% का संबंधित मुफ्त नकदी प्रवाह रूपांतरण हुआ था। कर स्थगित करने के लिए।

सी एंड सी, जिसने कहा कि वह अपने 2023 के परिणामों के जारी होने के बाद एक पूर्ण और अंतिम वर्ष के लाभांश को फिर से शुरू निवेशकों को नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज की चेतावनी करने का इरादा रखता है, ने यह भी नोट किया कि मैक्रोइकॉनॉमिक और उपभोक्ता वातावरण "कठिन" बना रहा, सितंबर के लिए शुद्ध राजस्व 5 में इसी अवधि की तुलना में 2021% कम है। .

IPO प्राइस से 72% नीचे शेयर

जापानी निवेशक ने पेटीएम में 1.6 बिलियन डॉलर का निवेश किया था और आईपीओ के दौरान 220-250 मिलियन निवेशकों को नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज की चेतावनी डॉलर के शेयर बेचे थे। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पेटीएम स्टॉक, जो 2,150 रुपये पर जारी किया गया था, कंपनी में सॉफ्टबैंक के निवेश का कम हो जाना इसे अब मूल्य से 72% नीचे ले आया है।

देश और दुनिया की ताज़ा खबरें सबसे पहले न्यूज़ 24 पर फॉलो करें न्यूज़ 24 को और डाउनलोड करे - न्यूज़ 24 की एंड्राइड एप्लिकेशन. फॉलो करें न्यूज़ 24 को फेसबुक, टेलीग्राम, गूगल न्यूज़.

रेटिंग: 4.50
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 765