Paytm के शेयर में 8% की तेजी, एक्सपर्ट बोले-1200 रुपये के पार जाएगा भाव
जानकारी के लिए आपको बता दें कि पेटीएम का आईपीओ 18300 करोड़ रुपये का था और इसकी लॉन्चिंग नवंबर 2021 में हुई थी। इन शेयरों के लिए प्राइस बैंड 2080-2150 रुपये प्रति इक्विटी शेयर रखा गया था।
वैसे तो सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को शेयर बाजार में बिकवाली हावी रही लेकिन इस दौरान Paytm के स्टॉक ने जबरदस्त तेजी देखी। कारोबार के दौरान Paytm के स्टॉक में 8 फीसदी तक की तेजी रही। कारोबार के अंत में स्टॉक का भाव 7.06% चढ़कर 536.90 रुपये पर बंद हुआ। ब्रोकरेज को उम्मीद है कि आने वाले वक्त में Paytm के स्टॉक में तेजी दिखेगी।
किस ब्रोकरेज ने क्या कहा: ICICI Securities के मुताबिक Paytm का स्टॉक 1,285 रुपये के स्तर तक जा सकता है। ब्रोकरेज ने इस टारगेट प्राइस का जिक्र करते हुए स्टॉक को बाय रेटिंग दी है। मतलब इसे खरीदने की सलाह दी गई है। ब्रोकरेज के मुताबिक मार्जिन सुधार की वजह से स्टॉक में तेजी की उम्मीद है।
Goldman Sachs: इस विदेशी ब्रोकरेज ने अगले 12 महीनों के लिए टारगेट प्राइस 1100 रुपया तय किया है। मतलब ये है कि एक साल में पेटीएम का शेयर 1100 रुपये जानिए क्या स्टॉक रेटिंग का मतलब के पार जा सकता है। इसके साथ ब्रोकरेज ने स्टॉक को बाय रेटिंग यानी खरीदने की सलाह दी है। गोल्डमैन सैक्स ने कहा- पेटीएम द्वारा किए गए नए खुलासों, फ्री कैश फ्लो (एफसीएफ) और प्रॉफिट पर फोकस, कंपनी की अच्छी सोच है।
2021 में आया था आईपीओ: आपको बता दें कि पेटीएम का आईपीओ 18300 करोड़ रुपये का था और इसकी लॉन्चिंग नवंबर 2021 में हुई थी। इन शेयरों के लिए प्राइस बैंड 2080-2150 रुपये प्रति इक्विटी शेयर रखा गया था। अहम बात है कि आईपीओ की शेयर बाजार में लिस्टिंग हुई तब से शेयर का भाव 2000 रुपये के स्तर को भी नहीं टच किया है।
कितनी भरोसेमंद होती है क्रेडिट रेटिंग?
निवेशकों को समझना चाहिए कि क्रेडिट रेटिंग गारंटी नहीं है. यह बस क्रेडिट रेटिंग एजेंसी की राय है.
ढीले मानक
क्रेडिट रेटिंग बाजार से उधार जुटाने वाली कंपनी की उसे अदा करने की क्षमता को दर्शाती है. हालांकि, देश में इस तरह की धारणा बनती जा रही है कि रेटिंग देने में क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां कुछ ज्यादा ही उदार हैं. मसलन, अन्य देशों के मुकाबले भारत में ट्रिपल ए (एएए) का दर्जा पाने वाली कंपनियों की संख्या काफी ज्यादा है.
जबकि भारत में बड़ी संख्या में कंपनियों को इस सर्वाधिक रेटिंग का दर्जा मिला हुआ है. वहीं, अमेरिका में केवल दो कंपनियों ने यह तमगा पाया है. जर्मनी और ब्रिटेन में ट्रिपल ए रेटिंग वाली कोई कंपनी नहीं है. उभरते देशों में चीन में केवल 14 ट्रिपल ए रेटिंग वाली कंपनियां हैं. यह दिखाता है कि भारत और अन्य जगहों पर रेटिंग के स्टैंडर्ड में कितना फर्क है.
हालांकि, एक्सपर्ट कहते हैं कि इनकी तुलना करना सही नहीं है. इसके पीछे वे कई कारण गिनाते हैं. पहला, भारत में ट्रिपल ए रेटिंग वाले ज्यादातर संस्थान पीएसयू हैं. इनमें सरकार की हिस्सेदारी होने के कारण सुरक्षित माना जाता है. अन्य देशों में एएए रेटिंग पाने वाली ज्यादातर कंपनियां प्राइवेट सेक्टर की हैं.
इसके अलावा भारतीय रेटिंग एजेंसियां पैमाने के तौर पर रुपये में उधारी को इस्तेमाल करती हैं. वहीं, अन्य देशों में डॉलर या अन्य विदेशी मुद्रा में उधारी को लिया जाता है. घरेलू कंपनियों की ग्लोबल मानकों पर रेटिंग हो तो इन्हें कम रेटिंग मिलेगी.
इस तरह घरेलू स्तर पर एएए की रेटिंग रखने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज भी अंतरराष्ट्रीय स्केल पर घटकर Baa2 पर आ जाएगी. एक्सिस म्यूचुअल फंड में फिक्स्ड इनकम के हेड आर. शिवकुमार कहते हैं कि विकसित बाजारों में ज्यादातर कंपनियों ने समय गुजरने के साथ भारी कर्ज ले रखा है. रेटिंग कम होने की यह भी एक वजह है.
भारत में बॉन्ड इश्यू करने वाली ज्यादातर कंपनियां हाई क्वालिटी वाली होती हैं
निवेशकों को रेटिंग के इतर भी चीजें देखनी चाहिए
क्रेडिट रेटिंग | कंपनियों की संख्या | रेटिंग का जानिए क्या स्टॉक रेटिंग का मतलब मतलब |
AAA | 63 | सबसे ज्यादा सुरक्षित |
AA | 198 | ज्यादा सुरक्षित |
A | 56 | पर्याप्त सुरक्षित |
A* के नीचे | 21 | मामूली/अपर्याप्त रूप से सुरक्षित या डिफॉल्ट का काफी जोखिम |
*इसमें B, BB, BBB, C और D रेटिंग वाली कंपनियां शामिल हैं.
हालांकि, यह भी सच है कि भारतीय रेटिंग एजेंसियां अक्सर गलत जगह पैर रखते पाई गई हैं. Acepro Advisors में पार्टनर व सीआईओ कुंज बंसल कहते हैं, "बड़े संस्थागत निवेशकों ने अब रेटिंग को एहतियात के साथ लेना शुरू किया है. वे आंतरिक स्तर पर भी इश्यू जारी करने वाली कंपनी की क्रेडिट क्वालिटी की परख करते हैं."
कुछ एक्सपर्ट को लगता है कि अपने मौजूदा प्रारूप में क्रेडिट रेटिंग की कोई खास उपयोगिता नहीं है. वहीं, अन्य कहते हैं कि इस तरह के बहुत कम मामले हुए हैं जब क्रेडिट रेटिंग एजेंसी कंपनी की सेहत का अनुमान लगा पाने में विफल रहीं.
क्रेडिट रेटिंग गारंटी नहीं
निवेशकों को समझना चाहिए कि क्रेडिट रेटिंग गारंटी नहीं है. यह बस क्रेडिट रेटिंग एजेंसी की राय है. एक्सपर्ट कहते हैं कि निवेशकों को क्रेडिट रेटिंग को एकमात्र सच नहीं मान लेना चाहिए. उन्हें दूसरे पहलुओं पर भी गौर करना चाहिए.
फंड्सइंडिया में हेड (म्यूचुअल फंड रिसर्च) विद्या बाला का सुझाव जानिए क्या स्टॉक रेटिंग का मतलब है कि बॉन्ड फंडों में निवेश करते हुए क्रेडिट रेटिंग को बड़े फिल्टर की तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है. यह आपको व्यापक स्तर पर कंपनी की सेहत के बारे में बताएगा. लेकिन, बारीक बातों को समझने के लिए गहराई में जाना होगा.
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एक, दो, तीन… कितने स्टार रेटिंग वाला रेफ्रिजरेटर खरीदना फायदे का सौदा, जान लीजिए
फेस्टिव सीजन चल रहा है. खरीदारी के दौरान रेफ्रिजरेटर्स की खूबियां गिनाते वक्त स्टार रेटिंग पर फोकस किया जाता है, पर कभी सोचा है कि इन स्टार रेटिंग का मतलब क्या होता है? जानिए, रेफ्रिजरेटर खरीदते समय कौन सी स्टार रेटिंग है सबसे बेहतर
फेस्टिव सीजन चल रहा है. खरीदारी जोरों पर है. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से लेकर मार्केट तक, प्रोडक्ट्स को नई-नई खूबियों के साथ पेश किया जा रहा है. इन प्रोडक्ट्स में रेफ्रिजरेटर्स भी शामिल है. जिसकी खूबियां गिनाते वक्त स्टार रेटिंग पर फोकस किया जाता है, पर कभी सोचा है कि इन स्टार रेटिंग का मतलब क्या होता है? जानिए, रेफ्रिजरेटर खरीदते समय कौन सी स्टार रेटिंग है सबसे बेहतर…
रेफ्रिजरेटर्स में स्टार रेटिंग की शुरुआत ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी ने की. 2002 में भारत सरकार की इस एजेंसी की शुरुआत हुई. अब समझते हैं, स्टार रेटिंग का मतलब. रेटिंग इस आधार पर दी जाती है कि कौन सा रेफ्रिजरेटर साल भर में कितनी बिजली खर्च करता है. जो सबसे ज्यादा बिजली की बचत करता है उसे सबसे हाई रेटिंग की दी जाती है.
1 स्टार का मतलब है, सबसे निचले स्तर की रेटिंग. रेफ्रिजरेटर्स पर एक स्टार वाले लगे स्टिकर का मतलब है वो सालभर में 487 kWh बिजली का इस्तेमाल करती है. एक स्टार रेटिंग वाला रेफ्रिजरेटर्स मार्केट में सस्ता मिलता है, लेकिन भविष्य के लिहाज से महंगा पड़ता है.
2 स्टार रेटिंग का मतलब है, यह सालभर में 389 kWh बिजली की खपत करती है, यानी वन स्टार रेटिंग वाले रेफ्रिजरेटर से बेहतर है. हालांकि मार्केट में 2 स्टार रेटिंग वाले प्रोडक्ट की कीमत ज्यादा होती है. वहीं, 3 स्टार रेटिंग का मतलब है कि यह सालभर में 311 kWh बिजली का इस्तेमाल करती है यानी इसे खरीदना फायदे का सौदा है.
4 स्टार रेटिंग वाले रेफ्रिजरेटर्स सालभर में 249 kWh और 5 स्टार रेटिंग वाले रेफ्रिजरेटर्स 199 kWh बिजली यूज करते हैं. हालांकि जितनी स्टार रेटिंग बढ़ती है ये महंगे होते जाते हैं, लेकिन भविष्य में बचत के लिहाज से बेहतर माने जाते हैं.
क्या बॉन्ड में पुट और जानिए क्या स्टॉक रेटिंग का मतलब कॉल ऑप्शन का मतलब जानते हैं आप?
पुट उन निवेशकों के लिए एक्जिट रूट है जो बॉन्ड में अपना निवेश निकालना चाहते हैं.
निवेशक पुट ऑप्शन का इस्तेमाल कई कारणों से कर सकते हैं. तुरंत नकदी की जरूरत, ब्याज दरों का बदलता माहौल या रेटिंग में बदलाव इनमें से कुछ हैं.
कैसे काम करता है यह विकल्प?
अमूमन 10 साल की मैच्योरिटी वाले बॉन्ड में पांच साल के पुट ऑप्शन का विकल्प होता है. इसका मतलब यह है कि निवेशक पांच साल पूरा होने के तुरंत बाद अपनी निवेश की रकम निकाल सकता है. कंपनी को पांच साल के निवेश के अनुपात में निवेशक का पैसा लौटाना होता है.
इस तरह की स्थिति कब आती है?
निवेशक पुट ऑप्शन का इस्तेमाल कई कारणों से कर सकता है. तुरंत नकदी की जरूरत, ब्याज दरों का बदलता माहौल या रेटिंग में बदलाव इनमें से कुछ हैं. अभी निवेशकों को गैर-बैंकिंग फाइनेंस सेक्टर में संकट के बीच भविष्य में डिफॉल्ट का डर है. रेटिंग में अचानक गिरावट ने कुछ चुनिंदा संस्थागत निवेशकों के लिए नियामक संबंधी चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. इन्हें एक तय रेटिंग से आगे डेट सिक्योरिटी को होल्ड नहीं करना है.
क्या है सबसे ताजा मामला?
अहमदाबाद की सिनटेक्स इंडस्ट्रीज ने बीते बुधवार को अपने बॉन्ड पर करीब 90 करोड़ रुपये के भुगतान को लेकर हाथ खड़े कर दिए. निवेशक उस पैसे के लिए पुट ऑप्शन का इस्तेमाल कर सकते हैं जो अदा करने के लिए कंपनी के पास नहीं हैं. ईटी को सूत्रों ने बताया कि अटकलें हैं कि अगर निवेशकों को कंपनी की अदायगी की क्षमता पर शक होता है तो वे इस विकल्प का इस्तेमाल कर सकते हैं.
क्या इस तरह के विकल्पों के साथ खतरा भी है?
कई एक्सपर्ट कहते हैं कि कुछ हद तक तो है. अगर कंपनी अपने सभी लंबित भुगतान निपटाने की कगार पर है और निवेशक अचानक इस तरह (पुट) के विकल्प का इस्तेमाल कर दें तो उससे कुछ नहीं मिलेगा. अलबत्ता, लंबी कानूनी लड़ाई जरूर शुरू हो जाएगी.
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क्या है मूडीज(What is Moody’s ) कैसे काम करती है ये एजेंसी !
अख़बारों में या टीवी में अक्सर ही हम मूडीज के बारे में पड़ते व सुनते रहते हैं। आखिर ये मूडीज क्या होती है, आज हम इसके बारे में चर्चा करेंगे इस लिए अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगती है तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।
Moody’s
दरअसल मूडीज एक अंतराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी है जो दुनियां भर के लगभग 135 देशों की क्रेडिट रेटिंग जारी करती है। ये एक अमेरिकी रेटिंग एजेंसी है जिसकी स्थापना सन 1909 में जान मूडी ने की थी। जान मूडी ने इसे बांड रेटिंग व् स्टॉक रेटिंग के लिए बनाई थी। इसमें ये बताया जाता था कि कौन सा बांड अच्छा परफॉर्म करता है या कौन से स्टॉक एक्सचेंज में निवेशकों को फायदा हो सकता है मूडीज द्वारा जारी रेटिंग ये पता चलता है।
वर्ष 1962 में अमेरिका की अन्य कंपनी डान एंड ब्रांडस्ट्रीट ने इसे खरीद लिया था। साल 2000 में ब्रांडस्ट्रीट ने इसे एक अलग कंपनी के तौर पर स्थापित कर लिया और इसको न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर करवा लिया था। 2007 में इसके दो हिस्से हो गए एक मूडीज इन्वेस्टर सर्विस जिसका काम रेटिंग जारी करना व् दूसरा हिस्सा एनालिटिक्स का था जिसमे कंपनी के बाकी सारे काम आ गए।
मूडीज मार्किट में लगे सरकार के पैसे व् कारोबारियों के पैसे के आधार पर सरकार की रेटिंग जारी करती है कि सरकार क़र्ज़ लेने या उससे चुकाने में कितनी क्षमता है। जिस देश की रेटिंग अच्छी रहती है उस देश में दुनियांभर के निवेशक इन्वेस्ट करते हैं अगर रेटिंग खराब रहती है तो दुनियां के निवेशक उसमे इन्वेस्ट करने से कतराते है। आपको बता दें कि मूडीज के लिए 44 देशों में कुल 13700 लोग काम करते हैं।
Moody’s
मूडीज अपनी रेटिंग Aaa से लेकर C तक जारी करती है जिसमे Aaa का मतलब अच्छी रेटिंग व C मतलब सबसे खराब रेटिंग होती है।
Aaa : ये मूडीज की सबसे अच्छी रैंकिंग है. मतलब ये है कि कम वक्त के लिए लिया गया कर्ज आराम से चुकाया जा सकता है. इस लिस्ट में ऑस्ट्रलिया जैसे देश हैं।
Aa1 से Aa3 (Aa1, Aa2, Aa3) : Aa1 से लेकर Aa3 तक की रेटिंग दूसरी सबसे अच्छी रेटिंग है. इसमें कर्ज न चुकाने की आशंका बेहद कम होती है, यानी कि कम वक्त के लिए लिया गया कर्ज आराम से चुकाया जा सकता है. इस लिस्ट में ऑस्ट्रिया जैसे देश हैं।
A1- A3 (A1, A2, A3) : इसके तहत किसी देश की रेटिंग को अपर मीडियम माना जाता है. कर्ज चुकाने की क्षमता सबसे अच्छी होती है, चीन इसी लिस्ट में शामिल है।
Baa1-Baa3 (Baa1, Baa2, Baa3) : ये रेटिंग मीडियम होती है. इसमें कर्ज चुकाने में मामूली रिस्क हो सकता है. छोटे वक्त के लिए लिए गए कर्ज को चुकाने की अच्छी क्षमता होती है. और कर्ज न चुकाने या कुछ देर होने के लिए वाजिब वजहें होती हैं. अपना देश इसी कैटिगरी में है।
Ba1-Ba3 (Ba1, Ba2, Ba3) : इस तरह की क्रेडिट रेटिंग एजेंसी वाले देश को लोन चुकाने में थोड़ा बहुत रिस्क हो सकता है. इस लिस्ट में हंगरी शामिल है।
B1-B3 (B1,B2,B3) :इस तरह की क्रेडिट रेटिंग एजेंसी वाले देश लोन चुकाने में रिस्की हो सकते हैं. मतलब ऐसे देशों को लोन देने में खतरा हो सकता है. इथोपिया और इस ग्रीस इस लिस्ट में हैं।
Caa1-Caa3 (Caa1, Caa2, Caa3) : इस क्रेडिट रेटिंग जानिए क्या स्टॉक रेटिंग का मतलब वाले देशों की स्थिति खराब होती है. इन्हें लोन देना और फिर उसे वापस हासिल करना बेहद रिस्की होती है. क्यूबा इस लिस्ट में शामिल है।
Ca : इस क्रेडिट रेटिंग वाले देश डिफॉल्टर होने के करीब होते हैं. इन्हें दिए लोन को वापस मिलने की उम्मीद बेहद कम होती है. बहुत मामूली गुंजाइश होती है कि ये देश मूलधन और ब्याज चुका सकते हैं. फिलहाल इस लिस्ट में कोई भी देश नहीं है।
C : ये किसी देश की सबसे खराब क्रेडिट रेटिंग है. इसका मतलब है कि वो देश डिफॉल्टर हो चुका है. उसे दिए गए पैसे में ब्याज तो छोड़िए, मूलधन मिलने की भी गुंजाइश नहीं होती है. इस लिस्ट में एक देश है, जिसका नाम है पोर्तो रिको।
इसके अलावा मूडीज़ एक और रेटिंग जारी करती है और ये रेटिंग है आउटलुक रेटिंग. ये रेटिंग मूडीज का नजरिया बताती है कि मूडीज का उस देश की अर्थव्यवस्था के बारे में क्या सोचना है. ये रेटिंग भी चार तरह की होती है।
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