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प्रतिभूतियों की लिस्टिंग: लिस्टिंग के लाभ, लिस्टिंग प्रक्रिया - Listing of Securities: Advantages of listing, listing Procedure
पब्लिक इश्यू और प्रतिभूतियों की लिस्टिंग धारा 2 के खंड (ज) के उपखंड (आईई) में निर्दिष्ट.
17A. (1) बल में कुछ समय के लिए इस अधिनियम या किसी भी अन्य कानून में निहित प्रावधानों के प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, प्रकृति का कोई प्रतिभूतियों धारा 2 के खंड (ज) के उपखंड (आईई) में निर्दिष्ट जनता के लिए
पेशकश की जाएगी जारीकर्ता ऐसे पात्रता मानदंडों को पूरा करता है और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड द्वारा किए गए नियमों द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है जैसे अन्य आवश्यकताओं का अनुपालन जब तक या किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध है.
(2) हर जारीकर्ता एक करने के लिए, जनता के लिए प्रस्ताव दस्तावेज जारी करने से पहले जनता के लिए उसमें संदर्भित प्रमाण पत्र या उपकरणों की पेशकश करने के इच्छुक धारा 2 के खंड (ज) के उपखंड (आईई) में निर्दिष्ट एक आवेदन करेगा या अधिक इस तरह के प्रमाण पत्र या शेयर बाजार या ऐसे प्रत्येक स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लिए उपकरणों के लिए अनुमति के लिए स्टॉक एक्सचेंजों को मान्यता दी.
सेबी ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज को लेकर तकनीकी समूह का गठन किया
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सेबी ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज को दी मंजूरी, जानिए क्या है ये और कैसे करेगा काम?
- Money9 Hindi
- Publish Date - September 28, 2021 / 07:38 PM IST
बाजार नियामक सेबी (SEBI) के बोर्ड ने मंगलवार को सोशल स्टॉक एक्सचेंज के लाभ कई सुधारों का ऐलान किया है. इसमें गोल्ड एक्सचेंज के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों के लिये पूंजी जुटाने का रास्ता खोलते हुए सोशल स्टॉक एक्सचेंज (Social stock exchange) खोलने के लिए फ्रेमवर्क को मंजूरी दे दी है. सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि सोशल स्टॉक एक्सचेंज को लाने के प्रस्ताव को सेबी के बोर्ड ने मंजूरी दे दी है. इस दरवाजे के खुलने से सामाजिक सेक्टर में काम करने वाली कंपनियां आसानी से बाजार से पैसा जुटा सकेंगी.
SEBI ने सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज (SSE) के लिए फ्रेमवर्क अधिसूचित किया
भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड-सेबी (SEBI) ने सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज (Social Stock Exchange: SSE) के लिए सामाजिक उद्यमों को धन जुटाने के लिए एक अतिरिक्त अवसर प्रदान करने के लिए एक फ्रेमवर्क को अधिसूचित किया है।
सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) के लिए फ्रेमवर्क SEBI द्वारा गठित एक कार्यकारी समूह और तकनीकी समूह की सिफारिशों के आधार पर विकसित किया गया है।
सोशल स्टॉक एक्सचेंज भारत में एक नई अवधारणा है और इस तरह के एक एक्सचेंज का उद्देश्य निजी और गैर-लाभकारी क्षेत्रों को अधिक पूंजी देकर उनकी सेवा करना है।
SSE का विचार सबसे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण 2019-20 में पेश किया था।
Social Stock Exchange क्या है?
सोशल स्टाॅक एक्सचेंज उन संस्थाओं के लिए है जो कई प्रकार के कल्याणकारी सामाजिक कार्य करते हैं और उन लोगों के लिए भी है जो इन सभी संस्थाओं की मदद करना चाहते हैं परंतु कार्य पारदर्शिता की कमी के कारण मदद करने में झिझकते हैं। सामाजिक कार्यों को बढ़ावा देने तथा उसके लिए फ़ंड इक्कठा करने लिए सोशल स्टॉक एक्स्चेंज का निर्माण किया गया है जो BSE के अंतर्गत कार्य करेगा तथा यह मौजूदा स्टॉक एक्स्चेंज से बिलकुल भिन्न होगा। इसके द्वारा विभिन्न सामाजिक कार्य करने वाली संस्थाएं पैसे जुटा सकती है तथा सोशल स्टॉक एक्स्चेंज में सभी गैर लाभकारी संगठन (non – profit organization) और लाभकारी संगठन (for profit enterprises) पंजीकृत हो सकते हैं।
Social Stock Exchange के संबंध में SEBI द्वारा लागू किए गए नियम
सोशल स्टॉक एक्स्चेंज में लिस्ट होने वाली संस्थाओं के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड, SEBI ने कार्य रूपरेखा जारी कर दी है, जानते हैं इसके अंतर्गत क्या – क्या नियम लागू किए हैं
- SSE में सभी लाभकारी संस्थाएं (FPE) और गैर – लाभकारी संस्थाएं (NPO) लिस्ट हो सकती हैं तथा लिस्ट होने वाली सभी सामाजिक संस्थाओं का प्राथमिक लक्ष्य वंचित और कम विशेषाधिकार प्राप्त लोगों और क्षेत्रों में मदद तथा सेवा पहुंचाना होना चाहिए।
- विनियम बोर्ड द्वारा योग्य सामाजिक कार्यों को 15 विभागों में बांटा गया है जिनमें गरीबी और भूखमारी को मिटाना, स्वास्थ्य देखभाल और स्वच्छ्ता को बढ़ावा देना, शिक्षा तथा लैंगिक समानता को बढ़ावा देना, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संबन्धित कार्य करना, खेल – कूद को बढ़ावा देने जैसे कार्य शामिल है। Social stock Exchange में लिस्ट होने वाली सभी संस्थाओं को इन सभी योग्य गतिविधिओं में शामिल होना होगा।
- गैर लाभकारी संस्थान को सोशल स्टॉक एक्स्चेंज में लिस्ट होने से पहले वह संस्था, एक ‘चैरिटेबल ट्रस्ट’ के तौर पर रजिस्टर हो तथा कम से कम तीन साल तक सामाजिक कार्य किये हों।
- इसके साथ – साथ पिछले वित्तीय वर्ष में गैर लाभकारी संस्थान ने 50 लाख रुपये सामाजिक कार्य में सोशल स्टॉक एक्सचेंज के लाभ खर्च किए हो तथा 10 लाख रुपयों की फ़ंडिंग संस्था को प्राप्त हुई हो।
- सभी योग्य गैर लाभकारी संस्थायें इस stock exchange में zero coupon zero principal bond के माध्यम से लिस्ट हो सकती है और इसके साथ – साथ इन सभी संस्थाओं को जुटाये गए फ़ंड का लेखा – जोखा तिमाही के अंत से 45 दिनों के भीतर तक SSE के सामने प्रस्तुत करना होगा।
- सामाजिक कार्य कर रहे विभिन्न राजनैतिक तथा धार्मिक दल, व्यापार संघ, कॉर्पोरेट फ़ाउंडेशन, इन्फ्रास्ट्रक्चर और हाउसिंग संस्थाएं SSE में लिस्ट नहीं हो सकती हैं।
- गैर – लाभकारी संस्थाओं के वार्षिक प्रकटीकरण के दौरान वे सभी संस्थाएं जिन्होने social stock exchange से फ़ंड जुटाये हैं या इसमे पंजीकृत हैं, उन्हे सबसे अधिक निवेश करने वाले पाँच निवेशकों की भी जानकारी देनी होगी।
- सभी लाभकारी संस्थाओं के ऊपर SSE में लिस्ट होते समय SEBI द्वारा निर्धारित वर्तमान समय के सभी debt और equity के नियम लागू होंगे।
- सोशल स्टाॅक एक्सचेंज में लिस्ट हुई सभी गैर – लाभकारी और लाभकारी संस्थाओं को सालाना अपनी social impact report को SEBI के सामने प्रकट करना होगा। इस रिपोर्ट में विभिन्न सामाजिक कार्यों के उद्दयेश, उनसे संबन्धित विभिन्न गतिविधियों, पूरे वर्ष में विभिन्न सामाजिक कार्यों सोशल स्टॉक एक्सचेंज के लाभ में खर्च किए जाने वाले रुपयों का विवरण इत्यादि शामिल होगा।
SSE संचालन परिषद (SSE governing council)
बृहस्पतिवार (13 अक्तूबर) को भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड, SEBI द्वारा जारी किए गए परिपत्र में यह कहा गया हैं की 292D के ICDR Regulation के अनुसार सभी सामाजिक शेयर बाजार को एक सामाजिक शेयर बाजार संचालन परिषद का संगठन करना होगा। इस संचालन परिषद का कार्य विभिन्न सामाजिक संस्थाओं को Social stock exchange में पंजीकरण, पैसे जुटाना, दस्तावेजों का प्रकटीकरण से संबन्धित विभिन्न चीजों पर सलाह देना होगा।
SEBI से SSE को एक अलग खंड रूप में चलाने के लिए अंतिम स्वीकृत लेने से पहले स्टॉक एक्स्चेंज को इस संचालन परिषद का गठन करना होगा। इस संचालन परिषद में कुल सात व्यक्तियों का चयन किया जायेगा जो की गैर – लाभकारी संगठन, सामाजिक ऑडिट, जनहितैषी (philanthropic), सामाजिक प्रभाव निवेशक (social impact investors) जैसे क्षेत्रों से संबंध रखते हों। सोशल स्टॉक एक्स्चेंज के विभिन्न कार्यों के संबंध में संचालन परिषद को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम चार बार मीटिंग करनी होगी।
निष्कर्ष
विभिन्न कल्याणकारी कार्य करने वाली सामाजिक संस्थाओं के लिए फ़ंड जुटाने के लिए सोशल स्टॉक एक्स्चेंज एक अच्छा जरिया बन सकता है। इससे भी अच्छी बात SSE के माध्यम से सामाजिक संस्थाओं द्वारा किए जा रहे कार्यों में पारदर्शिता बनी रहेगी चाहे वह फ़ंड जुटाने के संबंध में हो या विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने के संबंध में हो। Social Stock Exchange संचालन परिषद के गठन होने से सभी सामाजिक संस्थाओं को इस स्टॉक एक्स्चेंज के विभिन्न कार्य प्रक्रियाओं जैसे पंजीकरण, वार्षिक प्रकटीकरण इत्यादि को समझने में आसानी होगी।
जल्द ही SSE सामाजिक संस्थाएं लिस्ट होना शुरू कर देंगी लेकिन इसके कार्य प्रवाह के संबंध में लोगों में मन अभी भी विभिन्न प्रश्न होंगे, जैसे की यह सोशल स्टॉक एक्स्चेंज भी मौजूदा स्टॉक एक्स्चेंज की तरह कार्य करेगा या फिर इसमे कुछ बदलाव होंगे? विभिन्न शेयर व्यापारी शेयर मार्केट में पैसा मुनाफा कमाने के लिए लगाते हैं तो उन्हें गैर – लाभकारी संस्थाओं में पैसा निवेश करने पर मुनाफा कैसे प्राप्त होगा? इस तरह के विभिन्न सवालों के जवाब तभी मिल पाएंगे जब ऐसा Stock Exchange व्यवहारिक रूप से शुरू होगा।
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