वाणिज्यिक बैंक अपने customers के लिए या अपने लिए विदेशी मुद्रा को खरीदते या बेचते हैं। इस तरह विदेशी मुद्रा बाजार वाणिज्यिक बैंकों द्वारा कवर किया जाता है, जो इस की संरचना का प्रमुख हिस्सा है। वे अपने ग्राहकों को देने या लेने के लिए तैयार कर रहे हैं यह उसे rate पर foreign currency खरीदते या बेचते है जो उनका गाहक चाहता है । पर याद रखे कि यह जरुरी नहीं है कि यह same rate पर खरीद या बेच सके । क्यूकी lots of other factors affect करते है ।

भारतीय सहकारिता

मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक केंद्र सरकार जल्द ही यूरिया नीतियों में सुधार करने के लिए मन बना रही है।…

उत्तर प्रदेश स्थित प्रादेशिक सहकारी संघ के प्रबंध निदेशक आर.पी.गोस्वामी ने कहा कि राज्य के किसानों को जल्द से जल्द…

जम्मू-कश्मीर बैंक ने साक्षरता शिविर का आयोजन किया

जीके न्यूज नेटवर्क की एक रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर राज्य सहकारी बैंक ने हाल ही में वधावन में एक वित्तीय…

तेलंगाना सरकार द्वारा एक कार्यक्रम “तेलंगाना पल्ले प्रगती” का शुभारंभ होने से राज्य का सहकारी आंदोलन कई मायनों में सफल…

पंजाब: डेयरी किसानों को ओटीएस का तोहफा

पंजाब सरकार ने किसानों की मांग पर खरा उतरने के लिए ओटीएस योजना की घोषणा की है। पंजाब के डेयरी…

भारतीय सेना दिवस के अवसर पर किसानों की सबसे बड़ी सहकारी संस्था इफको ने भारतीय सेना को सलाम किया। इस…

एनसीयूआई की नई जीसी के लिए 16 मार्च को मतदान

देश की सहकारी संस्थाओं की शीर्ष संस्था एनसीयूआई के नए शासी परिषद का चुनाव 16 मार्च को होना तय हुआ…

कृभको ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि नीम लेपित यूरिया पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ मेक इन…

फेरा और फेमा में क्या अंतर होता है?

सन 1973 में विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम(FERA)पारित किया गया, जिसका मुख्य उद्येश्य विदेशी मुद्रा का सदुपयोग सुनिश्चित करना था. लेकिन यह विदेशी मुद्रा व्यापार के बारे में शीर्ष प्रश्न कानून देश के विकास में बाधक बन गया था इस कारण दिसम्बर 1999 में संसद के दोनों सदनों द्वारा फेमा प्रस्तावित किया गया था. राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद 1999 में फेमा प्रभाव में आ गया.

FERA vs FEMA

ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में विदशी मुद्रा बहुत ही सीमित मात्रा में होती थी; इस कारण सरकार देश में इसके आवागमन पर नजर रखती थी. सन 1973 में विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम (FERA) पारित किया गया, जिसका मुख्य उद्येश्य विदेशी मुद्रा का सदुपयोग सुनिश्चित करना था. लेकिन यह कानून देश के विकास में बाधक बन गया था इस कारण सन 1997-98 के बजट में सरकार ने फेरा-1973 के स्थान पर फेमा (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) को लाने का प्रस्ताव रखा था. दिसम्बर 1999 में संसद के दोनों सदनों द्वारा फेमा पास किया गया था. राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद जून 1, विदेशी मुद्रा व्यापार के बारे में शीर्ष प्रश्न 2000 को फेमा प्रभाव में आ गया था.
फेरा क्या है?
फेरा कानून का मुख्य कार्य विदेशी भुगतान पर नियंत्रण लगाना, पूँजी बाजार में काले धन पर नजर रखना, विदेशी मुद्रा के आयात और निर्यात पर नजर रखना और विदेशियों द्वारा अचल संपत्तियों की खरीद को नियंत्रित करना था. इस कानून को देश में तब लागू किया गया था जब देश का विदेशी पूँजी भंडार बहुत ही ख़राब हालत में था. इसका उद्देश्य विदेशी मुद्रा के संरक्षण और अर्थव्यवस्था के विकास में उसका सही उपयोग करना था.
फेमा क्या है?
फेमा का महत्वपूर्ण लक्ष्य विदेशी मुद्रा से संबंधित सभी कानूनों का संशोधन और एकीकरण करना है. इसके विदेशी मुद्रा व्यापार के बारे में शीर्ष प्रश्न अलावा फेमा का लक्ष्य देश में विदेशी विदेशी मुद्रा व्यापार के बारे में शीर्ष प्रश्न भुगतान और व्यापार को बढ़ावा देना, विदेशी पूँजी और निवेश को देश में बढ़ावा देना ताकि औद्योगिक विकास और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके. फेमा भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के विदेशी मुद्रा व्यापार के बारे में शीर्ष प्रश्न रखरखाव और सुधार को प्रोत्साहित करता है.
फेमा भारत में रहने वाले एक व्यक्ति को पूरी स्वतंत्रता प्रदान करता है कि वह भारत के बाहर संपत्ति को खरीद सकता है मालिक बन सकता है और उसका मालिकाना हक़ भी किसी और को दे सकता है.
आइये जानते हैं कि फेरा और फेमा में क्या अंतर है.

विश्व व्यापार में संरक्षणवाद और मुद्रा में हेरफेर की हालिया घटना भारत की मैक्रो-आर्थिक स्थिरता को कैसे प्रभावित करेगी ?

विश्व व्यापार में संरक्षणवाद, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रतिबंधित या नियंत्रित करने के सरकारी कार्यों और नीतियों को संदर्भित करता है| (जैसे: यू.एस.ए ने दुनिया भर के अरबों डॉलर के सामान पर टैरिफ लगा दिया है, हाल ही में सभी स्टील आयात पर 25% टैरिफ, और एल्यूमीनियम पर 10% टैरिफ)। संरक्षणवाद का उपयोग एक राष्ट्र को आर्थिक मंदी से उबरने में मदद करने के इरादे से किया जाता है। मुद्रा हेरफेर का अर्थ विभिन्न सरकारों द्वारा अन्य विदेशी मुद्राओं के सापेक्ष अपनी मुद्राओं के मूल्य को बदलने के लिए की गई कार्रवाइयों से है (विदेशी मुद्रा व्यापार के बारे में शीर्ष प्रश्न जैसे: चीन नियमित रूप से अन्य मुद्राओं के सापेक्ष अपनी मुद्रा रेनमिनबी (आरएमबी) के मूल्य परिवर्तन में हस्तक्षेप करता है।)। हाल के समय में, वैश्विक अर्थव्यवस्था में इन दोनों घटनाओं में तेजी विदेशी मुद्रा व्यापार के बारे में शीर्ष प्रश्न देखी गई। संरक्षणवाद के साथ-साथ मुद्रा हेरफेर को विरूपणकारी व्यापार प्रथाओं और वैश्विक मुक्त व्यापार के लिए एक प्रतिकूल कारक के रूप में देखा जाता है।

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