क्या है लागत?
हर ब्रोकरेज की लागत का स्ट्रक्चर अलग होता है. ज्यादातर घरेलू ब्रोकरेज 999 रुपये से 9,999 रुपये की वार्षिक योजना के तहत यह सुविधा दे रहे हैं. इसके अलावा वे हर लेन-देन के लिए अमेरिका महंगाई नियंत्रित करने के लिए ऐतिहासिक रूप से ब्याज दरें बढ़ा रहा है. फेडरल रिजर्व ने कहा था कि वो तीन तीमाही में ब्याज दरें 1.5 फीसदी से 1.75 फीसदी तक बढ़ाएगा. ब्याज़ दर बढ़ने की वजह से भी निवेशक पैसा वापस अमेरिका में निवेश कर रहे हैं..1 से $3 या फिर फीसदी में ब्रोकेरज भी वसूलते हैं.
Forex Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार फिर नए रिकॉर्ड पर, पिछले सप्ताह के आखिर में 585.324 अरब डॉलर पर पहुंचा
एफसीए में अमेरिकी डॉलर को छोड़ यूरो पाउंड व अन्य मुद्राओं को शामिल किया जाता है। इसकी गणना भी डॉलर के मूल्य में ही होती है। समीक्षाधीन सप्ताह के आखिर में देश के स्वर्ण भंडार का मूल्य 31.5 करोड़ डॉलर चढ़कर 37.026 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
नई दिल्ली, पीटीआइ। एक सप्ताह पहले की गिरावट को पीछे छोड़ते हुए देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) एक बार फिर रिकॉर्ड ऊंचाई पर जा पहुंचा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के आंकड़ों के मुताबिक इस महीने की पहली तारीख को खत्म सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 4.683 अरब डॉलर बढ़कर 585.324 अरब डॉलर की नई रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। पिछले वर्ष 25 दिसंबर को खत्म सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार गिरावट के साथ 580.841 अरब डॉलर का रह गया विदेशी मुद्रा के लिए आसान तरीका था।
विदेशी मुद्रा भंडार मामले में पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका मिलकर भी नही कर पा रहें भारत का मुकाबला
Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: February 26, 2021 23:46 IST
Photo:FILE
विदेशी मुद्रा भंडार मामले में पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका मिलकर भी नही कर पा रहें भारत का मुकाबला
नई दिल्ली: भारत के मुकाबले पाकिस्तान, बांग्लदेश, नेपाल और श्रीलंका इन चारों देशों के विदेशी मुद्रा भंडार को जोड़कर भी लिया जाए तो भी भारत का मुद्रा भंडार के सामने यह देश बोने नजर आते है। शुक्रवार को भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के ताजा आंकड़े आज जारी किए गए है। जारी आंकड़ों के मुताबिक हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 16.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 583.865 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है। 12 फरवरी को समाप्त विदेशी मुद्रा के लिए आसान तरीका पिछले सप्ताह हमारा मुद्रा भंडार 249 मिलियन अमरीकी डॉलर घटकर 583. 697 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया था। इस साल 29 जनवरी को खत्म हुए सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंड़ार 590 अमेरिकी डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गया था।
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उदाहरण के तौर पर नेपाल ने भारत के साथ फिक्सड पेग एक्सचेंज रेट विदेशी मुद्रा के लिए आसान तरीका अपनाया है. इसलिए एक भारतीय रुपये की कीमत नेपाल में 1.6 नेपाली रुपये होती है. नेपाल के अलावा मिडिल ईस्ट के कई देशों ने भी फिक्स्ड एक्सचेंज रेट अपनाया है.
डॉलर दुनिया की सबसे बड़ी करेंसी है. दुनियाभर में सबसे ज्यादा कारोबार डॉलर में ही होता है. हम जो सामान विदेश से मंगवाते हैं उसके बदले हमें डॉलर देना पड़ता है और जब हम बेचते हैं तो हमें डॉलर मिलता है. अभी जो हालात हैं उसमें हम इम्पोर्ट ज्यादा कर रहे हैं और एक्सपोर्ट कम कर रहे हैं. जिसकी वजह से हम ज्यादा डॉलर दूसरे देशों को दे रहे हैं और हमें कम डॉलर मिल रहा है. आसान भाषा में कहें तो दुनिया को हम सामान कम बेच रहे हैं और खरीद ज्यादा रहे हैं.
फॉरेन विदेशी मुद्रा के लिए आसान तरीका एक्सचेंज मार्केट क्या होता है?
आसान भाषा में कहें तो फॉरेन एक्सचेंज एक अंतरराष्ट्रीय बाजार है जहां दुनियाभर की मुद्राएं खरीदी और बेची जाती हैं. यह बाजार डिसेंट्रलाइज्ड होता है. यहां एक निश्चित रेट पर एक करेंसी के बदले दूसरी करेंसी खरीदी या बेची जाती है. दोनों करेंसी जिस भाव पर खरीदी-बेची जाती है उसे ही एक्सचेंज रेट कहते हैं. यह एक्सचेंज रेट मांग और आपूर्ति के सिंद्धांत के हिसाब से घटता-बढ़ता रहा है.
करेंसी का डिप्रीशीएशन तब होता है जब फ्लोटिंग एक्सचेंज रेट पर करेंसी की कीमत घटती है. करेंसी का डिवैल्यूऐशन तब होता है जब कोई देश जान बूझकर अपने देश की करेंसी की कीमत को घटाता है. जिसे मुद्रा का अवमूल्यन भी कहा जाता है. उदाहरण के तौर पर चीन ने अपनी मुद्रा का अवमूल्यन किया. साल 2015 में People’s Bank of China (PBOC) ने अपनी मुद्रा चीनी युआन रेनमिंबी (CNY) की कीमत घटाई.<
मुद्रा का अवमूल्यन क्यों किया जाता है?
करेंसी की कीमत घटाने से आप विदेश में ज्यादा सामान बेच पाते हैं. यानी आपका एक्सपोर्ट बढ़ता है. जब एक्सपोर्ट बढ़ेगा तो विदेशी मुद्रा ज्यादा आएगी. आसान भाषा में समझ सकते हैं कि एक किलो चीनी का दाम अगर 40 रुपये हैं तो पहले एक डॉलर में 75 रुपये थे तो अब 80 रुपये हैं. यानी अब आप एक डॉलर में पूरे दो किलो चीनी खरीद सकते हैं. यानी रुपये की कीमत गिरने से विदेशियों को भारत में बना सामान सस्ता पड़ेगा जिससे एक्सपोर्ट बढ़ेगा और देश में विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ेगा.
डॉलर की कीमत सिर्फ रुपये के मुकाबले ही नहीं बढ़ रही है. डॉलर की कीमत दुनियाभर की सभी करेंसी के मुकाबले बढ़ी है. अगर आप दुनिया के टॉप अर्थव्यवस्था वाले देशों से तुलना करेंगे तो देखेंगे कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत उतनी नहीं गिरी है जितनी बाकी देशों की गिरी है.
यूरो डॉलर के मुकाबले पिछले 20 साल के न्यूनतम स्तर पर है. कुछ विदेशी मुद्रा के लिए आसान तरीका दिनों पहले एक यूरो की कीमत लगभग एक डॉलर हो गई थी. जो कि 2009 के आसपास 1.5 डॉलर थी. साल 2022 के पहले 6 महीने में ही यूरो की कीमत डॉलर के मुकाबले 11 फीसदी, येन की कीमत 19 फीसदी और पाउंड की कीमत 13 फीसदी गिरी है. इसी समय के भारतीय रुपये में करीब 6 फीसदी की गिरावट आई है. यानी भारतीय रुपया यूरो, पाउंड और येन के मुकाबले कम गिरा है.
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में हुई 4.23 अरब डॉलर की बढ़ोतरी
सरकार ने अगले महीने छह खनिज ब्लॉकों की नीलामी की योजना बनाई है। इन ब्लॉकों में तीन बॉक्साइट की खदानें हैं और तीन चूना पत्थर के ब्लॉक हैं। ये खदानें ओडिशा और राजस्थान में स्थित हैं। खान मंत्रालय ने 2024 के अंत तक 500 खानों की नीलामी की उम्मीद जताई है। केंद्र का विदेशी मुद्रा के लिए आसान तरीका लक्ष्य देश के GDP में खनन क्षेत्र के योगदान को वर्तमान में 2.5% से बढ़ाकर 5% करना है।
इस हफ्ते क्रिप्टोकरेंसी में आई गिरावट, जानें रेट्स
क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन 2% से ज्यादा की गिरावट के साथ मौजूदा समय में 16,74.42 डॉलर पर है। वहीं, एथेरियम आज 1,187.42 डॉलर पर कारोबार कर रही है। इसमें बीते एक हफ्ते में करीब 7% की गिरावट देखने को मिल चुकी है। वहीं, डॉजकॉइन का दाम मौजूदा समय में 0.07956537 डॉलर पर कारोबार कर रहा है, और इसमें बीते 1 हफ्ते में 16.17% की गिरावट आ चुकी है।
सालाना आधार पर 9% बढ़ी ट्रैक्टर की बिक्री
अप्रैल से नवंबर तक भारत में ट्रैक्टर कंपनियों की सेल सालाना आधार पर 9% बढ़ी है। घरेलू बाजार में अप्रैल से नवंबर के बीच 6.78 लाख ट्रैक्टर्स की बिक्री हो चुकी है। खबरों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 यानी मार्च 2023 की समाप्ति तक ये आंकड़ा 9 लाख रुपये के स्तर को पार सकता है। बता दें, 2010-11 में ट्रैक्टर की बिक्री 4.80 लाख यूनिट थी जो 2020-21 में बढ़कर 8.99 लाख हो गई है।
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विदेशी शेयरों में लगाना चाहते हैं पैसा? जानिए क्या है आसान तरीका
भारतीय निवेशकों ने अमेरिकी बाजार में निवेश की काफी रुचि दिखाई है. अब वे आसानी से एपल से टेस्ला जैसे वैश्विक कंपनियों के शेयर खरीद सकते हैं.
खाता खुल जाने के बाद वे मौजूदा बैंक से फंड ट्रांसफर विदेशी शेयर खाते में कर सकते हैं. यह खरीदारी शेयरों, ईटीएफ या सूचीबद्ध नियमित आय वाली सिक्योरिटीज में ही की जा सकती है. अमेरिकी बाजार में सेटलमेंट खरीदारी के तीन दिन बाद (T+3) आधार पर किया जाता है.
क्या है लागत?
हर ब्रोकरेज की लागत का स्ट्रक्चर अलग होता है. ज्यादातर घरेलू ब्रोकरेज 999 रुपये से 9,999 रुपये की वार्षिक योजना के तहत यह सुविधा दे रहे हैं. इसके अलावा वे हर लेन-देन के लिए .1 से $3 या फिर फीसदी में ब्रोकेरज भी वसूलते हैं.
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