कई कारखानों के मज़दूर हड़ताल करके धरने-प्रदर्शन में शामिल हुए। लुधियाना में किसी कारखाने में हादसा होने पर मज़दूर के मारे जाने पर आम तौर पर मालिक पुलिस व श्रम विभाग के अफसरों से मिलीभगत से, दलालों की मदद से पीड़ित परिवारों को 20-25 हज़ार देकर मामला रफा दफा करने में कामयाब हो जाते हैं। लेकिन जब मज़दूर एकजुट होकर लड़ते हैं तो उन्हें अधिक मुआवजा देना पड़ता है। इस मामले में भी मालिक ने यही कोशिश की। लेकिन टेक्सटाईल हौज़री कामगार यूनियन के नेतृत्व में एकजुट हुए मज़दूरों ने पुलिस और मालिक को एक हद तक झुकने के लिए मज़बूर कर दिया। पुलिस को मालिक को हिरासत में लेने पर मज़बूर होना पड़ा। मालिक को पीड़ित परिवार को दो लाख रुपये मुआवजा देना पड़ा।

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आइसा नेता नितिन का जेल से पत्र

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पिछली 7 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ आइसा समेत कई संगठनों के छात्रों ने विरोध-प्रदर्शन किया था। इस मौके पर एक दर्जन से ज्यादा छात्रों और उनके नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। गिरफ्तारी के बाद इन सब पर गंभीर आपराधिक धाराएं लगा दी गयी थीं। निचली अदालत से जमानत खारिज होने के बाद तकरीबन तीन हफ्ते बाद इन नेताओं को ऊपरी अदालत से जमानत मिल पायी। लेकिन अभी भी आइसा के एक नेता नितिन राज को जमानत नहीं मिल सकी है। बताया जा रहा है कि इसके पीछे वजह पुलिस द्वारा मांगी गई घूस का न दिया जाना है। बाकी साथियों की रिहाई के बाद जेल में अकेले बंद नितिन राज ने एक पत्र जारी किया है। पेश है नितिन का पत्र।)

आज शायद भारतीय छात्र आन्दोलन अपने इतिहास के सबसे दमनात्मक दौर से गुजर रहा है, जहाँ छात्रों को अपनी लोकतान्त्रिक माँगों को लेकर की गई छात्र आन्दोलन की सामान्य कार्यवाही के लिए भी राजसत्ता के इशारे पर महीनों के लिए जेल में डाल दिया जा रहा है। छात्र आन्दोलन से घबराई योगी सरकार, जो कि इसे किसी भी शर्त पर कुचल देना चाहती है, हमें इतने दिनों तक जेल में रख कर हमारे मनोबल को तोड़ने की कोशिश कर रही है। इन भयानक दलालों की कोशिश करो लेकिन हम क्रान्तिकारी परम्परा के वाहक हैं हमारे आदर्श भगतसिंह और चंदू हैं, सावरकर नहीं, जो जेल के भय से माफ़ीनामा लिखकर छूटे और अंग्रेजों की दलाली में लग गए। हमें अगर और दिनों तक जेल में रहना पड़ा तब भी हम कमजोर पड़ने वाले नहीं हैं।

नकाब दर नकाब

23 दिसंबर 2021 को भारतीय सेना के जवान “आखिर कब तक” विरोध प्रदर्शन से पहले सेना के ट्रक से प्रदर्शन का बैनर उतारते हुए. राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों के साथ-साथ सैन्य प्रतिष्ठान के सेवानिवृत्त सदस्यों ने चेतावनी दी कि यह बीजेपी के राजनीतिक हितों के साथ सेना के कामकाज का खुला घालमेल है. यह एक खतरनाक मिसाल है जिसके भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर नतीजे हो सकते हैं.

23 दिसंबर 2021 को भारतीय सेना के जवान “आखिर कब तक” विरोध प्रदर्शन से पहले सेना के ट्रक से प्रदर्शन का बैनर उतारते हुए. राष्ट्रीय इन भयानक दलालों की कोशिश करो सुरक्षा विशेषज्ञों के साथ-साथ सैन्य प्रतिष्ठान के सेवानिवृत्त सदस्यों ने चेतावनी दी कि यह बीजेपी के राजनीतिक हितों के साथ सेना के कामकाज का खुला घालमेल है. यह एक खतरनाक मिसाल है जिसके भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर नतीजे हो सकते हैं.

23 दिसंबर 2021 की सर्द शाम को श्रीनगर के प्रताप पार्क में विरोध प्रदर्शन के लिए लगभग बीस कश्मीरी जुटे. सेना के दो ट्रक जल्द ही पास के रीगल चौक पर पहुंचे और उनसे उतरे दर्जनों सैनिकों ने पार्क को घेर लिया. कुछ सादे कपड़ों में थे और उनमें से दो ने मुझे बताया की कि वे भी भारतीय सेना में हैं. हालांकि प्रदर्शनकारी उनकी मौजूदगी से बेफिक्र नजर आ रहे थे. यह देखते हुए कि सेना आमतौर पर कश्मीर घाटी में प्रदर्शनकारियों के साथ कैसे इन भयानक दलालों की कोशिश करो पेश आती है, यह गैरमामूली दृश्य था.

एडीए आफिस में लगेंगे वाइस रिकार्डर कैमरे

एडीए आफिस में लगेंगे वाइस रिकार्डर कैमरे

आगरा। विकास प्राधिकरण में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए एडीए उपाध्यक्ष लगातार कदम उठा रहे हैं। चार्ज संभालते ही दलालों पर अंकुश लगाने के लिए उनको चिह्नित किया गया और नौ दलालों के नाम सार्वजनिक करते हुए एडीए गेट पर बोर्ड लगा दिया। अब वीसी ने पूरे कार्यालय में कैमरों के साथ वायस रिकार्डर लगाने के निर्देश दिए हैं। ताकि प्राधिकरण के अलग-अलग पटलों पर होने वाली गतिविधियों पर न केवल नजर रखी जा सके बल्कि वहां जो वार्तालाप हो रहा है वह रिकार्ड हो सके।

सोमवार को प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ने कार्यालय का आकस्मिक निरीक्षण किया था। प्राधिकरण परिसर के समस्त कक्षों में सीसीटीवी कैमरा मय वॉइस रिकार्डर लगाये जाने की आवश्यकता को देखने के बाद उपस्थित अभियंताओं को निर्देश दिये। उन्होंने मुख्य अभियंता को निर्देश दिए कि सर्वे करके बताएं कि कहां कितने कैमरों की आवश्यकता है और किस कक्ष में कैमरा प्लस वॉइस रिकॉर्डर की आवश्यकता है। परिसर की नियमित साफ-सफाई कराने तथा गुटखा, तंबाकू खाकर जो लोग कार्यालय की दीवारों को गंदा करते हैं, उन पर 2000 रुपये का जुर्माना वसूलने के निर्देश दिए। जागरुकता के लिए कार्यालय परिसर के मुख्य-मुख्य स्थानों की दीवारों पर चेतावनी पटिटकाये लगवाने को कहा है। निरीक्षण में मुख्य अभियंता, संयुक्त सचिव,अवर अभियंता आदि मौजूद रहे।

कारख़ानों में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंधों के लिए मज़दूरों का डी.सी. कार्यालय पर ज़ोरदार प्रदर्शन

लुधियाना ही नहीं बल्कि देश के सभी कारख़ानों में रोजाना भयानक हादसे होते हैं जिनमें मज़दूरों की मौते होती हैं और वे अपाहिज होते हैं। मालिकों को सिर्फ अपने मुनाफे़ की चिन्ता है। मज़दूर तो उनके के लिए सिर्फ मशीनों के पुर्जे बनकर रह गये हैं। सारे देश में पूँजीपति सुरक्षा सम्बन्धी नियम-क़ानूनों सहित तमाम श्रम क़ानूनों की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं।

ऑटोमोबाइल सेक्टर में ऐसी दुर्घटनाएँ कोई नयी बात नहीं है। आये दिन किसी न किसी फैक्ट्री में कम्पनी मैनेजमेंट की आपराधिक लापरवाही की वजह इन भयानक दलालों की कोशिश करो से दुर्घटनाओं में मज़दूर अपनी जान गँवा बैठते हैं या बुरी तरह घायल हो जाते हैं। लाखों मज़दूर अपनी जान जोख़िम में डालकर काम करने के लिए मजबूर हैं।

मालिकों की नज़र में मज़दूर मशीनों के पुर्जे हैं

मालिक और मैनेजमैंट के ही कहने पर प्रेस मशीनों से सैंसर आदि हटा दिये जाते हैं इन भयानक दलालों की कोशिश करो या खराब होने पर ठीक नहीं करवाये जाते। कारख़ाने में माहौल ऐसा बना दिया जाता है कि मशीनों में बहुत सी गड़बड़ियों को ठीक करने का मतलब समय और पैसा खराब करना होगा। मज़दूरों की शिकायतों को कामचोरी मान लिया जाता है।

कि सरकार ख़ुद इन सुरक्षा नियमों को दफ़नाने में लगी है। और ये सब निवेश को बढ़ावा देने के नाम पर हो रहा है। एक ओर कारख़ानों को नियमों के पालन से छूट दी जा रही है, तो दूसरी ओर नियमों की निगरानी करने वाले विभागों में कारख़ाना इंस्पेक्टरों और अधिकारियों की संख्या को बहुत कम किया जा रहा है।

क्षेत्रीय चैनलों के दलाल मालिको भगाया

योगी जी ने इन सभी क्षेत्रीय चैनलों के दलाल मालिको को दुत्कारते हुए भगाया। योगी जी ने कहा कि जाओ आज के बाद से तुम लोग हमारे खिलाफ जितना दिखाना चाहते हो, दिखाते रहो। हम किसी तरह की ब्लैकमेलिंग से डरने वाले नहीं हैं। योगी जी ने कहा यदि तुम लोगों में से कोई जनहित का कार्य लेकर आएगा तो वह कार्य बराबर होगा।

लेकिन यदि दलाली के मुद्दे पर हमारे ऑफिस में आओगे तो जेल जाओगे। उसके बाद से पत्रकार बृजेश मिश्रा लगातार ट्वीटर और अपने चैनल के द्वारा योगी सरकार के खिलाफ विषवमन करता रहता है। ब्रजेश मिश्रा की एक महिला पत्रकार है। इन्होने एक दूसरे सरनेम वाले वामपंथी से शादी की है लेकिन अपने नाम के आगे मिश्रा सरनेम लगाती है।

ऐसा करने का कारण है कि इनके ब्राम्हण कार्ड का एजेंडा चलता रहे। ये महिला पत्रकार आजकल हाथरस के मुद्दे पर एक मसीहा पत्रकार बनी हुई है। जब योगी जी ने फिल्म सिटी बनाने की घोषणा की, तब दिल्ली से आज तक के मालिक अरुण पुरी, इंडिया टीवी के मालिक रजत शर्मा और भारत समाचार के बृजेश मिश्रा सहित कई बड़े मीडिया संस्थान योगी जी से मिलने गए।

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