जैसा की आप जानते ही होंगे की हर चीज का फायदा और नुकसान दोनो ही होता है। किसी भी चीज के नुकसान से बचने का सबसे अच्छा तरीका है की उसे अच्छे से जाने। तो आईए अब आपको Intraday ट्रेडिंग के नुकसान के बारे में बताते है। इसे अच्छे से समझे ताकि आप नुकसान से बच सके।
Intraday Trading क्या होती है (संपूर्ण जानकारी) | Intraday Trading कैसे करे 2022
आज के समय में शेयर मार्केट से काफी लोग जुड़ रहे है। कोरोना महामारी के बाद से लोगो में इसके प्रति काफी लगाव देखा गया है। शेयर मार्केट ट्रेंडिंग मार्केट में अपना स्टॉप लॉस कैसे सेट करें में आप दो ही तरीके से पैसे कमा सकते है या तो आप इन्वेस्टमेंट कर सकते है या फिर इंट्राडे ट्रेडिंग। आज के इस आर्टिकल में हम आपको इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में बताएंगे। क्या होता है इंट्राडे ट्रेडिंग? इससे कैसे पैसे कमाए, इसके फायदे और नुकसान। सबकुछ जानेंगे हम इस आर्टिकल में। तो आईए सबसे पहले intraday ट्रेडिंग के बारे में जान लेते है।
Table of Contents
Intraday Trading क्या होती है
जैसा की आप जानते ही होंगे की शेयर मार्केट में हम शेयर की खरीद-बिक्री करते है। शेयर मार्केट में लोग कम दाम में शेयर खरीद के उसे दाम बढ़ने पर बेच कर पैसे कमाते है। आप खरीदे हुए शेयर को या तो तुरंत बेच सकते है या फिर आप जब चाहे तब बेच सकते है। अगर आप शेयर को आज खरीद कर आज ही बेच देते है तो इसे ही intraday ट्रेडिंग कहते है।
अगर आप खरीदे शेयर को आज के अलावा किसी और दिन बेचते है तो उसे डिलीवरी कहते है। Intraday trading के अपने फायदे और नुकसान है। लेकिन सही से ट्रेडिंग करके आप इसमें अच्छा पैसा बना सकते है। आईए सबसे पहले हम Intraday ट्रेडिंग करना जान लेते है। इसके बाद इसके फायदे और नुकसान को देखेगे।
Intraday Trading कैसे करे
Intraday trading इन्वेस्टमेंट की तुलना में काफी रिस्की होता है। इसलिए भी इसमें कदम रखने से पहले अच्छे से अपना सेटअप तैयार रखे। जैसे स्टॉपलॉस, टारगेट, शेयर सिलेक्शन इत्यादि। आपको Intraday trading करने के लिए निम्नलिखित बातो का ध्यान रखना चाहिए:-
- सबसे पहले एक अच्छा लिक्विफाइड स्टॉक चुने। लिक्विफाइड का मतलब ऐसे स्टॉक से है जिसमे अच्छा खासा वॉल्यूम और मूवमेंट हो।
- इसके बाद आप एंट्री प्राइस और टारगेट सेट करे। और साथ ही में स्टॉप लॉस लगाना न भूलें। स्टॉपलॉस आपको अधिक लॉस होने से बचाता है।
- आप अलग अलग तरह के इंडिकेटर का इस्तमाल कर सकते है। यह आपको स्टॉक के मूवमेंट से जुड़ी जानकारी देंगे। जैसे RSI, Volume chart इत्यादि।
- आप रिस्क रिवार्ड को हमेशा ध्यान में रखकर ही ट्रेडिंग करे। जितना रिस्क कम उतना अच्छा है। कभी भी लालच न करे हमेशा धैर्य बनाए रखे।
Stop Loss Meaning in Hindi
Stop Loss वह मूल्य है जो शेयर मार्केट में ट्रेडर को ज्यादा नुकसान होने से बचाता है। यह ट्रेडर्स के जोखिम को ट्रेंडिंग मार्केट में अपना स्टॉप लॉस कैसे सेट करें कम कर उन्हें सही समय पर मार्केट से बाहर निकलने की अनुमति देता है।
शॉर्ट टर्म ट्रेड में स्टॉप लॉस की जरुरत और भी बढ़ जाती है क्योंकि यहां जोखिम की संभावना और भी ज्यादा होती है। स्टॉप लॉस ट्रेडर के इसी जोखिम को सीमित करता है।
यह उनलोगों के लिए रामबाण की तरह है जो निरंतर ट्रेडिंग नहीं करते और जो शेयर बाजार के ट्रेंड से अनजान हैं। ऐसे लोग स्टॉप लॉस लगाकर अपने नुकसान को कम कर सकते हैं।
स्टॉप लॉस को अच्छे से समझने के लिए एक उदहारण लेते है।
यदि हम किसी कंपनी के शेयर ट्रेंडिंग मार्केट में अपना स्टॉप लॉस कैसे सेट करें को 100 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से इस उम्मीद में खरीदते हैं कि इसकी प्राइस मार्केट में कभी तो 120 रुपये हो जाएगी और यह अच्छा-खासा रिटर्न देगी।
Stop Loss Kaise Lagaye
ऐसे ट्रेडर जो स्टॉक मार्केट में ट्रेड की शुरुआत करने जा रहे हैं और उनके पास मार्केट के ट्रेंड को समझने का अनुभव नहीं है तो ट्रेडर के मन में नुकसान का डर सबसे ज्याादा होता है।
यह डर कभी-कभी इतना ज्यादा होता है कि लोग अपने ट्रेंडिंग के इरादों को भी बदल देते हैं। ऐसे ट्रेडर के लिए स्टॉप लॉस एक सहारे की तरह है जिससे वे अपने हिसाब से अपने लॉस को तय कर सकते हैं और प्रॉफिट को लॉक कर सकते हैं।
आइये जानते है कुछ ऐसे स्ट्रेटेजी जो आपको इंट्राडे ट्रेडिंग में सही ट्रिगर प्राइस सेट करने में मदद करती है ।
Best Stop Loss Strategy in Hindi
Stop loss के बारे में अच्छी तरह समझने के बाद सवाल उठता है कि आखिर किस प्राइस पर Stop loss लगाया जाए, क्या इसके लिए कोई नियम है?
इन सवालों के जवाब के साथ ही आप Stop loss को लेकर एक अच्छी रणनीति तैयार कर सकते हैं। शेयर मार्केट का गणित का सही उपयोग कर आप स्टॉप लॉस की जानकारी प्राप्त कर सकते है।
स्टॉप लॉस के फायदे
Stop loss लगाने के लिए ट्रेडर को अलग से कोई राशि नहीं देनी पड़ती है। इस तरह से देखा जाए तो ट्रेडर के लिए यह एक फ्री इंश्योरेंस पॉलिसी की तरह है जो केवल फायदा ही पहुंचा सकती है नुकसान नहीं।
नए ट्रेडर को ट्रेड करने के लिए प्रोत्साहित करती है। नए ट्रेडर के सामने सबसे बड़ी चुनौती और मार्केट में उतरने का डर होता है कि कही वो अपने पैसे न गंवा दें। इसलिए Stop loss जोखिम को कम कर ट्रेडर का मार्केट में उतरने के निर्णय में मदद करता है।
ये आपके मार्केट संबंधी भ्रांतियों को दूर कर एक विश्वास प्रदान करता है। यदि कोई ट्रेडर अपनी उम्मीद के मुताबिक ही मार्केट में जोखिम उठाता है तो मार्केट के प्रति उसका विश्वास बढ़ता है।
स्टॉप लॉस के नुकसान
Stop loss के सबसे बड़े नुकसानों में से एक की बात करें तो मार्केट में आई कुछ समय की अस्थिरता पर भी यह सक्रिय हो जाते हैं क्योंकि हो सकता है कुछ समय अंतराल के बाद मार्केट में फिर से तेजी आ जाए।
ऐसे में ट्रेडर ज्यादा रिटर्न पाने की संभावना से वंचित रह जाता है। इसे एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं। मान लिया किसी ट्रेडर ने 120 में शेयर खरीदे और 108 का स्टॉप लॉस लगाया।
अब यदि मार्केट कुछ समय के लिए भी नीचे आया तो शेयर 108 में सेल हो जाएगा जबकि यह शेयर ट्रेडर को और भी ज्यादा बड़ा रिटर्न दे सकता था।
स्टॉप लॉस लगाने के लिए कोई स्थायी नियम नहीं है। अलग-अलग ट्रेडर अपने हिसाब से इसका उपयोग कर सकते हैं। एक और नुकसान ट्रेंडिंग मार्केट में अपना स्टॉप लॉस कैसे सेट करें की बात करें तो मार्केट ट्रेंड के हिसाब से स्टॉप लॉस में बदलाव नहीं किया जा सकता है।
निष्कर्ष
नए ट्रेडर के लिए Stop loss एक इंश्योरेंस की तरह तो है जो उनके जोखिम को खत्म कर उनके पैसे खोने के डर को खत्म करता है लेकिन लेकिन कभी-कभी यह नुकसान भी पहुंचाता है।
ट्रेंडिंग मार्केट में अपना स्टॉप लॉस कैसे सेट करें
स्टॉप लॉस आर्डर आप की मदद करता है जब भी आप को लगे की आपने जो आर्डर प्लेस किया है (चाहे वो खरीद का हो या बेचने का हो) वो आपके खिलाफ जा सकता है और आपके नुक्सान को कम करने में आपकी मदद करता है। उदहारण के तौर पे - अगर आपने Rs 100/- का कोई स्टॉक खरीदा है और आप ज़्यादा से ज़्यादा Rs 5/- का नुक्सान उठा सकते है तो आपको अपना स्टॉक को Rs 95/- में बेचने के लिए आर्डर प्लेस करना होगा। इस तरह के आर्डर को स्टॉप लॉस आर्डर कहते है क्योंकि आप आपने नुकसान को उतना ही लिमिट कर रहे हैं जितना की आप सह सकते है।
दो तरह के स्टॉप लॉस आर्डर होते है:
1. SL आर्डर (स्टॉप -लॉस लिमिट) = प्राइस + ट्रिगर प्राइस
2. SL-M आर्डर (स्टॉप -लॉस मार्किट) = सिर्फ ट्रिगर प्राइस
केस 1 > अगर आप ने बाय पोजीशन लिया है तो, आप सेल SL प्लेस करना होगा
How to Set Up Stop Loss and Target | स्टॉप लॉस और टारगेट कैसे सेट करें
आज इस पोस्ट में आपको सबसे महत्वपूर्ण पॉइंट बताने जा रहा हूं जिसको लेकर हर कोई ट्रेडर परेशान हैं खासकर वो नए ट्रेडर जो मार्केट में अभी जल्द ट्रेडिंग करना शुरू किए है. इसमें हम जानेंगे कि ट्रेड लेते समय स्टॉप लॉस और टारगेट कैसे लगाए. How to set Stop Loss and Target in stock.
कई ऐसे ट्रेडर है जो मार्केट में कोई भी ट्रेड लेने से पहले वे पूरा रिसर्च करते है. अपना strategies भी लगा लेते हैं. ट्रेंड लेने के बाद उन्हें प्रॉफिट भी होता है. परंतु टारगेट ना मालूम होने के वजह से बड़ा प्रोफिट बनाने का मौका गंवा देते हैं. ऐसे ही ट्रेड लेते समय स्टॉप लॉस लगाने का तरीका ना मालूम होने के वजह से लॉस कर लेते हैं. या तो स्टॉप लॉस तुरंत हिट हो जाते हैं.
Best stop loss strategy for intraday
ट्रेड प्रोफिट में चल रहा होता हैं. लेकिन प्रॉफिट कहां बुक करना है, ये चीज नहीं पता होने के कारण ट्रेडर अपना लॉस कर लेते हैं. और कई ऐसे भी ट्रेडर का सवाल होता है कि स्टॉप लॉस नहीं लगाया था और एक पॉइंट्स स्टॉक नीचे ही गया था और स्टॉप लॉस लगाने के बारे में सोच ही रहा था की स्टॉक उससे पहले ही नीचे चला गया. ये सब चीजें आपके साथ होती है और अच्छे खासे ट्रेड को आप लॉस में बदल देते हैं.
अगर आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ते हैं, तो स्टॉप लॉस कैसे लगाए, कैसे ट्रेड लेना चाहिए, एक्सपर्ट ट्रेडर कौन सी चीज दिमाग में सोच कर ट्रेड लेते हैं. ऐसा नहीं कि कोई चीज सुनी है तो वही चीज तुरंत पूरी की पूरी कॉपी पेस्ट करनी है. कभी–कभी अपना दिमाग भी लगाना होता है ट्रेड में कुछ भी हो सकता है प्लान A के साथ प्लान B भी होना जरूरी है. हालांकि आपको प्लान B पर तभी जाना है जब प्लान A आपके लिए काम नहीं कर रहा हो.
महत्वपूर्ण पॉइंट
- जब कैंडल बड़ी बनी हो तो आपको ट्रेड नहीं लेना है. अब आप सोच रहे होंगे कि कितनी बड़ी हो. तो आपको बता दें, यदि कैंडल 1% से बड़ी बनती दिखे. तो आपको को ट्रेड नहीं लेना हैं. आपको ट्रेड में एंट्री तभी लेना हैं जब कैंडल 1% से नीचे हों जैसे 0.5%, 0.8% या फिर 0.9% तक का भी ले सकते हैं.
- यदि ट्रेड में एंट्री लेने के बाद स्टॉक नीचे जाता है, तो आप यह चेक कर सकते हैं कि 50% fib Retracement पार हुआ है या नहीं। मान लीजिए आपने ट्रेड ले लिया है और हो सकता है कैंडल आपके अनुसार ना move करे और अगली कैंडल Red बन जाए और स्टॉक नीचे जाने लगे. अब आप क्या करेंगे? क्योंकि आपके पास समय भी कम और तुरंत एक्शन भी लेना हैं. आपने स्टॉप लॉस भी लगा दिया है. लेकिन आपको Fibonacci Retracement से भी check करना जरूरी है ये कैसे देखना है नीचे चार्ट में देख सकते हैं.
Target and stop loss for intraday
किसी भी ट्रेड में एंट्री करने से पहले स्टॉप लॉस और टारगेट तय होना चाहिए। जैसे कि ट्रेंडिंग मार्केट में अपना स्टॉप लॉस कैसे सेट करें ऊपर के पैराग्राफ में आपने देखा कि स्टॉप लॉस और टारगेट कैसे लगाना है तो उसी के हिसाब से किसी भी ट्रेड में एंट्री लेने से पहले stop loss और target तय कर लें. अब प्रोफिट कितना लेना है? ये अलग–अलग ट्रेडर पर निर्भर करता है. आप चाहे स्टॉप लॉस को ट्रेल भी कर सकते हैं जिसे trailing Stop Loss कहा जाता है.
ट्रेंडिंग मार्केट में अपना स्टॉप लॉस कैसे सेट करें
किसी भी न्यूज़ या इवेंट के कारण प्राइस ऍक्शन और अस्थिरता के आधार पर ट्रेडिंग को न्यूज़ या इवेंट बेस्ड ट्रेडिंग के रूप में जाना जाता है। न्यूज़ या इवेंट या तो निर्धारित होते है या अचानक हो सकते हैं। अनुसूचित समाचार पहले से ही नियोजित होते हैं, जबकि अचानक आने वाले न्यूज़ इवेंट्स अनिर्धारित या अनियोजित होते हैं। एक अनुसूचित घटना पर उचित उम्मीदों के साथ ट्रेड कर सकते हैं, लेकिन अनिर्धारित न्यूज़ या इवेंट्स पर ट्रेड करना बहुत मुश्किल है क्योंकि वो स्पष्टीकरण के अधीन हैं।
समाचार और घटनाएँ ग्लोबल या डोमेस्टिक हो सकती हैं। ग्लोबल न्यूज़ दुनिया भर के मार्केट्स को प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, 2008 के सबप्राइम मॉर्गेज क्राइसिस ने दुनिया भर के मार्केट्स को झटका दिया था। डोमेस्टिक न्यूज़ इवेंट्स जैसे चुनाव परिणाम का स्थानीय प्रभाव हो सकता है।
न्यूज़ या इवेंट्स का व्यापक वर्गीकरण
कॉर्पोरेट: कॉर्पोरेट न्यूज़ या इवेंट्स कंपनी विशिष्ट होते हैं। यह एक प्रोडक्ट, मर्जर और एक्वीजीशन, डिमर्जर, अर्निंग्स आदि का शुभारंभ हो सकता है। तिमाही अर्निंग्स जैसे इवेंट्स निर्धारित किए जाते हैं क्योंकि एक्सचेंजों को इसके बारे में सूचित करना होता है। तिमाही अर्निंग्स के परिणाम का काफी अनुमान लगाया जा सकता है और उसके अनुसार ट्रेडों की योजना ट्रेंडिंग मार्केट में अपना स्टॉप लॉस कैसे सेट करें बनाई जा सकती है। हालांकि, कुछ अनिर्धारित कॉर्पोरेट इवेंट्स या अनाउंसमेंट हैं जो स्टॉक प्राइस पर प्रभाव का अनुमान लगाने में चुनौतियों का सामना कर सकती हैं।
डेटा संचालित: ये अनुसूचित इवेंट्स हैं जैसे कि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) की द्वि-मासिक पॉलिसी रिव्यु, इंफ्लेशन जैसे डेटा जारी करना, ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट्स (जीडीपी) में वृद्धि जैसे तिमाही मैक्रो संकेतक, रोजगार डेटा इत्यादि। ये डेटा पॉइंट्स ट्रेडों के लिए तदनुसार योजना बनाने की अनुमति देते हैं। हालांकि, कई बार मैक्रो इंडिकेटर्स मार्केट को चौंका सकते हैं। अप्रत्याशित की उम्मीद करने के बारे में सावधान रहना होगा। उदाहरण के लिए, विशेष रूप से अमेरिका में प्रकाशित कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस इन्वेंटरी जैसी रिपोर्टों के दौरान, इन मार्केट्स और इन ऊर्जा वस्तुओं की कीमतों में उस समय के आसपास अत्यधिक अस्थिरता पाई जा सकती है। कई वेबसाइट इकनॉमिक कैलेंडर देती हैं जिसमें वे तिथियां होती हैं जिन पर विभिन्न इकनॉमिक डेटा जारी होने की उम्मीद होती है।
न्यूज़ और इवेंट्स के आधारित ट्रेडिंग
- न्यूज़ या इवेंट्स पर ट्रेडिंग करने के लिए अनुभव और स्टॉक पर उनके प्रभाव को समझने की क्षमता की आवश्यकता होती है
- न्यूज़ से लाभ उठाने में सक्षम होने के लिए न्यूज़ की सही व्याख्या करने में सक्षम होना चाहिए
- सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है कि क्या न्यूज़ को पहले ही कीमत में शामिल कर लिया गया है या यदि कीमत में बदलाव के लिए और जगह बाकि है
ऐसे कई तरीके हैं जिनसे न्यूज़ का ट्रेड किया जा सकता है लेकिन आइए हम दो व्यापक तरीकों पर टिके रहें:
दिशात्मक ट्रेड : इस ट्रेड में, न्यूज़ से सकारात्मक अपेक्षा के आधार पर कीमत बढ़ती है। जैसे ही खबर आती है, कीमत बढ़ती रहती है, और जब खबर कन्फर्म होती है, तो इस ट्रेंड की पुष्टि भी होती है। यह नकारात्मक न्यूज़ के विपरीत है।
फायदे और नुकसान
फायदे : यदि यह एक नियमित डेटा-संचालित या एक नियोजित कॉर्पोरेट घटना है तो ट्रेड की योजना बनाई जा सकती है । ट्रेड को एंट्री, एग्जिट और स्टॉप लॉस से ही प्लान किया जा सकता है। एक ही दिन में कई ट्रेड के अवसर संभव हैं।
नुकसान: न्यूज़ बेस्ड ट्रेडिंग में रिस्क भी होती हैं। रातोंरात पोजीशन लेना जोखिम भरा है क्योंकि खबर नकली हो सकती है या इसकी पुष्टि नहीं हो सकती है। जैसे ही न्यूज़ प्रवाह के साथ अस्थिरता का निर्माण शुरू होता है, बिड/आस्क स्प्रेड का परिणाम बड़े पैमाने पर हाई इंपैक्ट कॉस्ट में हो सकता है। ट्रेडर को ट्रेड दक्षिण की ओर जाते ही उससे बाहर निकलने के लिए कुशल और फुर्तीला होना चाहिए।
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