लार्ज कैप कंपनियां काफी स्टेबल होते है। ऐसी कंपनियों में निवेश करना कम रिस्की होता है, लेकिन इसमें प्रॉफिट भी कम ही होता है। लॉन्ग टर्म के हिसाब से इनमें निवेश करना अच्छा माना जाता है।

Gautam Adani

Market Cap क्या है? Large Cap, Mid Cap और Small Cap कंपनियां क्या है?

दोस्तों यदि कोई आपसे कहता है कि किसी दो कंपनी की करेंट शेयर प्राइस देखकर ये पता लगायें कि कौन सी कंपनी बड़ी है? जैसे:

यदि आपको लगता है कि MRF बड़ी कंपनी है, क्योंकि इसके शेयर प्राइस TCS से बहुत ज्यादा है, तो यह आर्टिकल आपको पूरी पढ़नी चाहिए। हम कोई शेयर प्राइस के बेसिस पर कंपनी की साइज़ को डिसाइड नहीं कर सकते मार्केट कैप क्या है है। इसके लिए हमें मार्केट कैप (Market Cap) के कॉन्सेप्ट को समझना होगा।

मार्केट कैप (Market Cap) को Market Capitalization या बाजार पूंजीकरण भी कहते है। किसी कंपनी की बाजार में मौजूद शेयर्स की कुल मार्केट वैल्यू को उस कंपनी का मार्केट कैप कहते है। मार्केट कैप किसी कंपनी की साइज और उसके टोटल वैल्यू को दर्शाते हैं। इसे कैलकुलेट करने के लिए कंपनी के Total No of Outstanding Shares को Current Market Price प्रति शेयर से गुणा करके निकाल सकते है।

Market Capitalization in Hindi

Market Capitalization in Hindi मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या है, मार्केट कैपिटलाइजेशन या मार्किट कैप यानी बाजार पूंजीकरण क्यों महत्वपूर्ण है और इसका शेयर की कीमत पर क्या असर होता है? किसी शेयर को खरीदने का निर्णय लेते समय उसकी मार्किट कैप कितनी है यह देखना क्यों जरूरी है? बाज़ार पूँजीकरण के आधार पर कैसे चुनें निवेश के लिए शेयर। हिंदी में इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे. What is Market Capitalization in Hindi, Why Market Capitalization is important and how dose Market Cap effect share price. शेयर बाजार के बारे में अधिक जानकारी और अन्य पहलुओं को जानने के लिये Share Market tips in Hindi विस्तार से पढ़ें।

What is Market Capitalization in Hindi मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या है

Market Capitalization in Hindi

किसी कंपनी के मौजूदा शेयर की कीमत और बकाया शेयरों की कुल संख्या के आधार पर उस कंपनी का कुल मूल्यांकन को Market Capitalization कहते हैं। इसे कंपनी के कुल बकाया शेयरों के साथ कंपनी के शेयर की मौजूदा बाजार मूल्य को गुणा करके निकाला जाता है। किसी भी शेयर का मार्केट कैपिटलाइज़ेशन उसकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है जो निवेशक को रिटर्न और शेयर में जोखिम का निर्धारण करने में मदद करता है। यह निवेशकों को अपने जोखिम और विविधीकरण मानदंड को पूरा करने वाले स्टॉक का चयन करने में भी मदद करता है।

उदाहरण के लिए यदि एक कंपनी के 5 करोड़ बकाया शेयर हैं और प्रत्येक शेयर का मौजूदा बाजार मूल्य 100 रुपये है तो इस कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 500,00,000 मार्केट कैप क्या है x 100 = 500 करोड़ रुपये होगा. शेयर की मार्किट कैपिटलाइजेशन के आकार से निवेशक को इस बात का अंदाजा लग सकता है कि किसी शेयर में निवेश करने पर किस प्रकार का रिटर्न मिल सकता है और निवेश करने पर रिस्क कितना रहेगा.

Market Capitalization क्यों महत्वपूर्ण है

एक आम धारणा है कि किसी शेयर की कीमत जितनी अधिक होगी उतनी ही वह कंपनी बड़ी होगी. जबकि किसी शेयर की कीमत उस कंपनी की वास्तविक कीमत को गलत बता सकती है। यदि हम दो बड़ी कंपनियों को मार्केट कैप क्या है देखें तो आज यानि 16 अक्टूबर 2017 को रिलायंस के शेयर की कीमत 870 रुपये है और मारुति सुजुकी के शेयर की कीमत 7870 रुपये है मगर रिलायंस की मार्किट कैपिटलाइजेशन 566,406 करोड़ रुपये है और मारुति सुजुकी की मार्केट कैपिटलाइजेशन 237,738 करोड़ रुपये है. यदि आप केवल शेयर के बाजार भाव को देख कर उनकी तुलना करेंगे तो आपको मारुति सुजुकी बड़ी कंपनी लगेगी मगर जब मार्केट कैपिटलाइजेशन देखेंगे तो पता लगेगा कि रिलायंस ज्यादा बड़ी कंपनी है.

अलग अलग कैप में कंपनियों का वर्गीकरण भी निवेशकों को यह समझने में मदद करता है कि कंपनी के शेयर में रिटर्न की संभावना कितनी है और रिस्क या जोखिम की संभावना कितनी है. ऐतिहासिक रूप से, बड़ी या लार्ज कैप कम्पनियां कम जोखिम वाली होतीं हैं पर धीमी वृद्धि प्रदान करतीं हैं, जबकि छोटी या स्माल कैप वाली कम्पनियां उच्च विकास की क्षमता रखतीं हैं मगर उनमें जोखिम भी अधिक रहता है। इसके साथ ही अलग अलग आकार के मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनियों में निवेश करके एक निवेशक अपने निवेश को डावर्सीफाई भी कर सकता है.

शेयर की कीमत पर असर

सुरक्षा दृष्टि से, एक कंपनी का आकार मार्केट कैप क्या है और बाजार मूल्य एक दूसरे पर असर डालते हैं. यदि बाकि सभी चीजें समान हैं तो लार्ज कैप शेयरों को स्माल कैप शेयरों की तुलना में सुरक्षित माना जाता है। हालांकि स्माल कैप शेयरों में वृद्धि के लिए अधिक संभावनाएं होतीं हैं।

हालांकि किसी भी शेयर में निवेश से पहले मार्केट कैपिटलाइजेशन को देखना महत्वपूर्ण है, मगर पूरी तरह मार्केट कैपिटलाइजेशन देख कर ही निर्णय ना करें। मार्केट कैपिटलाइजेशन की वैल्यू सिर्फ एक उपाय है किसी कंपनी की वास्तविक मार्किट वैल्यू जानने का. एक निवेशक के रूप में, आपको कई अन्य कारकों पर ध्यान देने की जरूरत है जो यह निर्धारित करने में आपकी सहायता कर सकते हैं कि क्या किसी कंपनी का शेयर अच्छा निवेश है मार्केट कैप क्या है या नहीं।

Stock Market: आसान शब्‍दों में समझिए क्‍या है लार्ज कैप, मिड कैप और स्‍मॉल कैप

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Zee Business हिंदी 29-09-2022 ज़ीबिज़ वेब टीम

शेयर बाजार में कंपनियों को कैप के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है. कैप का मतलब कैपिटलाइजेशन से होता है. किसी भी कंपनी के शेयरों की संख्या को उनकी मार्केट वैल्यू से मल्टीप्लाई करने पर उस कंपनी की कैपिटलाइजेशन को निकाला जाता है. इस तरह कंपनियों का कैपिटलाइजेशन शेयर मार्केट द्वारा निर्धारित उनकी वैल्‍यू को बताता है. कैपिटलाइजेशन के आधार पर इन कंपनियों को तीन कैटेगरी (लार्ज कैप, मिड कैप और स्‍मॉल कैप) में रखा जाता है. अगर आप भी शेयर मार्केट में दिलचस्‍पी रखते हैं और इनमें निवेश करने का मन बना रहे हैं, तो आपको लार्ज कैप, मिड कैप और स्‍मॉल कैप के बारे में जरूर जानना चाहिए.

लार्ज कैप

आमतौर पर जिस कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 10,000 करोड़ रुपए से ज्‍यादा होती है, उन्‍हें लार्ज कैप

की श्रेणी में रखा जाता है. लार्ज कैप होने के कारण इन कंपनियों की मार्केट में मजबूत पकड़ होती है. बाजार के उतार-चढ़ाव का इन पर मिड कैप और स्माल कैप की तुलना में कम असर पड़ता है. मार्केट करेक्‍शन पर इनमें ज्‍यादा अस्थि‍रता देखने को नहीं मिलती, इसकी ग्रोथ संतुलित होती है. ज्‍यादातर एक्‍सपर्ट इनमें निवेश को सुरक्षित मानते हैं. लेकिन भारत की ज्‍यादातर लार्ज कैप कंपनियां वर्ल्‍ड रैंकिंग में मिड कैप या स्‍मॉल कैप कंपनियां बन जाती हैं क्‍योंकि दुनिया भर में उन्हीं कंपनियों को लार्ज कैप का दर्जा मिलता है जिसका मार्केट कैप 10 अरब डॉलर से अधिक होता है.

मिड कैप

जिस कंपनी का मार्केट वैल्‍यू 2000 करोड़ रुपए से लेकर 10,000 करोड़ रुपए तक है, वो कंपनी मिड कैप की कैटेगरी में आती है. मिड कैप कंपनियों में बड़े आकार की कंपनी बनने का दमखम होता है. वहीं निवेश से ज्यादा रिटर्न पाने का मौका होता है. अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करने का मन बना चुके हैं, तो आपको एक बार कंपनी की कैटेगरी पर गौर जरूर कर लेना चाहिए. इससे बाद में आपको पछताना नहीं पड़ता.

जिन कंपनियों की मार्केट कैपिटलाइजेशन 2000 करोड़ रुपए से कम होती है, वो स्‍मॉल कैप की कैटेगरी में आती है. इन कंपनियों की भविष्‍य में मिड कैप बनने की संभावना होती है. स्मॉल-कैप कंपनियां हाई रिस्‍क और हाई रिटर्न स्टॉक निवेश हैं. इनकी ग्रोथ बहुत तेजी से होती है, लेकिन अगर चीजें ठीक न हो तो बड़ा नुकसान मार्केट कैप क्या है भी झेलना पड़ सकता है.

शेयर की कीमत पर असर

सुरक्षा दृष्टि से, एक कंपनी का आकार और बाजार मूल्य एक दूसरे पर असर डालते हैं. यदि बाकि सभी चीजें समान हैं तो लार्ज कैप शेयरों को स्माल कैप शेयरों की तुलना में सुरक्षित माना जाता है। हालांकि स्माल कैप शेयरों में वृद्धि के लिए अधिक संभावनाएं होतीं हैं।

हालांकि किसी भी शेयर में निवेश से पहले मार्केट कैपिटलाइजेशन को देखना महत्वपूर्ण है, मगर पूरी तरह मार्केट कैपिटलाइजेशन देख कर ही निर्णय ना करें। मार्केट कैपिटलाइजेशन की वैल्यू सिर्फ एक उपाय है किसी कंपनी की वास्तविक मार्किट वैल्यू जानने का. एक निवेशक के रूप में, आपको कई अन्य कारकों पर ध्यान देने की जरूरत है जो यह निर्धारित करने में आपकी सहायता कर सकते हैं कि क्या किसी कंपनी का शेयर अच्छा निवेश है या नहीं।

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