हाल के समय में बैंकिंग सेवाओं की अनुपस्थिति के चलते कई एक्सचेंज पीयर-टू-पीयर चैनल भी मुहैया करते हैं. जहां दो पार्टियों के बीच सीधे लेनदेन किया जाता है. P2P ट्रेडिंग में एक्सचेंज कस्टोडियन के तौर पर काम करता है.

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Cryptocurrency में करते हैं लेनदेन या निवेश? जानिए भारत में कितनी लगती है ट्रांजैक्शन फीस समेत अन्य चार्जेज

Cryptocurrency में करते हैं लेनदेन या निवेश? जानिए भारत में कितनी लगती है ट्रांजैक्शन फीस समेत अन्य चार्जेज

Cryptocurrency के प्रति लोगों की दीवानगी बढ़ती ही जा रही है. युवा और महिलाएं इसमें खुलकर निवेश कर रही हैं. अपने देश में इसकी ट्रेडिंग गैर-कानूनी नहीं है, हालांकि अभी तक यह रेग्युलेटेड भी नहीं है. रेग्युलेशन नहीं होने के बावजूद डिजिटल करेंसी में आसानी से निवेश और ट्रेडिंग की जा सकती है. हालांकि इसके लिए आपको चार्ज चुकाना होता है. आइए जानते हैं क्या-क्या चार्जेज लगते हैं.

इस समय देश में कई क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज हैं. शेयर मार्केट की तरह इसमें भी निवेश किया जाता है. ये तमाम एक्सचेंज यूजर फ्रेंडली बनाए गए हैं और मोबाइल ऐप पर भी इनकी सुविधा उपलब्ध है. हालांकि इसके बदले वे ट्रांजैक्शन चार्ज समेत कई तरह के चार्ज वसूलते हैं. crypto exchanges की मदद से डिजिटल करेंसी में ट्रांजैक्शन किया जाता है तो आपको एक्सचेंज फीस देना होता है. एक्सचेंज की कमाई का यही जरिया होता है. ये एक्सचेंज 0.10 फीसदी से 1 फीसदी तक चार्ज करते हैं.

नेटवर्क फीस

जैसा कि हम जानते हैं बिटक्वॉइन समेत कई क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग की जाती है. इसमें एनर्जी का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है. ऐसे में ट्रांजैक्शन करने पर नेटवर्क फीस भी जमा करना होता है. यह आपके ट्रांजैक्शन को पुख्ता करने के लिए होती है. इस फीस पर एक्सचेंज का कंट्रोल नहीं होता है. यह फीस कितनी होगी, यह डिमांड और माइनर्स पर निर्भर करता है. डिमांड बढ़ने पर नेटवर्क फीस ज्यादा हो जाती है.

क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने पर वह आपके वॉलेट में सेव होता है. यह एक तरीके से ऑनलाइन बैंक की तरह है जो डिजिटल क्वॉइन को स्टोर करता है. पेटीएम वॉलेट इसी तरह का एक वॉलेट है. अमूमन वॉलेट फीस नहीं ली जाती है, लेकिन कोई निवेशक अगर क्रिप्टो वॉलेट का इस्तेमाल करना चाहता है तो यह फीस वसूली जाती है.

क्रिप्टो करेंसी क्या है (Cryptocurrency in Hindi)

क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल, क्रिप्टोग्राफ़ी द्वारा सुरक्षित और ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी पर आधारित मुद्रा है।

Cryptocurrency is a digital, cryptographically secured and blockchain technology based currency.

क्रिप्टो करेंसी का मतलब | Cryptocurrency Meaning in Hindi

टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से बदल रही है जिससे लोगों के काम करने, संवाद करने, खरीदने और भुगतान करने का तरीका भी बदल गया है। यह सब समय के साथ बढ़ती टेक्नोलॉजी के साथ साथ बदलता रहता है।

आज के समय में लोगों ने कैश रखना बहुत कम कर दिया है जो लेनदेन हो रहे है क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन उसमें ज्यादातर डिजिटल होते है, और यह डिजिटल लेनदेन आम जनमानस का हिस्सा बन गए है। कॉर्पोरेट्स और कंस्यूमर धीरे धीरे कैश से लेनदेन कम करते जा रहे हैं और स्मार्टफोन ने इस डिजिटल लेनदेन की प्रक्रिया को आसान और तेज कर दिया है।

डिजिटल लेनदेन के साथ डिजिटल करेंसी भी पैर जमा रही है, यह डिजिटल करेंसी क्रिप्टोकरेंसी है।

क्रिप्टोकरेंसी शब्द की उत्पत्ति | Origin of Cryptocurrency word in Hindi

क्रिप्टोकरेंसी शब्द कह सकते हैं नया शब्द है, जो 21 वीं सदी की शुरुआत से ही आया है। यह दो शब्दों – ग्रीक शब्द ‘kryptos’ जिससे ‘क्रिप्टो’ लिया गया है जिसका अर्थ है ‘छिपा हुआ या गुप्त’ और लैटिन शब्द ‘currere’ जिससे ‘करेंसी’ लिया गया है जिसका अर्थ है ‘चलाना’ से मिलकर बना है।

क्रिप्टो करेंसी डिजिटल मनी है जिसे आप छू नहीं सकते, जेब में क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन नहीं रख सकते यानी यह करेंसी का डिजिटल रूप है और यह पूरी तरह से ऑनलाइन है। इसे क्रिप्टोग्राफी द्वारा सुरक्षित किया जाता है। कई क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी पर आधारित हैं और इनकी कोई भी सेंट्रल अथॉरिटी नहीं है।

क्रिप्टोक्यूरेंसी एक नयी डिजिटल भुगतान प्रणाली है जिसका लेनदेन का सत्यापन बैंकों पर निर्भर नहीं होता है और क्रिप्टोक्यूरेंसी का इस्तेमाल क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन वस्तुओं और सेवाओं के भुगतान के लिए ऑनलाइन आदान-प्रदान किया जा सकता है।

करेंसी किसे कहते हैं | What is Currency in Hindi

हर देश की अपनी मुद्रा (Currency) होती है जैसे कि अमेरिका की डॉलर, यूरोपियन यूनियन की यूरो, भारत की रुपया, पाकिस्तान की पाकिस्तानी रुपया, चीन की युआन है यानी एक ऐसी भुगतान प्रणाली जो किसी देश द्वारा मान्य/अधिकृत हो और वहां के लोग इसके इस्तेमाल से चीजें खरीद सकते हों, जिसकी कोई वैल्यू हो, करेंसी (Currency) कहलाती है।

ज्यादातर क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग करके बनाई जाती है। ब्लॉकचेन डिजिटल कोड में लेनदेन को रिकॉर्ड करता है। यह एक काफी जटिल, तकनीकी प्रक्रिया है जिससे हैकर्स के लिए छेड़छाड़ करना मुश्किल है।

इसके अलावा, क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन के लिए two-factor authentication की प्रक्रिया भी होती है। जैसे, लेनदेन शुरू करने के लिए आपको क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन Username और Password दर्ज करने के लिए कहा जा सकता है। या फिर, आपको एक authentication code दर्ज करना पड़ सकता है जो आपके व्यक्तिगत मोबाइल फ़ोन पर टेक्स्ट के माध्यम से आता है।

Cryptocurrency और Digital Rupee में क्‍या है फर्क, अगर शुरु हो गया क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन इसका इस्‍तेमाल तो आपको क्‍या होगा फायदा?

अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में डिजिटल रुपी का इस्‍तेमाल आम लोग भी करेंगे. ऐसे में ये समझना बहुत जरूरी है कि आखिर डिजिटल रुपी और क्रिप्‍टोकरेंसी में क्‍या फर्क है और इससे क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन आम लोगों को क्‍या फायदा होगा?

क्रिप्‍टोकरेंसी को टक्‍कर देने के लिए भारत में पहली बार करेंसी को डिजिटल रूप में लाया गया है. एक नवंबर को डिजिटल रुपी (Digital Rupee) यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को पायलट प्रोजेक्‍ट के तौर पर शुरू कर दिया गया है. फिलहाल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India- RBI) कुछ समय तक इसमें आने वाली चुनौतियों को परखेगा और पूरी तरह से आश्‍वस्‍त होने के बाद इसके इस्‍तेमाल को शुरू किया जाएगा.

क्रिप्‍टोकरेंसी और डिजिटल रुपी में अंतर

क्रिप्‍टोकरेंसी: ये एक विकेंद्रित (Decentralized) डिजिटल संपत्ति है. इसके जरिए डिजिटल तरीके से लेनदेन किया जा सकता है. ब्‍लॉकचेन तकनीक के जरिए क्रिप्‍टोकरेंसी अलग-अलग जगहों पर स्‍टोर रहती है. ब्लॉकचेन ऐसी तकनीक है जिससे Digital Currency बनाने के साथ ही किसी भी चीज को डिजिटल बनाकर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है. ये एक तरह का डिजिटल लेजर है. लेकिन चिंता वाली बात ये है कि क्रिप्‍टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए कोई बैंक या अन्‍य संस्‍था नहीं है और न ही इसे कोई सरकार मॉनिटर नहीं करती है. ये पूरी तरह से निजी करेंसी है. इसके अलावा क्रिप्‍टोकरेंसी के रेट में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है.


डिजिटल रुपी: डिजिटल रुपी से भी लेनदेन को क्रिप्‍टोकरेंसी की तरह ही डिजिटल माध्‍यम से ही किया जाएगा, लेकिन सबसे बड़ा फर्क है कि ये पूरी तरह से रेगुलेटेड है. इसे सरकार की मंजूरी प्राप्‍त है और यह पूरी क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन तरह से सरकार समर्थित वैध मुद्रा है. इसमें नियामक के रूप में आरबीआई और लेन-देन की मदद के लिए दूसरे बैंक मौजूद रहेंगे. किसी भी तरह की दिक्‍कत आने पर वित्‍तीय संस्‍थान दखल दे सकते हैं. लेकिन क्रिप्‍टोकरेंसी में ये संभव नहीं है. यूपीआई और पेमेंट वॉलेट के जरिए किए जाने वाले डिजिटल भुगतान से ये पूरी तरह से अलग है. वहीं डिजिटल रुपी में उतार-चढ़ाव जैसा कुछ नहीं होगा. इसका वही प्रभाव होगा जो नकद मुद्रा का होता है. इसके अलावा डिजिटल रुपी को नकदी में बदला जा सकेगा.

Cryptocurrency की लेन-देन के लिए भारतीय बाजार में आने वाला है ये प्लेटफॉर्म, जानिए डिटेल

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  • News18Hindi
  • Last Updated : July 14, 2021, 15:38 IST

नई दिल्ली . भारत क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन में भी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) का रास्ता थोड़ा आसान होता दिख रहा है. हालांकि देश में आरबीआई के निर्देशों के चलते क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजेस (Crypto Currency exchanges ) कई तरह की बैंकिंग समस्याओं का सामना कर रहे हैं. इसी कड़ी में यूके स्थित नेक्स्ट-जनरेशन क्रिप्टोकरेंसी बैंकिंग प्लेटफॉर्म (UK -based next-generation banking platform) कैशा (Cashaa) भारत आने की तैयारी कर रही है. वह अगस्त से यहां अपना ऑपरेशन शुरू कर सकती है. ये क्रिप्टो बैंक, क्रिप्टो ट्रेडर्स के बीच पीयर-टू-पीयर (P2P) ट्रेडिंग में मदद करेगा.

विस्तार

सरकार संसद में चल रहे शीतकालीन शत्र में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सख्त कानून बना सकती है। इसके तहत क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन करने पर गैर जमानती धाराओं में बिना वारंट गिरफ्तारी कर जेल भेजा जा सकता है। इसके अलावा 20 करोड़ रुपये तक जुर्माने का भी प्रावधान होगा।

मामले से जुड़े अधिकारी ने बताया कि संसद में पेश होने वाले बिल के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री, जमा करने या होल्ड करने का काम सिर्फ एक्सचेंज के जरिये ही किया जाएगा। इसमें से किसी भी नियम का उल्लंघन करने पर बिना वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है, जो गैर जमानती होगा।

सरकार 20 करोड़ रुपये तक जुर्माना और डेढ़ साल की सजा का नियम भी बना सकती है। इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसी के अंधाधुंध विज्ञापनों पर भी रोक लगाने की तैयारी में है, क्योंकि इससे निवेशकों को गलत जानकारी देकर उकसाने की शिकायतें मिली हैं। बिल में क्रिप्टोकरेंसी को होल्ड करने वाले वॉलेट पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है और यह काम सिर्फ एक्सचेंज के जरिये करने की छूट होगी। एक अनुमान के मुताबिक, करीब दो करोड़ भारतीयों ने क्रिप्टोकरेंसी में 45 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया है।

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