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गुडलक टुडे: घर की किस दिशा में कौन सा चित्र लगाना चाहिए? इसका हमारे ऊपर कैसे होता है असर. जानें
गुडलक टुडे में आज पं. शैलेंद्र पांडेय घर में लगने वाली तस्वीरों की चर्चा कर रहे हैं. हम सब अपने घर में अलग-अलग तरह के चित्र लगाते हैं, लेकिन ये नहीं सोचते कि घर में किस दिशा में कौन सा चित्र लगाना चाहिए और घर में लगने वाले चित्र हमारे ऊपर किस तरह असर डालते हैं ? इसके साथ ही हर दिन की तरह आज भी पं. शैलेंद्र पांडेय गुडलक टुडे के दर्शकों को बताएंगे, उनका गुडलक बढ़ाने का मंत्र और जानेंगे वो महाउपाय.
Today in Goodluck Today, Pt. Shailendra Pandey is discussing the pictures to be taken in the house. Know आपको किस समय फ़्रेम पर नज़र रखनी चाहिए astrological predictions for Aries, Taurus, Gemini, Cancer, and all other zodiac signs for January 17. Watch this episode.
सुख समृद्धि के लिए घर की आपको किस समय फ़्रेम पर नज़र रखनी चाहिए किस दिशा में रखें पूर्वजों की तस्वीर, जानें वास्तु के नियम
हमारे घर में हमारे पितरों यानी कि मृत पूर्वजों की तस्वीरें जरूर रखी होती हैं। ऐसा माना जाता है कि पूर्वजों की तस्वीर घर की सुख समृद्धि का कारण तो बनती ही हैं साथ ही घर के लोगों पर पूर्वजों का पूरा आशीर्वाद भी बना रहता है। इसी वजह से पूर्वजों की तस्वीरें कुछ लोग घर के लिविंग रूम में रखते हैं, तो कुछ लोग इन्हें बेड रूम या पूजा के स्थान के पास रख देते हैं। पूर्वजों को लोग नियमित रूप से याद भी करते हैं।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा आपको किस समय फ़्रेम पर नज़र रखनी चाहिए है कि घर में पूर्वजों की तस्वीर रखने की भी अपनी एक निर्धारित दिशा होती है और यदि सही दिशाओं में पूर्वजों की तस्वीरें न राखी गयीं तो घर में सुख शांति आने की बजाय आपको कलह कलेश का सामना भी करना पड़ सकता है। आइए नई दिल्ली के जाने माने पंडित, एस्ट्रोलॉजी, कर्मकांड,पितृदोष और वास्तु विशेषज्ञ प्रशांत मिश्रा जी से जाजानें पूर्वजों की तस्वीरों के लिए कौन सा स्थान ठीक होता है और इसके लिए वास्तु के कौन से नियमों का पालन करना जरूरी है।
फ्रेम में लगाकर शेल्फ पर रखें
यदि आप पूर्वजों की तस्वीर अपने घर में कहीं भी रखती हैं तो आपको ध्यान में रखना होगा कि उन तस्वीरों को हमेशा फ्रेम में लगाकर किसी शेल्फ या अलमारी में ही रखना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पूर्वजों की तस्वीर कभी भी दीवार पर लटका कर नहीं रखनी चाहिए। ऐसा करने से पूर्वजों का अपमान होता है और आपको किस समय फ़्रेम पर नज़र रखनी चाहिए उनकी कृपा दृष्टि नहीं प्राप्त होती है बल्कि ये पितृ दोष का कारण भी बनता है।
एक से ज्यादा तस्वीर न लगाएं
अक्सर देखा जाता है कि आपको किस समय फ़्रेम पर नज़र रखनी चाहिए हम पितरों की तस्वीर लगाते समय एक ही पूर्वज की कई तस्वीरें घर के अलग-अलग स्थानों पर लगा लेते हैं। जबकि एक ही पूर्वज की आपको किस समय फ़्रेम पर नज़र रखनी चाहिए तस्वीर एक से ज्यादा नहीं लगानी चाहिए। ऐसा करने से पितर रुष्ट हो जाते हैं और घर में कलह क्लेश होने लगता है।
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इन स्थानों पर भूलकर भी न लगाएं पूर्वजों की तस्वीर
वास्तु शास्त्र के अनुसार पितरों की तस्वीर हमेशा ऐसे स्थान पर रखें, जहां बाहरी लोगों की उन पर नजर न जाएं। ऐसा माना जाता है कि किसी बाहरी की नज़र यदि पूर्वजों की तस्वीरों पर पड़ती है तो यह घर में नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती है। इसलिए घर के लिविंग रूम में पितरों की तस्वीर न रखें। इसके अलावा घर के बेडरूम में भी पूर्वजों की तस्वीर नहीं लगानी चाहिए। बाहरी व्यक्ति की नजर पड़ने से नकारात्मकता पैदा होती है।
पूजा स्थान पर पितरों की तस्वीर न रखें
ऐसा माना जाता है कि पूर्वजों का स्थान ईश्वर के समान होता है लेकिन ईश्वर के साथ कभी भी पूर्वजों की तस्वीर की पूजा नहीं करनी चाहिए। वास्तु शास्त्र में देव और पितृ का स्थान अलग-अलग होता है इसलिए भगवान और पितरों की तस्वीर को एक ही जगह न रखें। पूजा के स्थान में पितरों की तस्वीर लगाने से जीवन में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। यही नहीं ऐसा करने से घर-परिवार में अशांति का माहौल भी बन सकता है। यही नहीं वास्तु शास्त्र में पितरों की तस्वीर के साथ कभी भी जीवित लोगों की तस्वीर भी नहीं लगानी चाहिए। ऐसा करने से जीवित लोगों की आयु भी कम हो सकती है और उनका जीवन संकट में पड़ सकता है।
किन दिशाओं में लगाएं पूर्वजों की तस्वीर
वास्तु के अनुसार पितरों की तस्वीर हमेशा उत्तर दिशा की ओर लगाना चाहिए। चूंकि दक्षिण दिशा को पितरों की दिशा माना जाता है इसलिए उत्तर दिशा में तस्वीर लगाने से तस्वीर का मुंह दक्षिण दिशा की और होता है। इसलिए पितरों की तस्वीर ऐसे लगाएं कि तस्वीर का मुख दक्षिण दिशा की ओर रहे।वहीं तस्वीरों को कभी भी दक्षिण और पश्चिम की दीवारों पर भी नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से भी घर की सुख समृद्धि की हानि होने लगती है।
इस प्रकार यदि आप घर में पितरों यानी कि मृत पूर्वजों की तस्वीरें लगाती हैं तो आपको यहां बताई सभी बातों का ठीक से ध्यान रखना चाहिए।
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घर में सकारात्मक ऊर्जा (पॉजिटिव एनर्जी) के लिए वास्तु टिप्स: अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा के उपाय
घर में आने वाली ऊर्जा उसके निर्माण और सजावट से प्रभावित होती है. आज हम आपको कुछ ऐसे तरीके बता रहे हैं, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में तेजी आएगी.
Table of Contents
हर कोई ऐसे घर में रहना चाहता है, जो आरामदायक, शांत और फिर से जीवंत कर सके. यह समझना जरूरी है कि घर की ऊर्जा उसमें रहने वालों को प्रभावित करती है. वास्तु प्लस के नितिन परमान ने कहा, “वातावरण स्वस्थ शरीर और मन के निर्माण और नींव के लिए बेहद जरूरी है और वास्तु शास्त्र स्वस्थ जिंदगी जीने के कई तरीके बताता है.” परमार ने कहा, ”अगर सही से फॉलो किया जाए तो वास्तु शास्त्र घर में रहने वालों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद करता है.”
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नया चश्मा बनवाने जा रहे हैं तो हमेशा ध्यान रखें ये 6 बातें
चश्मे यानि ऐनक को दूसरी आंख कहते हैं तो नज़र का चश्मा खरीदने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? सबसे पहले तो आपको अच्छे आंखों के डॉक्टर के पास जाना चाहिए। हर इंसान के लिए फ्रेम और लेंस अलग होता है इसलिए आपको एक्सपर्ट की सलाह लेने की जरूरत है।
अगर आपको तेज बुखार है तो उस समय आंखों की जांच न करवाएं। ठीक होने के बाद ही नंबर लें। अगर पुराने चश्मे पर दाग या स्क्रैच है तो उसे तुरंत बदलने की जरूरत है। खराब चश्मे को लंबे समय तक इस्तेमाल करने की गलती न करें।
बहुत से लोग पुराने नंबर पर नया चश्मा बनवा लेते हैं पर इससे आपकी आंखों का नंबर बढ़ सकता है इसलिए ऐसी गलती न करें। चश्मा बनवाने से पहले लोग जिन गलतियों को करते हैं आपको उसे अवॉइड करना है।
फ्रेम कैसे चुनें? (How to choose your eye frame)
सही लेंस के साथ-साथ फ्रेम भी जरूरी है। कुछ लोग फैशन के चलते फ्रेम चुन तो लेते हैं पर वो उनके चेहरे पर न तो सूट करता है और न उनके चेहरे पर फिट होता है। नतीजन आंखों और स्किन पर आपको किस समय फ़्रेम पर नज़र रखनी चाहिए जोर पड़ता है। लॉन्ग टर्म कंफर्ट के लिए आरामदायक फ्रेम बनवाएं। फ्रेम आपके चेहरे पर फिट आना चाहिए। आपको नाक या कान के पीछे किसी तरह का प्रेशर महसूस हो तो फ्रेम बदल लें। एक पर्फेक्ट फ्रेम का मतलब होता है कि आप उसे पहने हों और आपको पता भी न चले की आंखों पर कुछ पहना है।
फ्रेम की सही पोजिशन तब सही होती है जब आपकी आई ब्रो चश्मे के ठीक ऊपर या फ्रेम के अपर ऐज के ठीक पीछे हो। फ्रेम आपके चेहरे से ज्यादा चौड़ा नहीं होना चाहिए और आपकी चीकबोन पर कभी फ्रेम टच नहीं होना चाहिए वरना लेंस पर फॉग जमेगा और आपके चेहरे पर प्रेशर पड़ेगा। इसलिए ध्यान से फ्रेम का चुनाव करें।
चश्मा खरीदने से पहले न करें ये गलतियां (Mistakes to be avoided before buying spectacles)
कुछ लोगों को लगता है कि उनकी आंखें बहुत तेज हैं और उन्हें चश्मे की जरूरत नहीं है जबकि ऐसा नहीं है। 40 की उम्र के बरद आंखें चीजों पर फोकस नहीं बना पाती। ऐसे में पढ़ने वाले चश्मे आपके काम आ सकते आपको किस समय फ़्रेम पर नज़र रखनी चाहिए हैं। अगर आपने कभी चश्मा नहीं बनवाया है तो हम आपको बताएंगे कि चश्मा खरीदने से पहले लोग कौनसी गलतियां करते हैं जिन्हें आपको अवॉइड करना है। इसके साथ ही ये भी जरूरी है कि आप चश्मा खरीदने से पहले डॉक्टर से सलाह लें। आंखों के लिए सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास करने से बेहतर है आप डॉक्टर के पास जाएं।
1. गलत पॉवर का चश्मा लगाना (Wearing wrong vision spectacles)
लोग समय का बहाना बताकर महीनों तक आंखों का चेकअप नहीं करवाते। इससे उनकी आंखों का नंबर बढ़ जाता है पर वो उसी चश्मे का इस्तेमाल करते रहते हैं। हर उम्र में आपके लिए आंखों का चेकअप जरूरी होता है। कुछ हेल्थ कंडीशन जैसे डायबिटीज आपके विजन में बदलाव ला सकती हैं। इसलिए जरूरी है कि समय रहते चेकअप करवा लें। आंखों का चेकअप करवाते रहते से ग्लूकोमा, रेटिनल डिसीज, कैटरेक्ट आदि का पता समय रहते चल जाता है। इसलिए अपनी आंखों को जोखिम में डालने की गलती न करें।
2. डॉक्टर से आंखों का चेकअप न करवाना (Ignoring eye checkup)
कुछ लोग आलस या डर के आपको किस समय फ़्रेम पर नज़र रखनी चाहिए चलते डॉक्टर के पास नहीं जाते और चश्मे की दुकान से चेकअप करवा लेते हैं पर आप इस बात का ध्यान रखें कि चश्मे की दुकान पर केवल आपकी आंखों का नंबर ही पता चलेगा अगर आंखों में कोई बीमारी है तो वो सिर्फ एक डॉक्टर ही बता सकता है। इसलिए हेल्दी आंखों के लिए दुकान के बजाय डॉक्टर से आंखों का चेकअप करवाएं। अगर आपकी आंखों में कोई परेशानी हुई और आपको सही समय पर उसका पता नहीं चला तो आगे चलकर समस्या बढ़ सकती है। इससे ड्राय आई, सिर दर्द, धुंधलापन जैसी समस्या बढ़ जाती है।
3. लो-क्वॉलिटी का चश्मा (Avoid low quality spectacles)
कुछ लोग पैसे बचाने के लिए लो-क्वॉलिटी का चश्मा खरीद लेते हैं। ऐसा करना अपनी आंखों के साथ खिलवाड़ करने के बराबर है। अगर लो-क्वॅालिटी का चश्मा आप घंटों तक लगाए रहते हैं तो कान के पीछे और नाक में दर्द हो सकता है। धीरे-धीरे इससे सिर में दर्द की समस्या भी होने लगती है। चीप प्लास्टिक से बैक्टेरिया बढ़ते हैं और वो बैक्टेरिया आपकी स्किन पर चिपक जाते हैं जिससे बाद में इंफेक्शन हो सकता है। बहुत से स्टोर में डिसकॉउंट ऑफर चलते रहते हैं आप तब चश्मे खरीदें पर जब भी लें क्वॉलिटी से समझौता करने की गलती न करें।
4. चश्मे में नहीं है यूवी प्रोटेक्शन (UV rays can harm your eyes)
हम से बहुत लोग सोचते हैं कि चश्मा आपको किस समय फ़्रेम पर नज़र रखनी चाहिए बनवाते समय दुकान पर यूवी प्रोटेक्टेड चश्मे क्यों दिए जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आपकी आंखों को सूरज की किरणों से बचाना भी जरूरी है। जब आप धूप में ज्यादा समय रहते हैं तो आपकी आंखों में सूरज की हानिकारण रेज पड़ती हैं। ये आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इन रेज से आपकी स्किन भी खराब हो सकती है। इसलिए अब जो चश्मे बन रहे हैं उनमें यूवी प्रोटेक्शन का ऑप्शन रहता है। यूवी प्रोटेक्टेड चश्मा महंगा जरूर होता है पर आपको वही खरीदना चाहिए।
5. पुराने नंबर पर नया चश्मा बनवाना (Wrong power spectacles can harm your eyes)
बहुत से लोग ये गलती करते हैं। अगर आपका चश्मा टूट गया है और आप दूसरा बनवाने से पहले आंखों का चेकअप नहीं करवा रहे हैं तो ये ठीक नहीं है। आपको अपनी आंखों का ख्याल रखना है उसके लिए जरूरी है कि पुराने नंबर पर नया चश्मा न बनवाएं। आपको दोनों आंखों का चेकअप समय-समय पर और खासकर नया चश्मा बनवाते समय करवाना चाहिए। अगर आप डॉक्टर के पास नहीं जा सकते और आंखें स्वस्थ्य हैं तो आप चश्मे की दुकान पर ही चेकअप करवा सकते हैं।
6. कंप्यूटर वाले चश्मे को न समझें रीडिंग स्पैक्स (Computer and reading glasses are different)
कुछ लोग कंप्यूटर पर काम करते समय पढ़ने वाले चश्मे ही लगा लेते हैं पर आप ऐसी गलती न करें। जो शब्द कहीं छपे होते हैं और जिन्हें आप स्क्रीन पर देखते हैं उन में बहुत फर्क होता है। प्रिंटेड टेक्ट को कम दूरी से पढ़ा जाता है वहीं जो टेक्ट स्क्रीन पर होता है उसे ज्यादा दूरी से पढ़ते हैं। कुछ लोग पढ़ने वाले चश्मा लगाने के कारण कंप्यूटर पर काम करते समय सिर को पीछे की ओर झुका लेते हैं जिससे गर्दन पर जोर पड़ता है। इसलिए आप इस गलती को न करें। पढ़ने के लिए और स्क्रीन के लिए अलग-अलग चश्मे बनवाएं।
तो अगली बार जब भी आप चश्मा बनवाने जाएं इन बातों का ध्यान जरूर रखें ताकि आपकी आंखों की सेफ्टी बनी रहे।
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