Gross Profit क्या है? इसे कैसे निकाला जाता है?

Gross Profit क्या है? : दोस्तों, हमारा आज का टॉपिक है – Gross Profit. किसी भी बिजनेसमैन के लिए gross profit काफी मायने रखता है. यह व्यापारिक गतिविधि से होनेवाला लाभ है. व्यावसायिक गतिविधि में बिक्री, खरीद जैसी कई गतिविधियाँ शामिल हैं और इस गतिविधि का उद्देश्य लाभ कमाना होता है.

वास्तव में gross profit यह निर्धारित करने का प्रमुख तरीका है कि आपका व्यवसाय कितनी कुशलता से चल रहा है. इसके जरिये आप पता लगा सकते हैं कि आप अपने संसाधनों-प्रत्यक्ष श्रम, कच्चे माल और अन्य आपूर्तियों का उपयोग अंतिम उत्पादों के उत्पादन के लिए कितने प्रभावी ढंग से करते हैं. इसके जरिये पता लगा सकते हैं कि आपकी उत्पादन लागत में वृद्धि हुई है या कमी आयी है.

दोस्तों, जब आप final accounts पढ़ते हैं तो वहां trading account और profit and loss अकाउंट बताया जाता है और आपको बता दें कि दोनों ही accounts से हमें अलग – अलग प्रकार का profit मिलता है. एक होता है ग्रॉस प्रॉफिट और दूसरा होता है net profit.

ग्रॉस प्रॉफिट और net profit के बीच अंतर होता है. यह बहुत टफ विषय नहीं है. ग्रॉस प्रॉफिट का calculation काफी आसान होता है. आइये समझते हैं कि ग्रॉस प्रॉफिट क्या है? यह नेट प्रॉफिट से कैसे अलग है.

Gross Profit क्या है?

हम वित्तीय वर्ष के अंत में किसी व्यवसाय में ग्रॉस प्रॉफिट या gross loss और net profit या net loss का पता लगाने के लिए final accounts तैयार करते हैं और व्यवसाय की वित्तीय स्थिति भी दिखाते हैं.

ट्रेडिंग account जो एक निश्चित अवधि के लिए व्यवसाय इकाई के ग्रॉस प्रॉफिट या gross loss को दर्शाता है. यहाँ हम जानेंगे कि gross profit क्या है.

ग्रॉस प्रॉफिट ट्रेडिंग अकाउंट का बैलेंस होता है. इसे हिंदी में सकल लाभ कहा जाता है किन्तु इससे आपको ज्यादा कुछ समझ .में नहीं आएगा. Accounting की भाषा में यदि कहा जाये तो net sales- cost of goods sold या revenue – cost of goods sold अर्थात “सकल लाभ (gross profit) माल की बिक्री या प्रदान की गयी सेवा के राजस्व और इसकी प्रत्यक्ष लागत (direct cost) के बीच का अंतर है.”

इसे आप इसतरह से भी समझ सकते हैं – Cost of Goods Sold = Opening Stock + Purchase + Direct Expenses – Closing Stock.

Gross Profit के उदाहरण

Gross profit किसी कंपनी का वह वित्तीय लाभ है जो अपने सामान या सेवाओं के निर्माण और वितरण के लिए आवश्यक लागत में कटौती के बाद होता है मान लीजिए एक कंपनी कोई मशीन बनायी है और इस मशीन को बनाने में 1000 रुपया का खर्चा आया. बाद में कंपनी ने इस मशीन को 1200 रुपया में बेच देती है. इसतरह से कंपनी को 200 रूपये का लाभ हुआ और इसी लाभ को हम ग्रॉस प्रॉफिट के नाम से जानते हैं.

यहाँ पर आपको एक और महत्वपूर्ण बात समझना होगा कि इस मशीन को बनाने में निर्माण लागत के आलावा और भी अन्य खर्चे होंगे जैसे – व्यवसाय के संचालन का खर्चा, किराया में, स्टाफ के सैलरी में आदि और जब हम net profit निकालेंगे तो इन सभी खर्चों को भी निकाल देंगे.

साधारण शब्दों में यदि कहें तो सिर्फ किसी चीज को बनाने में लगे खर्चे को विक्रय मूल्य से निकाल देते हैं तो वह सकल लाभ होता है और जब बिज़नेस के सारे खर्चे निकालने के बाद जो प्रॉफिट बचता है उसको हम net profit कहते हैं.

याद रखने योग्य पॉइंट्स

  • सकल लाभ उत्पाद बनाने या सेवा प्रदान करने की लागत में कटौती करने के बाद बचा हुआ लाभ है.
  • Trading account, gross profit या gross loss दर्शाता है.
  • Gross profit = Net sales minus Cost of goods sold.
  • Gross profit निकालने के लिए trading account सीखें.

मैं इस हिंदी ब्लॉग का संस्थापक हूँ जहाँ मैं नियमित रूप से प्रोफिट लें क्या है अपने पाठकों के लिए उपयोगी जानकारी प्रस्तुत करता हूँ. मैं अपनी शिक्षा की बात करूँ तो मैंने Accounts Hons. (B.Com) किया हुआ है और मैं पेशे से एक Accountant भी रहा हूँ.

लाभ - हानि के सूत्र पर आधारित प्रश्न / उत्तर | Labh Hani Ke Formula & Sawal / Short Tricks | Profit and Loss in Hindi - Part-2

गणित के अध्याय की Profit & Loss टॉपिक्स की पिछली पोस्ट में हमने लाभ & हानि, लाभ / हानि की परिभाषा, लाभ - हानि के सूत्र तथा लाभ और हानि की ट्रिक्स / शॉर्टकट्स के बारे में पढ़ा था। इसके साथ Profit & Loss पर आधारित लाभ / हानि के 30 सवाल भी हल किये थे

आज हम यहाँ Profit & Loss Part - 2 देरहा हूँ। यहाँ हमने लाभ - हानि के सूत्र पर आधारित प्रश्न दिए हैं और यह समझाने का प्रयास किया है कि लाभ - हानि के प्रश्न सूत्र का प्रयोग करके कितनी आसानी से हल किया जा सकता है।

लाभ - हानि के सूत्र का प्रयोग करके प्रश्न हल करने प्रश्न जल्दी हल होने के साथ समय की बचत होती है जोकि प्रतियोगी परीक्षाओं SSC, IBPS Bank , LIC, RRB, SBI, UPSC & State / Central Exams,आदि में किसी भी Student का सिलेक्शन होने में एक बहुत बड़ा फैक्टर माना जाता है।

अंत में हमने लाभ - हानि पर आधारित कुछ उदाहरण भी दिए हैं जिनको आप trick की मदद से और आसान बना सकते हैं। किसी भी लाभ - हानि के प्रश्न को हल करने की trick के उपयोग से आपको लाभ - हानि के सूत्र कम से कम याद करने पड़ेंगे क्योंकि लाभ - हानि के अधिकतर सूत्र इन ट्रिक्स पर आधारित बने हुये हैं।

Net Profit क्या होता है? Gross profit और net profit के बीच अंतर

Net Profit क्या होता है इसे हम इस आर्टिकल में समझेंगे. हमने अपनी पिछली लेख में आपको gross profit के बारे में बताया था. आपको बता दें कि जब आप final accounts पढ़ेंगे तो आपको वहां trading account और profit and loss account पढ़ाया जाएगा और इन दोनों ही accounts से आपको प्रॉफिट मिलेगा – एक से मिलेगा gross profit और दुसरे से मिलेगा net profit.

Profit या लाभ क्या होता है? बिज़नेस के जो ऑपरेटिंग ऐक्टिविटीज़ होती है उससे जो इनकम होती है उसी को हम प्रॉफिट कहते हैं. उदाहरण के लिए लोग गुड्स यानी गुड्स को सेल करने से या फिर सर्विस प्रोवाइड करते हैं तो इससे उनको लाभ होता है. लाभ को भी हम आगे दो कैटगरी में विभाजित करते हैं – एक ग्रोस प्रॉफिट और दूसरा नेट प्रॉफिट.

आपको यह ध्यान रखना होगा कि gross profit और नेट प्रॉफिट के बीच अंतर होता है. वैसे तो दोनों लाभ ही होते हैं किन्तु इन दोनों के बीच कुछ अंतर होता है इसको आपको समझना होगा. तो आइए समझते हैं कि नेट प्रॉफिट क्या होता होता है? gross profit और नेट प्रॉफिट के बीच क्या अंतर होता है.

Net Profit क्या होता है?

Profit and loss account, नेट प्रॉफिट या net loss को प्रोफिट लें क्या है दर्शाता है. यहाँ हम नेट प्रॉफिट के बारे में समझेंगे. इसको हिंदी में हम शुद्ध लाभ कहते हैं.

आपके सारे खर्चे निकालने के प्रोफिट लें क्या है बाद जो पैसे बच जाती है, उसे शुद्ध लाभ कहा जाता है अर्थात व्यवसाय के सारे खर्चे निकालने के बाद जो लाभ बचता है वही नेट प्रॉफिट है. किसी कंपनी को जो Total Income होती है उसमें से अगर कंपनी के सारे expenses को निकाल दें या घटा दें तो वह कंपनी का नेट प्रॉफिट यानी ‘शुद्ध लाभ‘ कहलाता है. इन खर्चों में ब्याज, परिचालन व्यय (operating expenses), कर और भी कई खर्चे शामिल हो सकते हैं.

नेट प्रॉफिट की गणना कैसे करें?

नेट प्रॉफिट की गणना करने के लिए सामान्य सूत्र यही है कि कुल राजस्व में से कुल व्यय घटाकर शुद्ध लाभ प्राप्त किया जा सकता है. इसका विस्तृत सूत्र के रूप में इसप्रकार व्यक्त किया जा सकता है – Gross Profit – Operating Expenses -Other Expenses – Taxes – Interest on loans + Other Income = Net Profit .

आप निम्न फॉर्मूला से भी समझ सकते हैं –

Net Profit = Total Income/Revenue – Total Expenses

Net profit = gross profit – expenses

Net Profit = Gross Profit + Indirect Incomes – Indirect Expense

इसतरह से आप समझ चुके हैं कि व्यवसाय के सारे खर्चे निकालने के बाद जो लाभ बचता है वही नेट प्रॉफिट है. अब यहाँ पर यह समझना है कि व्यवसाय से सारे खर्चों (Total Expenses) का क्या तात्पर्य होता है.

Total Expenses = बेचे गए माल की लागत (कच्चा माल) अर्थात Cost of goods sold (raw materials) + आयकर (Income tax) अर्थात जो कर कंपनी को अदा करना पड़ता है + ऋण पर ब्याज (Interest on loans) देना पड़ता है + परिचालन व्यय (Operating Expenses) इसके अंतर्गत कंपनी का किराया, कर्मचारियों का वेतन, Insurace आदि खर्चे आते हैं प्रोफिट लें क्या है + Depreciation of assets + आदि अन्य खर्चों को शामिल किया जाता है.

Gross profit और net profit के बीच अंतर

Gross profit वह लाभ होता है जो व्यवसाय द्वारा बेची गई वस्तुओं की लागत घटाकर अर्जित किया है अर्थात Gross profit = Net sales – Cost of goods sold जबकि शुद्ध लाभ वह लाभ है जो व्यवसाय द्वारा कुल आय से सभी खर्चों को घटाकर अर्जित किया जाता है अर्थात नेट प्रॉफिट = Total Revenue – Total Expenses.

Gross profit, trading account का बैलेंस होता है जबकि नेट प्रॉफिट लाभ और हानि खाते के क्रेडिट बैलेंस को दर्शाता है.

मैं इस हिंदी ब्लॉग का संस्थापक हूँ जहाँ मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी जानकारी प्रस्तुत करता हूँ. मैं अपनी शिक्षा की बात करूँ तो मैंने Accounts Hons. (B.Com) किया हुआ है और मैं पेशे से एक Accountant भी रहा हूँ.

WHAT IS PROFIT AND LOSS : क्या होता है प्रॉफिट और लाभ , जानिए इनके लक्षण , पूरी जानकारी

प्रॉफिट एंड लॉस : दोस्तों प्रॉफिट और लॉस क्या होता है इसे समझाने की जरूरत नहीं है आपमें से ज्यादातर लोग इससे अच्छी तरह वाकिफ है । फिर भी हम आपको अपने इस आर्टिकल में प्रॉफिट और लॉस से जुड़ी जानकारी साझा करेंगे । साथ ही यह भी बताएंगे कि इनके लक्षण क्या है ।

क्या होता है प्रॉफिट

सामान्यतौर पर लोग बोलचाल में प्रॉफिट ही बोलते है लेकिन इसको हिंदी में शुद्ध लाभ बोला जाता है किसी कम्पनी में लगाए गए मूल धन से अधिक वृद्धि के साथ कम्पनी को धन अर्जित होता है उसे प्रॉफिट या लाभ कहते है । उदाहरण , मान लीजिए किसी कम्पनी में आपने एक लाख रुपए इन्वेस्ट किए है इसमें कर्मचारियों और सामान लाने , ले जाने का खर्च भी शामिल होता है इसके बाद मार्केट में एक लाख से अधिक रूपये में सामान की बिक्री होती है उसे लाभ मान लिया जाता है वह लाभ मूल धन से एक रूपये अधिक भी हुआ तो उसे लाभ ही कहा जाएगा ।

क्या होता है लॉस

लॉस को हिंदी में शुद्ध हानि बोलते है किसी भी कम्पनी या शेयर मार्केट में लगाया गया पैसा में अगर मतलब मूल धन में से कम पैसा प्राप्त होता है तो उसे शुद्ध हानि कहते है । उदाहरण , मान लीजिए शेयर बाजार में हम दो लाख निवेश करते है लेकिन मार्केट में उतार चढ़ाव की वजह से लगाया गया मूल धन नहीं मिलता उसे शुद्ध हानि कहा जाता है ।

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क्या होता है लाभ – हानि लेखा

लाभ और हानि एक वित्तीय लेखा है जिसमें सभी प्राप्तियों और हानि एक क्रम में एकत्र कर लिया जाता। जिससे बाद में सुनिश्चित हो सके की फार्म लाभ में है या हानि में है इसमें किसी भी प्रकार के काम का लेखा हो सकता है । उदाहरण , बुक डिपो, किराना दुकान, वेतन, किराया , टैक्स आदि।

लाभ / हानि लेखा के प्रमुख लक्षण और आवश्यकता

* इसे लेखा शुरुआत करने का दूसरा चरण कहा जाता है
* यह एक निश्चित समय अवधि के लिए होता है
* इस लेखा के तैयार होने से लेखा चरण और उपचयाधार बनते है
* लाभ और हानि के लिए एक लेखा रजिस्टर तैयार होता है , जिसमें लाभ और हानि दोनों की जानकारी होती है
* एक अन्य लेखा रजिस्टर में लाभ को अलग और हानि को अलग उल्लेख किया जाता है ।
* शुद्ध लाभ और हानि से स्वामी की पूंजी में वृद्धि और कमी होती है
* लेखा की जरूरत इसलिए होती है कि हम लाभ और हानि की संपूर्ण जानकारी एक जगह एकत्रित कर सके ।
* इससे खर्चे नियंत्रण किए जा सकते है ।

प्रॉफिट मार्जिन क्या है?

प्रॉफिट मार्जिन किसी कंपनी की वित्तीय स्थिति के आकलन का एक सटीक तरीका माना जाता है। कंपनी की कुल बिक्री व लाभ के अनुपात के आधार पर इसे निकाला जाता है। कुल बिक्री से कुल लागत को घटाने से मुनाफा निकाला जाता है। कुल बिक्री मूल्य व लाभ फीसद का अनुपात ही लाभ माजि

प्रॉफिट मार्जिन किसी कंपनी की वित्तीय स्थिति के आकलन का एक सटीक तरीका माना जाता है। कंपनी की कुल बिक्री व लाभ के अनुपात के आधार पर इसे निकाला जाता है। कुल बिक्री से कुल लागत को घटाने से मुनाफा निकाला जाता है।

कुल बिक्री मूल्य व लाभ फीसद का अनुपात ही लाभ मार्जिन है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी उत्पाद की लागत अगर 100 रुपये है और उसकी कीमत 150 रुपये है तो यहां लाभ हुआ 50 रुपये। यानी कंपनी ने 50 फीसद का मुनाफा कमाया। 50 फीसद का मुनाफा कंपनी के बिक्री मूल्य का 33.33 फीसद हुआ। यह 33.33 फीसद ही कंपनी का प्रॉफिट मार्जिन हुआ। कंपनी प्रबंधन प्रॉफिट मार्जिन का इस्तेमाल अपने निवेश संबंधी आंतरिक फैसले करने में व्यापक तौर पर करता है।

निवेश संबंधी फैसले करने में भी व्यापक तौर पर होता है। इसके कम होने का मतलब कंपनी की खराब वित्तीय स्थिति है। इससे कंपनी की बिक्री में होने वाली वृद्धि का तो पता चलता ही है। साथ ही, लागत कम करने की कोशिशों व कीमत तय करने की उसकी नीति का भी पता चलता है।

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