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जानें क्या होते हैं म्युनिसिपल बॉन्ड, निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान, नहीं होगा नुकसान

म्युनिसिपल बॉन्ड का ट्रेड प्राइमरी व सेकेंडरी दोनों मार्केट में होता है. प्राइमरी में नए बॉन्ड जारी होते हैं, सेकेंडरी में बॉन्डों का व्यापार होता है.

  • Himali Patel
  • स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना
  • Publish Date - September 2, 2021 / 04:37 PM IST

जानें क्या होते हैं म्युनिसिपल बॉन्ड, निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान, नहीं होगा नुकसान

बांड पर मिलने वाले ब्याज को बांड यील्ड कहा जाता है. बांड पर पहले से ही तय दरों पर ब्याज मिलता है. इसमें किसी तरह का कोई बदलाव नहीं होता

किसी भी पब्लिक प्रोजेक्ट को फंडिंग करना हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है. खासकर जब केंद्र सरकार फाइनेंशियल रूप से कमजोर हो. हालांकि इस अंतर को कम करने के लिए लोकल और स्टेट गवर्नमेंट ने पब्लिक प्रोजेक्ट्स की फंडिंग के लिए म्युनिसिपल बॉन्ड जारी किए हैं. भारत में म्युनिसिपल बॉन्ड (municipal bond) साल 1997 से मौजूद हैं. बेंगलुरु म्युनिसिपल कॉरपोरेशन भारत का पहला म्युनिसिपल कारपोरेशन है जिसने म्युनिसिपल बॉन्ड (municipal bond) जारी किया था. म्युनिसिपल बॉन्ड (municipal bond) अपनी इनिशियल इन्वेस्टर अपील के बाद काफी लोकप्रियता हुए पर आवश्यक इन्वेस्टमेंट जुटाने में विफल हो गए. इसके बाद मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने 2015 में म्युनिसिपल बॉन्ड को फिर से शुरू करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए.

क्या होते हैं म्युनिसिपल बॉन्ड

म्युनिसिपल बॉन्ड नगर निगम द्वारा जारी किया जाता है. म्युनिसिपल कारपोरेशन लोकल गवर्नमेंट का मैनेजमेंट करने के लिए इंडियन कंस्टीटूशन के सेक्शन 243Q द्वारा स्थापित एक कानूनी आर्गेनाईजेशन है. म्युनिसिपल कॉपोरेशन मुख्य रूप से स्थानीय मुद्दों जैसे खराब मैनेजमेंट, प्लेग्राउंड मेंटेनेंस, स्ट्रीट लाइटिंग और वाटर सप्लाई के लिए जिम्मेदार है. आमतौर पर इन कार्यों को करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा आवश्यक धन मुहैया करवाया जाता है.

वहीं दूसरी ओर बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर की बढ़ती जरूरत और गवर्नमेंट की फाइनेंशियल कमजोरी के कारण म्युनिसिपल कॉर्पोरेशंस अक्सर एप्रोप्रियेट फंडिंग के लिए स्ट्रगल करते हैं. ऐसी कोंडिक्शन में म्युनिसिपल बॉन्ड लोकल गवर्नमेंट को अपने फाइनेंशियल जरूरतों को पूरा करने में सक्षम बनाते हैं. इसके साथ ही नागरिकों को बढ़ी हुई सेवाएं भी प्रदान करते हैं.

कैसे खरीद सकते हैं म्युनिसिपल बॉन्ड

म्युनिसिपल बॉन्ड खरीदना एक सरल प्रक्रिया है. भारत में बॉन्ड डीलरों, बैंकों, ब्रोकरेज फर्मों के माध्यम से और कुछ मामलों में सीधे नगर पालिकाओं से म्युनिसिपल बॉन्ड खरीदे जा सकते हैं. म्युनिसिपल बॉन्ड (municipal bond) का ट्रेड प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों मार्केट में होता है. प्राइमरी मार्केट में जहां नए बॉन्ड जारी किए जाते हैं. वही सेकेंडरी मार्केट का उपयोग ज्यादातर मौजूदा बॉन्डों के व्यापार के लिए किया जाता है. इसके अलावा बॉन्ड केटेगरी में होने के कारण यह पब्लिक और प्राइवेट आधार पर जारी किया जाता है. जिसके बेस पर रिटेल निवेशक इसे खरीद पाते हैं.

ध्यान रखने वाली जरूरी बातें

क्या राज्य सरकार गारंटी देती है कि बॉन्ड जारी किए गए बॉन्ड के आधार पर अलग-अलग होंगे? इसका जवाब है नहीं, आमतौर पर राज्य सरकार की इसको लेकर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं होती है. यदि नगर निगम भुगतान में डिफ़ॉल्ट करता है तो इसका खामियाजा लेनदारों को भुगतना पड़ेगा.

निवेशकों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि राज्य सरकार द्वारा इम्प्लॉइड गारंटी उसके म्युनिसिपल कॉपोरेशन को अपने डेब्ट ऑब्लिगेशन पर डिफ़ॉल्ट करने की अनुमति नहीं देगी. इसलिए इन्हें पर्याप्त रूप से सुरक्षित माना जाता है. यह इनकी क्रेडिट रेटिंग से भी जाना जा सकता है. जो AA है. जो कि हाईएस्ट AAA रेटिंग से बस एक पायदान नीचे है. निवेशकों को राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा के स्तर को निर्धारित करने के लिए सभी म्युनिसिपल बॉन्ड (municipal bond) के कागजी कार्रवाई की सावधानीपूर्वक समीक्षा करनी चाहिए.

अन्य देशों में जारी किए गए म्युनिसिपल बॉन्ड के विपरीत भारत में म्युनिसिपल बॉन्ड (municipal bond) टैक्स फ्री नहीं है. हायर टैक्स ब्रैकेट में आने वाले लोगों को निवेश करते समय पोस्ट टैक्स रिटर्न को ध्यान में स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना रखना चाहिए.

Corporate Bond में क्यों लगाएं पैसे? निवेश के समय किन बातों का ख्याल रखना जरूरी? जानिए इन सभी सवालों के जवाब

Corporate Bond: अन्य निवेश विकल्पों की तरह कॉरपोरेट बॉन्ड में भी पैसे लगाने से पहले कुछ चीजों की जानकारी जरूरी है.

Corporate Bond में क्यों लगाएं पैसे? निवेश के समय किन बातों का ख्याल रखना जरूरी? जानिए इन सभी सवालों के जवाब

बैंक एफडी की तुलना में कॉरपोरेट बॉन्ड अधिक बेहतर विकल्प है क्योंकि इस पर कंपनियां आमतौर पर एफडी से अधिक ब्याज ऑफर करती हैं.

Corporate Bond: लंबे समय से फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) को निवेश का बेहतर विकल्प माना जाता रहा है लेकिन पिछले कुछ समय से कम दरों के चलते इसमें रिटर्न कम मिल रहा है. इसके अलावा इसमें निवेश पर रिटर्न पर टैक्स देनदारी भी इसके प्रति आकर्षण को कम करती है. इस वजह से निवेशक ऐसे विकल्पों की तलाश कर रहे हैं जिसमें कम रिस्क पर बेहतर मुनाफा कमा जा सके. ऐसे निवेशकों के लिए कॉरपोरेट बॉन्ड बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं. कॉरपोरेट बॉन्ड पर एफडी से अधिक रिटर्न हासिल किया जा सकता है और टैक्स देनदारी भी कम बनती है. हालांकि अन्य निवेश विकल्पों की तरह इसमें भी पैसे लगाने से पहले कुछ चीजों की जानकारी जरूरी है.

पैसे जुटाने के लिए कंपनियां जारी करती हैं कॉरपोरेट बॉन्ड

कॉरपोरेट बॉन्ड को कंपनियां वर्किंग कैपिटल, विज्ञापन और इंश्योरेंस पेमेंट्स जैसे शॉर्ट टर्म खर्चों के लिए जारी करती हैं. पैसे जुटाने के लिए कंपनियां बैंकों से भी लोन ले सकती है लेकिन उसकी तुलना में बॉन्ड जारी करना अधिक सस्ता है. इस वजह से कंपनियां पैसे जुटाने के लिए कॉरपोरेट बॉन्ड के विकल्प पर अधिक जोर देती हैं.

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भारत में आज ही के दिन शुरू हुआ था बम्बई का स्टॉक एक्सचेंज

बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) आज से 146 साल पहले शुरू हुआ था. (फाइल फोटो)

Bombay Stock Exchange: साल 1875 में यह भारत (India) का ही नहीं एशिया का पहला शेयर बाजार (Share Market) था आज यह दुनिया . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : July 09, 2021, 07:14 IST

आमतौर पर किसी देश में एक स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) होता है, लेकिन भारत में दो स्टॉक एक्सचेंज हैं. कई लोगों को हैरानी की बात लगती है कि भारत के नेशनल स्टॉक एक्चेंज से ज्यादा बंबई स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) का अधिक महत्व है. सौ साल से ज्यादा पुराना बंबई स्टॉक एक्सचेंज देश का ही नहीं, बल्कि एशिया का पहले शेयर बाजार है. हाल के कुछ सालों तक यह दलाल स्ट्रीट के नाम से जाना जाता था. बंबई स्टॉक एक्सचेंज ने भारत में पूंजी बाजार और शेयर आदि की खरीद-फरोख्त को लगभग शुरू से ही देखा है और 146 साल बाद आज एक बहुत बड़ा पूंजी बाजार के तौर पर विख्यात हो गया है.

बरगद के पेड़ के नीचे होती थी खरीद फरोख्त
इस बाजार स्थापना 9 जुलाई 1875 में एक एसोशियन के रूप में हुई थी. इस एसोसिएशन का नाम नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर एसोसिएशन था. 1840 में शेयर दलाल एक बरगद के पेड़ के नीचे खड़े होकर शेयरों की खरीद-फरोख्त किया करते थे. वहीं से एसोसिएशन बनाने की रूपरेखा बनी और 1875 में इस बाजार की स्थापना हुई और आज दुनिया के बड़े स्टॉक एक्सचेंज में शुमार किया जाता है.

पेड़ बदला और फिर बनी दलाल स्ट्रीट
आज मुंबई के हार्निमन सर्कल में टाउनहॉल के पास 1850 में बरगद के पेड़ के नीचे दलाल जमा होकर शेयरों का सौदा करते थे. इसके बाद 1860 के दशक में ये मोडोज स्ट्रीय और महात्मा गांधी रोड के जंक्शन पर स्थित बरगद के पेड़ पर शेयरों की खरीद फरोख्त होने लगी, लेकिन 1874 में नईं जगह मिली और एक साल बाद यह जगह दलाल स्ट्रीट के रूप में जाना जाने लगा.

किन वजहों से हुई स्थापना
1860 के दशक में मंबई में करीब 250 शेयर दलाल हो चुके थे. लेकिन 1865 के अमेरिकी गृहयुद्ध के बाद भारत में आने वाले पूंजी के प्रवाह में कमी आई, दलालों का कामकाज पूरी तरह से ठप्प हो गया. शेयरों के भाव औंधे मुंह गिरे. इन वजहों से शेयर दलालों ने अपनी एसोसिएशन बनाना तय किया और 1868 से 1873 तक एक गैर औपचारिक एसोसिएशन की रचना की. 1874 में उन्हें एक निश्चित जगह भी नियत कर दी जिसे आज दलाल स्ट्रीट कहा गया.

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बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने दुनिया में हुए हर तरह के बदलाव के मुताबिक खुद को बखूबी ढाला है.

फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा
जुलाई 8175 में 318 लोगों ने एक रुपये प्रवेश शुल्क के साथ शेयर बाजार मुंबई की संस्था गठित की और द नेटिव एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन का औपचारिक जन्म हुआ. इसके बाद एसोसिएशन ने शेयर खरीद फरोख्त के लिए एक इमारत के निर्माण के साथ दलालों के हितों की रक्षा के लिए काम करना भी शुरू किया. 1887 में इस दिशा में काम आगे बढ़ता दिखने लगा जो आज के बंबई स्टॉक एक्सचेंज की नींव बना.

बाजार स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना को सम्मान
ब्रिटिश शासनकाल के दौरान 18 जनवरी 1899 के दिन ब्रिटिश उच्चाधिकारी जे. एम. मेक्लिन को मुंबई के इस शेयर बाजार को बेहतर बनाने के लिए याद किया जाता है. मेक्लिन ने मुंबई के नेटिव शेयर दलालों को वह सम्मान दिलाने का प्रयास किया जिसके वे हकदार थे. यह बाजार उस समय से भारत का सबसे बड़ा पूंजी बाजार था. और इसे आज के मुंबई के निर्माण में अहम भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है.

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बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने केवल 50 दिनों में इंटरनेट आधारित ट्रेडिंग सिस्टम शुरू कर दिया था.

आजादी के बाद और फिर इंटरनेट
आजादी के बाद 1956 में सिक्योरिटी कॉन्ट्रैक्ट रेग्युलेशन एक्ट के जरिए बीएसई भारत सरकार द्वारा अधीकृत पहले स्टॉक एक्सचेंज बना. बीएसई सेंसेक्स यानि सूचकांक का विकास 1986 में हुआ जो बीएसई के कामकाजद के प्रदर्शन का एक उपकरण माना गया. इसके बाद 1990 के दशक के में कम्प्यूटर और बड़े शेयर बाजार घोटालों को कारण इसने नियामन नियमों में बदालव के साथ स्टॉक एक्सचेंज का विस्तार हुआ

1995 में बीएसई ने केवल 50 दिन में ही इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सिस्टम अपनाया लिया और बोल्ट BOLT यानि बीएसई ऑन लाइट ट्रेडिंग की शुरुआत हुई जिसमें 80 लाख लेन देन एक दिन में करने की क्षमता थी. बीएसई दुनिया का पहला ऐसा स्टॉक एक्सचेंज है जिसने केंद्रीयकृत इंटरनेट ट्रेडिंग सिस्टम शुरू किया है.

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पॉवेल ने बाजारों में खलबली मचाई: विशेषज्ञों द्वारा अपेक्षित 'बाज़ूका' से सावधान रहें

अर्थव्यवस्था 20 घंटे पहले (15 दिसम्बर 2022 ,14:35)

पॉवेल ने बाजारों में खलबली मचाई: विशेषज्ञों द्वारा अपेक्षित

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Investing.com - लाल इस गुरुवार को यूरोपीय बाजारों पर हावी है, Ibex 35 , CAC 40 और DAX वॉल स्ट्रीट के Ibex 35 के लिए कल के नकारात्मक समापन के समान स्वर के बाद >, NASDAQ , डॉव जोंस , और आज सुबह जेरोम पॉवेल के भाषण के बाद, यू.एस. फेडरल रिजर्व के <>।

फेड के बाद के हैंगओवर में, विश्लेषक अपने विचार और दृष्टिकोण प्रदान करते हैं कि अब क्या उम्मीद की जाए।

बाजार व्यवहार "स्पष्ट रूप से एफओएमसी के बयान और इसके अध्यक्ष, जेरोम पॉवेल के बाद के प्रेस कॉन्फ्रेंस के साथ, दिन के मोड़ के रूप में अधिक से कम हो गया," लिंक सिक्योरिटीज ने अपने दैनिक बाजार कमेंट्री में बताया।

बैंकिंटर की दैनिक रिपोर्ट के अनुसार, बाजार के लिए 'स्लैम डंक', हर चीज की कुंजी थी, कि "पॉवेल ने कहा कि दरों को कम करना शुरू करने के लिए उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि मुद्रास्फीति 2% की ओर बढ़ रही है लक्ष्य और अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है"।

बीबीवीए रिसर्च ने कहा कि फेड स्पष्ट रूप से इस वाक्यांश के साथ आक्रामक था, "हमारे पास और काम करने के लिए है।"
अचूक हॉकिश संदेश

जैसा कि लिंक सिक्योरिटीज बताते हैं, फेड द्वारा दरों में 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी के बाद, जैसा कि बाजार की उम्मीद थी, आश्चर्य शुरू हुआ:

  1. फेड ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह उच्च मुद्रास्फीति से लड़ने के लिए अपनी ब्याज दरों में वृद्धि करना जारी रखेगा और सितंबर में अपनी अपेक्षा से ऊपर के स्तरों पर ऐसा करेगा (सितंबर में 5.1% बनाम 4.6%) और बाजार छूट (4.86%) से ऊपर था।
  2. फेड ने इस बात से भी इंकार किया कि वह 2023 में दरों में कटौती शुरू करना चाहता है, कुछ ऐसा जो 2024 तक नहीं होगा, जब मुद्रास्फीति 2% लक्ष्य की ओर बढ़ने के स्पष्ट संकेत दिखाती है।
  3. फेड ने 2023 और 2024 के लिए अपनी आर्थिक विकास अपेक्षाओं को संशोधित किया।
  4. फेड ने अपनी मुद्रास्फीति की अपेक्षाओं को संशोधित किया, एक चर जो 2025 तक 2% के करीब नहीं होगा (यह 2024 में 2.5% की उम्मीद करता है)।

आगे क्या?

मेडियोलेनम इंटरनेशनल फ़ंड्स लिमिटेड (MIFL) में निश्चित आय के प्रमुख चार्ल्स डाइबेल ने नोट किया कि "मुद्रास्फीति संबंधी जोखिमों को दूर करने के लिए दरों को बढ़ाने के फेड के दृढ़ संकल्प को मौद्रिक नीति के पक्ष में झुकाव के रूप में समझा जा सकता है, लेकिन संभावना है वित्तीय स्थितियों में हाल की सहजता को प्रतिबिंबित करने के लिए और इस प्रकार नियत समय में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के अपने दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित करता है।

"जबकि उच्च दरों, कम विकास और अधिक लगातार उच्च मुद्रास्फीति का यह परिदृश्य हमारे लिए सबसे अधिक व्यवहार्य लगता है, पॉवेल को सुनने और फेड द्वारा प्रस्तुत नई मैक्रोइकॉनॉमिक तस्वीर का विश्लेषण करने के बाद, इक्विटी की 'मध्यम' नीचे की ओर प्रतिक्रिया कल के बाजार हमें विश्वास दिलाते हैं कि कई निवेशक "फेड पर विश्वास नहीं करते" और इससे लड़ने के लिए तैयार दिखते हैं, जो ऐतिहासिक रूप से हमेशा एक गंभीर गलती रही है। क्या अधिक है, वायदा 2023 की दूसरी छमाही में आधिकारिक दर में कटौती की उम्मीद करना जारी रखता है, कुछ ऐसा जो हमें लगता है, आज की तरह, अत्यधिक संभावना नहीं है," लिंक सिक्योरिटीज नोट करता है।

BBVA Research का कहना है, "तथ्य यह है कि फेड ने अपने बयान में 'निरंतर वृद्धि' भाषा को नहीं छोड़ा है, स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना यह बताता है कि वह अगले साल कई बार (कम से कम दो बार) दरें बढ़ाने की योजना बना रहा है।"

विश्लेषकों का कहना है, "2023 के अंत तक संघीय निधि दर के लिए औसत प्रक्षेपण को संशोधित कर 5.1% कर दिया गया था। यह आने वाले समय में अतिरिक्त 75 बीपी के साथ एक आक्रामक दृष्टिकोण का सुझाव देता है।"

जबकि स्टॉक गिरते हैं, "बॉन्ड और डॉलर मुश्किल से बॉन्ड के हाल के अच्छे प्रदर्शन (टी-बॉन्ड आईआरआर -75 बीपीएस से 3.5%) और नकारात्मक डॉलर (11% के अंत-सितंबर के बाद से मूल्यह्रास) के बावजूद चलते हैं, जो निवेशकों को सुझाव देता है चक्र पर अपेक्षा से अधिक प्रभाव के कारण उच्च दरों को बनाए रखने के बारे में संशय," निष्कर्ष Renta 4।

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