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मुश्किल नहीं है कमोडिटी फ्यूचर्स में निवेश,आपके लिए सिर्फ ये बातें जाननी जरूरी है
विश्व-स्तरीय कामकाज के तरीके और इनोवेटिव प्रोडक्ट्स की बदौलत भारतीय एक्सचेंज दुनियाभर में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं.
सेबी कमोडिटी एक्सचेंजों का कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं भी रेगुलेटर
सेबी स्टॉक एक्सचेंजों के साथ ही कमोडिटी एक्सचेंजों का भी रेगुलेटर है. शेयरों की तरह कमोडिटी ट्रेडिंग के लिए एक डीमैट और एक ट्रेडिंग अकाउंट जरूरी है. सभी प्रमुख एक्सचेंजों में कमोडिटी ट्रेडिंग होती है. इनमें एमसीएक्स, एनसीडीईएक्स, एनसई, बीएसई और आईसीई शामिल हैं.
एक्सपायरी से पहले जरूरी है सौदे काटना
कमोडिटी ट्रेडिंग में ध्यान रखने वाली एक अहम बात यह है कि अगर आप डिलीवरी (कमोडिटी की) कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं नहीं लेना चाहते हैं तो आपके लिए एक्सपायरी से पहले अपने सौदे काटने की आदत विकसित करनी होगी. अगर ट्रेडर फिजिकल डिलीवरी नहीं चाहता है तो उसे पॉजिशन स्कावयर ऑफ (सौदे काटना) या सौदे को अगले महीने के लिए रोल ओवर करना जरूरी है.
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👉🏻कमोडिटी यानी वायदा बाजार ग्लोबल बाजार सिस्टम की नींव में से एक है. शेयर मार्केट की तरह कमोडिटी बाजार में भी खरीद-फरोख्त की जाती है, लेकिन कुछ अलग तरीके से. शेयर बाजार में हम किसी कंपनी के अंश खरीदकर उसके नफा-नुकसान में हिस्सेदार बनते हैं, लेकिन कमोडिटी बाजार में कच्चे माल की खरीद-फरोख्त की जाती है. जिन चीजों की इस्तेमाल एक इंसान रोजमर्रा के जीवन में करता है, कमोडिटी में वे सभी चीजें आती हैं, जैसे दाल, चावल, मसाले, रुई, सोना, चांदी, लोहा आदि. इस बाजार में ज्यादातर कृषि उत्पादों को शामिल किया गया है। वस्तुओं के भावों पर होते हैं सौदे:- 👉🏻इस्तेमाल में लाई जाने वाली हर वस्तु कमोडिटी में आती है. कमोडिटी मार्केट में सामान के पुराने तथा नए भावों के आधार पर भविष्य के भावों में सौदे किए जाते हैं. यहां लाभ के लिए शेयर बाजार की तरह लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता. डिमांड के हिसाब से वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है. यहां कारोबारी किसी भी चीज के दाम कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं आसमान पर चढ़ा देते हैं और किसी के उतार देते हैं. देश में खाने-पीने की चीजों में एकाएक महंगाई के पीछे कहीं हद तक वायदा बाजार का हाथ होता है. इसलिए जब भी किसी वस्तु के दाम अचानक आसमान छूने लगते हैं तो सरकार को कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं मजूबरन उस वस्तु के वायदा बाजार पर रोक लगानी पड़ती है. इस बाजार में कीमतें मांग और सप्लाई के नियम से तय होती हैं। क्या है वायदा बाजार:- 👉🏻अगर आप कमोडिटी की थोड़ी बहुत भी जानकारी रखते हैं तो थोड़े बहुत निवेश में अच्छा-खासा मुनाफा कमा सकते हैं. जैसे कि भारतीय मसालों की इंटरनेशनल मार्केट में बहुत मांग होती है, इसलिए मसालों के सौदे करके आप अच्छा मुनाफा हासिल कर सकते हैं. कमोडिटी मार्केट में एक तय तारीख तक के लिए सौदे किए जाते हैं. हर महीने के आखिरी गुरूवार को सौदों का निपटारा होता है. अगर आप चाहें तो अपने सौदे को अगले महीने से भी आगे बढ़ा सकते हैं. वायदा कारोबार कमोडिटी एक्सचेंज में होता है. देश में एमसीएक्स, एनसीडीईएक्स, एनएमसीई और आईसीईएक्स प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज हैं. वर्तमान में वायदा लेन-देन के लिए कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं राष्ट्रीय स्तर के पांच केंद्र हैं, इनमें 113 जिंसों की वायदा खरीद-बिक्री होती है. इसके अलावा 16 ऐसे केन्द्र हैं, जहां पर वायदा बाजार कमीशन द्वारा जिंसों में ही सौदे होते हैं. वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) का मुख्यालय मुंबई में है। बॉम्बे में कॉटन से शुरू हुई कमोडिटी मार्केट की शुरूआत:- 👉🏻कमोडिटी बाजार की शुरूआत 1875 में बॉम्बे कॉटन ट्रेड एसोशिएशन के साथ हुई थी. यहां पर केवल कॉटन के सौदे होते थे. इसके बाद 1900 में गुजराती व्यापारी मंडली ने बादाम, बीज और कपास के व्यापार के सौदे करने शुरू किए. 2007 में अभिषेक बच्चन की फिल्म 'गुरु' वायदा बाजार के खेल पर ही आधारित थी। इन बातों का रखें ध्यान:- 👉🏻अगर आप कृषि जिंसों का कारोबार करना चाहते हैं तो उस जिंस का उत्पादन, मांग और सप्लाई की जानकारी होनी चाहिए. फसल मौसम में उसकी आवक, मौसम की जानकारी और आने वाले समय में फसल कैसी होगी, कितनी फसल बाजार में आएगी, उसका क्या भाव रहेगा आदि की जानकारी होनी चाहिए.अगर आप धातु में कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं सौदा करना चाहते हैं तो उसके उत्पादन, आयात निर्यात और उद्योग जगत में उस धातु के इस्तेमाल की जानकारी का गहराई से अध्ययन करना चाहिए। दो तरह से होता है व्यापार:- 👉🏻वायदा बाजार में दो तरह से सौदे होते हैं एक तो फ्यूचर क्या है फ्यूचर और ऑप्शन के आधार पर. इसमें अगर सौदों की खरीद-फरोख्त के लिए वस्तु के वास्तिक मूल्य की जरूरत नहीं होती है, केवल मार्जिन मनी पर ही सारा खेल चलता है. फ्यूचर ट्रेडिंग के लिए कम निवेश की जरूरत होती है. यहां रोजाना नफा-नुकसान का हिसाब होता है. नुकसान होने पर ट्रेडर को उसकी भरपाई ब्रोकर को करनी होती है। स्त्रोत:- Zee Business, 👉🏻प्रिय किसान भाइयों दी गयी उपयोगी जानकारी को लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं
जैसे आप सब्जी खरीदने के लिए सब्जी मंडी जाते हैं, वैसे ही कंपनियां कॅपिटल मार्केट में कॅपिटल जुटाने के लिए जाती हैं, यानी फंड। कॅपिटल मार्केट लॉन्ग टर्म लोन और इक्विटी शेयरों के लिए एक मार्केट है जहां इक्विटी और डेट इंस्ट्रूमेंट दोनों जारी और ट्रेड किए जाते हैं। जैसा कि आप जानते हैं, कॅपिटल किसी भी व्यवसाय की जीवन रेखा है और कॅपिटल मार्केट बिज़नेस चलाने के लिए आवश्यक धन जुटाने में मदद करता है। इसलिए, बड़े पैमाने पर इकोनॉमी के विकास के लिए कॅपिटल मार्केट का व्यवस्थित कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं विकास आवश्यक है। कॅपिटल मार्केट में कई स्टेकहोल्डर्स हैं, जो मार्केट के कामकाज को प्रभावित करते हैं और प्रभावित होते हैं। वे एक वाहन के पहियों की तरह हैं और इसके स्मूथ फंक्शनिंग के लिए आवश्यक हैं।
नीचे दिया गया चित्र कॅपिटल मार्केट में स्टेकहोल्डर्स के उदाहरण दिखाता है:
इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स
इन्वेस्टर कॅपिटल मार्केट का मुख्य आधार है क्योंकि वे कॅपिटल के रूप में कॉरपोरेट्स द्वारा उपयोग किए जाने के लिए पैसा लगाते हैं। एक इन्वेस्टर एक व्यक्ति या एक संस्था है जो अच्छे रिटर्न की उम्मीद के साथ कॅपिटल मार्केट में अपना पैसा लगाता है। इन्वेस्टर्स की विभिन्न श्रेणियां हैं, लेकिन उन सभी का एक समान लक्ष्य है - अपने इन्वेस्टमेंट के लिए ठोस रिटर्न प्राप्त करना।
कमोडिटी एक्सचेंज के कामकाज पर छात्रों को किया गया जागरूक
रांची, प्रमुख संवाददाता। केंद्रीय वित्त मंत्रालय की संस्था भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड के तहत कार्यरत नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड, मुंबई की ओर से शनिवार को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के लिए विनियोगकर्ता जागरुकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। रांची एग्रीकल्चर कॉलेज में आयोजित इस कार्यशाला में एक्सचेंज के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट नीरज शुक्ला ने वर्चुअल कमोडिटी मार्केट की कार्यप्रणाली, इसके लाभ और देश की अर्थव्यवस्था की स्थिरता कायम रखने में इसके योगदान पर विस्तार से चर्चा की।
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