भारत में दार्जिलिंग चाय को भी जीआई टैग मिला है. इसे सबसे पहले 2004 में जीआई टैग मिला था. महाबलेश्वर स्ट्रॉबेरी, जयपुर के ब्लू पोटरी, बनारसी साड़ी और तिरुपति के लड्डू और मध्य प्रदेश के झाबुआ के कड़कनाथ मुर्गा सहित कई उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है.
एक धारामापी का प्रतिरोध 30 ओम है। इसमें एक संकेतक लगा है और पैमाने पर 100 भाग है। `2xx10^(-4)` ऐम्पियर धारा के कारण संकेतक का विक्षेप पैमाने के एक भाग के बराबर हो जाता है। इस धारामापी से 5 ऐम्पियर की धारा नापने के लिये कितने प्रतिरोध के शन्ट की आवश्यकता होगी?
इसका सर्वे में दावा है कि एक धारामापी का पट्टी होती तो मैं ठीक है इसमें एक संकेतक लगा हुआ वह पैमाने पर इमामे पैमाने पर कितने बाण लगे हैं लेकिन उसके ऊपर लिखे हुए ठीक है 2 * 10 की पावर माइनस 4 एंपियर धारा के कारण संख्या का विच्छेद विच्छेद विच्छेद की एक भाग 1 भाग के बराबर हो संकेतक किसके लिए हैं जाता है नहीं जाता है कृषि विषय कैंडी क्रश कितने भाग दे दो कि उसके सौभाग्य रखिए से 3 किलोमीटर में और एक बाल के बराबर कितनी धारा है 2 * 10 की पावर माइनस 4 एंपियर की धारा ठीक है तो इस धारामापी से 5 एंपियर की धारा मापने के लिए प्रतिरोध की स्टैंड की कितनी आवश्यक कितने प्रतिरोध की सेंड की आवश्यकता होगी तो यहां से हम देखते हैं पहले यह क्या हो जाएगा इस तरह से मारा गेल में किसके यहां के समांतर क्रम में एक साथ पढ़ते हो जोड़ा जाता है इस तरह से संकेतक किसके लिए हैं जिसको हम क्या मिला देते हैं यहां पर ऐसे नाम लेते थे अब यहां पर मैंने क्या है हम हमें क्या है इसमें किलोमीटर
सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में संकेतक का क्या है महत्व? कक्षा शिक्षण में संकेतकों का प्रयोग किस प्रकार करेंगे?
यह शिक्षक के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति उत्पन्न करती है जिसमें यह आवश्यक है कि शिक्षक स्वयं अपने कक्षा कक्ष की स्थितियों के अनुसार संकेतक का प्रयोग करे। सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में संकेतक एक महत्वपूर्ण कड़ी है। संकेतक ही वह आधार है जिसके माध्यम से बच्चों से सम्बन्धित क्षेत्र संकेतक किसके लिए हैं में दक्षता का सुव्यवस्थित विकास किया जाता है। संकेतक का प्रयोग करते समय निम्नलिखित बाते आवश्यक हैं-
Road Safety Campaign Bhopal: संकेतक बिना सड़क वाहन चालकों के लिए बन रही जानलेवा, उल्टी दिशा में फर्राटे भरते रहते हैं वाहन
Road Safety Campaign: शहर और आसपास की 350 किमी लंबी सड़को पर कई जगहों पर जरूरत के बाद भी संकेतक न होने से हादसों का जोखिम बढ़ रहा है। इसी तरह गलत दिशा से आने वालों वाहनों को रोकने के लिए सड़क निर्माण एजेंसियों का कोई कर्मचारी नहीं रहता है।
Road Safety Campaign: भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। राजधानी में सड़क हादसों को लेकर सरकार और कई सामाजिक संगठन चिंतित है। आखिरकार ऐसा क्या कारण हैं कि तमाम तरह की सुरक्षा को बरतने के बाद भी वाहन चालक हादसे का शिकार होकर अपनी जान गंवा देते हैं। हर साल करीब 200 नागरिक सड़क हादसों में अपनी जान जान गंवा देते हैं। इसे जानने के लिए नवदुनिया के रिपोटर्स ने 350 किमी सड़कों का आडिट किया। इसमें सामने आया कि सड़क पर संकेतकों का नहीं होना दुर्घटना का बड़ा कारण है। दोपहिया और चारपहिया वाहन चालक को जैसे ही अच्छी सड़क मिलती है, वे स्वभाविक तौर पर गति बढ़ा देते हैं, ऐसे में बिना संकेतक के अचानक खराब पैच, डायवर्जन आदि आने पर हादसे की आशंका बढ़ जाती है।
इस साल 14 उत्पादों को मिली GI पहचान, जानिये क्या है जीआई टैग
चंदेरी की साड़ी, कांजीवरम की साड़ी, दार्जिलिंग चाय और मलिहाबादी आम समेत अब तक 300 से ज्यादा उत्पादों को जीआई मिल चुका है
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के अनुसार, जिन अन्य उत्पादों को भौगोलिक पहचान मिली है उनमें कर्नाटक की कुर्ग अरेबिका कॉफी, केरल के वायनाड की रोबस्टा कॉफी, आंध्र प्रदेश की अराकू वैली अरेबिका, कर्नाटक की सिरिसी सुपारी और हिमाचल का चूली तेल शामिल हैं.
खास भौगोलिक पहचान मिलने से इन उत्पादों के उत्पादकों को अच्छी कीमत मिलती है. इससे अन्य उत्पादक उस नाम का दुरुपयोग कर अपने सामान की मार्केटिंग नहीं कर सकता.
जापान ने निहोन्शु के लिए मांगा भौगोलिक संकेत टैग
यह पहली बार है जब जापान के किसी उत्पाद ने चेन्नई में भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री में टैग के लिए आवेदन किया है। जापान के दूतावास, नई दिल्ली ने एक मादक पेय, निहोन्शु/जापानी खातिर भौगोलिक संकेत (GI) टैग की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया है। पता चला है कि यह पहली बार है जब जापान के किसी उत्पाद ने यहां भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्री में टैग के लिए आवेदन किया है।
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