विनवेस्टा के मल्टी-करेंसी अकाउंट को महज 50 डॉलर में ही अपने पैन और आधार के जरिए मिनटों में खुलवाया जा सकेगा.

विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़त बरकरार, लगातार दूसरी बार 500 अरब डॉलर के पार

कोरोना संकट काल के बीच भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़त का सिलसिला जारी है.

हफ्ते में 5.942 अरब डॉलर की वृद्धि दर्ज

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 जून 2020,
  • (अपडेटेड 20 जून 2020, 5:36 PM IST)
  • इस हफ्ते में 5.942 अरब डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई है
  • कुल विदेशी मुद्रा भंडार 507 अरब डॉलर पर पहुंच गया है

बीते 12 जून को समाप्त सप्ताह में एक बार फिर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार ने नया मुकाम हासिल किया है. दरअसल, इस हफ्ते में 5.942 अरब डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक कुल विदेशी मुद्रा भंडार 507.64 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. इसी तरह, सप्ताह में सोने का रिजर्व भंडार 82.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 33.173 अरब डॉलर हो गया.

लगातार दूसरी बार सफलता

यह लगातार दूसरा सप्ताह है जब विदेश मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है. 5 जून को समाप्त हफ्ते में पहली बार विदेशी मुद्रा भंडार ने इस मनोवैज्ञानिक स्तर को पार किया था. कोरोना संकट काल के बीच ये एक राहत की खबर है. अगर दूसरे देशों से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की तुलना करें तो चीन और जापान के बाद तीसरे स्थान पर पहुंच गया है.

अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, विदेशीमुद्रा भंडार में वृद्धि का कारण अधिक पूंजी निवेश होने के अलावा चालू खाता के घाटे का कम होना था. कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न व्यवधानों की वजह से कारोबारी गतिविधियों में सुस्ती आई है. विदेशी मुद्रा भंडार की यह जमा धनराशि एक वर्ष के आयात के खर्च के बराबर है.

एक तरफ विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ रुपया लगातार कमजोर हो रहा है. शुक्रवार को रुपया, डॉलर के मुकाबले छह पैसे टूटकर 76.20 विदेशी मुद्रा खाता खोलने पर बंद हुआ. आपको बता दें कि वैश्विक स्तर पर अधिकतर कारोबार डॉलर के जरिए होता है. ऐसे में अगर डॉलर मजबूत होता है तो किसी भी तरह के व्यापार के लिए रुपये ज्यादा खर्च करने पड़ते हैं.

मुद्रा कारोबारियों के मुताबिक अन्य वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने, भारत-चीन के बीच तनाव और कोरोना वायरस संक्रमितों की बढ़ती संख्या के चलते रुपये पर दबाव रहा. हालांकि घरेलू शेयर बाजारों से मिले समर्थन और नए विदेशी पूंजी के प्रवाह से स्थानीय मुद्रा में गिरावट पर अंकुश लगा.

Multi-Currency Account: 30 से अधिक करेंसीज में कर सकेंगे लेन-देन, स्टूडेंट्स और इंवेस्टर्स के लिए इस तरह बेहतर हैं ये अकाउंट्स

Multi-Currency Account: मल्टी-करेंसी अकाउंट के जरिए एक ही प्लेटफॉर्म के जरिए 30 से अधिक मुद्राओं में 180 से अधिक देशों में लेन-देन संभव होगा.

Multi-Currency Account: 30 से अधिक करेंसीज में कर सकेंगे लेन-देन, स्टूडेंट्स और इंवेस्टर्स के लिए इस तरह बेहतर हैं ये अकाउंट्स

विनवेस्टा के मल्टी-करेंसी अकाउंट को महज 50 डॉलर में ही अपने पैन और आधार के जरिए मिनटों में खुलवाया जा सकेगा.

Multi-Currency Account: अगर आप दुनिया के कई देशों में निवेश करते हैं तो करेंसी को लेकर एक समस्या खड़ी होती है. सभी देशों की अपनी मुद्राएं होती हैं जिसके चलते अलग-अलग खाते ऑपरेट करने होते हैं जिससे झंझट होती है. ऐसे में मल्टी-करेंसी अकाउंट एक बेहतर विकल्प के रूप में सामने आता है. ब्रिटिश फर्म विनवेस्टा ने भारत का पहला मल्टी-करेंसी अकाउंट लांच किया है जिससे अन्य देशों में निवेश कर रहे भारतीय निवेशकों को बहुत फायदा मिलेगा. इस खाते के जरिए अमेरिकी डॉलर, ब्रिटिश पाउंड और यूरो समेत दुनिया की 30 से अधिक मुद्राओं में लेन-देन किया जा सकेगा. इस खाते को मिनटों में ऑनलाइन खुलवाया जा सकेगा और इससे भारतीय एक ही प्लेटफॉर्म के जरिए दुनिया भर की 30 से अधिक मुद्राओं में पूंजी का लेन-देन कर सकेंगे और निवेश कर सकेंगे. सभी खाताधारकों के हर करेंसी के लिए यूनिक अकाउंट डिटेल्स मिलेगा जैसे कि आईबीएएन, स्विफ्ट कोड इत्यादि. कोई भी शख्स 180 से अधिक देशों को इन खातों के जरिए पैसे भेज सकता है या पा सकता है.

कई कामों में इस्तेमाल हो सकेगा मल्टी-करेंसी अकाउंट का

मल्टी-करेंसी अकाउंट का इस्तेमाल विदेशों में निवेश, विदेशों में पढ़ाई के लिए बचत, विदेशी आय प्राप्त करने या विदेश जाने से पहले कोई खाता खोलने के रूप में किया जा सकता है. स्टूडेंट्स बिना विजा, एसएसन या यूनिवर्सिटी के एडमिशन लेटर के बिना ही यह खाता खोल सकते हैं और जब वे विदेश जाते हैं तो इसका इस्तेमाल जारी रख सकते हैं.
यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि भारतीय नागरिक के लिए विदेशी मुद्रा में खाता खोलने के लिए क्या नियम हैं और इसके लिए विशेष अनुमति या प्रक्रिया का पालन करना होगा या नहीं? इसे विदेशी मुद्रा खाता खोलने लेकर विनवेस्टा के फाउंडर और सीईओ स्वास्तिक निगम का कहना है कि कोई भी भारतीय नागरिक हर साल आरबीआई के लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत 2.5 लाख डॉलर (18.7 करोड़ रुपये) का निवेश कर सकता है और जब तक इस सीमा के भीतर तक निवेश रहता है, किसी अतिरिक्त मंजूरी की जरूरत नहीं पड़ेगी.

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महज 50 डॉलर में मिनटों में खुलवा सकेंगे अकाउंट

लंबे समय तक विदेशी मुद्रा खाता खुलवाना किसी प्रिविलेज से कम नहीं था और कम से कम 50 हजार डॉलर चाहिए होते थे और कई महीनों तक खाता खुलने का इंतजार करना होता था. हालांकि अब विनवेस्टा के मल्टी-करेंसी अकाउंट को महज 50 डॉलर में ही अपने पैन और आधार के जरिए मिनटों में खुलवाया जा सकेगा. भारत से किसी अन्य खाते में पैसे में ट्रांसफर करने पर यह कुछ घंटे से लेकर 2 कारोबार दिवस के बीच यह क्रेडिट हो जाएगा.

विनवेस्टा के को-फाउंडर और प्रेसिडेंट प्रतीक जैन का कहना है कि अमेरिकी स्टॉक्स या ब्रिटिश प्रॉपर्टी में निवेश करने के लिए निवेशकों के पास विदेशी मुद्रा खाता होना जरूरी है. ऐसा नहीं होने पर पैसों को बार-बार एक मुद्रा से दूसरी मुद्रा में कंवर्जन करना होता है जिससे एक्सचेंज कॉस्ट के रूप में बड़ी राशि चुकानी होती है. खाते का पैसा यूके (यूनाइटेड किंगडम) के मनी रेगुलेशंस के जरिए सुरक्षित रहेगा और विनवेस्टा व ई-मनी इंस्टीट्यूशन इस पैसे का इस्तेमाल लेंडिंग के लिए नहीं कर सकेगी. कैश बार्सलेज जैसे बड़े बैंकों के पास सुरक्षित रहेगा.

मल्टी-करेंसी अकाउंट्स के फीचर्स

  • मल्टी-करेंसी अकाउंट खुलवाने के लिए एक बार में 399 रुपये की सेटअप फीस चुकानी होगी.
  • किसी भी पेमेंट के लिए 1 डॉलर का फ्लैट फीस चुकाना होगा और मासिक फीस 2.99 डॉलर है.
  • करेंसी कंवर्जन की फीस फिक्स्ड नही है लेकिन आने वाले पेमेंट्स पर कोई शुल्क नहीं देना होगा. इस प्रकार कोई शख्स फॉरेक्स से जुड़े खर्चों में 75 फीसदी तक की बचत कर सकता है.
  • सभी चार्जेज विदेशी मुद्रा खाता खोलने के बारे में प्राइसिंग प्लान में देख सकते हैं.
  • ग्राहक अगर अपने किसी मित्र को इस प्लेटफॉर्म पर इनवाइट करते हैं तो उन्हें एक साल का फ्री मेंबरशिप मिलेगा.
  • बेस प्लान के तहत कंपनी ने 5 हजार डॉलर प्रति ट्रांजैक्शन का लिमिट सेट किया है लेकिन हर दिन ट्रांजैक्शन की संख्या को लेकर कोई सीमा नहीं है.
  • विनवेस्टा के मल्टी-करेंसी अकाउंट को महज 50 डॉलर में ही अपने पैन और आधार के जरिए मिनटों में खुलवाया जा सकेगा.
  • भारत से किसी अन्य खाते में पैसे में ट्रांसफर करने पर यह कुछ घंटे से लेकर 2 कारोबार दिवस के बीच यह क्रेडिट हो जाएगा.
  • स्टूडेंट्स बिना विजा, एसएसन या यूनिवर्सिटी के एडमिशन लेटर के बिना ही यह खाता खोल सकते हैं और जब वे विदेश जाते हैं तो इसका इस्तेमाल जारी रख सकते हैं.
  • मल्टी-करेंसी अकाउंट के जरिए एक ही प्लेटफॉर्म के जरिए 30 से अधिक मुद्राओं में 180 से अधिक देशों में लेन-देन संभव होगा.

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अब रुपये का 'बॉस' नहीं रहेगा डॉलर, विदेशी लेनदेन भी भारतीय मुद्रा में होगा, कैसे काम करेगा आरबीआई का नया सिस्‍टम?

डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 79.45 के रिकॉर्ड निचले स्‍तर तक चला गया है.

डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 79.45 के रिकॉर्ड निचले स्‍तर तक चला गया है.

डॉलर के मुकाबले रुपये में आती कमजोरी को थामने के साथ व्‍यापार के मोर्चे पर अमेरिकी बादशाहत को चुनौती देने के लिए रिजर्व . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : July 12, 2022, 11:34 IST

हाइलाइट्स

भारत अपने आयात-निर्यात का सेटलमेंट रुपये में कर सकेगा.
नया सिस्‍टम फॉरेन एक्‍सचेंज मैनेजमेंट एक्‍ट (FEMA) के तहत बनाया जा रहा है.
भारत में अधिकृत बैंकों को वॉस्‍ट्रो खाते खोलने की इजाजत दी गई है.

नई दिल्‍ली. रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के साथ ही भारतीय मुद्रा पर अमेरिकी डॉलर का दबाव भी बढ़ने लगा. ग्‍लोबल मार्केट में तमाम प्रतिबंधों के बाद हालात ये बन गए कि डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्‍तर पर चला गया. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस समस्‍या से निपटने के लिए नया सिस्‍टम विकसित कर रहा है.

आरबीआई ने बताया है कि अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार भी रुपये में करने के लिए नया सिस्‍टम बनाया जा रहा है. डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में लगातार आ रही गिरावट और दुनिया की रुपये में बढ़ती दिलचस्‍पी को देखते हुए नया सिस्‍टम विकसित किया जा रहा है. इसके बाद भारत अपने आयात-निर्यात का सेटलमेंट रुपये में कर सकेगा और ग्‍लोबल ट्रेडिंग सिस्‍टम में डॉलर व अमेरिका का दबाव खत्‍म हो जाएगा.

अब नहीं होगा प्रतिबंधों का असर
आरबीआई का नया सिस्‍टम शुरू होने के बाद भारत पर अमेरिका सहित अन्‍य पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का असर खत्‍म हो जाएगा. ऐसा कई बार हुआ है जब अमेरिका ने किसी देश पर प्रतिबंध लगाया है और भारत को उसका खामियाजा भुगतना पड़ा है. ईरान से तनातनी के बीच जब अमेरिका ने उस पर प्रतिबंध लगाया तो भारत को इरान से कच्‍चा तेल खरीदने में काफी मुश्किल आई. इसी तरह, रूस-यूक्रेन के हालिया युद्ध की वजह से जब अमेरिका, यूरोप ने रूस पर प्रतिबंध लगाए तो भारतीय कंपनियां भी रूस के उत्‍पाद खरीदने में नाकाम रहीं.

इन प्रतिबंधों का भारत पर असर इसलिए ज्‍यादा होता था, क्‍योंकि ग्‍लोबल मार्केट में डॉलर में ही व्‍यापार का लेनदेन किया जाता है और प्रतिबंधों के कारण अमेरिकी डॉलर में लेनदेन भी बंद हो जाता है. इन परेशानियों से निजात पाने के लिए ही आरबीआई ग्‍लोबल मार्केट में सीधे रुपये में ट्रेडिंग का सिस्‍टम तैयार कर रहा है.

फॉरेक्‍स मार्केट से तय होगी दर
आरबीआई ने कहा है कि नया सिस्‍टम फॉरेन एक्‍सचेंज मैनेजमेंट एक्‍ट (FEMA) के तहत बनाया जा रहा है. इससे विदेश में होने वाले आयात और निर्यात के सभी सेटलमेंट रुपये में किए जा सकेंगे. रुपये की कीमत संबंधित देश की मुद्रा के ग्‍लोबल फॉरेक्‍स मार्केट में चल रहे भाव के आधार की तय की जाएगी और सौदे का सेटलमेंट भारतीय मुद्रा में ही किया जाएगा.

खोले जाएंगे विशेष खाते
रिजर्व बैंक के अनुसार, नया सिस्‍टम लागू करने के लिए भारत में अधिकृत बैंकों को वॉस्‍ट्रो खाते खोलने की इजाजत दी गई है. अब भारत का अधिकृत बैंक व्‍यापार से जुड़े देश के बैंक के साथ मिलकर रुपये का वॉस्‍ट्रो खाता खोल सकेगा. इससे भारतीय आयातकों और विदेशी सप्‍लायर्स का सेटलमेंट रुपये में हो सकेगा. इसी तरह, भारतीय निर्यातकों को संबंधित देश के बैंकों की ओर से खोले गए विशेष वॉस्‍ट्रो खाते से भुगतान किया जाएगा.

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स्विस बैंक में खाता खोलने के लिए क्या योग्यता होती है?

स्विस बैंक और काला धन ये दोनों शब्द भारत की राजनीति में कोहराम मचा देते हैं. अपुष्ट ख़बरों में कहा गया है कि भारतीयों द्वारा विदेशों में भारत के सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम 10% से लेकर 120% तक काला धन जमा है. लेकिन अब सवाल यह उठता है कि आखिर स्विट्ज़रलैंड की बैंकों में खाता खुलवाने के लिए कम से कम कितने रुपये की जरूरत पड़ती है? आइये इस लेख में जानते हैं.

Swiss Bank Account

काले धन की परिभाषा (Definition of Black Money)

काला धन वह धन होता है जिसकी एकाउंटिंग भारत सरकार के पास नहीं होती है और जिसे गैर कानूनी गतिविधियों के माध्यम से कमाया जाता है. अर्थात इस धन को कमाने वाले लोग भारत सरकार को कर नहीं देते हैं और इस इसलिए इस धन को काला धन कहा जाता है.
काला धन कमाने वाले लोग भारत सरकार की नजरों से इस धन को छुपाने के लिए इसे विदेशों में जमा कर देते हैं. इन देशों में स्विट्ज़रलैंड का नाम सबसे पहले आता है. आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि स्विस बैंक में खाता खोलने के लिए क्या योग्यता होनी जरूरी होती है?

वर्ष 1713 में जिनेवा में हुई “ग्रेट काउन्सिल ऑफ़ जेनेवा” की बैठक में बैंकों के लिए नियम बनाये गए कि वे अपने ग्राहकों की बैंक डिटेल को किसी अन्य व्यक्ति को नहीं देंगे. तभी से स्विस बैंक के खाते पूरी दुनिया में सबसे सुरक्षित खातों के रूप में मशहूर हो गये हैं. हालाँकि स्विट्ज़रलैंड की बैंकों में खाता आसानी से नहीं खुलता है.

स्विट्ज़रलैंड की बैंकों में कई प्रकार के खाते खोले जाते हैं जिनमें खाता खोलने की शर्तें और शुरूआती जमा राशि के साथ सुरक्षा के उपाय भी अलग अलग होते हैं. खाता धारक को किस प्रकार की सुरक्षा और लेनदेन की सुविधा प्रदान की जाएगी यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसने किस प्रकार का खाता खुलवाया है और कितनी राशि जमा की है.

आम तौर यह यहाँ पर नंबर खाता (numbered account) खाता खोला जाता है जिसमें लेनदेन बिना खाता धारक का नाम बताये ही हो जाता है. ज्यादातर बैंकों में खाता खुलवाने के लिए व्यक्ति को खुद वहां पर उपस्थित होना पड़ता है लेकिन कुछ बैंक ईमेल और फैक्स के माध्यम से भी खाता खोल देते हैं.

खाता खोलने की क्या योग्यता होनी चाहिए? (Eligibility to open account in Swiss Banks)

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) एक व्यक्ति को व्यापार करने के उद्देश्य से स्विस खाता खोलने की अनुमति देता है. अगर विदेशी मुद्रा खाता खोलने कोई भारतीय स्विस बैंक में खाता खोलना चाहता है तो उसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए. यदि स्विस बैंकों को यह लगता है कि खाता खोलने वाले व्यक्ति ने मनी विदेशी मुद्रा खाता खोलने लॉंडरिंग, भ्रष्टाचार या आतंकवाद जैसी अवैध गतिविधियों से धन कमाया है तो वह खाता खोलने से मना भी कर सकता है. स्विस बैंक में आप खाता लगभग किसी भी मुद्रा में खुलवा सकते हैं हालाँकि अधिकांश लोग स्विस फ़्रैंक, अमेरिकी डॉलर, यूरो या स्टर्लिंग में खाता खुलवाते हैं.

एक अनिवासी भारतीय जो बाद में निवासी भारतीय बन जाता है, बिना किसी दिक्कत के अंतरराष्ट्रीय बैंक खाते को संचालित कर सकता है.

मिनिमम बैलेंस कितना होना चाहिए? (Minimum balance for account opening in Swiss Bank)

स्विस बैंक में खाता खुलवाने के लिए न्यूनतम शेष राशि खाते के प्रकार (types of account) के हिसाब से भिन्न-भिन्न होती है (यानी, कुछ हज़ार डॉलर से दस लाख डॉलर या उससे अधिक). आम तौर पर कम से कम $100,000 की प्रारंभिक जमा की आवश्यकता होती है विदेशी मुद्रा खाता खोलने और खाताधारक को इस खाते के मेंटेनेंस के लिए प्रति वर्ष $ 300 या उससे अधिक राशि का खर्च भी सहन करना पड़ता है.

खाते से लेनदेन पर शुल्क:

किसी भी अन्य बैंक विदेशी मुद्रा खाता खोलने की तरह, स्विस बैंक भी बैंक में खोले गए खाते के लिए डेबिट / क्रेडिट या चेक सुविधा प्रदान करते हैं. हालांकि, व्यक्ति को अपने खाते की गोपनीयता को बरकरार रखने के लिए केवल यात्री चेक (Travelers checks) के माध्यम से लेनदेन करना चाहिए.

इसमें आपके लेनदेन के प्रकार के हिसाब से अलग-अलग शुल्क भी लगाया जाता है. जैसे एक साधारण खाते पर, अंतरराष्ट्रीय बैंक स्थानान्तरण (आउटगोइंग) की लागत हर लेन देन के लिए $3 या $ 4 हो सकती है. जब आप अपने खाते में अंतरराष्ट्रीय चेक जमा करते हैं तो वे $ 5 से $ 10 भी चार्ज कर सकते हैं.

खाता बंद करना: खाताधारक किसी भी प्रतिबंध या किसी भी शुल्क के बिना किसी भी समय खाते को बंद करने के लिए स्वतंत्र है.

खाते पर मिलने विदेशी मुद्रा खाता खोलने वाला ब्याज: (Interest Rate on Swiss Bank Account)

यदि खाताधारक अपने अकाउंट में स्विस फ़्रैंक में धन जमा करता है तो आपको थोडा सा ब्याज मिलेगा लेकिन स्विस मुद्रा रखने के कारण आपको टैक्स देना पड़ेगा. इस कारण से, अधिकांश खाताधारक जो स्विट्जरलैंड में नहीं रहते हैं, वे स्विस बैंक खाते में कुछ अन्य मुद्रा जैसे यू.एस. डॉलर, ब्रिटिश पाउंड या यूरो इत्यादि में जमा रखते हैं. ऐसा करने पर आपके पैसे को मनी मार्केट फंड में रखा जा सकता है और वहां ब्याज मिलेगा.

इस लेख में दी गयी डिटेल के आधार यह यह निष्कर्ष निकल रहा है कि इसमें केवल सफ़ेद धन ही जमा होता है लेकिन सच्चाई इसके उलट है और भारत के लोगों में यह धारणा बनी है कि जिसका भी अकाउंट स्विस बैंक में है उसके पास काला धन होगा ही.

Foreign Exchange Reserves: नौ सप्ताह बाद मिली राहत, विदेशी मुद्रा भंडार में आया उछाल, सोने में तेजी का मिला फायदा

Foreign Exchange Reserves: लगातार नौ सप्ताह की गिरावट के बाद विदेशी मुद्रा भंडार में सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 20.4 करोड़ डॉलर का उछाल दर्ज किया गया और यह 532.868 अरब डॉलर पर पंहुच गया.

Foreign Exchange Reserves: लगातार नौ सप्ताह तक विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई जिसके बाद बीते सप्ताह इसमें तेजी आई है. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 20.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 532.868 अरब डॉलर पर पंहुच गया. भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक सुरक्षित सोने के भंडार का मूल्य बढ़ने से विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई है. इसके पिछले हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.664 अरब डॉलर पर आ गया था.

अक्टूबर 2021 में डॉलर रिजर्व 645 बिलियन डॉलर था

देश का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले कई हफ्तों से लगातार गिर रहा था. दरअसल तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में डॉलर के मुकाबले तेजी से गिरते रुपए को संभालने के लिए आरबीआई ने इस विदेशी मुद्रा भंडार के एक हिस्से का इस्तेमाल किया है. एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था. आरबीआई की तरफ से जारी साप्ताहिक सांख्यिकीय आंकड़ों के अनुसार, सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 1.311 अरब डॉलर घटकर 471.496 अरब डॉलर रह गयीं. एफसीए असल में समग्र भंडार का एक प्रमुख हिस्सा होता है.

गोल्ड रिजर्व की वैल्यु बढ़कर 38.955 अरब डॉलर

डॉलर के संदर्भ में एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में वृद्धि विदेशी मुद्रा खाता खोलने या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल है. आरबीआई ने कहा कि सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में सोने के सुरक्षित भंडार के मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि होने से विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा है. इस दौरान सोने के सुरक्षित भंडार का मूल्य 1.35 अरब डॉलर बढ़कर 38.955 अरब डॉलर पर आ गया. केंद्रीय बैंक के अनुसार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 15.5 करोड़ डॉलर की गिरावट के साथ 17.582 अरब डॉलर रह गया है. इसके अलावा समीक्षाधीन सप्ताह में अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के पास रखी भारत की आरक्षित निधि 10 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.836 अरब अमेरिकी डॉलर हो गई.

रुपए पर अभी बना रहेगा दबाव

इधर डॉलर के मुकाबले रुपए के प्रदर्शन को लेकर मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के मुद्रा और सर्राफा विश्लेषक गौरांग सोमैया ने कहा, ‘‘अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपए के 82.10 से 82.6 प्रति डॉलर के दायरे में कारोबार करने की उम्मीद है.’’

डॉलर इंडेक्स फिर से 113 के पार

बीते सप्ताह डॉलर इंडेक्स 113.31 के स्तर पर बंद हुआ. आखिरी कारोबारी सत्र में तेल में गिरावट दर्ज की गई. ब्रेंट क्रूड बीते सप्ताह 91.63 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर बंद हुआ. WTI क्रूड 85.61 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर बंद हुआ. इसके अलावा, बीएसई सेंसेक्स शुक्रवार को 684 अंक या 1.20 फीसदी की मजबूती के साथ 57920 अंक पर पंहुचा गया तथा निफ्टी में भी 171.35 अंक की बढ़त रही.

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