• ट्रैक्टर, ऑटो-रिक्शा, टैक्सी, ट्रॉली, टिलर, माल परिवहन वाहनों, 3-पहिया, ई-रिक्शा, आदि जैसे कॉमर्शियल वाहनों की खरीद
  • सैलून, जिम, टेलरिंग की दुकानें, दवाई की दुकानें, मरम्मत की दुकानें और ड्राई क्लीनिंग और फोटोकॉपी की दुकानें आदि का व्यवसाय शुरू करना।
  • फूड और वस्त्र मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की गतिविधियाँ: संबंधित क्षेत्र में विभिन्न गतिविधियाँ
  • दुकानों, सेवा उद्यमों, व्यापार और व्यावसायिक गतिविधियों और गैर-कृषि आय सृजन गतिविधियों की स्थापना
  • छोटे व्यवसायों के लिए उपकरण फाइनेंस योजना: अधिकतम 10 लाख रु.
  • कृषि-क्लीनिक और कृषि व्यवसाय केंद्र, खाद्य और कृषि-प्रोसेसिंग इकाइयाँ, पोल्ट्री, मछली पालन, मधुमक्खी पालन, छँटाई, पशुधन-पालन, ग्रेडिंग, कृषि उद्योग, डायरी, मत्स्य पालन, आदि व्यवसायों से संबंधित गतिविधियाँ

भारत की करेंसी से आप इन देशों में भी कर सकते हैं शॉपिंग, जानिए किन देशों में मान्य है क्यों हम मुद्राओं को व्यापार कर सकते हैं रुपया

दुनिया के ज्यादातर देश अमेरिकी डॉलर में अपना बिजनेस करते हैं. लेकिन कई देश ऐसे भी हैं जहां भारतीय करेंसी को स्वीकार किया जाता है. आइए जानते हैं इनमें कौन-कौनसे देश शामिल है.

By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 14 Aug 2021 02:03 PM (IST)

अमेरिकी डॉलर को पूरी दुनिया में सबसे ताकतवर करेंसी के रूप में जाना जाता है. दुनिया के काफी सारे देश अमेरिकी डॉलर में ही अपना बिजनेस करते हैं. करीब 85 फीसदी बिजनेस डॉलर के जरिए ही होता है. इसलिए इसे इंटरनेशनल बिजनेस करेंसी भी कहा जाता है. लेकिन कई लोगों के जहन में ये सवाल अक्सर आता है कि क्या डॉलर की तरह भारतीय रुपया भी किसी देश में मान्य है या नहीं. अगर आपके मन में भी ये सवाल आता है तो आज हम आपको इसका जवाब देंगे. तो चलिए जानते हैं इसका जवाब क्या है.

इन देशों में चलती है इंडियन करेंसी
दरअसल दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां औपचारिक और अनौपचारिक तरीके से भारतीय करेंसी का इस्तेमाल किया जाता है. भारतीय रुपया बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और मालदीव के कई इलाकों में अनौपचारिक तौर पर स्वीकार किया जाता है. हालांकि इन देशों में भारतीय रुपये को लीगल करेंसी की मान्यता प्राप्त नहीं है. इन देशों में भारतीय करेंसी को स्वीकार इसलिए किया जाता है, क्योंकि भारत इन देशों को बड़ी मात्रा में सामान क्यों हम मुद्राओं को व्यापार कर सकते हैं का निर्यात करता है.

जिंबाब्वे में रुपया को माना जाता है लीगल
वहीं अब सवाल ये है कि क्या किसी देश में भारतीय रुपया को लीगल करेंसी के रूप में स्वीकार किया जाता है या नहीं, तो इसका जवाब है हां. दरअसल जिंबाब्वे में भारतीय करेंसी को लीगल तौर पर स्वीकार किया जाता है. साल 2009 में जिंबाब्वे ने अपनी स्थानीय मुद्रा, जिंबाब्वे डॉलर को त्याग दिया था. इसके पीछे वजह थी कि देश की करेंसी के कीमत में बहुत कमी आ गई. थी.

News Reels

साल 2014 से जिंबाब्वे में ली जाती है भारतीय करेंसी
साल 2009 के बाद जिंबाब्वे दूसरे देशों की करेंसी को अपने देश की करेंसी के रूप में लेने लगा. अभी यहां अमेरिकी डॉलर, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर, चीनी युआन, भारतीय रुपया, जापानी येन, दक्षिण अफ्रीकी रैंड और ब्रिटिश पाउंड को पेमेंट के रूप में स्वीकार किया जाता है. साल 2014 में भारत की करेंसी रुपया को जिंबाब्वे में लीगल करेंसी के रूप में यूज किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें

Published at : 14 Aug 2021 02:02 PM (IST) Tags: Rupee Indian currency Indian currency used in these countries हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

भारत की करेंसी से आप इन देशों में भी कर सकते हैं शॉपिंग, जानिए किन देशों में मान्य है रुपया

दुनिया के ज्यादातर देश अमेरिकी डॉलर में अपना बिजनेस करते हैं. लेकिन कई देश ऐसे भी हैं जहां भारतीय करेंसी को स्वीकार किया जाता है. आइए जानते हैं इनमें कौन-कौनसे देश शामिल है.

By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 14 Aug 2021 02:03 PM (IST)

अमेरिकी डॉलर को पूरी दुनिया में सबसे ताकतवर करेंसी के रूप में जाना जाता है. दुनिया के काफी सारे देश अमेरिकी डॉलर में ही अपना बिजनेस करते हैं. करीब 85 फीसदी बिजनेस डॉलर के जरिए ही होता है. इसलिए इसे इंटरनेशनल बिजनेस करेंसी भी कहा जाता है. लेकिन कई लोगों के जहन में ये सवाल अक्सर आता है कि क्या डॉलर की तरह भारतीय रुपया भी किसी देश में मान्य है या नहीं. अगर आपके मन में भी ये सवाल आता है तो आज हम आपको इसका जवाब देंगे. तो चलिए जानते हैं इसका जवाब क्या है.

इन देशों में चलती है इंडियन करेंसी
दरअसल दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां औपचारिक और अनौपचारिक तरीके से भारतीय करेंसी का इस्तेमाल किया जाता है. भारतीय रुपया बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और मालदीव के कई इलाकों में अनौपचारिक तौर पर स्वीकार किया जाता है. हालांकि इन देशों में भारतीय रुपये को लीगल करेंसी की मान्यता प्राप्त नहीं है. इन देशों में भारतीय करेंसी को स्वीकार इसलिए किया जाता है, क्योंकि भारत इन देशों को बड़ी मात्रा में सामान का निर्यात करता है.

जिंबाब्वे में रुपया को माना जाता है लीगल
वहीं अब सवाल ये क्यों हम मुद्राओं को व्यापार कर सकते हैं है कि क्या किसी देश में भारतीय रुपया को लीगल करेंसी के रूप में स्वीकार किया जाता है या नहीं, तो इसका जवाब है हां. दरअसल जिंबाब्वे में भारतीय करेंसी को लीगल तौर पर स्वीकार किया जाता है. साल 2009 में जिंबाब्वे ने अपनी स्थानीय मुद्रा, जिंबाब्वे डॉलर को त्याग दिया था. इसके पीछे वजह थी कि देश की करेंसी के कीमत में बहुत कमी आ गई. थी.

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साल 2014 से जिंबाब्वे में ली जाती है भारतीय करेंसी
साल 2009 के बाद जिंबाब्वे दूसरे देशों की करेंसी को अपने देश की करेंसी के रूप में लेने लगा. अभी यहां अमेरिकी डॉलर, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर, चीनी युआन, भारतीय रुपया, जापानी येन, दक्षिण अफ्रीकी रैंड और ब्रिटिश पाउंड को पेमेंट के रूप में स्वीकार किया जाता है. साल 2014 में भारत की करेंसी रुपया को जिंबाब्वे में लीगल करेंसी के रूप में यूज किया जा रहा है.

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Published at : 14 Aug 2021 02:02 PM (IST) Tags: Rupee Indian currency Indian currency used in these countries हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

Mudra Loan: बिना गारंटी 10 लाख तक का लोन पाने के लिए आवेदन के साथ लगने वाले ये हैं जरूरी डाक्यूमेंट्स, बैंक करे इनकार तो यहां करें कंप्लेन

अगर आपके पास है एक बिजनेस प्लान और नहीं है कोई पूंजी और लोन के लिए नहीं मिल रहा कोई गारंटर तो प्रधानमंत्री मुद्रा लोन आपकी सारी चिंताओं को दूर कर देगा।प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत तीन तरह आपको 10.

Mudra Loan: बिना गारंटी 10 लाख तक का लोन पाने के लिए आवेदन के साथ लगने वाले ये हैं जरूरी डाक्यूमेंट्स, बैंक करे इनकार तो यहां करें कंप्लेन

अगर आपके पास है एक बिजनेस प्लान और नहीं है कोई पूंजी और लोन के लिए नहीं मिल रहा कोई गारंटर तो प्रधानमंत्री मुद्रा लोन आपकी सारी चिंताओं को दूर कर देगा।प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत तीन तरह आपको 10 लाख रुपये तक का लोन मिल सकता है। आप अपनी जरूरत के हिसाब से शिशु, किशोर और तरूण लोन के तहत बैंक में आवेदन कर सकते हैं।

शिशु लोन

अगर आप अपना व्यवसाय शुरू कर रहे हैं और आर्थिक मदद की तलाश कर रहे हैं तो इसके तहत अधिकतम 50,000 रुपये का लोन ले सकते हैं। 5 वर्ष की पुनर्भुगतान अवधि के साथ इसकी ब्याज दर 10% से 12% सालाना है।

किशोर लोन

अगर आपका व्यवसाय पहले ही शुरू हो चुका है , लेकिन अभी तक स्थापित नहीं हुआ है तो इसके तहत आप 50,000 से 5 लाख रुपये के बीच लोन ले सकते हैं। ब्याज की दर लोन देने वाली संस्था के आधार पर अलग-अलग होती है। व्यवसाय की योजना के साथ-साथ आवेदक का क्रेडिट रिकॉर्ड ब्याज दर तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।लोन भुगतान की अवधि बैंक द्वारा तय की जाती है।

तरुण लोन

यह लोन उन लोगों के लिए है, जिनका व्यापर स्थापित हो चुका हो और उसे बढ़ाने और संपत्ति की खरीद के लिए धन की आवश्यकता हो, इसमें लोन की राशि 5 लाख से 10 लाख के बीच है। ब्याज दर और भुगतान की अवधि योजना और आवेदक के क्रेडिट रिकॉर्ड पर आधारित होती है।

मुद्रा लोन की विशेषताएं

ब्याज दर: अलग-अलग बैंक में अलग-अलग
गारंटी / सुरक्षा: आवश्यक नहीं है
न्यूनतम लोन राशि: तय नहीं
अधिकतम लोन राशि: 10 लाख तक
पुनर्भुगतान अवधि : 3 साल से 5 साल तक
प्रोसेसिंग फीस: शून्य
मुद्रा योजना के प्रकार: शिशु, किशोर और तरुण
मुद्रा योजना का लाभ : केवल मैन्यूफैक्चरिंग, व्यापार और सर्विस सेक्टर में लगे व्यक्तियों, SME, MSME, व्यवसायों द्वारा लिया जा सकता है।

इन गतिविधियों के लिए उठाया जा सकता है मुद्रा योजना का लाभ

  • ट्रैक्टर, ऑटो-रिक्शा, टैक्सी, ट्रॉली, टिलर, माल परिवहन वाहनों, 3-पहिया, ई-रिक्शा, आदि जैसे कॉमर्शियल वाहनों की खरीद
  • सैलून, जिम, टेलरिंग की दुकानें, दवाई की दुकानें, मरम्मत की दुकानें और ड्राई क्लीनिंग और फोटोकॉपी की दुकानें आदि का व्यवसाय शुरू करना।
  • फूड और वस्त्र मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की गतिविधियाँ: संबंधित क्षेत्र में विभिन्न गतिविधियाँ
  • दुकानों, सेवा उद्यमों, व्यापार और व्यावसायिक गतिविधियों और गैर-कृषि आय सृजन गतिविधियों की स्थापना
  • छोटे व्यवसायों के लिए उपकरण फाइनेंस योजना: अधिकतम 10 लाख रु.
  • कृषि-क्लीनिक और कृषि व्यवसाय केंद्र, खाद्य और कृषि-प्रोसेसिंग इकाइयाँ, पोल्ट्री, मछली पालन, मधुमक्खी पालन, छँटाई, पशुधन-पालन, ग्रेडिंग, कृषि उद्योग, डायरी, मत्स्य पालन, आदि व्यवसायों से संबंधित गतिविधियाँ


Mudra Loan के लिए आवश्यक दस्तावेज

  • बिज़नेस प्लान
  • एप्लीकेशन फॉर्म
  • यदि लागू हो तो आवेदक और सह-आवेदक की पासपोर्ट साइज़ की तस्वीरें
  • आवेदक और सह-आवेदकों के केवाईसी दस्तावेज
  • पहचान का प्रमाण (आधार कार्ड / मतदाता पहचान पत्र / पासपोर्ट / ड्राइविंग लाइसेंस, आदि)
  • निवास का प्रमाण (आधार कार्ड / मतदाता पहचान पत्र / पासपोर्ट / टेलीफोन बिल / बैंक विवरण, आदि)
  • इनकम प्रूफ, जैसे कि आईटीआर, सेल्स टैक्स रिटर्न, लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन, इत्यादि
  • एक विशेष श्रेणी, जैसे कि एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक, आदि (यदि लागू हो) का प्रमाण
  • व्यवसाय का पता और कार्यकाल प्रमाण, यदि लागू हो
  • रजिस्ट्रेशन, लाइसेंस या प्रमाण पत्र (यदि कोई हो तो)

लेकिन इन सब के बावजूद हकीकत ये है कि गांव-कस्बों यहां तक छोटे शहरों के बैंकों से इस लोन को पाना टेढ़ी खीर है। मुद्रा लोन आसानी से नहीं मिलता। बैंक अक्सर मुद्रा लोन देने में आनाकानी करते हैं। अगर आप भी बैंकों के रवैये से त्रस्त हैं तो हम आपको वे नंबर और ई-मेल आईडी दे रहे हैं, जिनपर मुद्रा लोन नहीं देने वाले बैंकों की शिकायत की जा सकती है।

ये हैं उन अधिकारियों के नंबर और ई-मेल आईडी, जिनपर की जा सकती है शिकयत

मुद्रा के लिए ब्याज दरें इतनी महत्वपूर्ण क्यों हैं?

नौसिखिया विदेशी मुद्रा व्यापारी जल्द ही सीखना शुरू कर देते हैं कि तकनीकी विश्लेषण के अलावा, मौलिक विश्लेषण एक मुद्रा की ताकत का बहुत बड़ा चालक है। यदि आपने तकनीकी बनाम मौलिक विश्लेषण पर मेरी पिछली ब्लॉग पोस्ट नहीं पढ़ी है, तो इसे यहां देखें: तकनीकी विश्लेषण बनाम मौलिक विश्लेषण। आप में से जिन लोगों ने इसे पढ़ा है, उनके लिए आपको बस इतना पता होगा कि रोजगार, जीडीपी और ब्याज दर जैसे महत्वपूर्ण आर्थिक मापदंड एक राष्ट्र की मुद्रा के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। ब्याज दरों को सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक माना जाता है जो मुद्रा की कथित ताकत का संकेत देते हैं।

यही कारण है कि ब्याज दरों जैसी चीजों पर देश के केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति निर्णयों को जानने के लिए विदेशी मुद्रा व्यापारी के रूप में यह महत्वपूर्ण है। एक मुद्रा की तकनीकी और मौलिक भावना दोनों को जानने से आपको उच्च संभावित ट्रेडों में प्रवेश करने में मदद मिल सकती है।

तो क्या एक प्रमुख निर्धारक है कि क्या राष्ट्र ब्याज दरों में कटौती करता है या उन्हें बढ़ाता है? मुद्रास्फीति की दर!

मुद्रास्फीति समय-समय पर वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती कीमत है। क्या आपको याद है कि 10 साल पहले पॉप का कैन एक डॉलर से कम था? अब यह आपको कुछ खर्च कर सकता है। यह मुद्रास्फीति है, और यह अर्थव्यवस्था के लिए स्वस्थ है, बेशक। यह अर्थशास्त्रियों के बीच एक आम धारणा है कि मुद्रास्फीति की एक मध्यम मात्रा में आर्थिक विकास होता है।

बहुत अधिक मुद्रास्फीति विपरीत कर सकती है, और वास्तव में आर्थिक विकास को धीमा कर देती है। यही कारण है कि केंद्रीय बैंकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) और व्यक्तिगत उपभोग व्यय जैसे मुद्रास्फीति से जुड़े संकेतकों की निगरानी करना महत्वपूर्ण है।

आइए कुछ उदाहरणों के माध्यम से चलते हैं, जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ब्याज दरें बढ़ाने और काटने के क्या प्रभाव हैं।

मुद्रास्फीति को एक आरामदायक स्तर पर रखने के लिए, बैंक आमतौर पर दरों में वृद्धि करेंगे। क्यों? ठीक है, जब आप दरों में वृद्धि करते हैं, तो उपभोक्ता और व्यवसाय पैसे बचाने के लिए अधिक इच्छुक होते हैं और उधार नहीं लेते हैं। इसके परिणामस्वरूप कम समग्र आर्थिक विकास होता है, और इस प्रकार मुद्रास्फीति में कमी आती है।

इसके विपरीत, ब्याज दरों में कमी, उपभोक्ताओं और व्यवसायों को खर्च करने और अधिक उधार लेने की ओर ले जाती है। यह संभव है क्योंकि जब ब्याज दरों में कटौती की जाती है, तो बैंक उधार आवश्यकताओं को कम करते हैं। यह सब "अत्यधिक" खर्च करने से एक मजबूत, बढ़ती अर्थव्यवस्था में परिणाम होता है, जिससे बढ़ती हुई मुद्रास्फीति होती है।

तो इस सब का क्या मतलब है? मैं आपको वास्तविक जीवन का उदाहरण देता हूं। मान लीजिए कि आपके घर के पास एक नया बैंक खुल गया है। उन्होंने आपको बचत खाते के बीच प्रति माह 5% ब्याज बनाम प्रति माह 1% ब्याज के साथ एक विकल्प दिया। आप किस बचत खाते में अपना पैसा निवेश करेंगे? 5% के साथ एक, सही? कारण, आपको अपने निवेश पर अधिक रिटर्न (5% / माह बनाम 1% / महीना) मिल रहा है। मुद्राओं पर भी यही विचार लागू होता है। सरल शब्दों में, यह है कि वैश्विक बाजार किसी देश की मुद्रा की ताकत का निर्धारण कैसे करते हैं। सामान्य तौर पर, देश की ब्याज दर जितनी अधिक होगी, मुद्रा समय के साथ मजबूत होगी और इसके विपरीत। बहुत अधिक आर्थिक विस्तार के बिना, यह इस तरह से है कि वैश्विक बाजार मुद्राओं की ताकत का अनुभव करते हैं।

अगली बार जब आप चार्ट पर होते हैं और किसी व्यापार में प्रवेश करने के लिए तैयार होते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप दोनों मुद्राओं के लिए समग्र मौद्रिक नीति की जाँच करें, यह न केवल एक उच्च संभावित व्यापार सुनिश्चित करेगा, बल्कि केंद्रीय बैंक के भाषणों के दौरान आपको किसी भी अप्रत्याशित आश्चर्य से भी बचाएगा। ।

लगातार चौथे हफ्ते घटा विदेशी मुद्रा भंडार, जानिये क्यों घरेलू अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ेगा गिरावट का असर

Forex Reserve-पहली अप्रैल को खत्म हफ्ते में रिजर्व 11 अरब डॉलर घटा था, वहीं 25 मार्च को खत्म हफ्ते में रिजर्व 2.03 अरब डॉलर, 18 मार्च को 2.59 अरब डॉलर और 11 मार्च को 9.64 अरब डॉलर घटा है. रिजर्व में ये गिरावट दुनिया भर में जारी अनिश्चितता की वजह से देखने को मिली है.

लगातार चौथे हफ्ते घटा विदेशी मुद्रा भंडार, जानिये क्यों घरेलू अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ेगा गिरावट का असर

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) में लगातार चौथे हफ्ते गिरावट देखने को मिली है. इस 4 हफ्ते में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 25 अरब डॉलर से भी ज्यादा घट गया. दुनिया भर में आयात पर निर्भर देशों के विदेशी मुद्रा भंडार पर रूस यूक्रेन संकट (Russia Ukraine Crisis) का असर देखने को मिल रहा है. दरअसल कमोडिटी कीमतों में तेजी से देशों का बिल तेजी से बढ़ रहा है और आयात (Import) पर निर्भर देशों के खजाने पर इसका सीधा असर है. भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान और श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार काफी नीचे पहुंच चुका है और इसकी वजह से इन देशों की अर्थव्यवस्थाएं लगातार डूबती जा रही है. हालांकि भारत की स्थिति कहीं ज्यादा बेहतर है. आइये आज हम आपको बताते हैं कि विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का किसी देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर देखने को मिलता है. और क्यों भारत मजबूत स्थिति में है.

क्यों भारत पर नहीं होगा कोई खास असर

4 हफ्तों की गिरावट के बाद भी भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर के ऊपर है. खास बात ये है कि कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के साथ बीते वित्त वर्ष में भारत का आयात बिल रिकॉर्ड 600 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. यानि रिजर्व घटने और कच्चे तेल में उछाल की स्थितियों के बीच भी भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक साल के आयात बिल के बराबर है. खास बात ये है कि इसी बीच भारत का एक्सपोर्ट भी 400 अरब डॉलर के स्तर को पार कर गया है. यानि अगर सीधी गणित के हिसाब से भी देंखें तो रिजर्व का मौजूदा आंकड़ा आयात निर्यात के अंतर को अगले 3 साल तक पूरा कर सकता है. यानि कुल मिलाकर इंटरनेशनल ट्रेड में भारत की स्थिति अपने विदेशी मुद्रा भंडार की वजह से काफी मजबूत है. और यही वजह है कि रिजर्व बैंक के पास करंसी में हस्तक्षेप करने के पूरे मौके भी बने हुए हैं. उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में निर्यात बढ़ने और कच्चे तेल में नरमी से आयात बिल घटने के साथ एक बार फिर देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने लगेगा.

क्या होता है विदेशी मुद्रा भंडार का फायदा

दुनिया भर में कारोबार कई अलग अलग करंसी में होते हैं जिनके एक्सचेंज रेट्स लगातार बदलते रहते हैं. एक्सचेंज रेट्स इस बात पर तय होते हैं कि बाजार में किसी खास करंसी की मांग के मुकाबले सप्लाई कितनी होती है. देश के सेंट्रल बैंक ऊंचे फॉरेन रिजर्व की मदद से हस्तक्षेप क्यों हम मुद्राओं को व्यापार कर सकते हैं के जरिये अपनी करंसी को किसी आपात स्थिति में एक सीमा से ज्यादा टूटने से बचा सकते हैं. बीते माह 11 मार्च को खत्म हुए सप्ताह में रिजर्व बैंक ने ऐसे क्यों हम मुद्राओं को व्यापार कर सकते हैं ही डॉलर की सप्लाई को बढ़ा कर रुपये को एक सीमा से ज्यादा टूटने से रोक लिया था. इसके साथ निर्यात आधारित किसी देश के लिये भुगतान को समय पर चुकाने की क्षमता उसे आसानी से कारोबार करते रहने की सुविधा देती है. साथ ही ग्लोबल ट्रेड में उस अर्थव्यवस्था को लेकर भरोसा भी बढ़ता है. ऊंचे विदेशी मुद्रा भंडार से रूस यूक्रेन जैसे किसी संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्थाएं किसी भी तेज उतार-चढ़ाव का झटका आसानी से सहन कर सकती हैं.

क्या हो अगर विदेशी मुद्रा भंडार घट जाए

इसका उदाहरण हम पाकिस्तान और श्रीलंका में देख रहे हैं. इन दोनों देशों के कुल विदेशी मुद्रा भंडार करीब करीब इतने ही हैं जितनी गिरावट भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में एक महीने के दौरान देखने को मिली है. विदेशी मुद्रा भंडार घटने के साथ देश अपनी करंसी को बचाने के लिये हस्तक्षेप का मौका गंवा देते हैं. इसी वजह से दोनों देशों की करंसी डॉलर के मुकाबले लगातार टूट रही है. जिससे आयात और कर्ज भुगतान और महंगे होते जा रहे हैं. इसके साथ ही ऐसे देश जरूरी आयात बिल चुकाने में असमर्थ होने पर दूसरे देशों से ऊंची दरों पर कर्ज लेते हैं इससे देश की आय का बड़ा हिस्सा ब्याज और कर्ज चुकाने के लिये खर्च होने लगता है. पिछले महीने ही पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में एक हफ्ते के दौरान ही करीब 3 अरब डॉलर की गिरावट देखने को मिली थी. जो कि उसके द्वारा चीन को कर्ज से जुड़ा भुगतान करने की वजह से दर्ज हुई थी. कर्ज भुगतान बढ़ने और कमजोर करंसी की वजह से देश की आय का अधिकांश हिस्सा देश से बाहर जाने लगता है और घरेलू अर्थव्यवस्था के लिये स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण बन जाती है.

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