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जो व्यापार विदेशों के साथ किया जाता है उसे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं। दुनिया का कोई भी देश हर समय सभी संसाधनों में आत्मनिर्भर नहीं है, यही वजह है कि हर देश अंतरराष्ट्रीय व्यापार करता है। वस्तुओं और सेवाओं की मांग समय के साथ बदलती है, यही कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की प्रकृति भी बदलती रहती है।

भारत के अंतरराष्ट्रीय व्यापार की बदलती प्रकृति निम्नलिखित हैं:

वर्ष 1950-51 में भारत का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार 1,214 करोड़ रूपए की थी जो वर्ष 2016-17 में यह बढ़कर 44.30 लाख करोड़ रूपए हो गया।

1970 के दशक से पहले, भारत में बहुत सारे कृषि उत्पादों का आयात किया जाता था; 1970 के दशक के बाद, हरित क्रांति की सफलता के बाद, कृषि और संबद्ध वस्तुओं के आयात में गिरावट आई है। भारत अब कई देशों को चावल, और गेहूं जैसी कई कृषि वस्तुओं का निर्यात कर रहा है।

1980 के दशक से पहले विनिर्माण वस्तुओं का निर्यात में हिस्सा नगण्य था; एलपीजी सुधार के बाद हम कई विनिर्माण वस्तुओं का निर्यात करते हैं और विनिर्मित वस्तुओं का 2017-18 में कुल निर्यात मूल्यों का 74.6% हिस्सा है।

1973 के ऊर्जा संकट के बाद और भारत में औद्योगीकरण के विकास और जीवन स्तर में सुधार के कारण पेट्रोलियम और कच्चे तेल के आयात में भारी वृद्धि हुई है और देश में सबसे ज्यादा आयातित वस्तुओं में पट्रोलियम का हिस्सा सबसे ज्यादा हैं

हरित क्रांति के बाद उर्वरकों की मांग बढ़ने से हम इस्राएल जैसे देशो से इसे आयात करते हैं।

2016-17 के आंकड़ों के अनुसार, शीर्ष चार व्यापारी टिप्पणी आयात वस्तुएं हैं- पेट्रोलियम आइटम, अलौह धातु, मोती-कीमती-धातु और रासायनिक उत्पाद।

एशिया और आसियान भारत के प्रमुख व्यापारिक भागीदार हैं और लैटिन अमेरिका भारत का सबसे कम व्यापारिक भागीदार है।

वीजा पर टिप्पणियों के कारण भारत-ब्रिटेन व्यापार समझौता टूटने के कगार पर: रिपोर्ट

ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन. ( फाइल फोटो)

ब्रिटेन (Britain) की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन द्वारा वीजा (Visa) पर की गई टिप्पणियों से भारत सरकार (Government of Ind . अधिक व्यापारी टिप्पणी पढ़ें

  • भाषा
  • Last Updated : October 12, 2022, 23:29 IST

हाइलाइट्स

ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने वीजा पर की टिप्पणियां
भारत ने कहा- अपमानजनक टिप्‍पणी से हैरान और निराश
भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता टूटने की कगार पर

लंदन . ब्रिटेन (Britain) की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन द्वारा वीजा (Visa) पर की गई टिप्पणियों से भारत सरकार (Government of India) के नाराज होने के बाद भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) कथित तौर पर टूटने की कगार पर है. ब्रिटेन की एक मीडिया रिपोर्ट ने व्यापारी टिप्पणी बुधवार को यह दावा किया गया. ‘द टाइम्स’ अखबार ने सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा कि भारत ब्रेवरमैन द्वारा की गई ‘अपमानजनक’ टिप्पणी से ‘हैरान और निराश’ है. मंत्री ने एफटीए के तहत भारत के लिए ‘खुली सीमाओं’ की पेशकश किए जाने पर चिंता जताई थी.

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एफटीए के लिए इस साल दिवाली की समयसीमा तय की थी. हालांकि, अब इस समय तक समझौता होने की संभावना कम होती जा रही है. समाचार पत्र ने एक सूत्र के हवाले से कहा, ‘अभी भी काफी सद्भाव है, लेकिन (ब्रिटेन) सरकार में शामिल कुछ व्यक्ति अभी भी बने रहे, तो यह बातचीत टूट सकती है.’ पिछले हफ्ते भारतीय मूल की ब्रेवरमैन ने एक साक्षात्कार में कहा था कि उन्हें डर है कि भारत के साथ व्यापार समझौते से ब्रिटेन में आने वाले भारतीयों की संख्या बढ़ सकती है. उन्होंने कहा था, ‘मुझे भारत के साथ खुली सीमाओं वाली आव्रजन नीति को लेकर आपत्ति है क्योंकि मुझे नहीं लगता कि लोगों ने इसके लिए ब्रेक्जिट के पक्ष में मतदान किया था.’

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व्यापारी वर्ग डिजिटल बनने को उत्सुक, लेकिन विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां बड़ी बाधा

नई दिल्ली। भारत के बाजार (India market) में ई-कॉमर्स (e-commerce) का तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। बड़े से बड़े इंटरनेशनल ब्रांड (big international brands) की चीजें आसानी से ऑनलाइन मिल रही हैं लेकिन भारत में तैयार और दुकानों पर मिलने वाला लोकल समान ऑनलाइन (local stuff online) मिलने में अभी मुश्किलें आ व्यापारी टिप्पणी रही है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders (CAIT)) की रिसर्च शाखा ने रविवार को अपने सर्वे रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है।

कैट के रिसर्च शाखा कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी की सर्वे रिपोर्ट व्यापारी टिप्पणी के मुताबिक देशभर के व्यापारियों ने ई-कॉमर्स को व्यापार के एक अतिरिक्त विकल्प के रूप में अपनाने की इच्छा जाहिर की है, लेकिन ज्यादातर व्यापारियों को लगता है कि ऑनलाइन माल बेचने के लिए विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों की जारी कुप्रथाओं और नियमों के घोर उल्लंघन तथा ई-कॉमर्स पर व्यापार करने के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण का होना एक बड़ी रुकावट है। दरअसल, वर्ष 2021 में भारत में 55 बिलियन डॉलर का ई-कॉमर्स व्यापार हुआ, जिसका वर्ष 2026 तक 120 बिलियन डॉलर तथा वर्ष 2030 तक 350 बिलियन डॉलर होने की संभावना है।

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कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी ने हाल ही में देश के विभिन्न राज्यों के टियर-2 और टियर-3 जैसे 40 शहरों में एक ऑनलाइन सर्वे किया है। इस सर्वे में करीब 5 हजार व्यापारियों को शामिल किया गया, जिसमें यह बात निकल कर सामने आई है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि ऑनलाइन सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक 78 फीसदी व्यापारियों ने कहा कि भारत में व्यापारियों के लिए अपने मौजूदा कारोबार के अलावा ई-कॉमर्स को भी व्यापार का एक अतिरिक्त तरीका बनाना जरूरी है, जबकि 80 फीसदी व्यापारियों का कहना है कि ई-कॉमर्स पर व्यापार करने के लिए जीएसटी पंजीकरण की अनिवार्यता छोटे व्यापारियों के लिए एक बड़ी बाधा है। वहीं, 92 फीसदी छोटे व्यापारियों ने कहा कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां ऑनलाइन कारोबार के जरिए देश के रिटेल व्यापार पर नियमों एवं कानूनों की खुली धज्जियां उड़ाते हुए ग्राहकों को भरमा रही हैं।

खंडेलवाल ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 92 फीसदी व्यापारियों ने कहा कि देश में ई- कॉमर्स व्यापार को निष्पक्ष एवं पारदर्शी बनाने के लिए ई-कॉमर्स नीति एवं ई-कॉमर्स से संबंधित उपभोक्ता क़ानून को संशोधित कर तुरंत लागू करना जरूरी है, जबकि 94 फीसदी व्यापारियों ने कहा कि भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय को जिम्मेदार बनाने के लिए एक मजबूत मॉनिटरिंग अथॉरिटी का गठन अत्यंत जरूरी है। वहीं, 72 फीसदी व्यापारियों ने अपना मत व्यक्त करते हुए कहा कि खुदरा क्षेत्र में वर्तमान एफडीआई नीति में आवश्यक संशोधन करना जरूरी है, ताकि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के मनमानी पर तुरंत रोक लग सके। उन्होंने कह कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां व्यापारियों के कारोबार को बड़ी क्षति पहुंचा कर एकतरफा प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाये हुए है।

कैट महामंत्री ने कहा कि यह बेहद ही अफसोस की बात है कि जहां रिटेल ट्रेड पर अनेक प्रकार के क़ानून लागू हैं। वहीँ, ई-कॉमर्स व्यापार सभी प्रकार के प्रतिबंधों से पूरी तरह मुक्त है, जिससे किसी भी कानून की परवाह किए बिना कोई भी ई-कॉमर्स कंपनी कोई भी व्यापार करने के लिए स्वतंत्र है। उन्होंने कहा कि एक बेहद सोची समझी साजिश के तहत विदेश धन प्राप्त कंपनियां न केवल सामान, बल्कि सेवाओं के क्षेत्र जिनमें ट्रेवल, टूरिज्म, पैक्ड खाद्य सामान, किराना, मोबाइल, कंप्यूटर, गिफ्ट आइटम्स, रेडीमेड गारमेंट्स, कैब व्यापारी टिप्पणी सर्विस, लॉजिस्टिक्स आदि सेक्टर में अपना वर्चस्व बनाकर भारतीय व्यापारियों के कारोबार पर कब्जा कर उसको नष्ट करने पर तुली हुई है। उन्होंने कहा कि वास्तव में उनका कोई व्यापार का मॉडल नहीं है, बल्कि पूर्ण रूप से वैल्यूएशन मॉडल है, जो देश की अर्थव्यवस्था और व्यापार के लिए बेहद घातक है। खंडेलवाल ने कि कहा कि बहुत ही आश्चर्य की बात है कि प्रति वर्ष हजारों करोड़ रुपये का नुकसान देने के बाद भी विदेश धन पोषित कंपनियां अपना व्यापार कर रही हैं।

खंडेलवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में अंतिम व्यक्ति को भी डिजिटल प्रौद्योगिकी अपनाने और स्वीकार करने पर जोर दिया है, लेकिन ई-कॉमर्स पर सामान बेचने के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण की शर्त छोटे व्यापारियों के लिए ई-कॉमर्स व्यापार करने के लिए एक बहुत बड़ी बाधा है। छोटे व्यापारियों के लिए अपने व्यवसाय को व्यापक बनाने में ई-कॉमर्स का लाभ उठाने की सुविधा के लिए इस शर्त को समाप्त करने की जरूरत है। इस संबंध में कैट शीघ्र ही केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, जो स्वयं छोटे व्यापारियों के बड़े पैरोकार हैं और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भी मिलेगा और दोनों विषयों को समाधान शीघ्र निकालने का आग्रह करेगा। क्योंकि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों का व्यापार का यह कौन सा मॉडल है, यह समझना बहुत जरूरी है। (एजेंसी, हि.स.)

न्यायिक जांच की मांग: व्यापारी वर्ग ने जेएनयू प्रबंधन के खिलाफ खोला मोर्चा, गांधी चौराहे पर नारेबाजी कर फूंका पुतला

शहर के गांधी चौराहे पर गुरुवार शाम 5 बजे जैन समाज के लोगों ने जेएनयू प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर पुतला फूंका। इस दौरान व्यापारी वर्ग के लोगों ने जेएनयू की दीवारों पर ब्राह्मणों और बनियों के खिलाफ लिखी गई अभद्र टिप्पणी को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।

व्यवसाई अभय भदौरा ने कहा कि देश के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान जेएनयू में ब्राह्मणों और बनियों के खिलाफ द्वेष पूर्ण तरीके से अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया। जिसकी समस्त व्यापारी घोर निंदा करते हैं। बनिया समाज देश की अर्थव्यवस्था की रीड है। व्यापारी वर्ग में सभी समाजों के लोग आते हैं।

देश में शांति और सद्भाव बनाए के रखने के लिए जरूरी है कि जेएनयू में अभद्र टिप्पणी लिखने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। व्यापारी वर्ग के लोगों ने जेएनयू प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पूरे मामले की न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की।

इस मौके पर व्यापारियों ने जेएनयू प्रबंधन का पुतला फूंका। इसके बाद राज्यपाल के नाम तहसीलदार आरपी तिवारी और कोतवाली थाना प्रभारी मनीष कुमार को ज्ञापन सौंपा। इस अवसर पर रविंद्र जैन, रोशन जैन, पवन कुमार जैन, शशांक बुखारिया, अरविंद मोदी, अंशु जैन, अनिल कुमार जैन सहित शहर के व्यापारी वर्ग के लोग मौजूद रहे।

वीजा विवाद से भारत-ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता पूरा होने पर आशंका गहराई

(अदिति खन्ना) लंदन, सात अक्टूबर (भाषा) ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन की आव्रजन संबंधी विवादास्पद टिप्पणी के बीच यहां इस बात की आशंका बढ़ रही है कि भारत-ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) फिलहाल बाधित हो सकता है। इस समझौते को अंतिम रूप देने के लिए दीपावली की समयसीमा तय की गई है और इस पर चल रही बातचीत अंतिम चरण में है। ऐसा लगता है कि भारतीय मूल की ब्रेवरमैन वीजा मुद्दे पर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस के साथ सीधे टकराव के लिए तैयार हैं। ट्रस चाहती हैं कि एफटीए के लिए तय 24 अक्टूबर

लंदन, सात अक्टूबर (भाषा) ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन की आव्रजन संबंधी विवादास्पद टिप्पणी के बीच यहां इस बात की आशंका बढ़ रही है कि भारत-ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) फिलहाल बाधित हो सकता है।

इस समझौते को अंतिम रूप देने के लिए दीपावली की समयसीमा तय की गई है और इस पर चल रही बातचीत अंतिम चरण में है।

ऐसा लगता है कि भारतीय मूल की ब्रेवरमैन वीजा मुद्दे पर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस के साथ सीधे टकराव के लिए तैयार हैं। ट्रस चाहती हैं कि एफटीए के लिए तय 24 अक्टूबर की समयसीमा तक पूरा कर लिया जाए।

ट्रस इस बात को अच्छी तरह समझती हैं कि नए व्यापार समझौते के तहत भारत के लिए छात्रों और पेशेवरों की आवाजाही में सुविधा महत्वपूर्ण है।

हालांकि, ब्रेवरमैन ने एफटीए के तहत भारत के साथ एक ''खुली सीमा'' प्रवास नीति होने की आशंका जाहिर की, जिसके बाद अंतिम समझौते को लेकर संदेह पैदा हो गया है।

लंदन स्थित थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटेजिक स्टडीज (आईआईएसएस) में दक्षिण एशिया के सीनियर फेलो राहुल रॉय चौधरी ने कहा, ''अब ऐसा लगता है कि व्यापारी टिप्पणी लिज ट्रस सरकार के तहत संभावित ब्रिटेन-भारत एफटीए न तो उतना वास्तविक होगा और न ही उतना व्यापक होगा, जितना कि पिछली बोरिस जॉनसन सरकार में इसकी परिकल्पना की गई थी। हो सकता है कि आवाजाही / प्रवासन और व्यापार शुल्क के मुद्दों पर बातचीत जारी रहे।''

रणनीतिक विशेषज्ञ का मानना है कि दिवाली की समयरेखा अभी भी प्रतीकात्मक रूप से पूरी हो सकती है ताकि दोनों सरकारें एक तरह की राजनीतिक जीत का दावा कर सकें।

ब्रिटेन की व्यापार मंत्री केमी बेडेनॉच ने भी एक परिचर्चा में इस समझौते के कम असरदार होने की आशंका जताई है। बेडेनॉच ने इस परिचर्चा में कहा कि दोनों देश यह कह सकते हैं कि वे आगे चलकर समझौते के अन्य बिंदुओं पर सहमत हो सकते हैं।

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