ब्रेकिंग: पाकिस्तान में हुआ आर्थिक आपातकाल का ऐलान, चीन से भारी पड़ी दोस्ती
प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ ने कहा कि देश में मौजूदा वित्तीय संकट और धन की भारी कमी के कारण, आर्थिक आपातकाल के निर्देश जारी करना आवश्यक हो गया है, अन्यथा आगे की वित्तीय तबाही से जनता के वेतन में रुकावट आ सकती है।
शाहबाज सरकार के मुताबिक इन निर्देशों का पालन हर सार्वजनिक और स्वायत्त संस्था और वितरण पर अनिवार्य होगा। पाकिस्तान के पास कुछ ही हफ्तों का विदेशी मुद्रा भंडार बचा है। इसके पास 6 अरब का विदेशी मुद्रा भंडार बचा है, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। आर्थिक जानकारों के मुताबिक पाकिस्तान की हालत के लिए चीन का कर्ज जाल जिम्मेदार है।
शाहबाज शरीफ सरकार को 10 गज से ज्यादा आवासीय संपत्ति पर भी टैक्स लगाने की सलाह दी गई है। कुछ सलाहकारों का मानना है कि कार्य दिवसों की संख्या कम करके ईंधन और बिजली के कारण होने वाले आर्थिक बोझ से बचा जा सकता है।
Digital Rupee: खत्म होगी डॉलर की बादशाहत, वैश्विक स्तर पर व्यापार के लिए उपलब्ध होगा डिजिटल रूपी
आरबीआई ने हाल ही में डिजिटल रूपी पेश किया है। इस ऐतिहासिक कदम से न सिर्फ सरकार के डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी बल्कि अमेरिकी डॉलर की बादशाहत को भी झटका लगेगा। जानकारों की मानें तो यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका ने जिस तरह रूस के विदेशी मुद्रा भंडार पर पाबंदी लगा दी। इससे कई देश समझ गए कि वैश्विक स्तर पर व्यापार के लिए डॉलर पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है। डिजिटल मुद्रा दुनियाभर के देशों की यह चिंता कम कर सकता है।
पहले ईरान और अब रूस ने जो रास्ता दिखाया है, उसका असर आने वाले दिनों में यह हो सकता है कि भारत अन्य देशों से कारोबार में रुपये में लेनदेन के विकल्प पर जोर देगा। इससे डॉलर पर निर्भरता कम होने के साथ निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
आरबीआई के कार्यकारी निदेशक अजय कुमार चौधरी का कहना है कि डिजिटल रूपी मुद्रा प्रणाली के सिस्टम में दक्षता लाएगी। भुगतान के तरीके में नया लचीलापन देने के साथ विदेश में होने वाले भुगतान को भी बढ़ावा देगा। सामाजिक और आर्थिक परिणामों से होने वाले नुकसानों से भी बचा जा सकेगा।
डिजिटल रुपये का इस्तेमाल यूपीआई, एनईएफटी, आरटीजीएस, आईएमपीएस, डेबिट/क्रेडिट कार्ड आदि के जरिये भुगतानों के लिए किया जा सकता है। यह पारंपरिक ऑनलाइन लेनदेन से अलग है।
एमएसएमई : 1.31 करोड़ लोगों को मिला रोजगार
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को इस साल विभिन्न चुनौतियों का सामना करना विदेशी मुद्रा भंडार में कमी पड़ा। इससे छोटे उद्योग बड़े पैमाने पर प्रभावित हुए। उद्यम पोर्टल के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में एक अप्रैल से 8 दिसंबर के बीच उद्यम-पंजीकृत 7,995 एमएसएमई बंद हुए। इस बीच, एमएसएमई ने 1.31 करोड़ लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए।
FINANCIAL News : दूसरी तिमाही में सरकार का कर्ज 147 लाख करोड़ बढ़ा
FINANCIAL News : एक जुलाई, 2022 से 30 सितंबर, 2022 के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया 3.11 प्रतिशत नीचे आया है।
FINANCIAL News : नई दिल्ली। सरकार की कुल देनदारी सितंबर के अंत में बढ़कर 147.19 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गयी। इससे पहले जून तिमाही में यह 145.72 करोड़ रुपये थी। सार्वजनिक कर्ज के ताजा आंकड़ों के अनुसार, प्रतिशत के हिसाब से तिमाही आधार पर चालू वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी इसमें एक प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
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वित्त मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को सार्वजनिक कर्ज प्रबंधन पर जारी तिमाही रिपोर्ट के अनुसार, इस साल सितंबर के अंत में सार्वजनिक कर्ज, सकल देनदारी का 89.1 प्रतिशत रहा जो 30 जून को समाप्त तिमाही में 88.3 प्रतिशत था। इसमें कहा गया है कि करीब 29.6 प्रतिशत सरकारी प्रतिभूतियां (निश्चित या परिवर्तनशील ब्याज वाली प्रतिभूतियां) पांच साल से कम अवधि में परिपक्व होने वाली हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, दूसरी तिमाही के दौरान केंद्र सरकार ने प्रतिभूतियों के जरिये 4,06,000 करोड़ रुपये जुटाये हैं। जबकि उधारी कार्यक्रम के तहत अधिसूचित राशि 4,22,000 करोड़ रुपये थी। वहीं 92,371.15 करोड़ रुपये लौटाये गये।
चालू वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में भारांश औसत प्रतिफल बढ़कर 7.33 प्रतिशत हो गया जो पहली तिमाही में 7.23 प्रतिशत था। दूसरी तिमाही में नयी जारी प्रतिभूतियों के परिपक्व होने की भारांश औसत अवधि 15.62 साल थी जो पहली तिमाही में 15.69 वर्ष थी।
सरकार ने जूलाई-सितंबर तिमाही में नकद प्रबंध बिल यानी नकदी प्रबंधन के लिये अल्प अवधि की प्रतिभूतियों के जरिये कोई राशि नहीं जुटायी है। इस दौरान भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकारी प्रतिभूतियों के लिये कोई खुली बाजार गतिविधियां आयोजित नहीं कीं।
रिपोर्ट में विदेशी मुद्रा भंडार के संदर्भ में कहा गया है कि यह 30 सितंबर, 2022 को 532.66 अरब डॉलर रहा जो 24 सितंबर, 2021 को 638.64 अरब डॉलर था। एक जुलाई, 2022 से 30 सितंबर, 2022 के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया 3.11 प्रतिशत नीचे आया है।
पाकिस्तान में आर्थिक आपातकाल का ऐलान, दिवालिया होने की कगार पर पहुंचा पड़ोसी देश, चीन से भारी पड़ी दोस्ती…
प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ ने कहा कि देश में मौजूदा वित्तीय संकट और धन की भारी कमी के कारण, आर्थिक आपातकाल के निर्देश जारी करना आवश्यक हो गया है, अन्यथा आगे की वित्तीय तबाही से जनता के वेतन में रुकावट आ सकती है।
शाहबाज सरकार के मुताबिक इन निर्देशों का पालन हर सार्वजनिक और स्वायत्त संस्था और वितरण पर अनिवार्य होगा। पाकिस्तान के पास कुछ ही हफ्तों का विदेशी मुद्रा भंडार बचा है। इसके पास 6 अरब का विदेशी मुद्रा भंडार बचा है, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। आर्थिक जानकारों के मुताबिक पाकिस्तान की हालत के लिए चीन का कर्ज जाल जिम्मेदार है।
शाहबाज शरीफ सरकार को 10 गज से ज्यादा आवासीय संपत्ति पर भी टैक्स लगाने की सलाह दी गई है। कुछ सलाहकारों का मानना है कि कार्य दिवसों की संख्या कम करके ईंधन और बिजली के कारण होने वाले आर्थिक बोझ से बचा जा सकता है।
विदेशी मुद्रा भंडार में कमी
अफगानिस्तान में अमेरिकी डॉलर की तस्करी से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को नुकसान
कराची, 27 दिसंबर (आईएएनएस)। देश में चल रही राजनीतिक अशांति और अफगानिस्तान में अमेरिकी डॉलर की तस्करी के कारण पाकिस्तानी मुद्रा दबाव में है। मंगलवार को मीडिया की खबरों में यह बात कही गई।
द न्यूज के मुताबिक, एक्सचेंज कंपनीज एसोसिएशन ऑफ पाकिस्तान (ईसीएपी) के अध्यक्ष मलिक बोस्टन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, पाकिस्तान इस समय कई मोर्चो पर समस्याओं से निपट रहा है, राजनीतिक संकट पहला और सबसे बड़ा संकट है। डॉलर का संकट भी इसी से जुड़ा है।
बोस्टन ने दावा किया कि आधिकारिक और अनौपचारिक व्यापार, अफगान पारगमन व्यापार के दुरुपयोग, तस्करी और सीमाओं के माध्यम से लगभग 2 अरब डॉलर पाकिस्तान से अफगानिस्तान जाता है। ये कारक पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार पर बोझ डाल रहे हैं।
द न्यूज ने कहा, इस समय पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अफगान पारगमन व्यापार के कारण अपूरणीय क्षति का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से अफगानिस्तान जाने वाले डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार में कमी एक महत्वपूर्ण हिस्सा अफगान पारगमन व्यापार से होकर गुजरता है। अफगान और पाकिस्तानी, दोनों व्यापारी इस राष्ट्र-विरोधी गतिविधि में शामिल हैं।
आयात बिल को कम करने के लिए सरकार ने कई विलासिता की वस्तुओं पर उच्च शुल्क लगा दिया।
बोस्टन ने कहा, हमारे व्यापारियों और आयातकों ने सोचा कि उन्हें पाकिस्तानी सरकार को 200 प्रतिशत शुल्क क्यों देना चाहिए। वे अफगानिस्तान पारगमन के नाम पर अपनी वस्तुएं यहां लाते हैं, हमारे बंदरगाह से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी अफगानिस्तान की यात्रा करते हैं और फिर छोटे ट्रकों में पाकिस्तान लौटते हैं। पाकिस्तान के कई आयातक जो इस क्रूर अभ्यास में भाग लेते हैं, वे आयात शुल्क का भुगतान करने में विफल रहते हैं, जिसकी कीमत हमें राष्ट्रीय स्तर पर चुकानी पड़ती है। सरकारी खजाने को अरबों रुपये की जरूरत है, लेकिन वे डॉलर को देश में प्रवेश करने से रोकते हैं।
द न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, जब अगस्त 2021 में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी अफगान तालिबान ने एक संक्रमण सरकार की स्थापना की, तो पाकिस्तानी रुपया 155 पर कारोबार कर रहा था, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 22 अरब डॉलर था और इसका आयात बिल 4.5 अरब डॉलर था। आज रुपया इंटरबैंक बाजार में लगभग 225 और मुक्त बाजार में 235 प्रति डॉलर तक गिर गया है।
उन्होंने दावा किया कि हर महीने लगभग 3 अरब डॉलर पाकिस्तान भेजे जाते हैं। प्रेषण प्रवाह (रेमिटेंस फ्लो) अब घटकर 2 अरब डॉलर हो गया है।
बोस्टन ने कहा, सवाल है कि हर महीने 1 अरब डॉलर कहां जाता है? क्योंकि हम प्रत्येक डॉलर के लिए 225 रुपये का रेमिटेंस भुगतान कर रहे हैं, यह 1 अरब डॉलर प्रति माह अफगान ट्रांजिट का दृश्य बन गया है। हवाला/हुंडी ऑपरेटर प्रति डॉलर के लिए वे 270 दे रहे हैं।
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