बेस्ट स्टॉक मार्केट बुक्स (बिगिनर्स के लिए)
परंतु जब बात स्टॉक मार्केट इन्वेस्टिंग की आती है तो लोग शेयर मार्केट के बेसिक्स और स्टॉक मार्केट से पैसे कैसे कमाए की सही जानकारी प्राप्त किए और सही समय दिए ही स्टॉक मार्केट से पैसे कमाने के लिए कूद पड़ते हैं। बाद में उनको नुकसान होता हैं और वे स्टॉक मार्केट को जुंवा समझने लगते हैं।
दोस्तों, मैं नहीं चाहता की आपके साथ भी ऐसा कुछ भारत में कमोडिटी मार्केट का व्यापार कैसै करें हो और आप शेयर मार्केट में निवेश के द्वारा अच्छा पैसा कमाने से चूक जाएं। इसलिए मैं इस आर्टिकल में आपके लिए लेके आया हूँ Best Share Market Books in Hindi जो आपकी स्टॉक मार्केट से पैसा कमाने में बहुत अधिक मदद करने वाली हैं।
यह 100% सत्य है कि किसी भी चीज को तैयारी के साथ किया जाए तो उसका रिजल्ट आपकी आशा के अनुरूप मिलता है। इसलिए आपको स्टॉक मार्केट में निवेश करने से पहले स्टॉक मार्केट की सही जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए जो कि शायद आपको Share Market Books in Hindi के अलावा कहीं ओर से मिल पाएगी।
इस आर्टिकल में हम Best Stock Market Books in Hindi के बारे में बात करेंगे जिन्हें मैंने स्वयं भी पढ़ा है और आपको भी पढ़ने की सलाह देता हूं।
भारत में कमोडिटी मार्केट का व्यापार कैसै करें
अस्वीकरण :
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भारत में एक्सपोर्ट बिजनेस कैसे शुरू करें? जानिए स्टेप बाय स्टेप तरीका
नई दिल्ली: आज के आधुनिक युग ने दुनिया में व्यवसाय (Businesses) करने के तरीके को काफी हद तक बदल दिया है. हर उद्यमी (Entrepreneur) अपने बिजनेस को देश-विदेश तक पहुंचना चाहता है. हालांकि यह उद्यमी के हौसले पर निर्भर करता है. एक सफल उद्यमी होने के लिए फोकस और सकारात्मक सोच होनी बहुत जरुरी है. साथ ही प्रतिस्पर्धात्मक लाभ हासिल करने का गुण भी होना चाहिए. वर्तमान समय की मांग है कि न केवल उद्यमी खुद को बलि अपने व्यवसाय को भी मजबूत बनाये, तभी वह बाजार में टिका रह सकता है.
आज हम आपकों निर्यात की शुरुआत कैसे की जाये, इसकी जानकारी देने वाले है. निर्यात अपने आप में एक बहुत ही व्यापक अवधारणा है. उद्यमी को निर्यात व्यवसाय शुरू करने से पहले एक निर्यातक के तौर पर कई सारी तैयारियां करनी पड़ती है. निर्यात किये जाने वाले प्रोडक्ट के आधार पर कुछ लाइसेंस और अनुमतियाँ लेन जरुरी होता है. निर्यात व्यवसाय शुरू करने के लिए नीचे बताएं गए चरणों का पालन किया जाता है-
1- एक संगठन की स्थापना
निर्यात व्यवसाय शुरू करने के लिए पहले प्रक्रिया के अनुसार एक आकर्षक नाम और लोगो के साथ एक एकल मालिकाना फर्म/ भागीदारी फर्म / कंपनी स्थापित करनी होती है.
2- बैंक खाता खोलना
विदेशी मुद्रा में सौदा करने के लिए अधिकृत बैंक के साथ एक चालू खाता खोला पड़ता है. जिससे आपका व्यापारिक लेनदेन आसानी से किया जा सके.
3- स्थायी खाता संख्या (पैन) प्राप्त करना
आयकर विभाग से प्रत्येक निर्यातक और आयातक को पैन प्राप्त करना आवश्यक है. (PAN के लिए आवेदन करने के लिए यहां क्लिक करें)
4- आयातक-निर्यातक कोड (IEC) संख्या प्राप्त करना
विदेश व्यापार नीति के अनुसार भारत से निर्यात / आयात के लिए आईईसी कोड प्राप्त करना बेहद जरुरी है. बिना इसके कोई प्रोडक्ट निर्यात नहीं किया जा सकता है. आयातक-निर्यातक कोड के लिए www.dgft.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है. (इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें)
5- पंजीकरण सह सदस्यता प्रमाण पत्र (RCMC)
विदेश व्यापार नीति 2015-20 के तहत आयात / निर्यात या किसी अन्य लाभ या रियायत के लिए प्राधिकरण का लाभ उठाने के लिए, साथ ही सेवाओं / मार्गदर्शन का लाभ उठाने के लिए, निर्यातकों को संबंधित निर्यात संवर्धन परिषदों / एफआईईओ/ कमोडिटी बोर्ड / प्राधिकरणों द्वारा दिए गए आरसीएमसी प्राप्त करना जरुरी है.
6- उत्पाद का चयन
सरकार द्वारा निषिद्ध व प्रतिबंधित सूची में शामिल प्रोडक्ट को छोड़कर एनी सभी को स्वतंत्र रूप से निर्यात किया जा सकता है. उद्यमी भारत से विभिन्न उत्पादों के निर्यात के रुझानों का अध्ययन कर निर्यात के लिए सही उत्पाद का चयन कर सकते है.
7- बाजारों का चयन
दुनियाभर के बाजार एक दूसरे से अलग होते है. बाजार के आकार, प्रतियोगिता, गुणवत्ता की अपेक्षाओं, भुगतान की शर्तों आदि को ध्यान में रखकर ही विदेशी बाजार को चुनने में समझदारी है. जबकि विदेश व्यापार नीति के तहत कुछ देशों के लिए उपलब्ध निर्यात लाभों के आधार पर निर्यातक बाजार का मूल्यांकन भी कर सकते हैं. एक्सपोर्ट प्रमोशन एजेंसियां, विदेश में भारतीय मिशन, सहकर्मी, दोस्त और रिश्तेदार जानकारी जुटाने में आपके प्रमुख स्रोत साबित होंगे.
8- खरीदार ढूंढना
उद्यमी अपने प्रोडक्ट का सही खरीददार तलाशने के लिए व्यापार मेलों, खरीदार विक्रेता सम्मेलन, प्रदर्शनियां, बी2बी पोर्टल, वेब ब्राउजिंग का सहारा ले सकता है. खरीदारों को खोजने यह सबसे सरल और प्रभावी तरीका है. वहीँ, एक्सपोर्ट प्रमोशन परिषद, विदेशों में भारतीय मिशन, वाणिज्य के विदेशी कक्ष भी मददगार हो सकते हैं. उत्पाद सूची, मूल्य, भुगतान की शर्तों और अन्य संबंधित जानकारी के साथ बहुभाषी वेबसाइट बनाना भी आपके बिज़नेस को फायदा पहुंचाएगा.
9- सैंपल लेना
विदेशी खरीदारों की मांगों के अनुसार अनुकूलित सैंपल देना निर्यात आदेश प्राप्त करने में मदद करता है. विदेश व्यापार नीति 2015-2020 के अनुसार, बिना किसी सीमा के स्वतंत्र रूप से निर्यात योग्य वस्तुओं के बोनाफाइड व्यापार और तकनीकी नमूनों के निर्यात की अनुमति होगी.
10- मूल्य / लागत निर्धारण
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी प्रतियोगिता कम नहीं है. ऐसे में प्रोडक्ट के खरीदारों का ध्यान आकर्षित करने और बिक्री को बढ़ावा देने के लिए प्रोडक्ट की कीमत भारत में कमोडिटी मार्केट का व्यापार कैसै करें बड़ी भूमिका निभा सकती है. कीमत निर्धारण बिक्री की शर्तों के आधार पर निर्यात आय के नमूने से लेकर बोर्ड (एफओबी), लागत, बीमा और माल ढुलाई (सीआईएफ), लागत और माल (सी एंड एफ) आदि खर्चों के आधार पर करना चाहिए. निर्यात लागत निर्धारित करने का लक्ष्य अधिकतम लाभ मार्जिन के साथ प्रतिस्पर्धी मूल्य पर अधिकतम मात्रा में माल बेचना होना चाहिए. प्रत्येक निर्यात उत्पाद के लिए निर्यात लागत पत्रक तैयार करना उचित है.
11- खरीदारों से बातचीत
उत्पाद में खरीदार की रुचि, भविष्य की संभावनाओं और व्यवसाय में निरंतरता के बाद, उचित भत्ता / मूल्य में छूट देने की मांग पर विचार किया जाना चाहिए.
12- एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन के माध्यम से जोखिम को कवर करना
निर्यातक बनने की सोच रहे हर उद्यमी के लिए यह चरण बेहद जरुरी है. दरअसल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कई जोखिम होते है. जैसे खरीदार या उस देश के दिवालिया होने के कारण भुगतान अटक सकता है. एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन लिमिटेड की एक उचित नीति द्वारा इन जोखिमों को कवर किया जा सकता है. जहां खरीदार अग्रिम भुगतान किए बिना या क्रेडिट के शुरुआती पत्र के बिना ऑर्डर दे रहा है, वहॉं गैर-भुगतान के जोखिम से बचाने के लिए ईसीजीसी से विदेशी खरीदारपर क्रेडिट सीमा की खरीद करना उचित है. (इस बारे में वृस्तित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें)
कमोडिटी बाजार में तेजी का तूफान, कच्चे तेल में उछाल का इंडस्ट्री पर कैसे होगा असर, जानिए पूरी डिटेल
कच्चा तेल 11 सालों के उच्चतम स्तर पर बंद हुआ . एल्युमीनियम और कॉपर भी इस समय रिकॉर्ड ऊंचाई पर है. जिंक 15 सालों के उच्चतम स्तर पर है. कुल मिलाकर कमोडिटी मार्केट में भारी तेजी है.
कमोडिटी मार्केट (Commodity market) इस समय ऊफान पर है. रूस की तरफ से यूक्रेन पर हमले (Russia-Ukraine crisis) के कारण इस मार्केट में तेजी का सिलसिला जारी है. कमोडिटी महंगा होने के कारण सरकार के साथ-साथ इंडस्ट्री की भी हालत पतली हो गई है. कच्चा तेल (Crude oil price)इस समय 11 सालों के उच्चतम स्तर पर है. सप्ताह के आखिरी दिन कच्चा तेल करीब 7 फीसदी की तेजी के साथ 118 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर बंद हुआ. एल्युमीनियम और कॉपर भी इस समय रिकॉर्ड ऊंचाई पर है. जिंक 15 सालों के उच्चतम स्तर पर है. खाने का पाम ऑयल महंगा है, जबकि कॉफी का भाव 11 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. गेहूं भी महंगा हो भारत में कमोडिटी मार्केट का व्यापार कैसै करें गया है.
ईटी नाऊ स्वदेश की रिपोर्ट के मुताबिक, कच्चा तेल महंगा होने से पेंट उद्योग, सीमेंट, FMCG और एविएशन सेक्टर पर काफी बुरा असर हुआ है. पेंट इंडस्ट्री के लिए कच्चे माल पर होने वाले खर्च में क्रूड का हिस्सा 60 फीसदी है. पेंट इंडस्ट्री में क्रूड ऑयल डेरिवेटिव्स जैसे मोनोमर्स और टाइटेनियम डाय-ऑक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है.
सीमेंट इंडस्ट्री में कच्चे माल का कॉस्ट 17 फीसदी तक
सीमेंट इंडस्ट्री में ढुलाई समेत अन्य खर्च में कच्चे तेल का योगदान 30 फीसदी है. इसके अलावा कोयला महंगा होने के कारण भी इस इंडस्ट्री पर असर हुआ है. क्रिसिल रिसर्च का मानना है कि इस साल पावर और फ्यूल कॉस्ट में 35-40 फीसदी तक की बढ़ोतरी संभव है. सीमेंट के लिए कच्चा माल महंगा हो रहा है. टोटल कॉस्ट में कच्चे माल का योगदान 15-17 फीसदी तक होता है.
एग्री कमोडिटी महंगा हो गया है
यूक्रेन क्राइसिस के कारण एग्री कमोडिटी महंगा हो गया है जिसके कारण FMCG कंपनियां इस साल रेट बढ़ाने के लिए मजबूर हैं. हिंदुस्तान यूनिलीवर ने फरवरी में दो बार रेट बढ़ाए थे. माना जा रहा है कि मार्च के महीने में कई FMCG कंपनियां रेट बढ़ा सकती हैं.
एविएशन सेक्टर का 35 फीसदी खर्च फ्यूल पर
महंगे तेल से एविएशन सेक्टर पर सबसे बुरा असर हुआ है. इस सेक्टर का 35 फीसदी खर्च केवल फ्यूल पर होता है. कोरोना महामारी के बाद यह सेक्टर अपने पैर पर दोबारा खड़े होने की कोशिश ही कर रहा है. ऐसे में महंगे तेल ने इस सेक्टर की कमर तोड़कर रख दी है. अलग-अलग कमोडिटी की कीमत में उछाल के कारण सीमेंट स्टॉक्स, पेंट स्टॉक्स, गैस कंपनीज, रबर और टायर कंपनी, एविएशन स्टॉक पर भारी दबाव है.
जानिए किस का विदेशी मुद्रा भंडार कितना है?
कच्चे माल का भाव बढ़ने और तेल महंगा होने से देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर भी असर होता है. दुनिया की बड़ी इकोनॉमी के विदेशी मुद्रा भंडार की बात करें तो चीन का फॉरन रिजर्व 3.22 ट्रिलियन डॉलर, जापान का 1.38 ट्रिलियन डॉलर, स्विटजरलैंड का 1.03 ट्रिलियन डॉलर, रूस का 630 बिलियन डॉलर और इस सप्ताह भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 632 बिलियन डॉलर पर बंद हुआ है.
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