स्विस बैंक एकाउंट, पैसे और कामकाज से जुड़े भ्रम और उनकी सच्चाई
अगर आपको लगे कि स्विस बैंक का मतलब काला धन और काला धन का मतलब स्विस बैंक है तो गलत हैं. इन आठ बातों से समझिए स्विस खातों की पूरी ए बी सी डी.
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काला धन और स्विस बैंक का चोली दामन का साथ है. कम से कम हम भारतीयों की नजर में. इसलिए स्विस बैंक को लेकर लोगों के कई मिथकों को तोड़ने के लिए हम जानकारी बटोर लाए हैं
मिथक 1: स्विस बैंक भ्रष्ट अमीर लोगों के लिए हैं :
आपके और मेरे जैसे लोग भी खाते खुलवा सकते हैं. इसके लिए सिर्फ आपको फॉर्म भरना होगा और अपनी पहचान और काम को साबित करने वाले दस्तावेज जमा करने होंगे. आपको 5,000 स्विस फ़्रैंक जमा करना होगा. कुछ बैंक तो न्यूनतम शेष राशि के बिना भी खातों की पेशकश करते हैं.
मिथक 2: स्विस बैंक आपके सीक्रेट शेयर करते हैं :
स्विस बैंक अपनी गोपनीयता के लिए लोकप्रिय हैं. स्विस बैंकों के लिए गोपनियता का कठोर कोड कुछ नया नहीं है. स्विट्ज़रलैंड को "बैंक गोपनीयता का दादा" कहा जाता है. 20 वीं शताब्दी के मध्य के बाद से ही स्विट्जरलैंड दुनिया के सबसे बड़े अपतटीय वित्तीय केंद्रों और टैक्स हेवेन में से एक रहा है.
स्विस बैंक के खातों की जानकारी साझा करना अपराध है
1713 में, ग्रेट काउंसिल ऑफ जिनेवा की स्थापना की गई. इसके लिए बैंकरों को अपने ग्राहकों के रजिस्टरों को रखने की आवश्यकता थी, लेकिन उन्हें किसी के साथ भी जानकारी साझा करने से मनाही थी. स्विट्जरलैंड में किसी ग्राहक की जानकारी को साझा करना अपराध है. यह कोड स्विट्जरलैंड को अपने फंड को गैरकानूनी तरीके से छुपाने के लिए एक सुरक्षित जगह बनाता है.
मिथक 3: बैंक खाते को मेंटेन करना बहुत महंगा है :
अधिकांश स्विस बैंक, खाते के वार्षिक शुल्क के रूप में कुछ भी चार्ज नहीं करते हैं. भले ही आप उनसे अतिरिक्त पत्राचार या बैंकिंग रिलेशन जैसी अतिरिक्त सेवाएं भी लेते हैं तो भी वार्षिक शुल्क बहुत कम है.
मिथक 4: आपका पैसा जोखिम में है :
स्विट्जरलैंड में कई वर्षों से एक बेहद स्थिर अर्थव्यवस्था, अच्छी तरह से निर्मित वित्तीय प्रणाली और आधारभूत संरचना है. और 1505 के बाद से इसका कैसे स्विस फ़्रैंक में निवेश करने के लिए किसी भी अन्य देश के साथ युद्ध नहीं हुआ है. इसके अलावा, आपके पैसे पर मिलने वाला रिटर्न सबसे बड़ा फायदा है. स्विस बैंकरों को निवेश की बहुत अच्छी जानकारी होती है और वो जानते हैं कि कैसे आपका पैसा बढ़ाया जाए.
मिथक 5: नंबर वाले खाते सिर्फ वीआईपी लोगों के लिए हैं :
स्विस बैंकों में नंबर वाले खातों को सबसे गुप्त खाता माना जाता है. खाते के साथ सभी तरह की बातचीत खाता संख्या के माध्यम से होती है. बैंक में बहुत ही कम लोग नंबर वाले खाते के पीछे का नाम जान पाएंगे.
नंबर वाले खाते सभी के लिए हैं
हालांकि ऐसे खातों आसानी से नहीं दिए जाते. लेकिन वे सिर्फ वीआईपी तक ही सीमित नहीं हैं. जिस भी व्यक्ति को 'नंबर वाला खाता' चाहिए उसे बैंक में खुद जाना होगा. और प्रारंभिक जमा राशि कम से कम $100,000 है.
मिथक 6: बैंकर आपके पैसे के स्रोत की जांच नहीं करते हैं :
गुरिल्ला गतिविधियों, आतंकवाद, भ्रष्टाचार और कर चोरी में बढ़ोतरी के साथ, स्विस सरकार ने अब उन खातों को खारिज करना शुरू कर दिया है जिन पर उन्गें संदेह है कि वो अवैध तरीके से पैसे ला रहे हैं. इसके अलावा, स्विस एंटी-मनी-लॉंडरिंग नियमों में जमाकर्ताओं को उनके खातों में रखे गए धन की स्रोत का सबूत प्रदान करने की भी आवश्यकता होती है.
मिथक 7: जमा राशि की कोई सीमा नहीं है :
2004 में लिबरलाइज्ड रेमिटेन्स स्कीम लाई गई. इसके जरिए भारतीयों को एक खाता खोलने की अनुमति दी गई. लेकिन इसमें एक वित्तीय वर्ष में जमा राशि की सीमा निर्धारित कर दी गई. वर्तमान में वार्षिक एलआरएस सीमा (प्रति व्यक्ति) $250,000 (1.5 करोड़ रुपये) है.
इसके विपरीत, एनआरआई को कुछ अतिरिक्त लाभ मिलते हैं और असीमित समय के लिए अपने अंतरराष्ट्रीय बैंक खाते को जारी रख सकते हैं. साथ ही इस तरह के खातों में जमा की जा सकने वाली राशि की कोई सीमा भी निर्धारित नहीं है.
मिथक 8: अधिक भारतीयों के पास स्विस खाते हैं :
स्विस बैंकरों एसोसिएशन (एसबीए) ने 2018 में अनुमान लगाया था कि स्विस बैंकों में 6.5 ट्रिलियन डॉलर या सभी वैश्विक सीमा पार संपत्तियों का 25% हिस्सा जमा है. स्विस बैंकों में कुल विदेशी धन का सबसे बड़ा हिस्सा (27 प्रतिशत से अधिक) ब्रिटेन का है, सभी विदेशी फंडों का 11 प्रतिशत के साथ अमेरिका दूसरे स्थान पर है.
भारत 73 वें स्थान पर है और आधिकारिक तौर पर भारतीयों के खाते में रखे गए कुल विदेशी धन का केवल 0.07 प्रतिशत है.
तो अब अगर आपको लगे कि स्विस बैंक का मतलब काला धन और काला धन का मतलब स्विस बैंक है तो गलत हैं आप.
क्या स्विस फ्रैंक एक सुरक्षित हेवन है? | इन्वेस्टमोपेडिया
एक सुरक्षित हेवन निवेश एक परिसंपत्ति को दर्शाता है जो कि इसके मूल्य को बरकरार रखने की उम्मीद है, वैसे ही बाजार एक हिट लेते हैं इसमें सोना जैसी कठिन संपत्तियां शामिल हैं, जिनके मूल्य 2008 के वित्तीय संकट के अस्थिर दिनों और आने वाले वर्षों के दौरान बोली लगाने वाले हैं। उस समय के दौरान, एक अन्य पारंपरिक सुरक्षित स्वर्ग, अमेरिकी ट्रेजरी बिलों ने इतना निवेशक ध्यान आकर्षित किया कि कुछ बिंदुओं पर पैदावार वास्तव में नकारात्मक थी निवेशक इतने घबराए हुए थे कि वे उपज छोड़ने और प्रभावी रूप से सरकार का भुगतान करने के लिए तैयार थे ताकि अमेरिकी सरकार द्वारा समर्थित किसी निवेश में उनके प्रमुख सुरक्षित हो जाए।
स्विस फ़्रैंक एक और निवेश है जो स्विस सरकार की स्थिरता और उसकी वित्तीय व्यवस्था के कारण निवेशकों के लिए एक सुरक्षित स्वर्ग के रूप में उभरा है। देश में मुद्रास्फीति की दर भी कम है और स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक स्विस नेशनल बैंक में लोगों का आत्मविश्वास है।
वित्तीय संकट सुरक्षित हेवन
उदाहरण के लिए, 2008 में वित्तीय संकट के दौरान, स्विस फ़्रैंक की सराहना की गई क्योंकि अधिक निवेशकों ने असुरक्षित परिसंपत्तियों से भाग लिया और स्विस फ्रैंक में अपने पैसे खड़े किए, जो उन्हें सुरक्षित माना जाता है। और जैसा कि यूरोपीय ऋण संकट 2011 में तूफान इकट्ठा हुआ था, स्विस फ़्रैंक ने यूरो के मुकाबले उस हद तक सराहना की कि स्विस नेशनल बैंक यूरो के लिए कम से कम 1 के विनिमय दर को बनाए रखने के लिए सहायता प्रदान करना शुरू कर दिया। यूरो के लिए 20 स्विस फ़्रैंक स्विस ने आशा व्यक्त की कि स्विस फ़्रैंक के मूल्य को कम करने में मदद मिलेगी और निर्यात बाजार में इसकी कीमत प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने में मदद करेगी। यूरो के लिए सहायता प्रदान करने के लिए, स्विस नेशनल बैंक को स्विस फ़्रैंक का इस्तेमाल करते हुए यूरो खरीदना पड़ा, जो इसे मुद्रित किया गया था।
ड्यूश बुंड्सबैंक (जर्मनी का केंद्रीय बैंक) में अर्थशास्त्रियों द्वारा एक अध्ययन, मार्च 1986 से सितंबर 2012 तक की अवधि को कवर करते हुए पाया गया कि स्विस फ़्रैंक समय के दौरान सराहना करते हुए देखा जब एक वैश्विक शेयर बाजार सूचकांक वित्तीय तनाव के जवाब में नीचे चला गया। यह मामला था, हालांकि अर्थशास्त्रियों ने अन्य कारकों के निष्कर्षों को नियंत्रित किया है, जो आम तौर पर विनिमय दर निर्धारित करते हैं। हालांकि, कम वित्तीय तनाव के समय, स्विस फ़्रैंक का मूल्य मुद्रास्फीति जैसे मूलभूत कारकों पर निर्भर था इस अर्थशास्त्री ने यह निष्कर्ष निकाला कि संकटग्रस्त वित्तीय समय के दौरान स्विस फ़्रैंक निवेशकों द्वारा एक सुरक्षित स्वर्ग के रूप में मूल्यवान है।
स्विस सरकार समर्थन को हटा देता है
स्विस नागरिकों को चिंतित किया गया था कि उनकी केंद्रीय बैंक यूरो खरीदने के लिए अधिक पैसा छपाई करके अति-मुद्राीकरण, या बहुत उच्च मुद्रास्फीति की अवधि को आमंत्रित कर रहा था, हालांकि, इस के किसी भी वास्तविक सबूत नहीं किया गया इसके बजाय, स्विस अर्थव्यवस्था में गिरावट की कीमतों के अधिक संकेत हैं बहरहाल, जनवरी 2015 में, स्विस नेशनल बैंक ने फैसला किया कि यह अब यूरो के लिए सहायता प्रदान नहीं कर रहा है।यह यूरोपीयन सेंट्रल बैंक (ईसीबी) की मात्रात्मक सहजता की ओर बढ़ने की उम्मीद के बारे में आया था, जो मार्च 2015 में आया था। अधिक यूरो जारी करने के माध्यम से, ईसीबी विभिन्न यूरोसोन देशों के सरकारी कर्ज को खरीदता है। स्विस नेशनल बैंक के समर्थन को हटाने के बाद, यूरो स्विस फ़्रैंक के खिलाफ कमजोर हो गया है।
फिर भी एक सुरक्षित हेवन
यूरोपीय ऋण संकट के मोड़ और मुड़ें अभी तक पूरी तरह से नहीं किए गए हैं और अभी भी कुछ अटकलें हैं कि क्या ग्रीस यूरोपीय मौद्रिक संघ को छोड़ देगा। इसके अलावा, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि ग्रीस अपने भारी कर्ज बोझ को कैसे प्रबंधित करेगा। यहां तक कि अगर ग्रीस से आर्थिक नतीजा है, तो विश्व थोड़ी देर के लिए तैयारी कर रहा है और इसके प्रभाव में बड़ा होने की संभावना नहीं है। इस बीच, स्विस फ़्रैंक अपनी लुभाने को सुरक्षित आश्रय के रूप में बरकरार रखता है क्योंकि यह नाटक खेलना जारी है।
निवेशक स्विटजरलैंड की स्थिरता पसंद करते हैं और स्विस फ़्रैंक को एक सुरक्षित स्वर्ग के रूप में देखते हैं। यह भविष्य में जारी होने की संभावना है जब तक स्विस प्रणाली में कुछ मूलभूत परिवर्तन न हो।
क्यों स्विस फ्रैंक इतना मजबूत है? Investopedia
क्या स्विस फ़्रैंक अच्छा निवेश है? | इन्वेस्टमोपेडिया
व्यक्तिगत निवेशक, व्यवसाय, वित्तीय संस्थान और यहां तक कि देश स्विस फ्रैंक में अपना पैसा रखते हुए हैं।
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Swiss Bank में क्यों पैसे जमा करते हैं लोग? कैसे चलता है काले धन को छिपाने का खेल
Swiss Banks कालाधन रखने वाले लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक स्विस नेशनल बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 2021 में भारतीयों की ओर से स्विस बैंकों में जमा की गई राशि बढ़कर 3.83 अरब स्विस फ्रैंक हो गई थी।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। स्विस बैंकों में पैसा जमा करने और वापस लाने का मुद्दा देश में आए दिन उछलता रहता है। इस पर राजनीतिक बयानबाजी भी काफी होती है। फिर भी बड़ी संख्या में लोग इन बैंकों में अपना धन जमा कराते हैं।
स्विस नेशनल बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भारतीयों की ओर से स्विस बैंकों में जमा की गई राशि बढ़कर 3.83 अरब स्विस फ्रैंक हो गई थी, जो कि पिछले साल 2020 में केवल 2.55 अरब स्विस फ्रैंक थी। आइए जानते हैं कि आखिर स्विस बैंकों में राशि जमा कराने का मुद्दा विवादित होने के बाद भी लोग क्यों अपना खाता इन बैंकों में खोलते हैं।
स्विस बैंक क्यों लगते हैं अरबपतियों को आकर्षक
यूरोप के सबसे अमीर देशों में एक स्विट्जरलैंड में जितने भी बैंक हैं, उन्हें स्विस बैंक कहा जाता है। स्विस बैंकों की सबसे बड़ी खासियत यह होती हैं कि किसी व्यक्ति द्वारा इन बैंकों अकाउंट खोलने पर उसकी सूचना को गोपनीय रखा जाता है और केवल अकाउंट नंबर के जरिए ही सारे कार्य किए जाते हैं, जिसे इन बैंकों में 'नंबर्ड अकाउंट' कहते हैं। बड़ी बात यह है कि बैंक में खाता किसका है। इसकी जानकारी कुछ ही लोगों को होती है। इस वजह से पहचान करना भी काफी मुश्किल हो जाता है कि पैसा किस व्यक्ति की ओर से जमा किया है।
बता दें, स्विस बैंकिंग सिस्टम में इस चलन एक पीछे की बड़ी वजह बैंक सीक्रेसी लॉ (गोपनीयता कानून) है, जिसके तहत कोई स्विस बैंक अपने खाताधारक की जानकरी बिना किसी अनुमति के सार्वजनिक नहीं कर सकता है। वहीं, अगर कोई विदेशी व्यक्ति अपने देश में वित्तीय गड़बड़ी करके धन स्विस बैंकों में जमा करता है, लेकिन उस पर स्विट्जरलैंड में कोई भी मामला नहीं है, तो फिर कोई भी सरकारी एजेंसी खाताधारक की जानकारी नहीं मांग सकती है।
अगर कोई भी बैंक का कर्मचारी उस खाताधारक की जानकारी को सार्वजनिक या फिर बैंक से बाहर भेजता है, तो उसे छह महीने की कैद के अलावा 50,000 फ्रैंक्स तक का जुर्माना हो सकता है।
स्विट्जरलैंड कैसे बना दुनिया का बैंकिंग गढ़
बैंकिंग व्यवस्था की शुरुआत इटली से हुई है। आधुनिक बैंकिंग को दिशा देने वाला देश स्विट्जरलैंड को कहा जाता है। स्विस लोगों को परंपरागत तौर पर भी अच्छा बैंकर माना जाता है। स्विट्जरलैंड अमीर देश होने के चलते यूरोप में सदियों और अमेरिकियों के बीच दशकों से काफी विश्वसनीय रहा है। स्विट्जरलैंड बैंकों में आधुनिकता, कानूनों और कम टैक्स को लेकर काफी आगे माना जाता रहा है। वहीं, दोनों विश्व युद्धों के दौरान भी स्विट्जरलैंड किसी पक्ष की ओर से भाग नहीं लिया था। इस कारण बड़ी मात्रा में विश्व युद्ध के दौरान दोनों पक्ष अपना पैसा इस देश में जमा कराते थे और धीरे- धीरे ये दुनिया में बैंकिंग के गढ़ के रूप में प्रसिद्ध हो गया।
स्विस बैंक में भारतीय का कितना काला धन
स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक स्विस नेशनल बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भारतीय की ओर से स्विस बैंकों में जमा किए जाने वाले धन में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है और यह 14 वर्ष के उच्चतम स्तर 3.83 अरब स्विस फ्रैंक पहुंच गया था, जो कि पिछले वर्ष 2.55 अरब स्विस फ्रैंक था। भारतीय के द्वारा स्विस बैंकों में जमा किए गए धन का सबसे बड़ा आंकड़ा 2006 में आया था, जो कि 6.5 अरब फ्रैंक था।
स्विस बैंक में धन जमा करने के मामले में भारत का स्थान 44 वां है। रूस का 15 वां और चीन का 24 वां स्थान है। भारत के अलावा इस लिस्ट में अन्य देशों में संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया, जापान, इटली, स्पेन, पनामा, सऊदी अरब, मैक्सिको, इज़राइल, ताइवान, लेबनान, तुर्की, ऑस्ट्रिया, आयरलैंड, ग्रीस, बरमूडा, मार्शल द्वीप समूह, लाइबेरिया, बेल्जियम, माल्टा और कनाडा शामिल हैं।
ऐसे खुलता है SWISS BANK में खाता, बिना नाम बताए कोई भी खोल सकता है अकाउंट
स्विस बैंकों में जमा भारतीयों का पैसा वर्ष 2017 में 50 फीसदी बढ़कर 1.01 अरब सीएचएफ यानी स्विस फ्रैंक (7 हजार करोड़ रुपए) हो गया.
- काला धन रखने वाले खुलवाते हैं नंबर अकाउंट
- स्विस बैंक में अकाउंट 68 लाख रुपए से खुलता है
- नाम के बजाय नंबर आईडी का इस्तेमाल होता है
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नई दिल्ली: स्विस बैंकों में जमा भारतीयों का पैसा वर्ष 2017 में 50 फीसदी बढ़कर 1.01 अरब सीएचएफ यानी स्विस फ्रैंक (7 हजार करोड़ रुपए) हो गया. हालांकि, वर्ष 2006 के अंत में भारतीयों का जमा पैसा 650 करोड़ स्विस फ्रैंक (23,000 करोड़ रुपए) के अपने रिकॉर्ड हाई पर था. इसे देखते हुए यह सवाल उठना लाजमी है कि ऐसा क्या है, जिसकी वजह से सभी पैसे कैसे स्विस फ़्रैंक में निवेश करने के लिए वाले लोग स्विस बैंक में ही खाता खोलते हैं. काले धन और स्विस बैंकों को लेकर कई खबरें तो पढ़ी होंगी, लेकिन क्या आपको मालूम है कि यह कैसे काम करता है. सवाल यह भी है क्या केवल बड़े धन कुबेर ही स्विस बैंक में खाता खोल सकते है? जी नहीं, स्विस बैंक में कोई भी अपना खाता खोल सकता है. आइए जानते हैं स्विस बैंक में कैसे खुलवाया जा सकता है खाता-
ऐसे खुलवा सकते हैं खाता
आप स्विटजरलैंड में स्थित किसी भी बैंक में खाता खोलने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. इसके लिए बैंक आपके पहचान संबंधी दस्तावेजों को कॉरेस्पोंडेंस के जरिए मंगाता है. इसे आप ई-मेल के जरिए भी भेज सकते हैं. केवल बिना नाम वाला खाता खोलने के लिए ही आपको स्विटजरलैंड जाना जरूरी होता है.
काले धन रखने के लिए 'नंबर अकाउंट'
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, काला धन रखने वाले जो अकाउंट खुलवाते हैं, उसे नंबर अकाउंट कहा जाता है. स्विस बैंक में अकाउंट 68 लाख रुपए से खुलता है. इसमें ट्रांसजैक्शन के वक्त कस्टमर के नाम के बजाय सिर्फ उसे दी गई नंबर आईडी का इस्तेमाल होता है. इसके लिए स्विट्जरलैंड के बैंक में फिजिकल तौर पर जाना जरूरी हो जाता है. 20,000 रुपए हर साल इस अकाउंट की मेंटनेंस के लिए जाते हैं.
तीन तरह के खुलते हैं अकाउंट
आपके पहचान संबंधी दस्तावेजों का किसी सरकारी एजेंसी से प्रमाणित होना जरूरी है, जिसके आधार पर स्विटजरलैंड के बैंक में आप पर्सनल अकाउंट, सेविंग्स अकाउंट और इन्वेस्टमेंट अकाउंट सहित दूसरे खाते खुलवा सकते हैं. बैंक रिकॉर्ड के लिए कई तरह के डॉक्युमेंट्स मांगते हैं. इनमें पासपोर्ट की ऑथेन्टिक कॉपी, कंपनी के डॉक्युमेंट, प्रफेशनल लाइसेंस जरूरी होता है.
बिना नाम के भी खुलते हैं खाते
स्विट्जरलैंड में करीब 400 बैंक हैं. ये सभी बैंक गोपनीयता कानून की धारा 47 के तहत बैंक अकाउंट खुलवाने वाले की गोपनीयता रखते हैं. अपनी गोपनीयता की वजह से दुनिया भर में लोकप्रिय स्विस बैंक ग्राहकों को नंबर के आधार पर भी खाता खोलने का मौका देते हैं, यानी कि खाते पर आपका नाम नहीं होगा.
नंबर से ही होता है सारा लेन-देन
सारा लेन-देन नंबर के आधार पर होगा, लेकिन इस तरह का खाता खोलने की प्रक्रिया काफी सख्त है. खाता खोलने वाले को खुद बैंक में जाकर अपनी पूरी जानकारी देनी पड़ती है. इसके अलावा यह खाता न्यूनतम 1 लाख डॉलर की पूंजी से खोला जा सकता है. खाता धारक के नाम की जानकारी केवल बैंक के कुछ चुनिंदा वरिष्ठ अधिकारियों के पास होती है.
कोई भी वयस्क खोल सकता है खाता
कोई भी व्यक्ति, जिसकी उम्र 18 साल से ज्यादा है, वह स्विस बैंक में अपना खाता खोल सकता है. भारतीय भी इसी कड़ी में अपना खाता खोल सकते हैं. हालांकि, खाता खोलने का अंतिम अधिकार दूसरे बैंकों की तरह स्विस बैंक के पास होता है. बैंक खाता खोलते वक्त खास तौर से पूंजी के स्रोत आदि पर कड़ी पड़ताल करता है, जिसमें राजनीतिक शख्सियत आदि का खाता खोलते वक्त खास पड़ताल की जाती है.
स्विटजरलैंड में हैं 400 बैंक
स्विटजरलैंड में करीब 400 बैंक हैं, जो स्विस बैंक के रूप में जाने जाते हैं. इसमें से दुनिया भर में यूनाइटेड बैंक ऑफ स्विटजरलैंड (यूबीएस) और क्रेडिट सुईस समूह सबसे कैसे स्विस फ़्रैंक में निवेश करने के लिए लोकप्रिय बैंक हैं. इन बैंकों के पास स्विटजरलैंड के कुल बैंकों की 50 फीसदी से ज्यादा बैलेंसशीट है.
भारतीयों पर लगते हैं RBI और FEMA कानून
रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक, जिस भारतीय का विदेशी बैंक में खाता है, वह उसमें साल में 1.25 लाख डॉलर तक जमा कर सकता है. इसके अलावा कंपनियों के खातों पर फेमा कानून लागू होता है. खाते में लेन-देने को लेकर प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को छूट मिलती है.
स्विट्जरलैंड में पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप
अगर आप स्विट्जरलैंड में पढ़ाई करना चाहते हैं तो स्विस गवर्नमेंट एक्सिलेंस स्कॉलरशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं.
स्नेहा
- नई दिल्ली,
- 15 अक्टूबर 2015,
- (अपडेटेड 15 अक्टूबर 2015, 3:53 PM IST)
अगर आप स्विट्जरलैंड में पढ़ाई करना चाहते हैं तो स्विस गवर्नमेंट एक्सिलेंस स्कॉलरशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं. आवेदन करने की अंतिम तारीख 11 नवंबर है. यहां डॉक्टरल और पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च में डिग्री लेने का मौका मिलेगा.
योग्यता: स्टूडेंट्स जिस विषय में रिसर्च कर रहे हैं उसमें मास्टर डिग्री होनी चाहिए.
स्कॉलरशिप: 1,920-3,000 स्विस फ्रैंक यानी हर महीने 1,30,860-2,04,469 रुपये
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
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