उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए घटता विदेशी मुद्रा भंडार एक बड़ा जोखिम, भारत के पास है इससे निपटने का ब्लूप्रिंट

ब्लूमबर्ग द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार थाईलैंड में जीडीपी के मुकाबले विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई है। इसके बाद मलेशिया और भारत का स्थान है। लेकिन भारतीय रुपया अब धीरे-धीरे स्थिरता की तरफ बढ़ रहा है।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। उभरती एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के सामने इन दिनों एक बड़ी मुश्किल खड़ी होती जा रही है। इन अर्थव्यवस्थाओं के विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से कमी आ रही है, जो चिंता का विषय है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है।

ज्यादातर एशियाई अर्थव्यवस्थाएं इन दिनों डॉलर की मजबूती का शिकार हैं। बहुत से केंद्रीय बैंक अपनी मुद्राओं में होने वाली गिरावट को रोकने के लिए बाजार में हस्तक्षेप कर रहे हैं। वे करेंसी मार्केट में अपने विदेशी मुद्रा कोष से डॉलर की बिक्री कर रहे हैं। लेकिन इससे हो यह रहा है कि उनका खजाना दिनों-दिन खाली होता जा रहा है। अगर यह स्थिति कुछ दिन और बनी रही तो जल्द ही एशियाई देशों के केंद्रीय बैंकों को करेंसी मार्केट में हस्तक्षेप करना बंद करना होगा।

Air India not govt controlled : Delhi High Court (Jagran File Photo)

लेकिन असल चुनौती इसके बाद शुरू होगी। बहुत मुमकिन है कि इसके बाद इन देशों में स्थानीय करेंसी के मुकाबले डॉलर मजबूत हो जाए। अगर ऐसा लंबे समय तक होता रहा तो लोकल करेंसी में एक तरह से अवमूल्यन की स्थिति पैदा हो जाएगी।

क्या है वास्तविक स्थिति

एक देश अपनी विदेशी मुद्रा होल्डिंग्स के साथ कितने महीने का आयात अफोर्ड कर सकता है, इस हिसाब से देखें तो चीन को छोड़कर बाकी उभरती हुई एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के लिए विदेशी मुद्रा भंडार लगभग सात महीने के आयात तक गिर गया है। 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से यह सबसे खराब आंकड़ा है। इस साल की शुरुआत में इन देशों का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 10 महीने के आयात के बराबर था। अगस्त 2020 में यह 16 महीने के उच्चतम स्तर पर था।

चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में 19,485 करोड़ के फ्राड हुए।

सिंगापुर में स्टैंडर्ड चार्टर्ड में आसियान और दक्षिण एशिया एफएक्स अनुसंधान के प्रमुख दिव्या देवेश ने कहा कि गिरावट से संकेत मिलता है कि अपनी करेंसी को सपोर्ट करने के लिए केंद्रीय बैंको का हस्तक्षेप घटता जाएगा।

किस देश के पास कितना फॉरेन रिजर्व

ब्लूमबर्ग द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, थाईलैंड ने सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ी गिरावट देखी, इसके बाद मलेशिया क्या विदेशी मुद्रा स्टॉक से सुरक्षित है और भारत का स्थान रहा। स्टैंडर्ड चार्टर्ड का अनुमान है कि भारत के पास लगभग नौ महीने, इंडोनेशिया के लिए छह, फिलीपींस के पास आठ और दक्षिण कोरिया के पास सात महीने के आयात को कवर करने के लिए विदेशी मुद्रा बची है।

RBI increase repo rate five time in 2022 (Jagran File Photo)

इस स्थिति को देखते हुए मंदी का कोई भी संकेत एशियाई मुद्राओं के लिए नुकसान को बढ़ा सकता है। हाल के दिनों में कई एशियाई मुद्राएं ऐसी रही हैं, जिन्होंने डॉलर के मुकाबले सबसे बड़ी गिरावट देखी है। बहुत संभव है कि कुछ देशों के केंद्रीय बैंक डॉलर की बिक्री करने के बजाय उसकी खरीद में लग जाएं। उनका ध्यान आयातित मुद्रास्फीति से निर्यात को बढ़ावा देने की तरफ भी जा सकता है।

विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप के मामले में भारत और थाईलैंड सबसे आक्रामक रहे हैं। इन्होंने अपने फॉरेन रिजर्व का उपयोग करके लोकल करेंसी में गिरावट को रोकने का भरपूर प्रयास किया है। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 81 बिलियन डॉलर और थाईलैंड के मुद्रा भंडार में 32 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है। दक्षिण कोरिया के भंडार में 27 अरब डॉलर, इंडोनेशिया में 13 अरब डॉलर और मलेशिया में 9 अरब डॉलर की गिरावट आई है।

India to continue to be fastest growing major economy next year says Tata Sons Chairman N Chandrasekaran

भारत कैसे निपटेगा इस स्थिति से

भारत की स्थिति अन्य देशों के मुकाबले काफी बेहतर है। जीडीपी के आंकड़ों को देखें तो भारत की विकास दर इस समय सबसे अधिक है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि रुपए के अवमूल्यन का संकट नहीं आएगा। आरबीआई ने कुछ दिन पहले कहा था कि वह रुपये में किसी भी तेज गिरावट को रोकने की पूरी कोशिश करेगा। आरबीआई की इन कोशिशों का असर दिखने भी लगा है और रुपया अब धीरे-धीरे स्थिर हो रहा है।

मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने मंगलवार को कहा कि भारत, रुपये को सहारा देने की कोशिश नहीं कर रहा है और रुपया मुद्रा बाजार की चुनौतियों से निपटने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है कि रुपये की गति धीरे-धीरे बाजार के रुझान के अनुरूप हो।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया मंगलवार को 36 पैसे की तेजी के साथ 79.17 के एक महीने के उच्च स्तर पर बंद हुआ।

Forex Reserve में लगातार आ रही गिरावट पिछले हफ्ते 1.774 अरब डॉलर फिसला, गोल्ड रिजर्व में आई तेजी

Foreign Reserves: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार छह मई को समाप्त सप्ताह में 1.774 अरब डॉलर घटकर 595.954 अरब डॉलर रह गया है.

By: ABP Live | Updated at : 14 May 2022 03:58 PM (IST)

फॉरेक्स रिजर्व (फाइल फोटो)

Foreign Exchange Reserves: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. साथ ही स्टॉक मार्केट से विदेशी निवेशक तेजी से पैसा निकाल रहे हैं. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) छह मई को समाप्त सप्ताह में 1.774 अरब डॉलर घटकर 595.954 अरब डॉलर रह गया है. बता दें संपत्ति में गिरावट आने की वजह से विदेशी भंडार में गिरावट देखने को मिली है. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) ने आंकड़ा जारी कर इस बारे में जानकारी दी है.

जानें क्यों लगातार आ रही है गिरावट?
आपको बता दें इससे पहले वाले हफ्ते की बात करें तो इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 2.695 अरब डॉलर घटकर 597.728 अरब डॉलर रह गया था. ऐसे समय में जब विदेशी निवेशकों की तरफ से निकासी करने की वजह से रुपए पर दबाव आ रहा है. रिजर्व बैंक रुपये के बचाव के लिए सभी बाजारों में कथित तौर पर दखल दे रहा है. मार्च 2022 तक छह महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार 28.05 अरब डॉलर गिर चुका था.

RBI ने जारी किया आंकड़ा
आरबीआई की क्या विदेशी मुद्रा स्टॉक से सुरक्षित है ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (FCA) घटने की वजह से आई है. बता दें यह कुल मुद्रा भंडार क्या विदेशी मुद्रा स्टॉक से सुरक्षित है का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. आंकड़ों के मुताबिक, एफसीए 1.968 अरब डॉलर घटकर 530.855 अरब डॉलर रह गया.

गोल्ड रिजर्व में आई तेजी
डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि अथवा मूल्यह्रास के प्रभावों को शामिल किया जाता है. आंकड़ों के मुताबिक, आलोच्य सप्ताह में गोल्ड रिजर्व का मूल्य भी 13.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 41.739 अरब डॉलर हो गया.

1.1 करोड़ डॉलर क्या विदेशी मुद्रा स्टॉक से सुरक्षित है क्या विदेशी मुद्रा स्टॉक से सुरक्षित है घटा
समीक्षाधीन सप्ताह में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (SDR) सात करोड़ डॉलर बढ़कर 18.370 अरब डॉलर हो गया है. आईएमएफ में रखे क्या विदेशी मुद्रा स्टॉक से सुरक्षित है क्या विदेशी मुद्रा स्टॉक से सुरक्षित है देश का मुद्रा भंडार 1.1 करोड़ डॉलर घटकर 4.99 अरब डॉलर रह गया.

Published at : 14 May 2022 03:58 PM (IST) Tags: Reserve Bank of India RBI foreign currency gold reserve foreign exchange reserves Gold forex हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 28 अक्‍तूबर को समाप्‍त हुए सप्‍ताह में 6 अरब 56 करोड डॉलर बढ़कर, पांच सौ 31 अरब डॉलर से अधिक हुआ

रिजर्व बैंक ने कहा है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 28 अक्‍तूबर को समाप्‍त हुए सप्‍ताह में छह अरब छप्‍पन करोड दस लाख डॉलर बढ़कर, पांच खरब 31 अरब आठ करोड़ दस लाख डॉलर हो गया है। इसी अवधि में विदेशी मुद्रा परिसम्‍पत्ति में भी पांच अरब 77 करोड़ बीस लाख डॉलर की वृद्धि हुई है और यह चार खरब 70 अरब 84 करोड 70 लाख तक पहुंच गया है। देश के स्‍वर्ण भंडार की कीमत में पचपन करोड़ साठ लाख की वृद्धि हुई है और यह बढ़कर 37 अरब 76 करोड़ बीस लाख डॉलर हो गया है। विशेष आहरण अधिकार में भी आठ करोड पचास लाख डॉलर की बढोतरी हुई है और यह बढ़कर 17 अरब 62 करोड पचास लाख डॉलर हो गया है। अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष में भारत का सुरक्षित भंडार भी चार करोड़ अस्‍सी लाख डॉलर बढ़ा है और यह 4 अरब 84 करोड 70 लाख अमरीकी डॉलर हो गया है।

रुपये ने बनाया गिरने का नया रिकॉर्ड, पहली बार 82 के पार, आपके ऊपर होगा ये असर

Dollar Vs Rupee: एक्सपर्ट्स की मानें तो अनिश्चितता के समय में लोग सुरक्षित ठिकाना तलाशते हैं और डॉलर उन्हें सबसे बैहतर विकल्प लगता है. ऐसे में विदेशी निवेशक जब बिकवाली करते हैं, तो विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ता है और डॉलर की मांग बढ़ती है, जबकि रुपये समेत अन्य करेंसियों की मांग कम हो जाती है.

रिकॉर्ड निचले स्तर तक लुढ़का रुपया

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 अक्टूबर 2022,
  • (अपडेटेड 07 अक्टूबर 2022, 2:21 PM IST)

भारतीय करेंसी रुपया (Rupee) लगातार गिरने का नया रिकॉर्ड बनाता जा रहा है. बीते दिनों अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ये 81 के स्तर तक फिसल गया था, तो अब नए निचले स्तर (Rupee Record Low) को छूते हुए 82 के पार निकल गया है. शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में यह कमजोर होकर 82.33 के स्तर पर आ गया. यहां बता दें रुपये में ये गिरावट कई तरह से आप पर असर (impact) डालने वाली है.

16 पैसे टूटकर छुआ रिकॉर्ड लो स्तर
पहले बात कर लेते हैं Rupee में लगातार जारी गिरावट के बारे में, तो बीते कारोबारी दिन मुद्रा बाजार (Currency Market) में डॉलर के मुकाबले रुपया 81.88 के स्तर पर बंद हुआ था. बीते कुछ दिनों में इसमें कभी मामूली बढ़त और कभी गिरावट देखने को मिल रही थी. लेकिन कई रिपोर्ट्स में इसके 82 तक गिरने की आशंका जताई जा रही थी.

शुक्रवार को जैसे ही कारोबार शुरू हुआ भारतीय करेंसी (Indian Currency) में 16 पैसे की जोरदार गिरावट आई और रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले (Rupee Vs Dollar) रिकॉर्ड निचले स्तर 82.33 तक फिसल गया. पहली बार 23 सितंबर 2022 को इसने 81 रुपये के निचले स्तर को छुआ था. जबकि उससे पहले 20 जुलाई को यह 80 रुपये का लेवल पार कर गया था. यहां बता दें रुपया साल भर पहले अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 74.54 के स्तर पर था.

सम्बंधित ख़बरें

World Bank ने घटाया भारत की वृद्धि दर का अनुमान, बताए ये कारण
IMF चीफ की चेतावनी- दुनिया पर बढ़ रहा मंदी का खतरा, तुरंत उठाने होंगे कदम
दिवाली से पहले शुरू करें ये बिजनेस, कम लागत में कमाएं मोटा मुनाफा
DA Hike की सौगात, अब 18 महीने का पेंडिग एरियर कब? आया ये बड़ा अपडेट
इस सरकारी बैंक ने दिया बड़ा झटका, आज से ग्राहकों का बढ़ेगा खर्च

सम्बंधित ख़बरें

रुपये में गिरावट के बड़े कारण
भारतीय मुद्रा रुपये में लगातार आ रही गिरावट के एक नहीं बल्कि कई कारण है. हालांकि, इसके टूटने की सबसे बड़ी वजह अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी को माना जा रहा है. दरअसल, अमेरिका में महंगाई (US Inflation) चार दशक के उच्च स्तर पर बनी हुई है और इसके चलते वगां ब्याज दरें लगातार बढ़ (US Rate Hike) रही हैं. बीते दिनों एक बार फिर से फेड रिजर्व ने इनमें 0.75 फीसदी की भारी-भरकम बढ़ोतरी की.

दरें बढ़ने की रफ्तार में सुस्ती नहीं आने का संकेत मिलने के कारण दुनिया भर की करेंसी डॉलर के मुकाबले तेजी से गिर रही हैं. क्योंकि डॉलर के मजबूत होने पर इन्वेस्टर्स दुनिया भर के बाजारों से पैसे निकाल रहे हैं और सुरक्षा के लिहाज से अमेरिकी डॉलर में अपना इन्वेस्टमेंट क्या विदेशी मुद्रा स्टॉक से सुरक्षित है झोंक रहे हैं. इन्वेस्टर्स की इस बिकवाली का असर रुपया समेत दुनिया भर की करेंसियों पर हो रहा है. इसके अलावा जबकि, रूस और यूक्रेन युद्ध और उससे उपजे भू-राजनैतिक हालातों ने भी रुपया पर दबाव बढ़ाने का काम किया है.

डॉलर बन रहा सुरक्षित ठिकाना!
विशेषज्ञों की मानें तो अंतरराष्ट्रीय बाजारों में जब उथल-पुथल मचती है, तो निवेशक डॉलर की ओर अपना रुख करते हैं. डॉलर की मांग बढ़ती है तो फिर अन्य करेंसियों पर दबाव बढ़ता चला जाता है. दुनिया भर में अनिश्चितता की बात करें तो कोरोना महामारी या फिर रूस-यूक्रेन में युद्ध, इनकी वजह से आपूर्ति में रुकावट आई है, जो दुनियाभर में अव्यवस्था पैदा करने वाली साबित हुई है.

उन्होंने कहा, जब अनिश्चितता का समय होता है तो लोग सुरक्षित ठिकाना खोजते हैं और डॉलर को एक सुरक्षित ठिकाना मानते हैं. विदेशी निवेशकों जब जोरदार बिकवाली करते हैं, तो फिर विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ता है और डॉलर की मांग बढ़ जाती है, जबकि रुपये समेत अन्य करेंसियों की मांग कम हो जाती है.

भारत के लिए इसलिए बड़ी मुसीबत
रुपये के टूटने से कई क्षेत्रों में बड़ा असर देखने को मिलता है. इसमें तेल की कीमतों से लेकर रोजमर्रा के सामनों की कीमतों में इजाफा दिखाई देने लगता है. भारत के लिए डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट इसलिए भी बड़ी मुसीबत का सबब है, क्योंकि भारत जरूरी तेल, इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी समेत कई दवाओं का भारी मात्रा में आयात करता है. अगर रुपये में इसी तरह गिरावट जारी रही तो आयात और महंगा हो जाएगा और आपको ज्यादा खर्च करना होगा.

गौरतलब है कि भारत तेल से लेकर जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल-लैपटॉप समेत अन्य गैजेट्स के लिए दूसरे देशों से आयात पर निर्भर है. अधिकतर मोबाइल और गैजेट का आयात चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता और ज्यादातर कारोबार डॉलर में ही होता है. विदेशों से आयात होने के कारण इनकी कीमतों में इजाफा तय है, मतलब मोबाइल और अन्य गैजेट्स पर महंगाई बढ़ जाएगी. बता दें भारत क्या विदेशी मुद्रा स्टॉक से सुरक्षित है अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है और इसका भी भुगतान डॉलर में ही होता है. अब डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च करना होगा, जिससे माल ढुलाई महंगी होगी और इसका असर हर जरूरत की चीज पर महंगाई के रूप में दिखाई देगा.

विदेश में बच्चों को पढ़ाना-घूमना महंगा
दरअसल, कच्चे तेल, सोना और अन्य धातुओं की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर में तय होती हैं. ऐसे में दिनों-दिन रुपये की बिगड़ रही हालत से इनकी खरीद के लिए हमें ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च करना पड़ेगा. घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी बढ़ेंगी. इसके अलावा रुपये में गिरावट से भारतीयों के लिए विदेश में पढ़ाई करना और घूमना महंगा हो जाएगा. घरेलू मुद्रा में इस बड़ी गिरावट से विदेश में अब समान शिक्षा के लिए पहले की तुलना करीब 15 से 20 फीसदी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा.

विदेशी मुद्रा भंडार 20.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 532.868 अरब डॉलर पर

मुंबई, 14 अक्टूबर (भाषा) भारत का विदेशी मुद्रा भंडार सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 20.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 532.868 अरब डॉलर पर पंहुच गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक सुरक्षित सोने के भंडार का मूल्य बढ़ने से विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई है। इसके पिछले हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.664 अरब डॉलर पर आ गया था। देश का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले कई हफ्तों से लगातार गिर रहा था। दरअसल तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में डॉलर के मुकाबले तेजी से गिरते रुपये को संभालने के

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक सुरक्षित सोने के भंडार का मूल्य बढ़ने से विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई है। इसके पिछले हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.664 अरब डॉलर पर आ गया था।

देश का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले कई हफ्तों से लगातार गिर रहा था। दरअसल तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में डॉलर के मुकाबले तेजी से गिरते रुपये को संभालने के लिए आरबीआई ने इस विदेशी मुद्रा भंडार के एक हिस्से का इस्तेमाल किया है।

एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था।

आरबीआई की तरफ से जारी साप्ताहिक सांख्यिकीय आंकड़ों के अनुसार, सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 1.311 अरब डॉलर घटकर 471.496 अरब डॉलर रह गयीं। एफसीए असल में समग्र भंडार का एक प्रमुख हिस्सा होता है।

डॉलर के संदर्भ में एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में वृद्धि या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल है।

आरबीआई ने कहा कि सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में सोने के सुरक्षित भंडार के मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि होने से विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा है। इस दौरान सोने के सुरक्षित भंडार का मूल्य 1.35 अरब डॉलर बढ़कर 38.955 अरब डॉलर पर आ गया।

केंद्रीय बैंक के अनुसार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 15.5 करोड़ डॉलर की गिरावट के साथ 17.582 अरब डॉलर रह गया है।

इसके अलावा समीक्षाधीन सप्ताह में अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के पास रखी भारत की आरक्षित निधि 10 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.836 अरब अमेरिकी डॉलर हो गई।

रेटिंग: 4.21
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 761