शेयरों में निवेश करने से पहले कुछ चीजों पर ध्‍यान देना जरूरी है. इनमें कंपनी की पसंद, शेयर की कीमत, निवेश योग्‍य रकम इत्‍याद‍ि शामिल हैं. इसके बाद आप नीचे बताए गए 3 तरीकों की मदद से शेयरों में निवेश कर सकते हैं.

म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट कैसे करे – आसान हिन्दी में बेहतरीन आर्टिकल्स की एक शुरुआती गाइड

म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट हर एक इन्वेस्टर के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं । जिसका कारण है इससे मिलने वाले फायदे। इसके कईं फायदों में से कुछ सबसे महत्वपूर्ण फ़ायदे नीचे दिए हैं, जो इन्वेस्टर्स को अपनी ओर खींचते है और जिसकी वजह से –

  • इन्वेस्टर्स कितनी भी राशि के साथ शुरुआत कर सकते हैं ( 500 जितना कम भी )
  • इन्वेस्टर्स, अलग-अलग स्टॉक्स और डेट,गोल्ड जैसे इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं
  • हर महीने ऑटोमेटेड इन्वेस्मेंट्स शुरू कर ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो अलग सकते हैं (SIP)
  • डीमैट अकाउंट खोले बिना भी इन्वेस्ट कर सकते हैं

शुरुआती इन्वेस्टर्स के लिए इस म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट गाइड में हमने कुछ आर्टिकल्स को आपके लिए चुना है। जो म्युचुअल फंड को समझने में और कैसे इन्वेस्ट करना शुरू करें, इसमें आपकी मदद करेंगे। हम सुझाव देंगे कि आप इस पेज को बुकमार्क कर लें ताकि आप इन आर्टिकल्स को अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी पढ़ सकें।

​शेयरों में सीधे निवेश

इसके लिए आपको कंपनी के बारे में रिसर्च करने की जरूरत पड़ती है. आपको निवेश करने के लिए ब्रोकर के पास ट्रेडिंग अकाउंट के साथ डीमैट अकाउंट खुलवाना होगा. बैंक अकाउंट और केवाईसी कंप्‍लायंस भी अनिवार्य है.

​इक्विटी म्‍यूचुअल फंड

​इक्विटी म्‍यूचुअल फंड

इक्विटी म्‍यूचुअल फंडों में निवेश करने के लिए आपको केवाईसी की जरूरतों को पूरा करना पड़ता है. साथ ही फंड हाउस के एप्‍लीकेशन फॉर्म को भरना होगा जिसमें आप अपनी पसंद की स्‍कीम के बारे में बताते हैं. एप्‍लीकेशन स्‍वीकार होने के बाद आपको यूनिटें आवंटित हो जाती हैं. निवेश की पोर्टफोलियो वैल्‍यू दिन के अंत में निकाली जाती है. इसका कैलकुलेशन करने के लिए एनएवी के साथ यूनिटों को गुणा किया जाता है.

​पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस

​पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस

शेयर बाजार में बहुत ज्‍यादा पैसा (50 लाख रुपये से अधिक) लगाने की चाहत रखने वाले निवेशकों के पास पोर्टफोलियो मैनेजर्स की सेवाएं लेने का भी विकल्‍प है. इसके लिए पोर्टफोलियो मैनेजमेंट एग्रीमेंट ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो अलग किया जाता है. यह एग्रीमेंट निवेशक और पोर्टफोलियो मैनेजर के बीच होता है. इसमें निवेश का मकसद, जोखिम, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट चार्ज की शर्तों के साथ इस बात का भी उल्‍लेख किया जाता है कि पोर्टफोलियो मैनेजर किस तरह की प्रतिभूतियों में निवेश करेंगे. शेयरों का स्‍वामित्‍व निवेशक के पास उसके डीमैट खाते में रहता है. इस तरह निवेशक को अपने खाते में ही डिविडेंड/बोनस एलॉटमेंट का पैसा मिलता है.

​किन बातों का रखें ध्‍यान

​किन बातों का रखें ध्‍यान

1-म्‍यूचुअल फंड पर कैपिटल गेंस टैक्‍स यूनिटों को भुनाने के ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो अलग वक्‍त ही लगता है. म्‍यूचुअल फंड पोर्टफोलियो के भीतर फंड मैनेजर प्रतिभूतियों में जो खरीद-फरोख्‍त करते हैं, उस पर कोई टैक्‍स नहीं लगता है.

2- पोर्टफोलियो मैनेजर ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो अलग जिन शेयरों में निवेश करते हैं, उन पर ट्रांजेक्‍शन के वक्‍त कैपिटल गेंस टैक्‍स लगता है. इस टैक्‍स को भरने की जिम्‍मेदारी निवेशक के पाले में आती है.ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो अलग

3- म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम के मुकाबले पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस यानी पीएमएस में पोर्टफोलियो को कस्‍टमाइज करने का खर्च ज्‍यादा आता है. म्‍यूचुअल फंड में स्‍टैंडर्ड पोर्टफोलियो होता है. यह स्‍कीम के निवेश उद्देश्‍यों की तर्ज पर होता है.

Web Title : these are 3 ways to invest in stocks, know what are the tax rules regarding them
Hindi News from Economic Times, TIL Network

म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट कैसे करे – आसान हिन्दी में बेहतरीन आर्टिकल्स की एक शुरुआती गाइड

म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट हर एक ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो अलग इन्वेस्टर के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं । जिसका कारण है इससे मिलने वाले फायदे। इसके कईं फायदों में से कुछ सबसे महत्वपूर्ण फ़ायदे नीचे दिए हैं, जो इन्वेस्टर्स को अपनी ओर खींचते है और जिसकी वजह से –

  • इन्वेस्टर्स कितनी भी राशि के साथ शुरुआत कर सकते हैं ( 500 जितना कम भी )
  • इन्वेस्टर्स, अलग-अलग स्टॉक्स और डेट,गोल्ड जैसे इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं
  • हर महीने ऑटोमेटेड इन्वेस्मेंट्स शुरू कर सकते हैं (SIP)
  • डीमैट अकाउंट खोले बिना भी इन्वेस्ट कर सकते हैं

शुरुआती इन्वेस्टर्स के लिए इस म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट गाइड में हमने कुछ आर्टिकल्स को आपके लिए चुना है। जो म्युचुअल फंड को समझने में और कैसे इन्वेस्ट करना शुरू करें, इसमें आपकी मदद करेंगे। हम सुझाव देंगे कि आप इस पेज को बुकमार्क कर लें ताकि आप इन आर्टिकल्स को अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी पढ़ सकें।

Stock Market: मार्केट में उतार-चढ़ाव के बीच क्या हो निवेश का ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो अलग सही तरीका? जानिए किन बातों का ध्यान रखना है जरूरी

Stock Market: मार्केट में उतार-चढ़ाव के बीच क्या हो निवेश का सही तरीका? जानिए किन बातों का ध्यान रखना है जरूरी

आज के समय में अगर आप निवेश के ज़रिए अच्छा रिटर्न चाहते हैं तो एक बेहतर पोर्टफोलियो का होना काफी अहम है.

Stock Market: आमतौर पर इस बारे में चर्चा होती ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो अलग रहती है कि निवेशकों को पोर्टफोलियो से जुड़े फैसले लेते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. लेकिन निवेशकों के लिए यह समझना भी उतना ही जरूरी है कि उन्हें क्या नहीं करना चाहिए. यह समझना एक निवेशक के तौर पर आपके इन्वेस्टमेंट जर्नी के लिए बेहद अहम है. आज के समय में अगर आप निवेश के ज़रिए अच्छा रिटर्न चाहते हैं तो एक बेहतर पोर्टफोलियो का होना काफी अहम है. कई निवेशक शेयर या म्यूचुअल फंड्स में ही अपना सारा पैसा लगा देते हैं. डाइवर्सिफिकेशन का फायदा यह है कि यह मोटे तौर पर आपके इनवेस्टमेंट में रिस्क को कम करता है. इसके अलावा, यह लंबी अवधि में आपके रिटर्न को भी बढ़ाता है.

भविष्य को लेकर अनुमान लगाने से बचें

निवेशक अक्सर बाजार के उतार-चढ़ाव को लेकर अनुमान लगाते रहते हैं. निवेशकों को ऐसा करने से बचना चाहिए. अभी भी लॉन्ग टर्म में बाजार ऊपर की ओर जाएंगे क्योंकि बिजनेस समय के साथ बेहतर प्रदर्शन करते हैं. अक्सर निवेशक बाजार की गिरावट को देखकर घबरा जाते हैं और अपने शेयर बेचने लगते है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि करेक्शन के समय हमें घबराने के बजाए इसे इन्वेस्टमेंट के मौके के तौर पर देखना चाहिए.

सोशल मीडिया या ट्विटर या किसी प्लेटफॉर्म पर तैरने वाली किसी भी राय या सलाह को न मानें. इस तरह की सलाह को मानकर आप ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो अलग किसी मुश्किल में फंस सकते हैं. इसलिए हमेशा यह सलाह दी जाती है कि निवेश से जुड़े किसी भी तरह के फैसले लेने से पहले अपने निवेश सलाहकार से चर्चा कर लें.

अटकलें न लगाएं और निवेश करें

अपने पोर्टफोलियो से जुड़े फैसले लेते समय अटकलें लगाने से बचें और निवेश करें. आप किसी स्टॉक को जितना समय देंगे उसके अच्छे प्रदर्शन की संभावना भी उतनी ही बढ़ जाती है. इसलिए निवेश के दौरान धैर्य बनाए रखना भी बेहद जरूरी है.

फाइनेंशियल प्लानर्स और फंड मैनेजरों का मानना है कि आपको अपने पोर्टफोलियो की नियमित तौर पर समीक्षा करते रहना चाहिए. यह इसलिए जरूरी है कि हो सकता है कि पहले आपने जिस एसेट क्लास में बेहतर रिटर्न की उम्मीद की थी, समय के साथ रिटर्न के मामले में उसकी अहमियत कम हो जाए. अगर ऐसे एसेट क्लास को लेकर तुरंत रणनीति में बदलाव न किया जाए तो आपको बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. जैसे-जैसे बाजार बदलता है, आपको अपने पोर्टफोलियो में भी बदलाव करना चाहिए. निवेशकों को यह समझने की जरूरत है कि पोर्टफोलियो को संतुलित करना एक बार का काम नहीं है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमने जिन एसेट्स में निवेश किया है, वह आगे भी बेहतर रिटर्न देंगे, नियमित तौर पर समीक्षा जरूरी है.

अटकलें न लगाएं और निवेश करें

अपने पोर्टफोलियो से जुड़े फैसले लेते समय अटकलें लगाने से बचें और निवेश करें. आप किसी स्टॉक को जितना समय देंगे उसके अच्छे प्रदर्शन की संभावना भी उतनी ही बढ़ जाती है. इसलिए निवेश के दौरान धैर्य बनाए रखना भी बेहद जरूरी है.

फाइनेंशियल प्लानर्स और फंड मैनेजरों का मानना है कि आपको अपने पोर्टफोलियो की नियमित तौर पर समीक्षा करते रहना चाहिए. यह इसलिए जरूरी है कि हो सकता है कि पहले आपने जिस एसेट क्लास में बेहतर रिटर्न की उम्मीद की थी, समय के साथ रिटर्न के मामले में उसकी अहमियत कम हो जाए. अगर ऐसे एसेट क्लास को लेकर तुरंत रणनीति में बदलाव न किया जाए तो आपको बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. जैसे-जैसे बाजार बदलता है, आपको अपने पोर्टफोलियो में भी बदलाव करना चाहिए. निवेशकों को यह समझने की जरूरत है कि पोर्टफोलियो को संतुलित करना एक बार का ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो अलग काम नहीं है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमने जिन एसेट्स में निवेश किया है, वह आगे भी बेहतर रिटर्न देंगे, नियमित तौर पर समीक्षा जरूरी है.

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