वेटिंग लिस्ट में PQWL, RLWL आदि का होता है मतलब, जानें कितनी होती है इनके कंफर्म होने की संभावना

रेकी क्या है ? - क्या ये खतरनाक हो सकता है?

एक प्रश्‍न के जवाब में सद्‌गुरु बता रहे हैं कि हालांकि रेकी हीलिंग के कुछ तत्‍कालिक फायदे देखने को मिल सकते हैं पर आखिरकार यह हमारे लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

सद्‌गुरु:

धरती पर कितने सारे 'रेकी हीलर’ (उपचारक) हैं! कुछ साल पहले, अमेरिका के एक बहुत लोकप्रिय उपचारक चेन्नई आए। मुझे समझ नहीं आता कि क्यों अमेरिका के उपचारक भारत आ रहे हैं और भारत के उपचारक अमेरिका जा रहे हैं? भारतीय उपचारक भारत में और अमेरिकी उपचारक अमेरिका में ही उपचार क्यों नहीं कर रहे? वे यहां इसलिए आते हैं क्योंकि वहां के लोग जानते हैं कि यह कारगर नहीं है।

जब आप किसी तरह की दवा का इस्तेमाल करते हैं, तो यह किसी बाहरी चीज से शरीर की केमेस्ट्री बदलने की कोशिश होती है।

मैं यह नहीं कह रहा कि रेकी में कुछ भी नहीं है। नब्बे फीसदी मामलों में इसमें कुछ नहीं होता, लेकिन दस फीसदी मामलों में संभावना है कि उसमें कुछ हो सकता है। मान लीजिए कोई आपको बेकार या व्यर्थ की चीज बेच देता है, तो वह बस एक चतुर व्यापारी है और आप थोड़े बेवकूफ हैं। व्यर्थ की चीजें बेचना बस एक साफ-सुथरी ठगी होती है। उसमें पैसों का ही नुकसान होता है। उससे जिंदगी को नुकसान नहीं पहुंचता। लेकिन यह आपकी जिंदगी ले सकता है। तो उन दस फीसदी मामलों में जब वाकई कुछ होता है, तभी खतरा भी होता है। जब आप किसी तरह की दवा का इस्तेमाल करते हैं, तो यह किसी बाहरी चीज से शरीर की केमेस्ट्री बदलने की कोशिश होती है। एक तरफ वह दवा आपको उस बीमारी से छुटकारा दिलाती है, लेकिन किसी दूसरे स्तर पर वह एक और तरह की परेशानी पैदा कर देती है। जब यह परेशानी एक खास सीमा के आगे चली जाती है, तो हम कहते हैं कि यह दवा का साइड-इफेक्ट्स है। अगर आप योगाभ्यास कर रहे हैं, तो आप साफ तौर पर देख सकते हैं कि जब आप दवा ले रहे होते हैं, तो आपका सिस्टम वैसा नहीं रह जाता। जब भी आप बाहरी रसायनों से अंदरूनी केमेस्ट्री पर असर डालने की कोशिश करेंगे, तो वहां गड़बड़ी होगी।

जड़ पर ध्यान देने, और यह देखने के बजाय कि इसके लिए क्या करना चाहिए, अगर आप संकेत को ही मिटा देंगे तो समस्या की जड़ का असर आपके शरीर में और ज्यादा उग्र रूप ले लेगा।

पर पुरानी बीमारियां आपको किसी बाहरी जीवाणु की वजह से नहीं हुई हैं। पुराने रोगों में, बीमारी बस ऊपरी परत होती है। आपको जो लक्षण दिखते हैं, वह बस समुद्र में डूबे बर्फ के पहाड़ की चोटी की तरह होता है- बड़ी समस्या की छोटी सी झलक की तरह। इंसान की जो तकलीफ कौन कर सकता है माइनिंग? है, वो लक्षण ही होता है, वही आप सब को दिखता है, लेकिन वह मुख्य समस्या का एक छोटा सा हिस्सा होता है। समस्या कहीं और होती है। या दूसरे शब्दों में कहें तो लक्षण बस संकेतों की तरह होते हैं।

जब भी कोई किसी तरह का उपचार करने की कोशिश करता है, तो वे हमेशा लक्षण को हटाने की कोशिश करते हैं क्योंकि वे उसी को बीमारी मानते हैं। अगर आप केवल संकेतों को हटाएंगे, तो समस्या की जड़ तो रह ही जाएगी। संकेत शरीर में खुद को इसलिए प्रकट करता है, ताकि आप बीमारी की जड़ पर ध्यान दे सकें। जड़ पर ध्यान देने, और यह देखने के बजाय कि इसके लिए क्या करना चाहिए, अगर आप संकेत को ही मिटा देंगे तो समस्या की जड़ का असर आपके शरीर में और ज्यादा उग्र रूप ले लेगा। जो केवल दमा था, वह आपके जीवन में एक बड़ी दुर्घटना या कोई दूसरी विपत्ति का रूप ले सकता है। ऐसा संभव है।

अगर जड़ को निकालना है, तो बस यूं ही उसे हटाया और नष्ट नहीं किया जा सकता। उसे किसी विधि से बाहर निकालना होगा और उस पर कुछ काम करना पड़ता है। रेकी हीलिंग की ऐसी कोशिशें बहुत बड़ी नादानी हैं, एक बचकानी हरकत है। लोगों ने जीवन को न तो गहराई से समझा है, और न ही अनुभव किया है। उन्होंने जीवन को सिर्फ भौतिक आयाम में ही देखा है। इसलिए उन्हें लगता है कि किसी इंसान को उस समय उसकी शारीरिक पीड़ा से मुक्त कर देना ही सबसे बड़ी बात है। जबकि ऐसा नहीं है।

Railway Waiting List: वेटिंग लिस्ट में PQWL, RLWL आदि का क्या होता है मतलब, जानें कितनी होती है इनके कंफर्म होने की संभावना

रेलवे की टिकट बुक करते वक्त सबसे बड़ी समस्या होती है टिकट के कंफर्म होने की जब कभी हम लंबी दूरी की ट्रेन बुक करते हैं तो और को वेटिंग में चली जाती है तो उसके कंफर्म होने की संभावना काफी कम हो जाती है.

वेटिंग लिस्ट में PQWL, RLWL आदि का होता है मतलब, जानें कितनी होती है इनके कंफर्म होने की संभावना

वेटिंग लिस्ट में PQWL, RLWL आदि का होता है मतलब, जानें कितनी होती है इनके कंफर्म होने की संभावना

gnttv.com

  • नई दिल्ली,
  • 30 जनवरी 2022,
  • (Updated 30 जनवरी 2022, 4:46 PM IST)

RQWL में कम होती है टिकट कंफर्म होने की संभावना

टिकट कंफर्म करते वक्त रखें वेटिंग स्टेटस का ध्यान

जब कभी भी हम लंबी दूरी का ट्रेन का सफर करते हैं तो हमें कुछ दिनों पहले से ही रिजर्वेशन कराना पड़ता है. टिकटों की मारामारी के बीच टिकट कंफर्म होना बड़ी मुश्किल हो जाती है. हालांकि यात्रियों को इस परेशानी बचाने के लिए रेलवे आए दिन कोई ना कोई कदम उठाता रहता है. लेकिन इसके बाद बहुत से टिकट वेटिंग में रह जाते हैं. हम वेटिंग टिकट को एक जैसा समझते हैं, लेकिन आपको बता दें कि वेटिंग टिकट कई तरह की होती है. कई तरह के वेटिंग स्टेटस होते हैं. तो चलिए आज आपको वेटिंग स्टेटस और उसके कन्फर्म होने की संभावना के बारे में बताते हैं.

GNWL- GNWL का मतलब जनरल वेटिंग लिस्ट होता है. जब कोई यात्री ट्रेन के रूट के प्रारंभिक स्टेशन से यात्रा करता है और उसकी टिकट कन्फर्म नहीं होती है तो ऐसी स्थिति में टिकट जनरल वेटिंग लिस्ट में चला जाता है. टिकट वेटिंग लिस्ट में ये सबसे सामान्य है. इस स्थिति में टिकट के कंफर्म होने की संभावना सबसे ज्यादा रहती है.

PQWL- PQWL का मतलब होता है पूल्ड कोटा वेटिंग लिस्ट होता है. जब कोई लंबी दूरी की ट्रेन में बीच के किन्हीं दो स्टेशनों के बीच यात्रा करता है और उसकी टिकट वेटिंग में आती है तो वो PQWL वेटिंग लिस्ट में जाती है. यह लिस्ट एक बड़े एरिया के छोटे-छोटे कई स्टेशनों के लिए होती है. ये टिकट तभी कंफर्म होती है जब उस एरिया का कोई यात्री अपनी टिकट कैंसिल कर देता है. इसको ऐसा समझा जा सकता है कि आप किसी छोटे स्टेशन से यात्रा शुरू करते हैं और आपका टिकट PQWL में है तो कंफर्म होने के लिए आपके एरिया के किसी व्यक्ति को अपनी टिकट कैंसिल करनी पड़ेगी.

RQWL- RQWL का मतलब होता है रिक्वेस्ट वेटिंग लिस्ट. ये सबसे आखिरी वेटिंग लिस्ट होती है. जब किसी रूट में कोई पूल्ड कोटा ना हो तो इस तरह की वेटिंग लिस्ट को बनाया जाता है. इन टिकटों के कंफर्म होने के चांस काफी कम होते हैं.

CKWL- जब कभी तत्काल में ली गई टिकट कंफर्म नहीं होती है तो वो CKWL में चली जाती है. तत्काल टिकट बुकिंग में टिकटों कौन कर सकता है माइनिंग? की संख्या सामान्य रूप से बुक किए जाने वाले टिकटों की संख्या से काफी कम होती है तो इसमें टिकट होने की गुंजाइश उसी अनुपात में होती है. अगर तत्काल में वेटिंग टिकट होती है तो ऐसे में 10 वेटिंग लिस्ट तक के टिकट के कंफर्म होने की संभावना होती है.

RLWL- RLWL का मतलब होता है रिमोट लोकेशन वेटिंग लिस्ट. जब कोई यात्री दो बड़े स्टेशनों के बीच का किसी रिमोट स्टेशन की टिकट लेता है, मतलब ऐसा स्टेशन जहां से ज्यादा ट्रेनें नहीं होती तो ऐसी स्थिति में यात्री को किसी कैंसिलेशन पर पहले सीट दी जाती है. ऐसी स्थिति में टिकट के कंफर्म होने की संभावना तभी होती है जब रिमोट लोकेशन का टिकट कैंसिल होता है. टिकट के कैंसिल होने पर टिकट धारियों को प्राथमिकता मिलती है. RLWL में टिकट कंफर्म होने की संभावना कम होती है.

सहदायिक कौन है?

मरियम-वेबस्टर डिक्शनरी के अनुसार, सहदायिक शब्द, जो 15वीं शताब्दी से प्रयोग में है, 'संयुक्त उत्तराधिकारी' के लिए है। कोलिन्स डिक्शनरी में कौन कर सकता है माइनिंग? सहदायिक को एक संज्ञा के रूप में भी परिभाषित किया गया है, जो एक ऐसे व्यक्ति को निरूपित करने के लिए है जो दूसरों के साथ सह-वारिस के रूप में एक संपत्ति प्राप्त करता है। इस शब्द का हिंदी में समान उत्तरवादी या हमवारिसी के रूप में है और हिंदू कानूनों के संदर्भ में लागू होने पर इसका एक संयुक्त उत्तराधिकारी की तुलना में अधिक विशिष्ट अर्थ है।

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Might का प्रयोग सीखें | Use And Meaning Of Might In Hindi

Use of might in Hindi-English (might का प्रयोग सीखें हिंदी में): Hello guys, do you know what is the Hindi meaning of might (might meaning in Hindi) and how to this word to make English sentences? In this post, I’m going to share the English grammar rule of using might with lots of example sentences. So let’s learn about the “use of might“.

दोस्तों हिंदी से इंग्लिश सीखने की सीरीज के एक नए कौन कर सकता है माइनिंग? पोस्ट में आपका स्वागत है और आज के इस पोस्ट में हम एक English grammar modal verb “might” के बारे में बिस्तार से पढेंगे।

इसके पिछले लेख में मैंने आपको modal verb “may” के बारे में बताया है। इसलिए अगर आपको may के प्रयोग की जानकारी अछे से है तो आप आसानी से ही might का प्रयोग (use of might) भी सिख सकते हैं।

use of might in hindi

अगर मैं ठेठ भाषा में कहूँ तो may और might दोनों आपस में भाई है इसलिए हमे might के बारे में अछे से समझने के लिए may को भी साथ ले चलना होगा। May का past form might होता है। अर्थात-

  • May – Present form
  • Might – Past form

You might go, It might rain today, I might do this work, etc इन वाक्यों का हिंदी अनुवाद क्या है? दोस्तों इन वाक्यों कौन कर सकता है माइनिंग? में कौन कर सकता है माइनिंग? might के जगह पे may का प्रयोग भी हो सकता है और इससे वाक्य का भाव, अर्थ या उदेश्य बदल जायेगा। ये सब डाउट आगे क्लियर हो जायेगा-

आइये अब चलते अपने मुख्य टॉपिक की और और जानते हैं की might का हिंदी अर्थ (might meaning in Hindi) और प्रयोग (use of might)-

Might का प्रयोग और हिंदी अर्थ | Use And Meaning Of Might In Hindi

सबसे पहला सवाल, might का हिंदी अर्थ क्या है? तो दोस्त, इसका हिंदी अर्थ होता है “सकना”। पर ध्यान देने वाली बात यह है की इसके अलावा can, could, और may का भी हिंदी अर्थ सकना ही होता है। ऐसे में आपको कंफ्यूज होने की जरुरत नही है।

भले ही इनका हिंदी अर्थ एक ही होता है पर वाक्य का भाव, मतलब, उदेश्य अलग अलग होते हैं।

हमने कौन कर सकता है माइनिंग? देखा है की may का इस्तेमाल पांच तरह से किया जाता है, इस प्रकार से-

  1. अनुमति लेने के लिए
  2. अनुमति देने के लिए
  3. अनुरोध करने के लिए
  4. कामना, इच्छा या आशा प्रकट करने लिए
  5. संभावना व्यक्त करने लिए

यहाँ पे जो may का पांचवा उपयोग है संभावना व्यक्त करने लिए, इसी से जुड़ा हुवा है might। और इसीलिए मैंने आपको कहा की may और might दोनों आपस में भाई हैं।

Might का उपयोग सिर्फ संभावना व्यक्त करने के लिए किया जाता है इस प्रकार-

1. जब किसी हिंदी वाक्य के अंत में क्रिया के साथ “शायद सकता था, शायद सकती थी, शायद सकते थे” आदि लगा रहे और वाक्य में संभावना वोध हो तो ऐसे वाक्यों का इंग्लिश ट्रांसलेशन बनाने के लिए Might का प्रयोग होता है।

जैसे- वह शायद जा सकता था. मैं शायद आ सकता था, शायद सीता सो सकती थी, आज शायद वर्षा हो सकती थी।

इन वाक्यों में “शायद” शब्द लगा है यानि की इससे संभवाना व्यक्त हो रहा है किसी काम के भूतकाल में होने की इसलिए इस तरह के वाक्यों में may का past form might का इस्तेमाल किया जाता है।

  • वह शायद जा सकता था। – He might go.
  • मैं शायद आ सकता था। – I might come.
  • शायद सीता सो सकती थी। – Sita might sleep.
  • आज शायद वर्षा हो सकती थी। – It might rain today.

पर ये जरुरी नहीं होता है की संभावना व्यक्त करने के लिए हिंदी वाक्य में “शायद” शब्द लगा ही रहे। कभी कभी यह वाक्य में छिपा रहता है पर उस वाक्य से संभावना का भाव जरुर प्रकट होता है। अतः इस प्रकार के वाक्यों में भी might का प्रयोग होगा।

  • सोहल कल जा सकता था। – Sohan might go yesterday.
  • अमित उसे पिट सकता था। – Amit might beat him.
  • मैं घर जा सकता था। – I might go to home.

इन तीनो ही वाक्यों के जरिये भूतकाल में कार्य होने की संभावना व्यक्त किया जा रहा इसलिए इनमे might का प्रयोग करना सही होगा।

पर अगर इन्ही तीनो वाक्य से क्षमता, योग्यता का भाव प्रकट करना होता तो might के जगह could का प्रयोग होता जो की can का past form है।

2. Might का प्रयोग हम past के वाक्यों में तो करते ही हैं पर कभी कभी इसका प्रयोग present (वर्तमान) के वाक्यों में भी होता है। जब किसी कार्य करने या होने की संभावना एकदम ना के बराबर हो कौन कर सकता है माइनिंग? यानि बहुत ही कम हो तो ऐसे वाक्यों में हम might का प्रयोग करते हैं।

पहचान – इस तरह के वाक्यों में शायद शब्द लगा होता है तथा वाक्य के अंत में सकता है, सकते हैं, सकती है आदि लगा रहता है। ध्यान रहे कभी कभी वाक्यों में शायद शब्द छुपा रहता है बस इसका भाव रहता है उस वाक्य में।

  • मैं यह काम कर सकता हूँ। I can do this word (100%)
  • मैं यह काम कर सकता हूँ। I may do this wok (50-50)
  • मैं यह काम कर सकता हूँ। – I might do this work (0% या 2-4%)

पहले वाले वाक्य में कार्य करने की निश्चितता है यानि मैं 100% sure हूँ की इस काम को कर सकता हूँ, अर्थात मुझमे क्षमता या योग्यता है कार्य करने की इसलिए कौन कर सकता है माइनिंग? इसमे can का प्रयोग होगा।

दुसरे वाले वाक्य में 50-50 संभावना है कार्य करने की. यानि कर भी सकता हूँ और नही भी इसलिए इसमे may का प्रयोग होगा।

तीसरे वाक्य में मान लीजिये एकदम ना के बराबर संभावना है कार्य करने की तो ऐसे में might का प्रयोग होगा।

आइये दोस्तों अब हम अलग अलग प्रकार के वाक्य में Might का प्रयोग देखते हैं-

केंद्र झारखंड में अवैध माइनिंग का कराएगी सर्वे, राज्य ने भी जांच के आदेश

ED

केंद्र सरकार ने ईडी की रिपोर्ट के आधार पर झारखंड में अवैध माइनिंग का सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया है. ईडी ने झारखंड के साहिबगंज जिले में अवैध खनन के जरिए उगाही गई राशि की मनीलॉन्ड्रिंग की जांच के दौरान पाया कि राज्य के बाकी जिलों में भी बड़े पैमाने पर खनिजों का अवैध खनन हुआ है. सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों के जरिए भी राज्य के वन क्षेत्रों में हुए खनन का पता लगाया गया था. इसके अलावा चार-पांच जिलों के जिला खनन पदाधिकारियों से पूछताछ में भी अवैध खनन को कौन कर सकता है माइनिंग? लेकर कई महत्वपूर्ण सूचनाएं हाथ लगी थीं. इन सभी सूचनाओं और जांच में हाथ आए दस्तावेजों-साक्ष्यों के आधार पर ईडी ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण सचिव को पत्र लिखा था.

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, मंत्रालय में इस मुद्दे पर हुई उच्चस्तरीय बैठक में निर्णय लिया गया है कि पूरे राज्य में अवैध खनन का सर्वेक्षण कराया जाएगा. इसके लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. सर्वेक्षण का यह काम जल्द ही शुरू कराया जा सकता है.

इधर, झारखंड सरकार ने भी अवैध खनन में ईडी की जांच रिपोर्ट को आधार बनाते हुए एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी बनाने का निर्णय लिया है. स्वयं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रेल मंत्री को पत्र लिखकर सूचित किया है कि ईडी की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में अवैध रूप से निकाले गए खनिज का परिवहन रेलवे द्वारा बगैर चालान या फर्जी चालान के आधार पर किया गया है. राज्य सरकार की ओर से बनाई जा रही उच्चस्तरीय कमेटी अवैध खनन और परिवहन में रेलवे और इसके अफसरों की भूमिका की जांच करेगी.

ईडी ने सिर्फ झारखंड के साहिबगंज जिले में अवैध खनन और परिवहन के जरिए एक हजार करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग का पता लगाया है. यह आंकड़ा एजेंसी ने साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट में जमा की गई चार्जशीट में भी दिया है. इससे इतर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को ईडी की ओर से जो पत्र लिखा गया है, उसमें बताया गया है कि राज्य में सामान्य क्षेत्रों के अलावा वन क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर अवैध खनन किया जा रहा है. कई लोग राज्य सरकार से लीज लिए बगैर अवैध खदानों का संचालन कर रहे हैं. कई लीजधारक अपने लीज क्षेत्र से बाहर जाकर अवैध खनन कर रहे हैं. इससे न सिर्फ राज्य और केंद्र को राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि वन एवं पर्यावरण को भी व्यापक क्षति पहुंच रही है.

ईडी ने पत्र में बताया है कि राज्य में विभिन्न जिलों में अवैध खनन के मामलों में 100 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं. सिर्फ साहिबगंज जिले में जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ मिल कर 19 अवैध खनन स्थलों की जांच में 23.26 करोड़ रुपये मूल्य के पत्थरों के अवैध खनन का आकलन किया गया है. जिले के बड़हरवा, कौन कर सकता है माइनिंग? साहिबगंज और बिहार के पिरपैंती रेलवे साइडिंग से अवैध खनन के सहारे निकाले गये 1350 करोड़ रुपये के मूल्य के पत्थर और स्टोन चिप्स का परिवहन किया गया.

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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