क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग, माइनिंग और पजेशन पर बैन से संबंधित कानून लाएगी सरकार
भारत सरकार देश में क्रिप्टो करेंसी पर बैन लगाने के लिए क्या लीगल हो जाएगी क्रिप्टो करेंसी एक कानून लाने जा रही है. इस कानून के अनुसार अगर कोई व्यक्ति क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग करता है, माइनिंग करता है या इस डिजिटल एसेट को अपने पास रखता है, तब भी उस पर कानून के हिसाब से कार्रवाई की जा सकेगी. एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी है. वास्तव में देश में क्रिप्टो करेंसी का जलवा है और लाखों निवेशक इस हॉट ऐसेट क्लास में निवेश करना चाहते हैं या क्या लीगल हो जाएगी क्रिप्टो करेंसी कर चुके हैं. सरकार का कानून वास्तव में दुनिया के सबसे सख्त कानून में से एक हो सकता है. भारत में क्रिप्टो करेंसी को बैन करने से संबंधित यह कानून वास्तव में क्रिप्टो करेंसी के पजेशन, इसे जारी करने, माइनिंग, ट्रेडिंग और ट्रांसफर को अपराध घोषित कर देगा. एक सरकारी अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर यह जानकारी दी है.
रखने पर भी पेनाल्टी
अगर भारत सरकार ने यह कानून बना दिया तो भारत दुनिया की पहली ऐसी प्रमुख इकनोमी बन जाएगी जहां क्रिप्टो करेंसी को अपने पास रखना भी अवैध हो जाएगा. चीन ने हालांकि क्रिप्टो करेंसी की माइनिंग और ट्रेडिंग पर बैन लगाया हुआ है, लेकिन वहां क्रिप्टो करेंसी रखने पर कोई पेनाल्टी नहीं देनी पड़ती. भारत में बन रहे इस नए कानून के हिसाब से क्रिप्टो करेंसी रखने वाले लोगों को 6 महीने का समय दिया जाएगा, जिसमें हुए उसे बेचकर बाहर निकाल सके, अन्यथा उन पर जुर्माना लगाया जाएगा. सरकार के इस कदम का उद्देश्य यह है कि देश में क्रिप्टो करेंसी से जुड़ी किसी भी तरह की गतिविधि को इजाजत न दी जाए. इसका असर लाखों निवेशकों पर पड़ सकता है. पिछले कुछ समय में एक ऐसी ही क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन के भाव में लगातार तेजी दर्ज की जा रही है और लाखों लोगों ने इसमें निवेश किया हुआ है.
डिजिटल करेंसी पर स्पष्टता: टैक्स प्रस्ताव के बाद क्रिप्टो के ग्राहकों में 30% की बढ़ोत्तरी, अब रिजर्व बैंक पर नजर
जानकारी के मुताबिक, भारत में क्रिप्टो प्लेटफॉर्म पर बजट के दिन ग्राहकों के साइनप में 30-50% की बढ़ोत्तरी देखी गई है। दरअसल वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में क्रिप्टो से होने वाली कमाई पर 30% का सीधा क्या लीगल हो जाएगी क्रिप्टो करेंसी टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया था। इससे यह माना जा रहा है कि भारत में क्रिप्टो का कारोबार लीगल हो जाएगा।
रिजर्व बैंक भी करेगा फैसला
हालांकि इसमें अभी काफी कुछ मामला रिजर्व बैंक के पास भी है। रिजर्व बैंक अपनी मॉनिटरी पॉलिसी के फैसले की घोषणा 10 फरवरी को करेगा। इसकी बैठक 8 फरवरी से शुरू होगी। हालांकि यह आज से होनी थी, पर एक दिन टल गई है। क्रिप्टो के निवेशक और एक्सचेंज अभी भी प्रस्ताव के फाइन प्रिंट के इंतजार में हैं।
निवेशकों की बढ़ी दिलचस्पी
इंडस्ट्री के अधिकारियों का कहना है कि बजट में इस पर घोषणा से निवेशकों की दिलचस्पी इसमें बढ़ रही है। वित्तमंत्री ने कहा था कि क्रिप्टो से किसी भी तरह की कमाई पर सीधे 30% टैक्स लगेगा। इसमें किसी भी तरह की रियायत भी नहीं दी जाएगी। साथ ही अगर किसी को क्रिप्टो गिफ्ट में भी दिया जाएगा, तो भी यही टैक्स लगाया जाएगा।
क्रिप्टो क्या लीगल हो जाएगी क्रिप्टो करेंसी को कानूनी दर्जा नहीं मिला है
हालांकि वित्तमंत्री ने बजट के बाद कहा कि इस टैक्स का मतलब यह नहीं है कि क्रिप्टो को कानूनी दर्जा मिल गया है, क्योंकि इस बारे में सलाह मशविरा रेगुलेटर्स और अन्य पार्टियों के साथ अभी भी जारी है। क्रिप्टो एक्सचेंज वजीरएक्स, कॉइनस्विच कुबेर और अन्य के आंकड़े बताते हैं कि बजट के बाद से तेजी से इससे संबंधित ऐप को डाउनलोड किया जा रहा है।
क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में भारी गिरावट
2 फरवरी तक के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक महीने में बिटकॉइन की कीमत 20.86% गिरी है जबकि 3 महीने में यह 40% से ज्यादा गिरी है। एथरियम की कीमत इसी दौरान 29% और 40% जबकि मैटिक की कीमत में 38% और 18% की गिरावट आई है।
लाइटकॉइन का भी भाव गिरा
लाइटकॉइन की कीमत में एक महीने में 28% और 3 महीने में 44% की गिरावट आई है। लूना की कीमत एक महीने में 46% और 3 महीने में 10% गिरी है। डॉजकॉइन का भाव इसी दौरान 20% और 49% जबकि कार्डाना का दाम 25% और 46% गिरा है।
ढेर सारे कानून लागू होंगे
बजट के बाद यह तय हो गया है कि इसमें ढेर सारे कानून लागू होंगे। मसलन इससे होने वाली कमाई पर 30% टैक्स लगेगा, जो किसी भी असेट्स की तुलना में सबसे ज्यादा है। शेयर बाजार से कमाई पर 10-15% टैक्स लगता है। जबकि सोने, प्रॉपर्टी की कमाई पर 20% टैक्स लगता है।
घाटे को सेटऑफ नहीं कर सकते
इसी तरह से अगर आपको क्रिप्टो से घाटा होता है तो आप इसे सेटऑफ नहीं कर सकते हैं। यानी किसी और कमाई में इसे शामिल नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा इसके घाटे को अगले साल में आप नहीं ले जा सकते हैं। इसका सीधा अर्थ यह है कि कमाई पर सरकार आप से 30% लेगी, लेकिन इसका 100% घाटा आपका होगा।
कोई भी छूट नहीं मिलेगी
इसके अलावा इस पर किसी भी टैक्स की सीमा के तहत कोई छूट नहीं मिलेगी। यानी आपने 100 रुपए भी कमाई की तो 30 रुपए का ही टैक्स आपको देना होगा। प्रॉपर्टी, सोना और डेट फंड्स को 2-3 साल से ज्यादा समय तक रखने पर टैक्स का फायदा मिलता है। लेकिन क्रिप्टो में ऐसा कुछ नहीं है। आप आज बेचिए या 10 साल बाद, 30% का टैक्स आपको देना होगा।
Digital Currency vs UPI: आ गया डिजिटल रुपया, कैसे होगा इस्तेमाल, कितना है यूपीआई से अलग, जानिए हर सवाल का जवाब.
Digital Currency vs UPI: वैसे तो आजकल हर जगह कैश कैरी करने की जरूरत रह नहीं गई है लेकिन देश की पेमेंट सुविधा को और भी आसान बनाने के लिए भारत सरकार आज यानि मंगलवार से डिजिटल करेंसी लॉन्च करने जा रही है।
बता दें कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि जल्द ही वो देश में अपनी डिजिटल करेंसी को रोलआउट करने वाले हैं और आज 1 नवंबर से इसकी शुरूआत की जा रही है।
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency) का पहला पायलट प्रोजेक्ट डिजिटल रुपया (Digital Rupee) मंगलवार को लॉन्च करने जा रहा है। इसका इस्तेमाल सरकारी सिक्यूरिटी के लेनदेन में होगा। यह सिर्फ थोक कारोबार के लिए होगा।
एक महीने के अंदर इसको चुनिंदा व्यापारियों और ग्राहकों के लिए लॉन्च किया जाएगा। यूं तो देश में यूपीआई (UPI) के जरिए डिजिटल ट्रांसेक्शन होते है लेकिन डिजिटल रूपी यूपीआई (UPI) से थोड़ा सा अलग है। पहले डिजिटल रूपी को समझते हैं, फिर यूपीआई (UPI) और इसके अंतर को समझेंगे।
Digital Currency vs UPI: 9 बैंक ले रहे डिजिटल रूपी में हिस्सा
Digital Currency vs UPI: RBI ने 7 अक्टूबर 2022 को कहा था कि वह जल्द ही इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू करेगा। पायलट प्रोजेक्ट के दौरान डिजिटल रुपए का इस्तेमाल सीमित रखा गया है।
पायलट प्रोजेक्ट के नतीजों का विश्लेषण केंद्रीय बैंक दिया किया जाएगा। इसके बाद उसे व्यापक रूप से बाजार में लाया जाएगा। डिजिटल रुपये से बैंकों का ट्रांजेक्शन कॉस्ट कम होगा।
रिजर्व बैंक के अनुसार फिलहाल देश के 9 बड़े बैंक इस पायलेट प्रोजेक्ट में हिस्सा ले रहे हैं।
इस क्या लीगल हो जाएगी क्रिप्टो करेंसी प्रोजेक्ट में भारतीय स्टेट बैंक (State Bank Of India), बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda), यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank of India), एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank), आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank), कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank), यस बैंक (Yes Bank), आईडीएफसी फर्स्ट बैंक (IDFC First Bank) और एचएसबीसी बैंक (HSBC Bank) हिस्सा लेने के सेलेक्ट किया गया है।
Digital Currency vs UPI: कैसे किया जाएगा इसका इस्तेमाल
Digital Currency vs UPI: आरबीआई की ओर से कुछ दिन पहले शेयर की गई जानकारी के मुताबिक, CBDC (Central Bank Digital Currency) एक पेमेंट का माध्यम होगा, जो सभी नागरिक, बिजनेस, सरकार और अन्य के लिए एक लीगल टेंडर के तौर पर जारी किया जाएगा।
इसकी वैल्यू लीगल टेंडर नोट यानि कि मौजूदा करेंसी के बराबर ही होगी। देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत कम हो जाएगी, या रखने की जरूरत ही नहीं होगी।
सीधे शब्दों में समझें तो ये एक क्रिप्टोकरेंसी कॉइन की तरह होगा। आपके फोन में एक अलग ऐप होगा जिसके जरिए आपने कॉइन यानि कि डिजिटल रूपी को ट्रैक कर पाएंगे और इनका भुगतान कर पाएंगे। जैसे किसी अन्य क्रिप्टो करेंसी में यूपीआई (UPI) या अन्य माध्यमों से रूपयों को कॉइन में बदला जाता है उसी तरह यहां भी रूपयों को डिजिटल रूपी यानि कि डिजिटल कॉइन बदला जाएगा और इस लेखा जोखा आपके मोबाइल वालेट यानि कि उस ऐप पर दिखेगा।
Digital Currency vs UPI: यूपीआई (UPI) से कैसे अलग है डिजिटल करेंसी
Digital Currency vs UPI: आज हर व्यक्ति डिजिटल लेनदेन के नाम पर यूपीआई (UPI) या नेटबैंकिंग का इस्तेमाल करता है। जिसने देश को कैशलेश करने में बड़ी भूमिका निभाई है। अब ज्यादातर लोगों के मन में सवाल है कि डिजिटल करेंसी यूपीआई (UPI) से किस तरह अलग है।
पीडब्ल्यूसी इंडिया के पार्टनर और पेमेंट्स ट्रांसफॉर्मेशन लीडर, मिहिर गांधी बताते हैं, 'डिजिटल रुपया अपने आप में अंडरलाइंग भुगतान मोड होगा जिसका उपयोग करेंसी/कैश के बदले डिजिटल भुगतान के लिए किया जा सकेगा। UPI और IMPS आदि जैसे भुगतान फंड ट्रांसफर करने के लिए अंतर्निहित मुद्रा/नकदी का उपयोग करते हैं। इस मामले में, यह उम्मीद की जाती है कि डिजिटल रुपया से भुगतान सहज लेनदेन सुनिश्चित करने के लिए हो सकता है। वर्तमान में, UPI भुगतान मौजूदा मुद्रा नोटों के डिजिटल समकक्ष का उपयोग करके किया जाता है। इसका मतलब है कि UPI के जरिए ट्रांसफर किया गया हर रुपया फिजिकल करेंसी से चलता है।
वहीं इसके अलावा नॉनब्लॉक्स ब्लॉकचैन स्टूडियो के संस्थापक और निदेशक विंशु गुप्ता के अनुसार कि यूपीआई (UPI) भुगतान वर्तमान में आरबीआई के साथ लेनदेन करने वाले बैंकों के निपटान पर निर्भर करता है, डिजिटल रुपी सीधे आरबीआई से लेनदेन करेगा, इसलिए इसे तुरंत सुलझा लिया जाएगा। बता दें कि UPI ट्रांजेक्शन क्या लीगल हो जाएगी क्रिप्टो करेंसी सीधे बैंक से बैंक में होता है, यूपीआई (UPI) वर्चुअल पेमेंट एड्रेस और आइडेंटिटी का इस्तेमाल करता है।
Digital Currency vs UPI: यूपीआई (UPI) की मौजूदगी क्या लीगल हो जाएगी क्रिप्टो करेंसी के बीच इसकी क्या है जरूरत?
Digital Currency vs UPI: डिजिटल रुपए की घोषणा के बाद से एक असमंजस की सी स्थिति लगातार बनी हुई है कि जब पहले से यूपीआई (UPI), भीम या अन्य डिजिटल भुगतान माध्यम उपलब्ध हैं तो फिर 'डिजिटल रुपए' की जरूरत क्या है?
तो इसका जवाब हम आपको बता दें कि जब कोई ग्राहक यूपीआई (UPI), भीम या अन्य डिजिटल माध्यमों से भुगतान करता है तो इस स्थिति में बैंक को उसके हर रुपए की लेन-देन के लिए भौतिक करेंसी का मेंटेनेंस करना अनिवार्य होता है। जबकि डिजिटल करेंसी केंद्रीय बैंक के जरिए अधिकारिक मुद्रा होगी, जिसके लिए बैंकों को भौतिक मुद्रा के मेंटेनेंस की दुविधा नहीं रह जाएगी। इससे आरबीआई करेंसी की छपाई और वितरण पर होने वाले हजारों करोड़ रुपए के खर्च को भी बचा सकेगी।
Digital Currency vs UPI: इसके अलावा एक बड़ा अंतर यह भी है कि यूपीआई (UPI) अन्य डिजिटल भुगतान माध्यमों से किए गए डिजिटल लेनदेन में बैंकिंग सिस्टम का उपयोग शामिल है, जबकि डिजिटल रुपए में बैंकिंग सिस्टम का उपयोग शामिल नहीं होगा और यह वित्तीय संस्थानों के बजाय केंद्रीय बैंक आरबीआई की प्रत्यक्ष गारंटी होगी। अर्थात कोई भी गलत ट्रासेक्शन होने पर किसी बैंक से कोई संपर्क नहीं करना पड़ेगा। जिम्मेदारी केंद्रीय बैंक की होगी।
साथ ही यूपीआई (UPI) व अन्य ट्रासेक्शन होने का पूरा रिकॉर्ड अब तक बैंक के पास रहता था लेकिन डिजिटल रूपी के मामले में पूरा लेखा जोखा सिर्फ केन्द्रीय बैंक के पास होगा।
RBI ने लॉन्च किया Digital Rupee: बिना इंटरनेट भी होगा पेमेंट, जानें क्रिप्टो से कैसे है अलग
RBI Digital Rupee: सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) या डिजिटल रुपी (Digital Rupee) केंद्रीय बैंक द्वारा जारी एक वैध मुद्रा है।
RBI Digital Rupee: डिजिटल रुपये (Digital Rupees) की सुगबुगाहट पिछले एक साल से हो रही थी। आखिरकार इसका पायलट प्रोजेक्ट 1 नवंबर से शुरू हो गया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया है। लेकिन, सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह क्रिप्टोकरेंसी जैसा होगा या उससे अलग? इसे किस तरह संचालित किया जाएगा? आइए क्या लीगल हो जाएगी क्रिप्टो करेंसी क्या लीगल हो जाएगी क्रिप्टो करेंसी जानते हैं कि कैसा होगा भविष्य का पैसा?
आखिरकार भारत में अपनी डिजिटल करेंसी की शुरुआत हो गई है। 1 नवंबर 2022 से होल्सेल ट्रांजैक्शन में इसका इस्तेमाल होगा। हालांकि, अभी इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। डिजिटल रुपये अब आपकी पॉकेट में नहीं होगा। लेकिन, वर्चुअल वर्ल्ड में इसका इस्तेमाल आपके जरिए ही होगा। ये नोट की तरह जेब में रखने के लिए नहीं मिलेगा। इसका प्रिंट भी नहीं होगा। बल्कि टेक्नोलॉजी के जरिए आपके काम आएगा, जैसे- क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन (Cryptocurrency Bitcoin) का इस्तेमाल होता है। सरकार इसे पूरी तरह से लीगल टेंडर बनाएगी और मानेगी भी। इसमें निवेश भी आसान होगा और RBI इसे रेगुलेट करेगी। डिजिटल करेंसी में कई देशों की रुचि है। हालांकि,केवल कुछ ही देश अपनी डिजिटल करेंसी को विकसित करने के पायलट चरण से आगे बढ़ने में कामयाब रहे हैं।
आरबीआई का कहना है कि होलसेल सेगमेंट पायलट प्रोजेक्ट में भागीदारी के लिए नौ बैंकों की पहचान की गई है। इनमें भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक,एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक, HSBC बैंक शामिल हैं।
क्या है डिजिटल रुपया?
भारतीय रिजर्व बैंक का कहना है कि सीबीडीसी डिजिटल रूप में केंद्रीय बैंक द्वारा जारी एक लीगल मुद्रा है। आरबीआई की वेबसाइट के अनुसार 'यह कागजी मुद्रा के समान है और कागजी मुद्रा के क्या लीगल हो जाएगी क्रिप्टो करेंसी साथ इसका विनिमय किया जा सकेगा। केवल इसका रूप अलग है'। बता दें, अभी हम भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से जारी 100, 200 रुपये के नोट्स और सिक्के का उपयोग करते हैं। इसी का डिजिटल स्वरूप ही डिजिटल रुपया कहलाएगा। टेक्निकल भाषा में इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) भी कह सकते हैं। यह रुपये का इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म है, जिसका उपयोग हम बिना स्पर्श किए (कॉन्टैक्टलेस ट्रांजैक्शन) करेंगे।
डिजिटल रुपया की क्या है खासियत?
- CBDC देश का डिजिटल टोकन होगा
- बिजनेस में पैसों के लेनदेन में आसानी होगी
- चेक और बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन का कोई झंझट नहीं
- मोबाइल से सेकेंडों में पैसा होगा ट्रांसफर
- नकली करेंसी का कोई डर नहीं
- पेपर नोट के प्रिटिंग का खर्च बचेगा
- CBDC को डैमेज क्या लीगल हो जाएगी क्रिप्टो करेंसी नहीं किया जा सकेगा
लेन-देन पर रहेगी आरबीआई की नजर
ट्रांजेक्शन कॉस्ट घटने के अलावा, इस डिजिटल करेंसी से सरकार की सभी अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले लेनदेन तक पहुंच हो जाएगी। इस प्रकार देश में आने और देश से बाहर जाने वाले पैसों पर ज्यादा कंट्रोल होगा।
क्या खत्म होगी करेंसी?
डिजिटल रुपी मौजूदा करेंसी नोट की व्यवस्था को खत्म करने के लिए नहीं आ रही है बल्कि यह लोगों को लेनदेन में एक और ऑप्शन देगा। करेंसी नोट वाली व्यवस्था और डिजिटल रुपी वाली व्यवस्था दोनों चलेंगी। इससे कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा। डिजिटल रुपया कुछ इस तरह से लाया जाएगा कि बिना इंटरनेट के भी इसका पेमेंट किया जा सकेगा। यानी जब कभी ये आम लोगों के उपयोग में आए तो वह इसका उपयोग ऑफलाइन भी कर पाएंगे। इसका मकसद ये भी होगा कि ऐसे लोग जिनके पास बैंक खाता नहीं है वो भी इसका इस्तेमाल कर सकें।
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