संतुलन बनाने में नज़र, वेस्टीबुलर तंत्र और स्थान सम्बंधी संवेदी तंत्र भी अहम होते हैं। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है शरीर के अंगों के साथ ये तंत्र भी कमज़ोर होने लगते हैं और गिरने के संभावना बढ़ती है।

चलने का अहसास होना

Geography Notes for UPSC , State PCS Exam, and NCERT Classes

औद्योगिक क्रांति के बाद संसाधनों के मानव नासमझ शोषण, जनसंख्या विस्फोट और उच्च खपत के कारण पारिस्थितिक असंतुलन शुरू हुआ, जिसके परिणामस्वरूप पारिस्थितिकी के होमोस्टैसिस सिद्धांतों में गड़बड़ी हुई जो वैश्विक और क्षेत्रीय स्तरों पर पारिस्थितिक असंतुलन की ओर ले जाती है

उपभोक्ता संतुलन क्या है? | उपभोक्ता संतुलन की मान्यताएं बताइए | उपभोक्ता संतुलन की शर्तें क्या हैं?

माँग का सिद्धांत उपभोक्ता के व्यवहार का विश्लेषण करके उपभोक्ता के संतुलन को स्थापित करने में मदद करता है। एक उपभोक्ता सीमित साधनों से अपनी असीमित आवश्यकताओं की पूर्ति इस ढंग से करना चाहता है कि उसे अधिकतम संतुष्टि की प्राप्ति हो सके। जब उपभोक्ता अधिकतम संतुष्टि प्राप्त कर लेता है तब वह संतुलन की स्थिति में कहलाता है। इस दशा में उपभोक्ता यही चाहता है कि उसके व्यय करने के ढंग में कोई परिवर्तन ना हो।

उपभोक्ता के संतुलन का अर्थ (meaning of consumer's equilibrium in hindi)

उपभोक्ता संतुलन से तात्पर्य यह है कि "उपभोक्ता अपनी आय किस प्रकार व्यय करके अपने लिए अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करता है। इस प्रकार एक उपभोक्ता, संतुलन की स्थिति में उस समय होता है जब वह अपनी सीमित आय को विभिन्न वस्तुओं पर इस प्रकार व्यय करे की उसे अधिकतम संतुष्टि प्राप्त हो।"

शब्दों में एक उपभोक्ता, संतुलन की स्थिति में तब माना जाता है जब उसको, अपनी आय के प्रयोग से अधिकतम संतुष्टि प्राप्त होने लगती है।

तटस्थता वक्र विश्लेषण के अंतर्गत उपभोक्ता संतुलन (Consumer's equilibrium under indifference curve analysis in hindi)

उपभोक्ता संतुलन की दशा को तटस्थता स्थिर संतुलन के उदाहरण वक्र विश्लेषण के द्वारा भी ज्ञात किया जा सकता है। तटस्थता वक्र विश्लेषण पद्धति क्रमवाचक उपयोगिता पर आधारित है।

तटस्थता वक्र विश्लेषण पद्धति के द्वारा उपभोक्ता का संतुलन (Upbhokta ka santulan) ज्ञात करने स्थिर संतुलन के उदाहरण के लिए हमें दो बातों की जानकारी होना आवश्यक है।

(1) तटस्थता मानचित्र- तटस्थता मानचित्र का मालूम होना इसलिए आवश्यक है ताकि उपभोक्ता अपनी संतुष्टि को अधिकतम करते समय सर्वाधिक ऊँचे स्तर अर्थात तटस्थता वक्र का चयन कर सके। परंतु सर्वाधिक ऊँचे स्तर पर पहुँचते समय उपभोक्ता को अपनी आय तथा वस्तुओं की कीमतों को भी ध्यान में रखना होता है। अतः उपभोक्ता के संतुलन के लिए क़ीमत रेखा का मालूम होना भी आवश्यक है।

(2) क़ीमत या बजट रेखा- क़ीमत या बजट रेखा दो वस्तुओं के विभिन्न संयोगों को बताती है जो की उपभोक्ता वस्तुओं की क़ीमतों के आधार पर अपनी निश्चित आय से ख़रीद सकता है।

आइये हम इसे इस उदाहरण से समझने का प्रयास स्थिर संतुलन के उदाहरण करते हैं। उम्मीद है आप उपभोक्ता संतुलन (upbhokta santulan) को अच्छी तरह समझ सकेंगे।

मान लीजिए उपभोक्ता के पास ₹ 10 हैं। इन ₹ 10 को यह उपभोक्ता दो वस्तुओं संतरे और सेब पर विभिन्न प्रकार से ख़र्च कर सकता है। उपभोक्ता या तो एक वस्तु पर अधिक तथा दूसरी वस्तु पर कम ख़र्च कर सकता है। अथवा दूरी स्थिति यह भी हो सकती है कि वह अपने ₹ 10 को संतरों पर ही ख़र्च कर दे तथा सेब एक भी न ख़रीदे। इस दशा में वह केवल संतरे की OA मात्रा ख़रीदेगा। जैसा कि हमने चित्र में दर्शाया है। ठीक इसी तरह यह भी हो सकता है कि वह अपने ₹ 10 को संतरों पर बिल्कुल भी ख़र्च न करे बल्कि सम्पूर्ण ₹ 10 को सेबों पर ही व्यय करे। इस स्थिति में वह सब की OB मात्रा ख़रीदेगा। जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। यदि इन्हीं दोनों सिरों A और B को मिला दिया तो हमें रेखा AB प्राप्त होगी जो कि बजट रेखा या कीमत रेखा कहलाएगी।

यदि सेब तथा संतरों की कीमतें स्थिर रहें तथा उपभोक्ता की मौद्रिक आय बढ़ जाये तो नई क़ीमत रेखा दाएं खिसककर A1B1 हो जाएगी। क्योंकि उपभोक्ता अब अपनी आय से दोनों ही वस्तुओं की अधिक मात्रा को ख़रीदने में सक्षम है।

इसके विपरीत यदि उपभोक्ता की मौद्रिक आय में कमी हो जाये जबकि दोनों ही वस्तुओं की कीमतें स्थिर हैं। तो नई क़ीमत रेखा बाएं खिसककर A2B2 हो जाएगी। क्योंकि उपभोक्ता अपनी कम आय घटने की वजह से दोनों वस्तुओं की कम मात्रा ही ख़रीद पायेगा।

चलिये अब ज़रा दूसरी परिस्थिति पर बात करते हैं। जब उपभोक्ता की आय स्थिर हो। तथा दोनों में से केवल किसी एक वस्तु की क़ीमत में परिवर्तन हो। यानि कि किसी एक वस्तु की क़ीमत स्थिर हो।

तब आप चित्र में देखेंगे कि क़ीमत रेखा का एक सिरा तो स्थिर रहे परंतु दूसरा सिरा दाएं या बाएं, उस वस्तु की क़ीमत में परिवर्तन होने के परिणामस्वरूप खिसक जाए। उदाहरण से समझें तो यदि उपभोक्ता की आय तथा किसी एक वस्तु यानि स्थिर रहे तथा किसी एक वस्तु यानि कि सेब की क़ीमत में कमी आ जाये तो क़ीमत रेखा AB का B सिरा दाएं खिसक जाएगा। जिससे कीमत रेखा AB1 हो जाएगी।

इसके विपरीत यदि यदि सेब की कीमत में उछाल आ जाये यानि कि बढ़ जाए तो क़ीमत रेखा AB का B सिरा बाएं खिसककर B2 हो जाएगा। जिससे कि नई क़ीमत रेखा AB2 बन जाएगी।

इस प्रकार तटस्थता मानचित्र तथा क़ीमत या बजट रेखा के आधार पर पता कर सकते हैं कि उपभोक्ता का संतुलन क्या है?

उपभोक्ता संतुलन की मान्यताएं | assumptions of consumer's equilibrium in hindi

उपभोक्ता के संतुलन से जुड़ी कुछ विशेष मान्यताएं (upbhokta santulan ki manyataen) भी हैं जो कि निम्नलिखित हैं-

(1) इसकी विशेष मान्यता यह है कि उपभोक्ता का प्राथमिकता का क्रम जिसे कि तटस्थता मानचित्र प्रदर्शित करता है। वह स्थिर रहता है।

Geography Notes for UPSC , State PCS Exam, and NCERT Classes

औद्योगिक क्रांति के बाद संसाधनों के मानव नासमझ शोषण, जनसंख्या विस्फोट और उच्च खपत के कारण पारिस्थितिक असंतुलन शुरू हुआ, जिसके परिणामस्वरूप पारिस्थितिकी के होमोस्टैसिस सिद्धांतों में गड़बड़ी हुई जो वैश्विक और क्षेत्रीय स्तरों पर पारिस्थितिक असंतुलन की ओर ले जाती है

स्थिर संतुलन के उदाहरण

रोज़ाना उठते-बैठते-चलते वक्त हम अपने संतुलन के बारे में ज़्यादा सोचते नहीं हैं, लेकिन संतुलन स्थिर संतुलन के उदाहरण बनाने में हमारे मस्तिष्क को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। शरीर के कई जटिल तंत्रों से सूचनाएं मस्तिष्क तक पहुंचती हैं, जो मिलकर शरीर का संतुलन बनाती हैं। इन तंत्रों में ज़रा-सी भी गड़बड़ी असंतुलन की स्थिति पैदा करती है। संतुलन बनाने में मददगार ऐसे कुछ तथ्यों की यहां चर्चा की जा रही है।

संतुलन में कान की भूमिका

कान सिर्फ सुनने में ही नहीं, शरीर का संतुलन बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। आंतरिक कान में मौजूद कई संरचनाएं स्थान और संतुलन सम्बंधी संकेत मस्तिष्क तक पहुंचाती हैं। सिर की सीधी गति (ऊपर-नीचे, दाएं-बाएं) और गुरुत्वाकर्षण सम्बंधी संदेश के लिए दो संरचनाएं युट्रिकल और सैक्युल ज़िम्मेदार होती हैं। अन्य कुंडलीनुमा संरचनाएं, जिनमें तरल भरा होता है, सिर की घुमावदार गति से सम्बंधित संदेश मस्तिष्क तक पहुंचाती हैं।
यदि आंतरिक कान में कोई क्षति होती है तो शरीर का संतुलन बिगड़ने लगता है। उदाहरण के लिए आंतरिक कान में कैल्शियम क्रिस्टल्स गलत स्थान पर पहुंचने पर मस्तिष्क को संकेत मिलता है कि सिर हिल रहा है जबकि वास्तव में सिर स्थिर होता है, जिसके कारण चक्कर आते हैं।

मांसपेशी, जोड़ और त्वचा

वेस्टिब्युलर डिस्ऑर्डर एसोसिएशन के मुताबिक मांसपेशियों, जोड़ों, अस्थिबंध (कंडराओं) और त्वचा में मौजूद संवेदना ग्राही भी स्थान सम्बंधी सूचनाएं मस्तिष्क तक पहुंचाती हैं। पैर के तलवों या पीठ के संवेदना ग्राही दबाव या खिंचाव के प्रति संवेदनशील होते हैं।
गर्दन में मौजूद ग्राही मस्तिष्क को सिर की स्थिति व दिशा के बारे में संदेश पहुंचाते हैं जबकि ऐड़ी में मौजूद ग्राही जमीन के सापेक्ष शरीर की गति के बारे में बताते हैं। चूंकि नशे में मस्तिष्क को अंगों की स्थिति पता करने में दिक्कत महसूस होती है इसलिए अक्सर यह जांचने के लिए कि गाड़ी-चालक नशे में हैं या नहीं पुलिसवाले परीक्षण में चालक को अपनी नाक छूने को कहते हैं।

बढ़ती उम्र में संतुलन

संतुलन बनाने में नज़र, वेस्टीबुलर तंत्र और स्थान सम्बंधी संवेदी तंत्र भी अहम होते हैं। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है शरीर के अंगों के साथ ये तंत्र भी कमज़ोर होने लगते हैं और गिरने के संभावना बढ़ती है।

चलने का अहसास होना

यदि आप ट्रेन में बैठे हैं और खिड़की से बाहर देख रहे हैं, तभी अचानक आपको महसूस होने लगता है कि आपकी ट्रेन चलने लगी है जबकि वह स्थिर होती है। इस स्थिति को वेक्शन कहते हैं। वेक्शन की स्थिति तब बनती है जब मस्तिष्क को प्राप्त होने वाली सूचनाएं आपस में मेल नहीं खातीं। उदाहरण के लिए ट्रेन के मामले में आंखें स्थिर संतुलन के उदाहरण खिड़की से दृश्य पीछे जाते देखती हैं, और मस्तिष्क को गति होने का संदेश भेजती हैं, लेकिन मस्तिष्क को शरीर में मौजूद अन्य संवेदना ग्राहियों से गति से सम्बंधित कोई संकेत नहीं मिलते और भ्रम की स्थिति बनती है। हालांकि दूसरी ओर देखने पर यह भ्रम खत्म हो जाता है।

माइग्रेन और संतुलन

माइग्रेन से पीड़ित लोगों में से लगभग 40 प्रतिशत लोग संतुलन बिगड़ने या चक्कर आने की समस्या का भी सामना करते हैं। इस समस्या को माइग्रेन-सम्बंधी वर्टिगो कहते हैं। समस्या का असल कारण तो फिलहाल नहीं पता, लेकिन एक संभावित यह कारण है कि माइग्रेन मस्तिष्क की संकेत प्रणाली को प्रभावित करता है। जिसके कारण मस्तिष्क की आंख, कान और पेशियों से आने वाले संवेदी संकेतों को समझने की गति धीमी हो जाती है, और फलस्वरूप चक्कर आते हैं। इसका एक अन्य संभावित कारण यह दिया जाता है कि मस्तिष्क में किसी रसायन का स्राव वेस्टीबुलर तंत्र को प्रभावित करता है जिसके फलस्वरूप चक्कर आते हैं।

सफर का अहसास होना

कई लोगों को जहाज़ या ट्रेन से उतरने के बाद भी यह महसूस होता रहता है कि वे अब भी ज़हाज या ट्रेन में बैठे हैं। सामान्य तौर पर यह अहसास कुछ ही घंटे या एक दिन में चला जाता है लेकिन कुछ लोगों में यह एहसास कई दिनों, महीनों या सालों तक बना रहता है। इसका एक कारण यह माना जाता है कि इससे पीड़ित लोगों के मस्तिष्क के मेटाबोलिज़्म और मस्तिष्क गतिविधि में ऐसे बदलाव होते हैं जो शरीर को हिलती-डुलती परिस्थिति से तालमेल बनाने में मददगार होते हैं। लेकिन सामान्य स्थिती में लौटने पर बहाल नहीं होते। (स्रोत फीचर्स)

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