तो मान लीजिए यदि आपको कोई शेर खरीदना होता था तो आपको पैसे लेकर एक्सचेंज ऑफिस जाना पड़ता था और यदि आपको शेयर बेचना होता था तो आपके पास जो फिजिकल डॉक्यूमेंट सर्टिफिकेट थे उनको लेकर आपको स्टॉक मार्केट एक्सचेंज ऑफिस जाना पड़ता था और जब भी ब्रोकर और शेयर की प्राइस मैच हो जाती थी आप सेलर को पैसा दे देते थे और सेलर आपको शेर दे देता था। तो चलिए जान लेते हैं तो चलिए अपने टॉपिक पर बात करते है।

Stock क्या है?

Share Market Tips: Penny Stocks जो देते हैं भारी रिटर्न, लेकिन साथ में है जोखिम भी, जानें इनके बारे में

By: abp news | Updated at : 18 Nov 2021 10:48 PM (IST)

Penny Stocks: आप अगर शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो आपको पेनी स्टॉक्स के बारे में भी जानकारी हासिल करनी चाहिए. ये वे शेयर होते हैं जो कि तगड़ा रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं लेकिन साथ ही इनमें जोखिम भी काफी होता है. आज हम आपको इन्हीं पेनी स्टॉक्स के बारे में बताने जा रहे हैं: -

पेनी स्टॉक्स क्या होते हैं:-

  • जिन शेयर्स के दाम बहुत कम होते हैं उन्हें ही पेनी स्टॉक कहा जाता है.
  • 10 रुपये से कम दाम वाले शेयर्स को आमतौर पर पेनी स्टॉक्स कहा जाता है.
  • इनकी मार्केट कैपिटल भी कम होती है.
  • ये ज्यादातर एक्सचेंजों पर नॉन-लिक्विड होते हैं.
  • पेनी स्टॉक्स ज्यादातर कम रिसर्च वाले स्टॉक होते हैं.
  • इनकी जानकारी अधिकतर निवेशकों को नहीं होती है.

लार्ज कैप और ब्लू-चिप फंड में क्या अंतर है?

लार्ज कैप और ब्लू-चिप फंड में क्या अंतर है?

म्यूचुअल फंड, उनके परफॉरमेंस, NAV और रैंकिंग के स्टॉक मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर होता है बारे में जानकारी ढूंढते वक़्त आपने अक्सर RST ब्लूचिप फंड या XYZ लार्ज-कैप फंड जैसे फंड के नाम देखे होंगे। 'ब्लूचिप फंड' और 'लार्ज-कैप फंड' को अदल-बदलकर इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि ये दोनों उन इक्विटी म्यूचुअल फंड्स को रेफर करते स्टॉक मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर होता है हैं जो स्टॉक एक्सचेंज में मौजूद लार्ज-कैप कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं।

अगर आप अक्टूबर 2017 में जारी SEBI के प्रोडक्ट कैटिगराइजेशन सर्कुलर को देखें, जो जून 2018 में लागू हुआ था, तो इक्विटी फंड कैटेगरी के तहत ब्लू चिप फंड्स का कोई उल्लेख नहीं है। क्या इसका मतलब यह है कि अब कोई ब्लूचिप फंड नहीं है? नहीं, इसका मतलब बस यह है कि नाम चाहे जो हो, जब तक कोई फंड बाजार कैपिटलाइज़ेशन द्वारा सूचीबद्ध टॉप 100 कंपनियों में निवेश करता है, उसे लार्ज-कैप म्यूचुअल फंड कहा जाएगा।

स्टॉक और बॉन्ड में क्या अंतर है? [What is the difference between stocks and bonds? In Hindi]

जब कोई कंपनी स्टॉक जारी करके पूंजी जुटाती है, तो वह धारक को कंपनी में स्वामित्व का हिस्सा देती है। इसके विपरीत, जब कोई कंपनी बांड बेचकर व्यवसाय के लिए धन जुटाती है, तो ये बांड बांडधारक से कंपनी को ऋण का प्रतिनिधित्व करते हैं। बांड में ऐसी शर्तें होती हैं जिनके लिए कंपनी या संस्था को इस ऋण के बदले में ब्याज दरों के साथ मूलधन का भुगतान करने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, दिवालिया होने की स्थिति में बॉन्डधारकों को स्टॉकहोल्डर्स पर प्राथमिकता दी जाती है, जबकि स्टॉकहोल्डर आमतौर पर संपत्ति के दावे में अंतिम पंक्ति में आते हैं।

  • #1 संपत्ति पर दावा (Claim on Assets)

एक शेयरधारक के पास उस कंपनी की संपत्ति पर दावा होता है जिसमें उसके पास स्टॉक होता है। हालांकि, संपत्ति पर दावे केवल तभी प्रासंगिक होते हैं जब कंपनी परिसमापन का सामना करती है। उस घटना में, कंपनी की सभी संपत्ति और देनदारियों की गणना की जाती है, और सभी लेनदारों का भुगतान करने के बाद, शेयरधारक दावा कर सकते हैं कि क्या बचा है। यही कारण है कि इक्विटी (स्टॉक) निवेश को ऋण (क्रेडिट, ऋण और बांड) की तुलना में अधिक जोखिम माना जाता है क्योंकि लेनदारों को इक्विटी धारकों से पहले भुगतान किया जाता है, और यदि ऋण का भुगतान करने के बाद कोई संपत्ति नहीं बची है, तो इक्विटी धारक कुछ नहीं प्राप्त कर सकते हैं।

स्टॉक के मालिक होने के जोखिम [Risk of Owning Stock] [In Hindi]

स्टॉक स्वामित्व के लाभों के साथ-साथ, ऐसे जोखिम भी हैं जिन पर निवेशकों को विचार करना होगा, जिनमें शामिल हैं:

  • #1 पूंजी की हानि (Loss of Capital)

इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि स्टॉक की कीमत बढ़ेगी। एक निवेशक आईपीओ के दौरान 50 डॉलर पर शेयर खरीद सकता है, लेकिन यह पता चलता है कि शेयर 20 डॉलर तक गिर जाते हैं क्योंकि कंपनी खराब प्रदर्शन करना शुरू कर देती है।

  • #2 कोई परिसमापन वरीयता नहीं (No Liquidation Preference)

जब कोई कंपनी परिसमापन करती है, तो लेनदारों को इक्विटी धारकों से पहले भुगतान किया जाता है। ज्यादातर मामलों में, एक कंपनी का परिसमापन तभी होगा जब उसके पास संचालन के लिए बहुत कम संपत्ति बची हो। ज्यादातर मामलों में, इसका मतलब है कि एक बार लेनदारों का भुगतान करने के बाद इक्विटी धारकों के लिए कोई संपत्ति नहीं बचेगी।

Trading and Demat Account में अंतर क्या है ?

यदि आप Stock Market में Invest करना चाहते हैं तो आपको दो अकाउंट की आवश्यकता होती है Trading and Demat Account, आज की जानकारी में हम आपको बताएंगे कि Trading and Demat Account क्या होता है उनके क्या-क्या फायदे होते हैं। क्या आप अलग से ट्रेडिंग अकाउंट खोल सकते हैं और इस्तेमाल कर सकते हैं और डिमैट अकाउंट एंड ट्रेडिंग अकाउंट में क्या अंतर होता है इसके बारे में जानेंगे।

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सालों पहले यदि आपको कोई भी शेयर खरीदना और स्टॉक मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर होता है बेचना होता था तो आपको या आपके स्टॉक ब्रोकर को फिजिकली एक्सचेंज में जाना पड़ता था। और सभी काम कागजी तरीके से करना होता था। तो आइए और गहराई से समझते है।

डीमेट और ट्रेडिंग में अंतर क्या है ( Different Trading and Demat Account in Hindi )

दोस्तों Trading and Demat Account अकाउंट अलग अलग होता है लेकिन खुलता एक ही जगह पर है और खुलता इस तरह से है कि आप को पता नहीं चलेगा। और हमे अलग-अलग डिमैट और ट्रेडिंग अकाउंट को लाने की जरूरत नहीं पड़ती है। जब हम डिमैट अकाउंट खुलवाने के लिए अपना दस्तावेज देते हैं। उसमें पैन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक स्टेटमेंट कैंसिल चेक और फोटो होता है तो यह जो चीज है जो हम वहां पर देते हैं इसी डॉक्यूमेंट की सहायता से हमारा डिबेट और ट्रेडिंग अकाउंट दोनों खुल जाता है।

पहले फिजिकल वाला तरीका बहुत लंबा प्रोसेस हो जाता था उसको सरल बनाने के लिए सेबी ने डीमेट अकाउंट लाया आज के डिजिटल इंडिया में यदि आपको शेयर बेचने और खरीदने होते हैं तो आप डायरेक्टली अपने मोबाइल या लैपटॉप से उसको कर सकते हैं जैसे पहले आप फिजिकल डॉक्यूमेंट लेकर स्टॉक मार्केट ऑफिस में आते थे। वही कैश आपको ऑनलाइन अपने ऑनलाइन ओपन डीमेट अकाउंट में मोबाइल और लैपटॉप के माध्यम से जमा कर देते हैं।

Trading Account

तो यदि आपको कहीं भी किसी का शेयर खरीदना हो या कोई भी ट्रांजैक्शन करना हो तो आपको एक अकाउंट की आवश्यकता होती है। जिससे हम शेयर को किसी कंपनी के थ्रू खरीदते हैं और उसे बेचते हैं उसे हम ट्रेडिंग अकाउंट कहते हैं । जैसे यदि आपको 500 शेयर का ऑर्डर देना है तो आप ट्रेडिंग अकाउंट के थ्रो देते हैं यदि आपको 200 शेयर का सेल करना है तो आप ट्रेडिंग अकाउंट के माध्यम से करते हैं।

ट्रेडिंग अकाउंट में फंड एड करने के लिए एक बैंक की आवश्यकता होती है तो आपका बैंक अकाउंट आपके ट्रेडिंग अकाउंट से लिंक होना चाहिए। जैसे यदि आपको अपने ट्रेडिंग अकाउंट से 50000 का शेयर खरीदना है तो आप पहले अपने बैंक अकाउंट से 50000 अपने स्टडिंग अकाउंट में जोड़ेंगे उसके बाद आप शेयर खरीदेंगे।

Trading and Demat Account में अंतर

  1. ट्रेडिंग अकाउंट में आप सिर्फ शेयर का ट्रांजैक्शन कर सकते हैं लेकिन यदि आपको उस शेयर की डिलीवरी लेनी है तो आपको डिमैट अकाउंट की जरूरत पड़ती है डीमेट अकाउंट आपके बैंक अकाउंट की तरह ही होता है जैसे ही आप अपने बैंक अकाउंट में आपका पैसा जमा करके रखता है वही आपके डिमैट अकाउंट में आपके शेयर जमा रहते हैं और हर एक शेर का अलग-अलग आईएसआई नंबर होता है। इसके माध्यम से आप शेयर को वेरीफाई कर सकते हैं या कौन सा शेयर है उसका नंबर क्या है।
  2. ट्रेडिंग अकाउंट हमें एक प्लेटफार्म देता है जिसे हम मार्केट में शेयर को बेच और खरीद सकते हैं यह आपके सेविंग अकाउंट और डिमैट अकाउंट के बीच इंटरमीडिएटली की तरह काम करता है।
  3. दोस्तों कुछ ब्रोकर के पास यह फैसिलिटी है यदि आप इंट्राडे ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आप केवल ट्रेडिंग अकाउंट खोल सकते हैं इसमें यह होगा कि आप केवल शेर को खरीदेंगे और बेचेंगे इंट्राडे ट्रेडिंग करेंगे उसी दिन खरीदेंगे उसी दिन भेजेंगे लेकिन यदि आपको होल्डिंग में रखना चाहते हैं यदि आपने शेयर खरीद लिया है और उसे अभी नहीं बेचना चाहते हैं बाद में बेचेंगे तो आपके पास डिबेट और ट्रेडिंग अकाउंट दोनों होना चाहिए।
  4. यदि आप कोई स्टॉक करीदते है तो Demat Account में T+2 Days लगेंगे उस स्टॉक को डिमैट अकाउंट में क्रेडिट होने में जैसे यदि आपने आज शेयर खरीदा है तो आज के पूरे दिन में शेयर आपके ट्रेडिंग अकाउंट में रहेगा और 2 दिन बाद हो डिमैट अकाउंट में एग्जीक्यूट हो जाएगा।

शेयर बाजार में ग्रुप

शेयर बाजार में ग्रुप A, B, T स्टॉक मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर होता है और Z क्या हैं और इनका वर्गिकरण कैसे होता है। क्यों अलग अलग श्रेणियों में बांटा जाता है BSE के शेयरों को। मुम्बई स्टॉक एक्सचेंज के शेयरों को ट्रेडिंग के उद्देश्य से अलग अलग श्रेणियों में बांटने के क्या कारण हैं, कौन कौन सी श्रेणियां हैं और इनमें क्या अंतर हैं। आईये समझते हैं बॉम्बे शेयर बाजार में शेयरों के वर्गिकरण क्यों और कैसे किया जाता है।

शेयर बाजार में ग्रुप

शेयर बाजार में ग्रुप

शेयर बाजार में ग्रुप – वर्गिकरण का आधार

मुम्बई स्टॉक एक्सचेंज में सभी शेयरों को ग्रुप A, B, T और Z में बांटा गया है। हालांकि यह वर्गिकरण ट्रेडिंग की सुविधा के लिये किया गया है मगर कौन सा शेयर किस कैटेगरी में है यह उसकी विकास क्षमता और उसके गुणों के बारे में स्टॉक मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर होता है भी बहुत कुछ कहता है। बीएसई पर कारोबार की गई सिक्योरिटीज को विभिन्न समूहों में वर्गीकृत किया गया है।

बीएसई ने निवेशकों के मार्गदर्शन और लाभ के लिए इक्विटी सेगमेंट में सिक्योरिटीज को ‘ए’, ‘बी’, ‘टी’ और ‘जेड’ समूहों में कुछ गुणात्मक और मात्रात्मक मानकों के आधार पर वर्गीकृत किया है।

ग्रुप A

शेयर मार्केट में ग्रुप ए में सबसे लोकप्रिय शेयर शामिल हैं। स्टॉक जो सक्रिय रूप से कारोबार कर रहे हैं वे A ग्रुप में आते हैं। ‘ए’ समूह में मुख्यत मार्केट कैपिटलाईजेशन, टर्नोवर और लिक्विडिटी के आधार पर टॉप 300 शेयरों को रखा जाता है। A ग्रुप के शेयर सबसे ज्यादा लिक्विड शेयर होते हें। लिक्विड शेयर का मतलब शेयर की तरलता से है। आसान भाषा में समझें तो ऐसे शेयरों में हमेशा खरीदार और बेचने वाले उपलब्ध रहते हें और शेयर खरीदने या बेचने में आसानी रहती है। A श्रेणी के शेयरों में तुलनात्मक रूप से ट्रेडिंग वॉल्युम (व्यापार की मात्रा) हाई रहता है। A श्रेणी के शेयरों में ट्रेड सैटलमेंट नॉर्मल ट्रेडिंग सैटलमेंट की प्रक्रिया से की जाती है। अधिकतर ब्लू चिप और FMCG शेयर इसी ग्रुप में मिलते हैं। यहां पढ़ें किस कंपनी का शेयर खरीदें हमारी साइट पर।

टी समूह के तहत आने वाले शेयरों को एक्सचेंज के ट्रेड टु ट्रेड सैटलमेंट प्रणाली के रूप में माना जाता है। इस समूह में प्रत्येक ट्रेड को अलग लेनदेन के रूप में देखा जाता है और रोलिंग सिस्टम में ट्रेड की तरह कोई नेट-आउट नहीं होती है। व्यापारियों जो इस ग्रुप के शेयर खरीदने इस समूह की स्क्रिप्ट को बेचने के लिए, टी + 2 दिनों तक राशि का भुगतान करना या शेयर देना होगा। उदाहरण के लिए, आपने टी समूह के 100 शेयर खरीदे और उसी दिन 100 अन्य शेयर बेचे। फिर, आपके द्वारा खरीदे गए शेयर, आपको उन शेयरों की कीमत दो दिनों में चुकानी पड़ेगी। और आपके द्वारा बेचे गए शेयरों के लिए, आपको टी + 2 दिनों के शेयरों को डिलीवरी करना होगा, ताकि एक्सचेंज समय पर निपटान कर सके।

ग्रुप Z

जेड ग्रुप में इक्विटी स्टॉक शामिल हैं जिन्हें एक्सचेंज नियमों और विनियमों का पालन न करने के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया है या निवेशक शिकायतों या ऐसे किसी कारण से लंबित है।

बी श्रेणी में ऐसे स्टॉक शामिल हैं जो उपर्युक्त इक्विटी समूहों में से किसी एक का हिस्सा नहीं बनते हैं।

इसके अतिरिक्त बीएसई में एफ समूह भी है जो ऋण बाजार खंड को स्टॉक मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर होता है दर्शाता है।

यह थी हमारी कोशिश कि आप भारतीय शेयर बाजार में प्रवेश करने से पहले शेयरों के वर्गीकरण को सीखें स्टॉक मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर होता है लें जिससे आपको पता चल जाये कि शेयर बाजार में ग्रुप किस आधार पर बनाये जाते हैं और उनका क्या महत्व है।

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