Commodity Market से घटेगा जोखिम, बढ़ेगी आय

Commodity उन महत्वपूर्ण पदार्थों और स्रोतों को कहा जाता है जिनसे या जिनकी मदद से इस्तेमाल के लायक उत्पाद तैयार किए जा सकें। कमोडिटी मार्केट में उत्पाद की खपत और उत्पादन भी मांग और आपूर्ति की तरह कीमतों पर लगातार असर डालते रहते हैं।

नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। बाजार में निवेश के लिए पहला कदम रखने वालों को सबसे पहले शेयर बाजार दिखता है और वो उसी में पैसा लगाते है, हालांकि निवेशकों के लिए एक नहीं कई ऐसे बाजार मौजूद हैं, जहां कमाई उतनी ही आकर्षक है जितना शेयर बाजार से मिलने वाला रिटर्न। इन बाजारों में एक प्रमुख बाजार है commodity market। ऐसे निवेशकों की कोई कमी नहीं है जो बेहतर रिटर्न के लिए अपने निवेश का मुख्य हिस्सा कमोडिटी मार्केट में लगाते हैं। कमोडिटी मार्केट में कारोबार के अपने कई फायदे होते हैं। अगर आप भी commodity market में निवेश करना चाहते हैं तो पढ़े निवेश से जुड़ी सभी प्रमुख बातें

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क्या होती है कमोडिटी ट्रेडिंग?

Commodity उन महत्वपूर्ण पदार्थों और स्रोतों को कहा जाता है जिससे या जिसकी मदद से इस्तेमाल के लायक उत्पाद तैयार किए जा सकें। इनका अपना आकार या वजन होता है या फिर इन्हें मापा जा सकता है। इन पदार्थों और स्रोतों का कारोबार ही कमोडिटी ट्रेडिंग कहलाता है और जिस जगह ये कारोबार होता है उसे कमोडिटी मार्केट कहते हैं।

Share market और commodity market ट्रेडिंग का मुख्य अंतर ये होता है कि कमोडिटी मार्केट में उत्पाद की खपत और उत्पादन भी मांग और आपूर्ति की तरह कीमतों पर लगातार असर डालते रहते हैं। यानी commodity market में किसी उत्पाद की कीमतें इस बात पर भी निर्भर करती हैं उसका उत्पादन और खपत किस स्तर पर है। यहां मांग न होने पर भी कमोडिटी का उत्पादन घटने पर कीमतें बदलना आम है। कच्चे तेल में अक्सर ऐसा देखने को मिलता है। हालांकि शेयर बाजार में कारोबार का प्रमुख हिस्सा एक ही शेयर की बार बार बिक्री और खरीद पर आधारित होता है। शेयरों की संख्या बढ़ना या घटना एक तय प्रक्रिया का हिस्सा होता है और ये आम घटना नहीं होती। ऐसे में कई बार ऐसे स्टॉक जिनकी बाजार में मांग नहीं होती वो निचले स्तरों पर ही लंबे समय तक बने रहते हैं। कहा जा सकता है कि commodity market कई मायने में शेयर बाजार के मुकाबले ज्यादा एक्शन वाला बाजार साबित होता है जिससे यहां कारोबारियों के लिए लगातार मौके बने रहते हैं।

Commodity को 4 वर्गों में बांटा जाता है. इसमें पहला मेटल कमोडिटी होती है जिसमें लोहा, स्टील, कॉपर, सोना और चांदी आदि आते हैं। वहीं दूसरा एनर्जी कमोडिटी होती है जिसमें तेल, गैस, कोयला आदि आते हैं। तीसरी कैटेगरी में एग्री प्रोडक्ट आते हैं जिसमें अनाज आदि आते हैं वहीं चौथा कार्बन क्रेडिट, कार्बन एनर्जी सर्टिफिकेट आते हैं जो कि पर्यावरण से जुड़े हैं।

क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग का फायदा?

Commodity कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव आम है इससे एक कारोबारी के लिए इसमें कई मौके बनते रहते हैं। वहीं अगर आपको कमोडिटी मार्केट की अच्छी जानकारी है तो आप छोटी रकम लगाकर ऊंचे फायदे कमा सकते हैं। कमोडिटी में निवेश करने से किसी भी निवेशक के पोर्टफोलियों में विविधता आती है। इससे न केवल लोगों को आय बढ़ाने के मौके मिलते हैं साथ ही अनिश्चतता की स्थिति में जोखिम से सुरक्षा मिलती है। हालांकि ये भी सच है कि कमोडिटी मार्केट में लोगों को काफी नुकसान भी हो सकता है ऐसे में आपको बाजार के जानकार की मदद से commodity market में निवेश करना चाहिए। 5paisa के एप की मदद से आप कमोडिटी मार्केट से ऊंचा मुनाफा भी उठा सकते हैं।

कैसे करें कमोडिटी में ट्रेडिंग?

Commodity market में आप एक डीमैट खाते की मदद से ट्रेड कर सकते हैं। इसके लिए आपको किसी जानकार शेयर ब्रोकर के साथ डीमैट खाता खुलवाना होगा। इसके साथ ही commodity market की जानकारी भी रखनी होगी। आप शुरुआती रकम के साथ commodity market में अपना कारोबार शुरू कर सकते हैं। आप 5paisa के साथ अपने पोर्टफोलियों मे विविधता ला सकते हैं और जोखिम घटाने के साथ रिटर्न भी बढ़ा सकते हैं। 5paisa के साथ आप बिना कोई शुल्क दिए डीमैट अकाउंट खोलकर कमोडिटी मार्केट में निवेश की शुरुआत कर सकते हैं।

यदि रास नहीं आ रहे हैं शेयर खरीदने-बेचने के बारीक नियम तो कमोडिटी मार्केट से बनाएं बड़ा मुनाफा

अब अगर हम शेयर मार्केट की बात करें तो इक्विटी मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं जिसमें शेयरहोल्डर को आंशिक रूप से क्या रिटेल निवेशक ऑयल की कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं कंपनी का मालिक भी माना जाता है। इक्विटी शेयरों की कोई समाप्ति तिथि नहीं होती है जबकि कमोडिटी में ऐसा संभव नहीं है।

ब्रांड डेस्क, नई दिल्ली। शेयर मार्केट इन दिनों काफी चर्चा में है। बीते कुछ महीनों में इस बाजार की ओर रुख करने वाले लोगों की संख्या में भी लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। निवेशकों की संख्या में हर दिन होने वाली इस बढ़त ने पिछले दिनों में एक रिकॉर्ड भी बनाया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022 के अगस्त महीने में डीमैट अकाउंट की संख्या पहली बार करीब 10 करोड़ के पार पहुंच चुकी है। ऐसे में शेयर बाजार में अब आम लोगों का भी दिलचस्पी साफ दिखाई देने लगी है।

अक्सर आप क्या रिटेल निवेशक ऑयल की कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं भी यह नाम दिन में तकरीबन चार से पांच बार तो सुन ही लेते होंगे, कई बार तो इसमें आपकी रुचि भी बढ़ जाती होगी, लेकिन फिर इस बाजार के तौर-तरीकों, खरीद-फरोख्त के नियमों व शेयरों में होने वाले उतार-चढ़ाव की बातों को लेकर परेशान हो जाते हैं और आत्मविश्वास में कमी आ जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शेयर बाजार में शेयर में पैसा लगाने के अलावा भी कई शानदार विकल्प हैं। जिनमें कोई भी शख्स आसानी से पैसे लगाकर बड़ा प्रॉफिट कमा सकता है।

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शेयर के अलावा कैसे बना सकते हैं बड़ा मुनाफा

क्या आपको पता है कि शेयर मार्केट के अलावा भी एक मार्केट है, जिसमें ठोस वस्तुओं में पैसे लगाकर बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है। इस मार्केट को कहते हैं कमाोडिटी मार्केट। जब कभी शेयर बाजार में कमजोरी का ट्रेंड रहता है तो लोग ऐसे समय में कमोडिटी मार्केट में सोने और चांदी जैसी चीजों में अधिक पैसा लगाने लगते हैं जिससे इसकी मांग में भी तेजी देखने को मिलने क्या रिटेल निवेशक ऑयल की कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं लगती है। लेकिन अब सवाल है कि क्या आप कमोडिटी मार्केट और इक्विटी यानी शेयर मार्केट के बीच के अंतर को समझते हैं?

शेयर मार्केट व कमोडिटी मार्केट में अंतर क्या है?

कमोडिटी मार्केट (Commodity Market) ऐसा मार्केटप्लेस है जहां निवेशक मसाले, कीमती मेटल्स यानी धातुओं, बेस मेटल्स, एनर्जी , कच्चे तेल जैसी कई अन्य कमोडिटीज की ट्रेडिंग करते हैं। यह मूलत: दो तरह की होती हैं , जिनमें से एक है एग्री कमोडिटीज इसे सॉफ्ट कमोडिटी भी कहते हैं, इसके अंतर्गत मसाले जैसे काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च, सोया बीज, मेंथी ऑयल, गेहूं, और चना जैसी वस्तुएं आती हैं। वहीं नॉन-एग्री या हार्ड कमोडिटीज में सोना, चांदी, कॉपर, जिंक, निकल, लेड, एन्युमिनियम, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस शामिल हैं।

अब अगर हम शेयर मार्केट की बात करें तो इक्विटी मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं जिसमें शेयरहोल्डर को आंशिक रूप से संबंधित कंपनी का मालिक भी माना जाता है। इसके अलावा इक्विटी शेयरों की कोई समाप्ति तिथि नहीं होती है,जबकि कमोडिटी में ऐसा संभव नहीं है। इक्विटी मार्केट में शेयरहोल्डर डिविडेंड के योग्य भी माना जाता है।

आज ही पोर्टफोलियों में जोड़ें कमोडिटी उत्पाद

अक्सर कई लोगों को शेयर का गुणा - गणित आसानी से समझ में नहीं आता है या जब कभी शेयर मार्केट में मंदी आने लगती है तो निवेशक कमोडिटी मार्केट की ओर रुख कर लेते हैं। ऐसे में अगर आप एक Beginner हैं और आपको शेयरों की कम समझ हैं तो परेशान होने की जरुरत नहीं है, बस आपको आज ही अपने पोर्टफोलियों में कई अलग- अलग कमोडिटी को जोड़ना होगा और इस बाजार में हाथ आजमाने होंगे। एक बेहतर और लाभदायक कमोडिटी का चुनाव करने के लिए आप 5paisa ऐप की भी मदद ले सकते हैं।

शेयर बाजार में क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग, जानिए कैसे करते हैं खरीद-बेच, कितना फायदेमंद

commodity trading

जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैस . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : May 06, 2021, 09:25 IST

मुंबई. जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैसे ही शेयर बााजार (share market) में भी इन कमोडिटी की खरीद बेच होती है. शेयर बााजार के कमोडिटी सेक्शन में इनकी ही खरीद बेच को कमोडिटी ट्रेडिंग (commodity trading) कहते हैं. यह कंपनियों के शेयरों यानी इक्विटी मार्केट की ट्रेडिंग से थोड़ी अलग होती है. कमोडिटी की ट्रेडिंग ज्यादातर फ्यूचर मार्केट में होती है. भारत में 40 साल बाद 2003 में कमोडिटी ट्रेडिंग पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया था.

सामान्य तौर पर, कमोडिटी को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है.

कीमती धातु - सोना, चांदी और प्लेटिनम

बेस मेटल - कॉपर, जिंक, निकल, लेड, टीन और एन्युमिनियम

एनर्जी - क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस, एटीएफ, गैसोलाइन

मसाले - काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च.

अन्य - सोया बीज, मेंथा ऑयल, गेहूं, चना

कमोडिटी ट्रेडिंग में क्या अलग है
- कमोडिटी ट्रेडिंग और शेयर बाज़ार ट्रेडिंग करने में बुनियादी फर्क है. शेयर बाजार में आप शेयरों को एक बार खरीद कर कई साल बाद भी बेच सकते हैं लेकिन कमोडिटी मार्केट में दो-तीन नियर मंथ में ही कारोबार होता है. इसलिए सौदे खरीदते या बेचने में एक निश्चित क्या रिटेल निवेशक ऑयल की कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं अवधि का पालन करना जरूरी होता है. यह इक्विटी फ्यूचर ट्रेडिंग (equity future trading) की तरह होता है.

फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट क्या है -

दो पार्टियों के बीच यह खरीदने बेचने का ऐसा सौदा होता है जो आज के दाम पर फ्यूचर की डेट में एक्सचेंज होता है. कमोडिटी राष्ट्रीय स्तर ऑनलाइन मॉनिटरिंग और सर्विलांस मैकेनिज्म के साथ ट्रेड होता है. एमसीएक्स क्या रिटेल निवेशक ऑयल की कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं और एनसीडीएक्स में कमोडिटी फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट एक महीने, दो महीने और तीन महीने के लिए एक्सापाइरी सायकल के आधार पर खरीदे जाते हैं.

पोर्टफोलियो में विविधता के लिए कमोडिटी में निवेश फायदेमंद -
विशेषज्ञों के मुताबिक पोर्टफोलियों में विविधता के लिए निवेशक को इक्विटी के साथ साथ कमोडिटी में भी निवेश करना चाहिए. इससे कीमतों में उतार-चढ़ाव का फायदा लिया जा सकता है. हालांकि, रिटेल और छोटे निवेशकों को कमोडिटी में निवेश में विशेष सावधान होना चाहिए. बाजार की अस्थिरता और कम जानकारी पूरा पैसा डूबा सकती है. निवेशकों को इसमें डिमांड सायकल और कौन से कारक कमोडिटी बाजार को प्रभावित करते हैं यह जानना जरूरी होता है.

कमोडिटी ट्रेडिंग से फायदा -
भारत में 25 लाख करोड़ रुपए सालाना का कमोडिटी मार्केट तेजी से बढ़ रहा है. यह मुख्यत लिवरेज मार्केट होता है. मतलब छोटे और मध्यम निवेशक भी छोटी सी राशि से मार्जिन मनी के जरिये कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं.

हेजिंग -
किसानों, मैन्युफैक्चरर और वास्तविक उपयोगकर्ताओं के लिए कमोडिटी के दाम में उतार चढ़ाव का रिस्क कम हो जाता है.

पोर्टफोलियों में विविधता -
कमोडिटी एक नए एसेट क्लास के रुप में विकसित हो रही है. यह पोर्टपोलियों में प्रभावी विविधता लाती है.

ट्रेडिंग अपॉरच्यूनिटी -
कमोडिटी का डेली टर्नओवर लगभग 22,क्या रिटेल निवेशक ऑयल की कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं 000 - 25,000 करोड़ रुपए है, जो एक बेहतर ट्रेडिंग अपॉर्च्यूनिटी उपलब्ध कराती है.

हाई लिवरेज -
इसमें बहुत कम पैसे में आप मार्जिन मनी के सहारे बड़े सौदे कर सकते हैं.

समझने में आसानी-
कमोडिटी के बेसिक नेचर और सिंपल इकोनॉमिक फंडामेंटल की वजह से इसे समझना भी आसान होता है

इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज का क्या है रोल -

इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज वह संस्था है जो कमोडिटी फ्यूचर में ट्रेडिंग के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती है. जैसे स्टॉक मार्केट इक्विटी में ट्रेडिंग के लिए स्पेस उपलब्ध कराता है. वर्तमान में फ्यूचर ट्रेडिंग के लिए 95 कमोडिटी उपलब्ध है जो रेगुलेटर फॉर्वर्ड मार्केट कमिशन ( एफएमसी) द्वारा जारी गाइडलाइन और फ्रेमवर्क के अंदर हैं. भारत में 3 नेशनल और 22 क्षेत्रिय एक्सचेंज अभी काम कर रहे हैं.

एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) क्या है -

एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) द्वारा सुगम कमोडिटी मार्केट में कमोडिटी का कारोबार अक्सर एमसीएक्स ट्रेडिंग के रूप में जाना जाता है. जिस प्रकार बीएसई और एनएसई स्टॉक में कारोबार के लिए मंच प्रदान करते हैं, वैसे ही एमसीएक्स कमोडिटी में कारोबार के लिए एक मंच प्रदान करता है. इसमें कारोबार मेजर ट्रेडिंग मेटल और एनर्जी में होती है. इसमें रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम 17,000-20,000 करोड़ है.

एनसीडीएक्स-
यह दिसंबर 2003 में अस्त्तिव मे आया. इसमें मुख्यत एग्री ट्रेडिंग होती है. रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम लगभग 2000 - 3000 करोड़.

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शेयर मार्केट से कितना अलग है कमोडिटी मार्केट, जानिए कैसे होती है कमोडिटी ट्रेडिंग?

शेयर बाजार ने भी निवेशकों को निराश नहीं किया. तेजी से दौरान निवेशकों को बंपर मुनाफा मिला. लेकिन यूरोप में यूद्ध के माहौल से सुरक्षित निवेश की मांग तेजी से बढ़ी है. क्योंकि शेयर बाजार में कमजोरी का ट्रेंड है.

कोरोना महामारी के बाद शेयर मार्केट में निवेशकों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़त देखने को मिली है. इसी साल अगस्त में डीमैट खातों की संख्या पहली बार 10 करोड़ के पार पहुंच गई. हालांकि, शेयर बाजार ने भी निवेशकों को निराश नहीं किया. तेजी से दौरान निवेशकों को बंपर मुनाफा मिला. लेकिन यूरोप में यूद्ध के माहौल से सुरक्षित निवेश की मांग तेजी से बढ़ी है. क्योंकि शेयर बाजार में कमजोरी का ट्रेंड है. ऐसे में कमोडिटी मार्केट में सोने और चांदी की मांग तेजी देखने को मिली है. क्या आपको पता है कि कमोडिटी मार्केट क्या है और यह इक्विटी यानी शेयर मार्केट से कितना अलग है.

कमोडिटी मार्केट क्या है?

कमोडिटी मार्केट (Commodity Market) यह एक ऐसा मार्केटप्लेस है जहां निवेशक मसाले, कीमती मेटल्स, बेस मेटल्स, एनर्जी, कच्चे तेल जैसी कई कमोडिटीज की ट्रेडिंग करते हैं.

भारत में दो तरह की कमोडिटीज में ट्रेडिंग होती है…

  • एग्री या सॉफ्ट कमोडिटीज में मसाले जैसे काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च हैं. इसके अलावा सोया बीज, मेंथा ऑयल, गेहूं, चना भी इसी का हिस्सा हैं.
  • नॉन-एग्री या हार्ड कमोडिटीज में सोना, चांदी, कॉपर, जिंक, निकल, लेड, एन्युमिनियम, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस शामिल हैं.

इक्विटी मार्केट और कमोडिटी मार्केट में क्या अंतर है?

  • इक्विटी मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं. वहीं कमोडिटी मार्केट में कच्चे माल को बेचा और खरीदा जाता है.
  • इक्विटी के होल्डर को शेयरहोल्डर कहा जाता है, जबकि कमोडिटी के होल्डर को ऑप्शन कहा जाता है.
  • शेयरहोल्डर को पार्शियल कंपनी का मालिक माना जाता है, लेकिन कमोडिटी मालिकों को नहीं.
  • इक्विटी शेयरों की समाप्ति तिथि नहीं होती है. जबकि कमोडिटी में ऐसा नहीं होता है.
  • इक्विटी मार्केट में शेयरहोल्डर डिविडेंड के योग्य माना जाता है. वहीं कमोडिटी मार्केट में डिविडेंड का प्रावधान नहीं होता.

भारत में प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज

भारत में कमोडिटी ट्रेडिंग के लिए प्रमुख एक्सचेंज हैं. इसमें मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX), नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) के साथ-साथ यूनिवर्सल कमोडिटी एक्सचेंज (UCX), नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (NMCE), इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज (ICEX), ACE डेरिवेटिव्स एंड कमोडिटी एक्सचेंज लिमिटेड शामिल हैं.

कमोडिटी मार्केट में ट्रेडिंग क्या रिटेल निवेशक ऑयल की कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं कैसे होती है?

कमोडिटी में ट्रेडिंग शुरू करने के लिए डीमैट अकाउंट की आवश्यकता होगी. डीमैट अकाउंट आपके सभी ट्रेड और होल्डिंग के सिक्योर करेगा, लेकिन एक्सचेंज पर ऑर्डर देने के लिए आपको ब्रोकर के माध्यम से जाना होगा.

कैसे करें कमोडिटी डेरिवेटिव में कारोबार?

हम आपको कमोडिटी डेरिवेटिव सेगमेंट के अलग-अलग पहलुओं के बारे में बाते रहे हैं.

निवेश

कमोडिटी डेरिवेटिव सेगमेंट में कारोबार करना कोई रॉकेट साइंस नहीं है. हालांकि, इसके लिए कई पहलूओं को समझना जरूरी है.

प्रश्न: कौन-कौन से एक्सचेंज पर सीडीएस सेवा उपलब्ध है?
उत्तर:एमसीएक्स सबसे बड़ा और सूचीबद्ध मेटल और ऊर्जा एक्सचेंज हैं. एग्री कमोडिटी में खरीद-फरोख्त एनसीडीईएक्स पर किया जा सकता है. आईसीईएक्स पर डायमंड और स्टील डेरिवेटिव्स का सौदा होता है.

इसके अलावा, सेबी के नए नियमों के बाद बीएसई और एनएसई भी सीडीएस सेवाएं दे रहे हैं. कुछ शर्तें पूरी करने के बाद एमसीएक्स भी इक्विटी सेवा प्रदान करने वाला है,

प्रश्न: क्या डिलीवरी अनिवार्य है?
उत्तर: खाद्य तेल, मसालों जैसे एग्री फ्यूचर्स में डिलीवरी अनिवार्य हैं. मगर आप अपने सौदों का निपटारा (स्क्वेयर ऑफ) डिलीवरी से पहले भी कर सकते हैं. गैर-एग्री सौदों, जैसे सोना और चांदी, में ज्यादातर सौदे गैर-डिलीवरी आधारित होते हैं. अब इनमें भी डिलीवरी अनिवार्य बनाने की तैयारी हो रही है.

प्रश्न: कौन करता है यह ट्रेंडिंग?
उत्तर: इसमें मुख्यत: रिटेल और होलसेल कारोबारी, कुछ बड़े हेज करने वाले और सट्टेबाज शामिल होते हैं. सेबी ने इस सेवा को संस्थागत कारोबार के लिए भी खोल तिया है, जिसमें म्यूचुअल फंड्स कस्टोडियन सीडीएस सेवा दे सकते हैं. इससे बाजार की गहराई बढ़ेगी.

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इसके अलावा कुछ नियम और शर्तों के साथ विदेशी कंपनियों और तीसरी श्रेणी के वैकल्पिक निवेश फंड्स को भी कारोबार की अनुमति दी जा चुकी है.

प्रश्न: क्या इसका कारोबार इक्विटी एफएंडओ जैसा ही होता है?
उत्तर: क्या रिटेल निवेशक ऑयल की कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं हां. मार्क-टू-मार्केट को दैनिक आधार पर ही सेटल किया जाता है. मगर इसके मार्जिन शेयर जितने ऊंचे नहीं होते. शेयर कच्चे तेल और सोने से अधिक अस्थिर माने जाते हैं.

प्रश्न: किस मार्जिन पर कारोबार होता है?
उत्तर: अमूमन यह स्तर 5-10 फीसदी होता है. मगर जब एग्री कमोडिटी में अस्थिरता बढ़ती हैं, एक्सचेंज अतिरिक्त विशेष मार्जिन लागू कर देते हैं. ये मार्जिन 30 से 50 फीसदी तक हो सकते हैं.

प्रश्न: कमोडिटी एफएंडओ बाजार का नियामक कौन है?
उत्तर: मेटल और एनर्जी बाजार एमसीएक्स और एग्री बाजार एमसीडीईएक्स का नियामक सेबी है.

प्रश्न: क्या इस बाजार में पर्याप्त लिक्विडिटी होती है और इक्विटी निवेशकों को इस कमोडिटी पर दांव खेलना चाहिए?
उत्तर: गैर-एग्री कमोडिटी जैसे सोना, चांदी, क्रूड, कॉपर आदि में लिक्विडिटी अधिक होती हैं. सोयाबीन, सरसों, जीरा जैसी कमोडिटी भी पर्याप्त निवेशकों का ध्यान खींचती हैं. ज्यादा रिटेल निवेशकों मेटल और एनर्जी पर दांव खेलते हैं.

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