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ओपन पोजीशन
ओपन पोजीशन (Open Position) ट्रेडिंग के व्यवहार को संदर्भित करती है जहां उपयोगकर्ता ट्रेडिंग शुरू करते हैं। क्रिप्टो फ्यूचर्स ट्रेडिंग में, एक खरीद, एक लांग पोजीशन, एक बिक्री, या एक शॉर्ट पोजीशन के बाद एक ओपन पोजीशन मौजूद हो सकती है।
एक लांग पोजीशन (एक खरीद): बाजार के बढ़ने की उम्मीद होने पर क्रिप्टोकरंसी खरीदें और मार्केट के अपेक्षित लेवल पर पहुंच जाने पर प्रोफिट लेने के लिए बेचें, जो कि स्पॉट मार्केट में “बाय लो एंड सेल हाई” के समान है।
एक शॉर्ट पोजीशन (एक बिक्री): मार्केट में गिरावट की उम्मीद होने पर क्रिप्टोकरंसी बेचें, और जब बाजार अपेक्षित लेवल तक टूट जाए तो प्रोफिट लेने के लिए खरीद लें, जो कि "लांग पोजीशन" के विपरीत एकशन्स हैं, यानी बेचने के लिए क्रिप्टो को एडवांस में उधार लें, मार्केट में गिरावट आने पर उन्हें कम कीमत पर फिर से खरीद लें, और उधार लिए गए पैसे को चुकाएं और खरीदने और बेचने की लागत के बीच के अंतर पर प्रोफिट लें।
ऑपरेट कैसे करें:
ऑर्डर का प्रकार और मार्जिन मोड सिलेक्ट करें, लेवरेज सेट करें, टोकन प्राइज और खरीद राशि दर्ज करें, और "खरीदें" पर क्लिक करें।
ऑर्डर का प्रकार और मार्जिन मोड सिलेक्ट करें, लेवरेज सेट करें, टोकन प्राइज और खरीद राशि दर्ज करें, और “बेचें” पर क्लिक करें।
एंट्री प्राइज, मार्क प्राइज, अनुमा. लिक्विड प्राइज, मार्जिन अनुपात, PnL आदि देखने के लिए “पोजीशन्स” पर क्लिक करें।
कृपया ध्यान दें: ऊपर का उदाहरण PC क्लाइंट के लिए है। AscendEX की फ्यूचर्स ट्रेडिंग के बारे में ज्यादा जानने के लिए कृपया निम्न लिंक पर क्लिक करें।
ध्यान दें:
फ्यूचर्स ट्रेडिंग में लेवरेज का इस्तेमाल इंवेस्टमेंट के रिस्क को बढ़ाता है जबकि उपयोगकर्ताओं को उनके रिटर्न्स को मल्टीप्लाय करने में मदद करता है। एक बहुत ज्यादा वोलेटाइल मार्केट किसी खाते के एसेट्स के जबरन लिक्विडेशन का कारण हो सकता है। रिस्क कंट्रोल के लिए मार्केट के उतार-चढ़ाव पर पूरा ध्यान देना सुनिश्चित करें।
पृथक मार्जिन ट्रेडिंग पोजीशन क्या हैं
ऐतिहासिक लेनदेन में किसी पोजीशन की लागत और लाभ/हानि की गणना के लिए पृथक मार्जिन ट्रेडिंग पोजीशन का उपयोग किया जाता है। पृथक मार्जिन पोजीशन आपके खाते में निधि की राशि या आपके उधार लेने के व्यवहार पर निर्भर नहीं करता है। इसके बजाय, यह गणना करने के लिए ट्रेडिंग युग्म (लॉन्ग और शार्ट) के ऐतिहासिक ट्रेड से संचयी डेटा का उपयोग करता है। पोजीशन की जानकारी की पुनर्गणना की जाती है और हर 5 मिनट में अपडेट किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आप सिस्टम की पुनर्गणना से पहले 5 मिनट के भीतर मार्जिन ट्रेड करते/करती हैं, तो पोजीशन मूल्य और लाभ/हानि की गणना प्रचलित गणनाओं पर आधारित होगी।
पृथक मार्जिन ट्रेडिंग पोजीशन गणना ट्रेडिंग में क्यों उपयोगी है?
यदि आप लेनदेन की एक श्रृंखला पर एक लॉन्ग/शार्ट मार्जिन पोजीशन खोलते/खोलती हैं, तो आपके ट्रेड की औसत लागत की गणना के लिए पृथक मार्जिन ट्रेडिंग पोजीशन गणना का उपयोग किया जा सकता है। यह आपकी ऐतिहासिक व्यापारिक गतिविधि के आधार पर आपके लाभ और हानि और पोजीशन मूल्य की जांच करने के लिए सुविधाजनक है, ताकि आप बेहतर निवेश निर्णय ले सकें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ट्रेडिंग पोजीशन से तात्पर्य उस असेट की कुल खरीद (लॉन्ग)/ कुल बिक्री (शार्ट) राशि से है, जिसका आपने प्रारंभिक पोजीशन खोलने के बाद से किसी विशेष पृथक ट्रेडिंग युग्म में कारोबार किया था। उदाहरण के लिए, यदि आपने लेनदेन की एक श्रृंखला पर मार्जिन पोजीशन खोली है, तो आप अपने कुल पोजीशन आकार को निर्धारित करने में सहायता के लिए संचयी गणना का उपयोग कर सकते/सकती हैं।
मान लीजिए कि आपने एक BTCUSDT पृथक मार्जिन पोजीशन खोली है और अपनी प्रारंभिक पोजीशन के बाद लेनदेन की एक श्रृंखला बनाई है। प्रत्येक लेनदेन के बाद कुल खरीद मात्रा इस प्रकार है:
तारीख | व्यापार | मात्रा | संचयी कुल खरीद (ट्रेडिंग पोजीशन) | दिशा |
T+1 | खरीदें | 10 BTC | 10 BTC | लॉन्ग |
T+2 | बेचें | 7 BTC | 3 (= 10 - 7) BTC | लॉन्ग |
T+3 | बेचें | 2 BTC | 1 (= 3 - 2) BTC | लॉन्ग |
T+4 | बेचें | 5 BTC | -4 (= 1 - 5) BTC | शार्ट |
T+5 | खरीदें | 4 BTC | 0 (= -4 + 4) BTC | अमान्य |
*T+3 पर मान लें कि आपके पास 1 BTC का लॉन्ग पोजीशन है और आपके मार्जिन खाते में 1 BTC है, तो आपने 1 BTC को अपने स्पॉट खाते में अंतरित कर दिया यानी आपके पृथक मार्जिन खाते में असेट का कोई BTC नहीं है, आपका ट्रेडिंग पोजीशन में अभी भी 1 BTC का लॉन्ग पोजीशन होगा।
इस स्थिति में, प्रारंभिक पोजीशन के बाद किसी भी अतिरिक्त लॉन्ग पोजीशन का हिसाब लगाया जाएगा और नया लागत मूल्य निर्धारित करने के लिए पुनर्गणना की जाएगी।
इस स्थिति में, प्रारंभिक पोजीशन के बाद किसी भी अतिरिक्त शार्ट पोजीशन का हिसाब लगाया जाएगा और नया लागत मूल्य निर्धारित करने के लिए पुनर्गणना की जाएगी।
एक भारित औसत प्रत्येक व्यापार के साथ खरीदी गई मात्रा और मूल्य को ध्यान में रखता है। दूसरे शब्दों में, यदि आप अतिरिक्त 2 BTC खरीदते/खरीदती हैं, तो आपके द्वारा भुगतान की जाने वाले मूल्य औसत को 1 BTC खरीदने की तुलना में अधिक प्रभावित करेगा। जब कोई पोजीशन शून्य पर वापस आता है या दिशा बदलता है, तो लागत मूल्य की पुनर्गणना की जाएगी।
फ्लोटिंग लाभ और हानि सूचकांक मूल्य और लागत मूल्य के आधार पर गणना किए गए पोजीशन का अप्राप्त लाभ और हानि है। फ्लोटिंग लाभ का सूत्र इस प्रकार है:
मान लीजिए कि आप BTCUSDT पृथक युग्म में एक लॉन्ग 3 BTC की पोजीशन रखते/रखती हैं और लागत मूल्य 40,000 है; BTCUSDT का सूचकांक मूल्य 50,000 है। आपका फ्लोटिंग लाभ और हानि = 3*(50,000 - 40,000) = 30,000 USDT होगा।
यदि आप एक शार्ट 3 BTC की पोजीशन रखते/रखती हैं, जबकि लागत मूल्य और सूचकांक मूल्य अपरिवर्तित रहते हैं, तो आपका फ्लोटिंग PnL = 3*(40,000 - 50,000) = -30,000 USDT होगा
कुल PnL की गणना = कुल खरीद मात्रा (पिछले सभी ट्रेड में से)*सूचकांक मूल्य - कुल खरीद बाजार मूल्य के रूप में की जाती है
कुल खरीद मार्केट मूल्य = ट्रेड किए गए खरीद ऑर्डर की राशि - ट्रेड किए गए बिक्री ऑर्डर की संख्या (कोट असेट)
*नोट: मार्जिन ऑर्डर इतिहास में PnL गणना भी कुल PnL गणना का उपयोग करती है, आप मार्जिन ऑर्डर इतिहास में जा सकते हैं और PnL गणना के लिए एक विशिष्ट समय अवधि का चयन कर सकते/सकती हैं।
तारीख | व्यापार | मात्रा | निष्पादन मूल्य |
T+1 | खरीदें | 10 BTC | 30,000 USDT |
T+2 | बेचें | 7 BTC | 32,000 USDT |
T+3 | बेचें | 2 BTC | 33,000 USDT |
साधित PnL आपके पूरे किए गए ट्रेडों के लाभ या हानि को दर्शाता है। इसकी गणना इस सूत्र द्वारा की जा सकती है:
जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्या हैं इसके फायदे
Swing Trading: बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मदद करना होता है.
- nupur praveen
- Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST
म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग पोजीशन ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.
यहां पर स्विंग ट्रेडिंग के जरिये एक ट्रेडर का लक्ष्य छोटे-छोटे प्रॉफिट ट्रेडिंग पोजीशन के साथ लॉन्गर टाइम फ्रेम में एक बड़ा प्रॉफिट बनाने का होता है. जहां लॉन्ग टर्म निवेशकों को मामूली 25% लाभ कमाने के लिए पांच महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं स्विंग ट्रेडर हर हफ्ते 5% या इससे ज्यादा का भी प्रॉफिट बना सकते हैं बहुत ही आसानी से लॉन्ग टर्म निवेशकों को मात दे सकता है.
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर
शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.
स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.
कितने टाइप के होते है स्विंग ट्रेडिंग पैटर्न
स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे
– हेड एंड शोल्डर पैटर्न
– फ्लैग पैटर्न
– कप एंड हैंडल पैटर्न
– ट्रेंगल पैटर्न
– मूविंग एवरेज का क्रॉसओवर पैटर्न
भारत में सबसे लोकप्रिय स्विंग ट्रेडिंग ब्रोकरों में एंजेल ब्रोकिंग, मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल, ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स और शेयरखान शामिल है.
Options Trading: क्या होती है ऑप्शंस ट्रेडिंग? कैसे कमाते हैं इससे मुनाफा और क्या हो आपकी रणनीति
Options Trading: निश्चित ही ऑप्शंस ट्रेडिंग एक जोखिम का सौदा है. हालांकि, अगर आप बाजार के बारे में जानकारी रखते हैं और कुछ खास रणनीति बनाकर चलते हैं तो इससे मुनाफा अर्जित कर सकते हैं.
By: मनीश कुमार मिश्र | Updated at : 18 Oct 2022 03:40 PM (IST)
ऑप्शंस ट्रेडिंग ( Image Source : Getty )
डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) भारतीय बाजार के दैनिक कारोबार में 97% से अधिक का योगदान देता है, जिसमें ऑप्शंस एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनता है. निवेशकों के बीच बाजार की जागरूकता बढ़ने के साथ, ऑप्शंस ट्रेडिंग (Options Trading) जैसे डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) में रिटेल भागीदारी में उछाल आया है. इसकी मुख्य वजह उच्च संभावित रिटर्न और कम मार्जिन की आवश्यकता है. हालांकि, ऑप्शंस ट्रेडिंग में उच्च जोखिम शामिल है.
क्या है ऑप्शंस ट्रेडिंग?
Options Trading में निवेशक किसी शेयर की कीमत में संभावित गिरावट या तेजी पर दांव लगाते हैं. आपने कॉल और पुष ऑप्शंस सुना ही होगा. जो निवेशक किसी शेयर में तेजी का अनुमान लगाते हैं, वे कॉल ऑप्शंस (Call Options) खरीदते हैं और गिरावट का रुख देखने वाले निवेशक पुट ऑप्शंस (Put Options) ट्रेडिंग पोजीशन में पैसे लगाते हैं. इसमें एक टर्म और इस्तेमाल किया जाता है स्ट्राइक रेट (Strike Rate). यह वह भाव होता है जहां आप किसी शेयर या इंडेक्स को भविष्य में जाता हुआ देखते हैं.
जानकारी के बिना ऑप्शंस ट्रेडिंग मौके का खेल है. ज्यादातर नए निवेशक ऑप्शंस में पैसा खो देते हैं. ऑप्शंस ट्रेडिंग में जाने से पहले कुछ बुनियादी बातों से परिचित होना आवश्यक है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के हेड - इक्विटी स्ट्रैटेजी, ब्रोकिंग एंड डिस्ट्रीब्यूशन हेमांग जानी ने ऑप्शंस ट्रेडिंग को लेकर कुछ दे रहे हैं जो आपके काम आ सकते हैं.
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धन की आवश्यकता: ऑप्शंस की शेल्फ लाइफ बहुत कम होती है, ज्यादातर एक महीने की, इसलिए व्यक्ति को किसी भी समय पूरी राशि का उपयोग नहीं करना चाहिए. किसी विशेष व्यापार के लिए कुल पूंजी का लगभग 5-10% आवंटित करना उचित होगा.
ऑप्शन ट्रेड का मूल्यांकन करें: एक सामान्य नियम के रूप में, कारोबारियों को यह तय करना चाहिए कि वे कितना जोखिम उठाने को तैयार हैं यानी एक एग्जिट स्ट्रेटजी होनी चाहिए. व्यक्ति को अपसाइड एग्जिट पॉइंट और डाउनसाइड एग्जिट पॉइंट को पहले से चुनना होगा. एक योजना के साथ कारोबार करने से व्यापार के अधिक सफल पैटर्न स्थापित करने में मदद मिलती है और ट्रेडिंग पोजीशन आपकी चिंताओं को अधिक नियंत्रण में रखता है.
जानकारी हासिल करें: व्यक्ति को ऑप्शंस और उनके अर्थों में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ जार्गन्स से परिचित होने का प्रयास करना ट्रेडिंग पोजीशन चाहिए. यह न केवल ऑप्शन ट्रेडिंग से अधिकतम लाभ प्राप्त करने में मदद करेगा बल्कि सही रणनीति और बाजार के समय के बारे में भी निर्णय ले सकता है. जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, सीखना संभव हो जाता है, जो एक ही समय में आपके ज्ञान और अनुभव दोनों को बढ़ाता है.
इलिक्विड स्टॉक में ट्रेडिंग से बचें: लिक्विडिटी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यक्ति को ट्रेड में अधिक आसानी से आने और जाने की अनुमति देता है. सबसे ज्यादा लिक्विड स्टॉक आमतौर पर उच्च मात्रा वाले होते हैं. कम कारोबार वाले स्टॉक अप्रत्याशित होते हैं और बेहद स्पेक्युलेटिव होते हैं, इसलिए यदि संभव हो तो इससे बचना चाहिए.
होल्डिंग पीरियड को परिभाषित करें: वक्त ऑप्शंस के मूल्य निर्धारण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. प्रत्येक बीतता दिन आपके ऑप्शंस के मूल्य को कम करता है. इसलिए व्यक्ति को भी पोजीशन को समय पर कवर करने की आवश्यकता होती है, भले ही पोजीशन प्रॉफिट या लॉस में हो.
मुख्य बात यह जानना है कि कब प्रॉफिट लेना है और कब लॉस उठाना है. इनके अलावा, व्यक्ति को पोजीशन की अत्यधिक लेवरेज और एवरेजिंग से भी बचना चाहिए. स्टॉक ट्रेडिंग की तरह ही, ऑप्शंस ट्रेडिंग में ऑप्शंस खरीदना और बेचना शामिल है या तो कॉल करें या पुट करें.
ऑप्शंस बाइंग के लिए सीमित जोखिम के साथ एक छोटे वित्तीय निवेश की आवश्यकता होती है अर्थात भुगतान किए गए प्रीमियम तक, जबकि एक ऑप्शंस सेलर के रूप ट्रेडिंग पोजीशन में, व्यक्ति बाजार का विपरीत दृष्टिकोण रखता है. ऑप्शंस को बेचते वक्त माना गया जोखिम मतलब नुकसान मूल निवेश से अधिक हो सकता है यदि अंतर्निहित स्टॉक (Underlying Stocks) की कीमत काफी गिरती है या शून्य हो जाती है.
ऑप्शंस खरीदते या बेचते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए:
- डीप-आउट-ऑफ-द-मनी (OTM) विकल्प केवल इसलिए न खरीदें क्योंकि यह सस्ता है.
- समय ऑप्शन के खरीदार के खिलाफ और ऑप्शन के विक्रेता के पक्ष में काम करता है. इसलिए समाप्ति के करीब ऑप्शन खरीदना बहुत अच्छा विचार नहीं है.
- अस्थिरता ऑप्शन के मूल्य को निर्धारित करने के लिए आवश्यक कारकों में से एक है. इसलिए आम तौर पर यह सलाह दी जाती है कि जब बाजार में अस्थिरता बढ़ने की उम्मीद हो तो ऑप्शंस खरीदें और जब अस्थिरता कम होने की उम्मीद हो तो ऑप्शंस बेचें.
- प्रमुख घटनाओं या प्रमुख भू-राजनीतिक जोखिमों से पहले ऑप्शंस बेचने के बजाय ऑप्शंस खरीदना हमेशा बेहतर होता है.
नियमित अंतराल पर प्रॉफिट की बुकिंग करते रहें या प्रॉफिट का ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस रखें. अगर सही तरीके से अभ्यास किया जाए तो ऑप्शंस ट्रेडिंग से कई गुना रिटर्न्स प्राप्त किया जा सकता है.
(डिस्क्लेमर : प्रकाशित विचार एक्सपर्ट के निजी हैं. शेयर बाजार में निवेश करने ट्रेडिंग पोजीशन से पहले अपने निवेश सलाहकार की राय अवश्य लें.)
Published at : 18 Oct 2022 11:42 AM (IST) Tags: Options Trading Derivatives Call Option Put Option Trading in Options Stop loss हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
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