कुल मिलाकर SIP रुपया-लागत औसत (rupee-cost average) के माध्यम से लंबी अवधि में बाजार के उतार-चढ़ाव को सामान्य कर देती है। मतलब जब बाजार में तेजी होती है, तो कम यूनिट खरीदी जाती है। इसी तरह मंदी के दौरान कम कीमत पर अधिक यूनिट खरीदे जा सकते हैं। इससे एक वक्त के बाद प्रति यूनिट की कीमत औसतन सामान्य हो जाती है।

SIP vs म्यूचुअल फंड - SIPऔर म्यूचुअल फंड में क्या अंतर है

आज के युग में जहां निवेश करना एक आवश्यकता बन गई है, वहां के अधिकांश निवेशक म्यूचुअल फंड को अपनी राशि को पार्क करने के लिए सबसे अच्छा संभव विकल्प मानते हैं। लेकिन, कई निवेशकों का हर सलाहकार से एक ही तरह का सवाल होता है कि म्यूचुअल फंड और SIP (सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान) में क्या अंतर है? ”।

यहां यह समझना महत्वपूर्ण है कि ये दोनों चीजें अलग नहीं हैं। म्यूचुअल फंड एक निवेश विकल्प है और SIP एक अवधारणा है जो निवेश में सहायता करता है। सरल शब्दों में, SIP को म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक तरीका माना जा सकता है। म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक और तरीका एकमुश्त राशि है, जहां एक निवेशक एक विशेष फंड में अपने अधिशेष को एक बार में या एक किस्त के रूप में पार्क करता है।

इस लेख में, हम म्युचुअल फंड और उनमें निवेश करने के तरीकों पर इन्वेस्टमेंट क्या होता है? चर्चा करेंगे।

म्यूचुअल फंड क्या हैं ?

म्युचुअल फंड निवेश विकल्प हैं जो कई व्यक्तियों से फंड इकट्ठा करते हैं, उन्हें एक साथ रखते हैं, और योजना के निवेश उद्देश्य के अनुसार बांड, स्टॉक या अन्य प्रतिभूतियों का संग्रह खरीदते हैं। इसे आमतौर पर एक पोर्टफोलियो के रूप में कहा जाता है। म्यूचुअल फंड के एनएवी (नेट एसेट वैल्यू), जिसे इसकी प्रति-इकाई कीमत भी कहा जाता है, फंड के बकाया शेयरों द्वारा विभाजित पोर्टफोलियो में प्रतिभूतियों के कुल मूल्य से पता लगाया जाता है। प्रत्येक व्यापारिक दिन के अंत में प्रतिभूतियों के मूल्य के आधार पर, योजना का एनएवी में उतार-चढ़ाव होता है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि निवेशक उन प्रतिभूतियों के मालिक नहीं हैं जिनमें फंड निवेश करता है, वे फंड में ही इकाइयों के मालिक होते हैं।

जब हम सक्रिय रूप से प्रबंधित म्यूचुअल फंडों के बारे में बात करते हैं, तो इन्वेस्टमेंट क्या होता है? अंतर्निहित प्रतिभूतियों को खरीदने और बेचने का निर्णय फंड मैनेजरों द्वारा किया जाता है जो अनुसंधान के माध्यम से समर्थित होते हैं। इन प्रबंधकों का प्राथमिक लक्ष्य निवेश के अवसरों की तलाश करना है जो फंड को अपने बेंचमार्क के रिटर्न इन्वेस्टमेंट क्या होता है? को पार करने में मदद कर सकते हैं जो आमतौर पर सूचकांक है, जैसे कि सेंसेक्स या निफ्टी। फंड के प्रदर्शन को बताने का एक सरल तरीका यह है कि इसे निर्धारित बेंचमार्क के साथ तुलना करें।

SIP क्या है ?

SIP यानी सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान निवेश विकल्प या एसेट क्लास नहीं है। यह बल्कि एक अवधारणा है और म्यूचुअल फंड में निवेश करने के तरीकों में से एक है जैसा कि हमने परिचय में चर्चा की है। इस प्रकार, SIP को अनुशासित तरीके से एक निश्चित राशि के साथ समय-समय पर एमएफ में निवेश के रूप में कहा जा सकता है। यह एक निवेशक को एक वित्तीय लक्ष्य के अनुसार निवेश करने की सुविधा देता है और एक लंबी अवधि के माध्यम से एक छोटी राशि का निवेश करके दीर्घकालिक धन का सृजन करता है। नियमित नकदी प्रवाह या निश्चित आय वाले निवेशक SIP के साथ आगे बढ़ सकते हैं। साथ ही, नियमित रूप से बचत और निवेश करने की आदत डालने के लिए SIP सबसे अच्छा विकल्प है। इसके अलावा, चक्रवृद्धि का लाभ लंबे समय में चमत्कार कर सकता है। यह बाजार के समय से बचने में भी मदद करता है और रुपये की औसत लागत के अपने लाभ के कारण दीर्घकालिक निवेश पर बाजार की अस्थिरता से कम से कम प्रभावित होता है।

International Funds Taxation: इंटरनेशनल फंड में कैसे कर सकते है निवेश, देखें क्या है फायदे और नुकसान

By: ABP Live | Updated at : 09 Sep 2022 08:55 PM (IST)

Edited By: Sandeep

Why Invest in International Funds : देश में निवेशकों का ध्यान अब इंटरनेशनल फंड (International Funds) की ओर जा रहा है. क्या इंटरेशनल फंड अपने निवेशकों को बढ़िया रिटर्न दे रहा हैं. क्या इनमें निवेश घरेलू फंड जितना ही आसान है इन्वेस्टमेंट क्या होता है? या नहीं? आखिर इन फंड्स में निवेश के क्या फायदे हैं. क्या आपको इस फंड में निवेश करना चाहिए या नहीं?

क्या है इंटरनेशनल फंड
आपको बता दे कि इंटरनेशनल फंड (International Funds) ऐसे म्यूचुअल फंड हैं. जिससे एक देश में रहने वाले निवेशक दूसरे देशों की कंपनियों में पैसे लगा सकते हैं. भारत में रहने वाला एक निवेशक इंटरनेशनल फंड के जरिए अमेरिका या ब्रिटेन की किसी कंपनी के शेयर्स में निवेश कर सकता है. डॉलर के मुकाबले रुपये में होने वाली गिरावट का इंटरनेशनल फंड पर असर नहीं होता है.

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अब आम आदमी भी शेयर बाजार में निवेश कर ज्‍यादा रिटर्न पाने में रुचि दिखा रहा है. यही कारण है कि बीते एक साल में रिकॉर्ड संख्‍या में डीमैट अकाउंट खोले गए हैं. पिछले महीने तक के आंकड़ों के अनुसार देशभर में करीब 6.9 करोड़ डीमैट अकांउट्स हैं. हालांकि, दूसरे देशों के मुकाबले आबादी के लिहाज से यह अनुपात अभी भी बहुत कम है. भारतीय शेयर बाजार में सबसे ज्‍यादा पैसा महाराष्‍ट्र, गुजरात और उत्‍तर प्रदेश के लोग लगाते हैं. लक्षद्वीप, अंडमान एवं निकोबार से लेकर मिज़ोरम तक के लोग शेयर बाजार से अच्‍छी कमाई कर रहे हैं.

ब्रोकरेज कंपनी बंद होने पर आपके निवेश का क्‍या होगा?

आप यह जानकार राहत की सांस ले सकते हैं कि स्‍टॉक ब्रोकिंग कंपनी के डिफॉल्‍ट करने या बंद होने के बाद भी आपकी पूंजी या फंड पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा. ऐसा नहीं होगा कि स्‍टॉक ब्रोकर आपकी पूंजी लेकर भाग जाए. उदाहरण के तौर पर देखें तो जब हर्षद मेहता स्‍कैम सामने आया था, तब उनकी ब्रोकिंग कंपनी ग्रो मोर रिसर्च एंड एसेट मैनेजमेंट को सेबी ने बैन कर दिया था. लेकिन इस कंपनी के जरिए शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले लोगों को कोई नुकसान नहीं हुआ.

आपको सबसे पहले यह समझने की जरूरत कि ये स्‍टॉक ब्रोकिंग कंपनियां इन्वेस्टमेंट क्या होता है? महज एक बिचौलिए के तौर पर काम करती हैं. आपके फंड पर इनकी पहुंच सीधे तौर पर नहीं होती है ताकि वे आपकी पूंजी पर अपना हम जमा सकें. लेकिन इनके पास पड़ी अपनी फंड या पूंजी को इस्‍तेमाल करने के लिए आप इन्‍हें निर्देश दे सकते हैं.

स्‍टॉक्‍स और शेयरों का क्‍या होगा?

आपका फंड डीमैट अकाउंट में जमा होता है. ये डीमैट अकाउंट डिपॉजिटरीज के पास खुलात है. सेबी ने दो डिपॉजिटरीज – नेशनल सिक्‍योरिटीज डिपॉजिटरीज लिमिटेड (NSDL) और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड (CDSL) को मंजूरी दी है. भारत सरकार के वित्‍त मंत्रालय के प्रति सेबी की जवाबदेही होती है.

किसी भी समय पर एक निवेशक का स्‍टॉक या शेयर ब्रोकरेज फर्म्‍स के पास नहीं होता है. वे बस एक प्‍लेटफॉर्म के तौर पर काम करते हैं. इनका काम बस आपके निर्देश के हिसाब से आपकी जगह ट्रेड करना है. बदले में ये आपसे फीस वसूलते हैं.

इसी प्रकार आपका म्‍यूचुअल फंड इन्‍वेस्‍टमेंट एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) के पास होता है. ऐसे में अगर ब्रोकरेज फर्म बंद भी हो जाता है तो आपका म्‍यूचुअल फंड सुरक्षित रहेगा.

Lump Sum & इन्वेस्टमेंट क्या होता है? SIP: आपके लिए क्या सही है, और कब?

निवेशक अपने फंड को दो तरह से बाजार में लगा सकते हैं। यह एकमुश्त (Lump Sum) या सिप (SIP) दोनों में से कुछ भी हो सकता है। अलग-अलग परिस्थितियों में दोनों ही कारगर साबित हो सकती हैं। इस आर्टिकल में हम आपको यह समझाने की कोशिश करेंगे कि आखिर इन दोनों का नफा-नुकसान क्या है व आपके लिए दोनों में से कौन सी ज्यादा कारगर है।

Lump Sum & SIP: आपके लिए क्या सही है, और कब?

नए निवेशकों के लिए निवेश एक मुश्किल काम हो सकता है। रिस्क मैनेजमेंट इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है। आपके निवेश की ग्रोथ की संभावनाएं काफी हद तक इस बात पर इन्वेस्टमेंट क्या होता है? निर्भर करती हैं कि आप अपना पैसा किस तरह से लगा रहे हैं।

निवेश दो तरह से किया जा सकता है:

आइए इन्वेस्टमेंट क्या होता है? अब दोनों की ही विशेषताओं और खामियों को जानने की कोशिश करते हैं:

1) एकमुश्त निवेश (Lump Sum Investment) क्या है?

एकमुश्त (Lump Sum) निवेश का अर्थ है कि निवेशक अपनी पूंजी एक ही बार में निवेश करता है और आवश्यकता पड़ने पर ही दोबारा पूंजी लगाता है यानी टॉप अप करता है।

एकमुश्त निवेश के क्या लाभ हैं?

यह विधि आम तौर पर अनुभवी या मोटी रकम रखने वाले निवेशकों के लिए सही होती है। इस विधि में अपनी जोखिम की क्षमता को बढ़ाना भी जरूरी है।

एकमुश्त निवेश करने वाले निवेशक बाजार के उतार-चढ़ाव के रुख को अपने अनुसार मोड़ सकते हैं। यह शैली आम तौर पर उन व्यक्तियों के लिए सुविधाजनक है, जिनके पास निवेश के लिए एक बड़ी राशि है।

एकमुश्त इन्वेस्टमेंट क्या होता है? इन्वेस्टमेंट क्या होता है? निवेश पर लाभ कमाने की संभावना तब अधिक होती है जब बाजार अस्थिर दौर से गुजरा हो और एक बार फिर ऊपर चढ़ने की तैयारी कर रहा हो।

Invest In SIP : जानिए क्या है इसके फायदे और कैसे करें निवेश

pc : pti

SIP Investment : अगर आपको लगता है कि म्यूचुअल फंड में सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (Systematic Investment Plan (SIP)) के जरिए निवेश करना एक स्मार्ट सेविंग टूल है, तो यहां आपके लिए अच्छी खबर हैं। आपके म्यूचुअल फंड एसआईपी (mutual fund SIP) में मुफ्त जीवन बीमा कवरेज (life insurance coverage) शामिल हो सकता है।

कई म्यूचुअल फंड हाउस (mutual fund houses offer) एसआईपी के जरिये से अपनी योजनाओं में निवेश करने वाले लोगों को अतिरिक्त सुविधा के रूप में मुफ्त टर्म लाइफ इंश्योरेंस सर्विस प्रोवाइड करते हैं। इसे एसआईपी बीमा कहा जाता है, जो अनिवार्य रूप से निवेशकों की मौजूदा बीमा योजना (existing insurance plan के लिए टॉप-अप के रूप में कार्य करता है।

SIP बीमा कैसे काम करता है?

बीमा से जुड़े फंड के तहत, म्यूचुअल फंड बिना किसी अतिरिक्त लागत के निवेशकों को समूह अवधि बीमा कवर प्रदान करते हैं। जीवन बीमा कवरेज एसआईपी की राशि (मुद्रा) से जुड़ा होता है और तब तक जारी रहता है जब तक निवेशक यहां अपना निवेश नहीं रखता।

वहीं बता दें कि क्लियर के फाउंडर और सीईओ अर्चित गुप्ता के अनुसार, निवेशक को एसआईपी कार्यकाल के अंदर मृत्यु होने पर मासिक एसआईपी के जरिये 20 से 120 गुना तक मृत्यु दर (मृत्यु लाभ) मिलता है।

उदाहरण के तौर पर, एएमसी पहले वर्ष में मासिक एसआईपी का 20 गुना, दूसरे वर्ष में मासिक एसआईपी का 75 गुना और तीसरे वर्ष में मासिक एसआईपी का 120 गुना अधिकतम 50 लाख रुपये तक का जीवन बीमा कवर प्रदान करता है। कई एएमसी मुफ्त जीवन बीमा की पेशकश तभी करते हैं जब निवेशक यानि इन्वेस्टर 36 महीने के टेन्योर के साथ एसआईपी का विकल्प चुनते हैं, ”

इस समय कौन से फंड हाउस इसे उपलब्ध करा रहे हैं?

निवेश डॉट कॉम के सीईओ और सह-संस्थापक (Co-Founder) अनुराग गर्ग के अनुसार, निप्पॉन, एक्सिस और पीजीआईएम जैसे फंड हाउस एसआईपी के साथ अपनी कुछ योजनाओं (आमतौर पर इक्विटी और इक्विटी से जुड़ी हाइब्रिड योजनाओं) के लिए मुफ्त जीवन बीमा कवर प्रदान करते हैं।

निवेश डॉट कॉम के गर्ग बताते हैं कि म्यूचुअल फंड द्वारा कुछ स्पेसिफाएड प्रवेश आयु है, जो एक फंड से दूसरे फंड के लिए अलग हो सकती है। उदाहरण के लिए न्यूनतम प्रवेश आयु 18 वर्ष है और अधिकतम 51 वर्ष है और निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड के मामले में बीमा कवर 55 वर्ष की आयु में समाप्त हो जाता है।

SIP बीमा से निवेशकों को क्या लाभ मिलता है?

एसआईपी बीमा के साथ बीमा कवर तब शुरू होता है जब निवेशक अपनी एसआईपी किस्तें शुरू करते हैं। बता दें कि इसकी इन्वेस्टमेंट क्या होता है? कोई प्रतीक्षा अवधि नहीं होती। निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड के उदाहरण का हवाला देते हुए गर्ग बताते हैं कि बीमा कवरेज पहले वर्ष के लिए एसआईपी किस्त राशि का 10x, दूसरे वर्ष में 50x और तीसरे वर्ष से 120x है। अधिकतम सीमा 50 लाख रुपये है। यदि एसआईपी राशि 10,000 रुपये है, तो निवेशक निम्नलिखित बीमा कवरेज का हकदार होगा। जैसे-

वर्ष 1: Rs. 10,000 x 10 = Rs 1,00,000
वर्ष 2: Rs. 10,000 x 50 = Rs 5,00,000
वर्ष 3: Rs. 10,000 x 120 = Rs 12,00,000

गर्ग कहते हैं कि अगर किस्त की राशि 1,00,000 रुपये प्रति माह थी, तो कवर की अधिकतम राशि 50 लाख रुपये तक सीमित होगी।

(Disclaimer: Republic Bharat यूजर को कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले प्रमाणित विशेषज्ञों से जांच करने की सलाह देता है।)

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