3. कहां है इसका बाजार ?
क्रिप्टो करेंसी से आज दुनियाभर में लेन-देन हो रहा है। इसे दो तरह से खरीद सकते हैं, जिसमें महत्वपूर्ण है क्रिप्टो एक्सचेंज। दुनियाभर इसके एक्सचेंज हैं। भारत में वजीरएक्स, जेबपे, क्वाइनस्विच कुबेर प्रमुख एक्सचेंज है, ये 24 घंटे चलते हैं।
नींबू-केले के खेत में बन रही क्रिप्टो करेंसी: छत्तीसगढ़ के 12 जिलों में क्रिप्टो माइनिंग, 10 हजार से ज्यादा लोगों के पास बिटकॉइन-एथिरियम
दुनियाभर में सुर्खियां बटोरने वाली क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल क्रिप्टो माइनिंग कैसे करते हैं? करेंसी अब छत्तीसगढ़ में भी जनरेट की जा रही है, यानी राज्य में इसकी माइनिंग शुरू हो गई है। यहां इसे कई ताकतवर कम्प्यूटरों के जरिए खास तरह के पजल्स को सॉल्व करके बनाया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक राज्य में लोगों के पास 75 क्रिप्टो माइनिंग कैसे करते हैं? से अधिक बिटकॉइन हैं। यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
भास्कर की दो महीने की पड़ताल में यह बात सामने आई कि प्रदेश के 12 जिलों में क्रिप्टो माइनिंग हो रही क्रिप्टो माइनिंग कैसे करते हैं? है। इनमें रायपुर, राजनांदगांव, भिलाई, दुर्ग, अम्बिकापुर, बिलासपुर, रायगढ़ और जगदलपुर प्रमुख हैं। प्रदेश के 20 युवा 30000 मेगा हैश पॉवर जेनरेट कर रहे हैं और 10-12 तरह की क्रिप्टो करेंसी की माइनिंग की जा रही है। इसके लिए इनोवेटिव सोच वाले युवाओं ने तगड़ा खर्च कर सेटअप स्थापित कर रखा है।
Cryptocurrency History: सोने से ज्यादा 'सोणी' क्यों क्रिप्टोकरेंसी, कहां से आई और कैसे छाई, जानें सब कुछ
बात करेंसी की हो और क्रिप्टो का जिक्र न हो, ऐसा होना नामुमकिन है। क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बाजार में तो इतने बड़े-बड़े दावे होने लगे हैं कि इसे सोने से भी सोणा कहा जाने लगा है। हालांकि, इन सबसे पहले एक सवाल उठता है कि आखिर क्या है ये क्रिप्टोकरेंसी? कैसे इसे खरीद और बेच सकते हैं? कैसे इनकी माइनिंग होती है और इनकी कीमत लगातार कैसे बढ़ रही है? वैसे ये सवाल काफी पुराने हो सकते हैं, लेकिन अमर उजाला एक खास सीरीज 'कहानी क्रिप्टो की' शुरू कर रहा है। इसकी पहली कड़ी में क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत से उसके क्वाइन बनने तक की कहानी बताई जा रही है। सीरीज की अगली कड़ियों में क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग होने और उनकी कीमतों के आसमान छूने तक के हर किस्से से आपको रूबरू कराया जाएगा।
विस्तार
बात करेंसी की हो और क्रिप्टो का जिक्र न हो, ऐसा होना नामुमकिन है। क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बाजार में तो इतने बड़े-बड़े दावे होने लगे हैं कि इसे सोने से भी सोणा कहा जाने लगा है। हालांकि, इन सबसे पहले एक सवाल उठता है कि आखिर क्या है ये क्रिप्टोकरेंसी? कैसे इसे खरीद और बेच सकते हैं? कैसे इनकी माइनिंग होती है और इनकी कीमत लगातार कैसे बढ़ रही है? वैसे ये सवाल काफी पुराने हो सकते हैं, लेकिन अमर उजाला एक खास सीरीज 'कहानी क्रिप्टो की' शुरू कर रहा है। इसकी पहली कड़ी में क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत से उसके क्वाइन बनने तक की कहानी बताई जा रही है। सीरीज की अगली कड़ियों में क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग होने और उनकी कीमतों के आसमान छूने तक के हर किस्से से आपको रूबरू कराया जाएगा।
क्रिप्टोकरेंसी आजकल काफी चर्चा में है, लेकिन यह सुर्खियों में उस वक्त ज्यादा आई थी, जब जुलाई 2010 के दौरान बिटक्वाइन नाम की क्रिप्टोकरेंसी अस्तित्व में आई और उससे लेन-देन भी होने लगा। उस वक्त बिटकॉइन की कीमत 0.0008 डॉलर थी, जो वर्तमान में 58 हजार डॉलर के आंकड़े को पार कर चुकी है। बिटक्वाइन भले ही आज के जमाने की काफी प्रचलित है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत 1980 से भी पहले हो गई थी।
सबसे पहले बनी थी ब्लाइंडिंग एल्गोरिदम
जानकारी के मुताबिक, 1980 के दौर में अमेरिकन क्रिप्टोग्राफर डेविट चौम ने 'ब्लाइंडिंग' नाम की एल्गोरिदम का अविष्कार किया था, जो सेंट्रल से मॉडर्न वेब-बेस्ड इनक्रिप्शन पर आधारित थी। यह एल्गोरिदम सिक्योर, पार्टियों के बीच अपरिवर्तनीय सूचना के आदान-प्रदान और भविष्य के इलेक्ट्रॉनिक करेंसी ट्रांसफर के लिए आधार तैयार करने के मकसद से बनाई गई थी। हालांकि, इस पर कुछ काम नहीं हुआ।
ब्लाइंडिंग के चर्चा में आने के 15 साल बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियर वेई दई ने बी-मनी नाम की वर्चुअल करेंसी को लेकर व्हाइट पेपर तैयार किया। बी-मनी में मॉडर्न क्रिप्टोकरेंसी के कई बेसिक कंपोनेंट्स थे। व्हाइट पेपर में बी-मनी के जटिल प्रोटेक्शन और डिसेंट्रलाइजेशन का जिक्र किया गया था। हालांकि, बी-मनी कभी एक्सचेंज के रूप में बाजार में नहीं आ पाई।
सबसे पहले एलन मस्क ने की थी वर्चुअल करेंसी की वकालत
वर्ष 1990 और 2000 से पहले कई डिजिटल फाइनेंस माध्यम भी सामने आए, जिनमें पेपल (PayPal) आदि शामिल थे। गौर करने वाली बात यह है कि पेपल की शुरुआत टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क ने की थी। उन्होंने ही उस वक्त पहली बार वर्चुअल करेंसी की वकालत भी की थी और 10 साल बाद क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में आए उछाल ने उनकी बात साबित भी की। हालांकि, यह भी सच है कि साल 2000 के बाद जब बिटक्वाइन अस्तित्व में आया, उसके बाद ही सभी तरह की क्रिप्टोकरेंसी में तेजी क्रिप्टो माइनिंग कैसे करते हैं? दर्ज की गई।
नोट: 'कहानी क्रिप्टो की' सीरीज में आज क्रिप्टोकरेंसी के जन्म की दास्तां बताई गई। कल हम आपको बिटक्वाइन की शुरुआत होने और इसके शिखर पर चढ़ने के किस्से से रूबरू कराएंगे।
क्रिप्टोकरेंसी को अपनाने में अमेरिका और चीन से भी आगे हैं भारतीय और पाकिस्तानी-रिपोर्ट
क्रिप्टोकरेंसी हमारे जीवन पर वैसे ही असर डाल रही है जैसे कभी इंटरनेट ने किया था। हालांकि अभी भी इस बात पर अनिश्चितता है कि दुनिया भर की सरकारें इसे रेगुलेट कैसे करेंगी लेकिन नॉन-फंजीबल टोकन और विकेंद्रीकृत फाइनेंस प्रोजेक्ट्स में निवेश बढ़ रहा है। क्रिप्टो डॉट कॉम के अनुसार, इस साल वैश्विक स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी रखने वाले लोगों की संख्या दोगुनी होकर लगभग 220 मिलियन हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार, निवेशकों ने क्रिप्टोकरेंसी में 2021 में लगभग $ 30 बिलियन का निवेश किया, जो पिछले सभी वर्षों की तुलना में अधिक है।
अल सल्वाडोर जैसे कुछ देशों ने बिटकॉइन को कानूनी निविदा के रूप में स्वीकार कर लिया है, कई देश अभी भी क्रिप्टो को लेकर सतर्क हैं। आइए उन शीर्ष छह देशों पर एक नज़र डालते हैं, जहां क्रिप्टो अपनाने की दर सबसे अधिक है, यह रिपोर्ट चैनालिसिस ग्लोबल क्रिप्टो एडॉप्शन इंडेक्स के आधार पर है-
Cryptocurrency: क्रिप्टो करेंसी से हर माह कमा रहे 26 लाख रुपये, कैसे करें कमाई ?
सिर्फ सात महीने पहले, दो भारतीय अमेरिकी बच्चों ने शौक के तौर पर क्रिप्टोकरेंसी में निवेश शुरू किया, और आज उसकी कमाई से उन्होंने एक बेहतर कॉलेज में उच्च शिक्षा पाने का लक्ष्य तय कर लिया है. 14 साल का इशान और नौ साल की आन्या कुछ दिन पहले तक हर दिन मात्र तीन डॉलर कमा रहे थे. एक अंग्रेजी न्यूज चैनल के साथ बात करते हुए इशान ने बताया कि सिर्फ तीन डॉलर कमाने पर भी उन्हें खुद पर गर्व महसूस होता था.
उन्हें पता था कि यह पैसा बनाने वाली चीज नहीं, बल्कि सीखने का अनुभव था. उन्होंने अपने इस अनुभव को पूरे व्यवसाय का पसंदीदा हिस्सा बताया. ईशान याद करते हुए कहते हैं कि शुरुआत में हम कोई पैसा नहीं कमा रहे थे. हमने केवल तीन डॉलर प्रतिदिन कमाये. लेकिन, इससे वे निराश नहीं हुए.
सात महीने पहले बिटकॉइन व क्रिप्टोकरेंसी के बारे सुना
ईशान ने बताया कि फरवरी में उन दोनों ने बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी के तेजी से बढ़ने के बारे क्रिप्टो माइनिंग कैसे करते हैं? में सुना. इशान वास्तव में कुछ निवेश करना चाहते थे. लेकिन, उनके पास इसमें निवेश के लिए पर्याप्त पैसा नहीं था. इसलिए, उन्होंने निवेश करने की बजाय सिर्फ क्रिप्टो उपकरण खरीदने और उसी से कमाने का फैसला किया. और अब (इतनी दूर आने के बाद) अपने निर्णय से वह बेहद संतुष्ट हैं.
नौ साल की आन्या ने बताया कि जब उन्होंने बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी के बारे में सुना, तो उन्हें वास्तव में इसके प्रति दिलचस्पी जगी. लेकिन, इतनी भी नहीं कि उसमें निवेश कर डालें. आन्या ने बताया कि वह इसमें अपने भाई की मदद करने और क्रिप्टो उपकरण खरीदने में मदद करने के लिए आयी थीं. बाद में आन्या ने भी अपना विचार बदल लिया.
यू-ट्यूब ट्यूटोरियल देख सीखा क्रिप्टो माइनिंग
भारत को क्रिप्टो कंपनी एथेरम के संस्थापक ने कोरोना से जंग के लिए दिया एक बिलियन डॉलर का दान
ईशान कहते हैं कि वास्तव में यदि आप क्रिप्टो माइनिंग के बारे में सीखना चाहते हैं, तो बहुत सारे यू-ट्यूब ट्यूटोरियल देखें, बस कुछ लेख पढ़ें. उन्होंने बताया कि दोनों भाई-बहन ने भी क्रिप्टो माइनिंग की शुरुआत यू-ट्यूब ट्यूटोरियल देखकर ही की. आपको एक ग्राफिक्स कार्ड के साथ-साथ एक ऐसा सॉफ्टवेयर चाहिए जिनके नंबर मुश्किल लगते हैं.
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भास्कर की दो महीने की पड़ताल में यह बात सामने आई कि प्रदेश के 12 जिलों में क्रिप्टो माइनिंग हो रही है। इनमें रायपुर, राजनांदगांव, भिलाई, दुर्ग, अम्बिकापुर, बिलासपुर, रायगढ़ और जगदलपुर प्रमुख हैं। प्रदेश के 20 युवा 30000 मेगा हैश पॉवर जेनरेट कर रहे हैं और 10-12 तरह की क्रिप्टो करेंसी की माइनिंग की जा रही है। इसके लिए इनोवेटिव सोच वाले युवाओं ने तगड़ा खर्च कर सेटअप स्थापित कर रखा है।
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