शेयर बाजार 05 दिसम्बर 2022 ,15:45

डेली अपडेट्स

यह एडिटोरियल दिनांक 31/05/2021 को द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित लेख “Catching the New Tech Wave” पर आधारित है। इस एडिटोरियल में दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते महत्व के बारे में चर्चा की गई है। साथ ही इस बात पर भी चर्चा की गई है कि डिजिटल क्रांति के आगामी चरण में दुनिया के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलने के लिये भारत को इसे स्वीकार करने की आवश्यकता क्यों है?

संदर्भ

वर्ष 2008 में बिटकॉइन के निर्माण के साथ आज की तारीख तक क्रिप्टोकरेंसी ने दुनिया भर में अपनी जगह बनाई है। जनवरी 2020 में कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से इस क्षेत्र में लाभ आश्चर्यजनक हैं। ज्ञातव्य है कि "क्रिप्टोमार्केट" में 500% से अधिक की वृद्धि हुई।

  • हालाॅंकि 2018-19 के बजट भाषण में वित्त मंत्री ने बताया कि क्रिप्टोकरेंसी सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है।
  • इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि भारत डिजिटल क्रांति के अब तक सभी चरणों को देर से अपनाने वाला रहा है चाहे वो अर्द्धचालक या इंटरनेट या फिर स्मार्टफोन।
  • अतः अब इन आभासी मुद्राओं पर विचारों को बदलने एवं उन्हें स्वीकृति देने की आवश्यकता है क्योंकि ये भारत की डिजिटल क्रांति के नए चरण में प्रवेश करने की दिशा में भारत का पहला कदम होगा।

क्रिप्टोकरेंसी का उदय: पहली क्रिप्टोक्यूरेंसी, बिटकॉइन, का वर्ष 2010 में केवल $ 0.0008 का कारोबार किया था और अप्रैल 2021 में इसका बाज़ार मूल्य लगभग $ 65,000 था।

  • बिटकॉइन के लॉन्च के क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है? बाद से कई नए क्रिप्टोकरेंसी भी बाज़ार में आए एवं मई 2021 तक उनका कुल बाज़ार मूल्य 2.5 ट्रिलियन डॉलर हो गया है।

क्रिप्टोकरेंसी का महत्त्व:

  • भ्रष्टाचार की रोकथाम: चूंकि क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन प्रणाली अर्थात् पीयर-टू-पीयर नेटवर्क पर कार्य करती हैं, यह धन के प्रवाह और लेनदेन को ट्रैक करके भ्रष्टाचार को रोकने में मदद करता है।
  • समय प्रभावी : क्रिप्टोकरेंसी धन के प्रेषक और रिसीवर के लिये पर्याप्त समय बचाने में मदद कर सकती है क्योंकि यह पूरी तरह से इंटरनेट पर संचालित होता है। यह एक ऐसे तंत्र पर चलता है जिसमें बहुत कम लेनदेन शुल्क शामिल होता है और यह लगभग तात्कालिक होता है।
  • लागत प्रभावी: बैंक, क्रेडिट कार्ड और पेमेंट गेटवे जैसे बिचौलिये अपनी सेवाओं के लिये $ 100 ट्रिलियन की पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था से लगभग 3% शुल्क के रूप में लेते हैं।
    • इन क्षेत्रों में ब्लॉकचेन को एकीकृत करने से सैकड़ों अरबों डॉलर की बचत हो सकती है।
    • हाल ही में सरकार ने एक संप्रभु डिजिटल मुद्रा बनाने और साथ ही, सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के लिये "क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2021" पेश करने की घोषणा की है।
    • भारत में भारतीय ब्लॉकचेन स्टार्ट-अप्स में जाने वाली धनराशि वैश्विक स्तर पर इस क्षेत्र द्वारा जुटाई गई राशि का 0.2% से भी कम है।
    • क्रिप्टोकरेंसी के प्रति वर्तमान दृष्टिकोण के कारण ब्लॉकचेन उद्यमियों और निवेशकों के लिये बहुत अधिक आर्थिक लाभ प्राप्त करना लगभग असंभव है।

    विकेंद्रीकृत क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने से जुड़े मुद्दे

    • पूर्ण प्रतिबंध: "क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2021" भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने का प्रयास करता है।
      • हालाँकि क्रिप्टोकरेंसी को सार्वजनिक (सरकार समर्थित) या निजी (एक व्यक्ति के स्वामित्व वाली) के रूप में वर्गीकृत करना गलत है क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी विकेंद्रीकृत हैं लेकिन निजी नहीं हैं।
      • बिटकॉइन जैसी विकेंद्रीकृत क्रिप्टोकरेंसी को निजी या सार्वजनिक किसी भी संस्था द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
      • उस समय ब्लॉकचेन विशेषज्ञ स्विट्जरलैंड, सिंगापुर, एस्टोनिया और यू.एस. जैसे देशों में चले गए जहाॅं क्रिप्टो को विनियमित किया गया था।
      • पूर्ण प्रतिबंध के कारण नवाचार, शासन, डेटा अर्थव्यवस्था और ऊर्जा के क्षेत्रों में ब्लॉकचेन के उपयोग में अवरोध उत्पन्न होगा।
      • निजी क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से केवल समानांतर अर्थव्यवस्था का निर्माण होगा, अवैध उपयोग को बढ़ावा मिलेगा जो प्रतिबंध के मूल उद्देश्य को विफल कर देगा। प्रतिबंध संभव नहीं है क्योंकि कोई भी व्यक्ति इंटरनेट पर क्रिप्टोकरेंसी खरीद सकता है।

      विरोधाभासी नीतियाॅं: क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) के ब्लॉकचैन, 2021 पर राष्ट्रीय रणनीति के मसौदे के साथ असंगत है, जिसने ब्लॉकचेन तकनीक को पारदर्शी, सुरक्षित और कुशल तकनीक के रूप में स्वीकार किया।

      आगे की राह

      • विनियमन ही समाधान: गंभीर समस्याओं को रोकने के लिये एवं यह सुनिश्चित करने के लिये कि क्रिप्टोकरेंसी का दुरुपयोग न हो तथा निवेशकों को अत्यधिक बाजार अस्थिरता और संभावित घोटालों से बचाने के लिये विनियमन की आवश्यकता है।
        • विनियमन को स्पष्ट, पारदर्शी, सुसंगत और इस दृष्टि से अनुप्राणित होने की आवश्यकता है कि उसका उद्देश्य क्या है।
        • मजबूत केवाईसी मानदंड: क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध के बजाय सरकार कड़े केवाईसी (Know Your Customer) मानदंडों, रिपोर्टिंग और कर योग्यता को शामिल करके क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार को विनियमित करेगी।

        निष्कर्ष

        भारत वर्तमान में डिजिटल क्रांति के अगले चरण के शिखर पर है और अपनी मानव पूंजी, विशेषज्ञता और संसाधनों को इस क्रांति में शामिल कर इसके नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर सकता है। इसके लिये केवल नीति निर्धारण को ठीक करने की आवश्यकता है।

        ब्लॉकचैन और क्रिप्टो संपत्ति चौथी औद्योगिक क्रांति का एक अभिन्न अंग होगी भारतीयों को इसे बायपास नहीं करना चाहिये।

        अभ्यास प्रश्न: “भारत के लिये अपने प्रमुख भुगतान प्रणालियों से आगामी डिजिटल क्रांति के सबसे सक्रिय भुगतान प्रणाली की तरफ बढ़ने का समय है।क्रिप्टोकरेंसी इस धारणा को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।" इससे जुड़े सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं पर चर्चा करें।

        What is Cryptocurrency Bill: क्रिप्टोकरेंसी बिल आखिर क्या है, सरकार इसकी मदद से क्रिप्टो पर कैसे पाएगी काबू? जानें सबकुछ

        मोदी सरकार ने सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने की तैयारी कर ली है। इसके मद्देनजर संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी बिल पेश किया जाएगा। शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू हो रहा है।

        क्रिप्टोकरेंसी

        क्रिप्टोकरेंसी के अनियमित उतार-चढ़ाव से निवेशकों को बचाने के लिए मोदी सरकार ने सख्त कदम उठाने का फैसला कर लिया है। इसके तहत भारत सरकार ने मंगलवार (23 नवंबर) को क्रिप्टोकरेंसी बिल लाने का एलान किया, जिसके तहत देश में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा दिया जाएगा। इस खबर के सामने आते ही क्रिप्टो मार्केट बुरी तरह धराशायी हो गया। वहीं, सभी तरह की क्रिप्टोकरेंसी में 25 से 30 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। क्रिप्टो मार्केट में आए इस भूचाल को देखते हुए समझते हैं कि क्या है क्रिप्टोकरेंसी बिल और इसकी मदद से केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर कैसे काबू पाएगी?

        क्या है क्रिप्टोकरेंसी बिल?
        जानकारी के मुताबिक, क्रिप्टोकरेंसी के नियमन के लिए केंद्र सरकार की ओर से संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक 2021 पेश किया जाएगा। इस बिल के माध्यम से सरकार रिजर्व बैंक इंडिया के तहत एक आधिकारिक क्रिप्टोकरेंसी जारी करने के लिए आसान फ्रेमवर्क तैयार करने की योजना बना रही है। इसकी तकनीक और इस्तेमाल को लेकर भी तैयारी की जा रही है। साथ ही, इस बिल के तहत ऐसा प्रावधान लाया जाएगा, जिससे सारी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लग जाएगा। गौरतलब है कि शीतकालीन सत्र में पेश करने के लिए 26 बिल सूचीबद्ध किए गए हैं। इनमें क्रिप्टोकरेंसी बिल भी शामिल है।


        सात दिन पहले हुई थी संसदीय समिति की बैठक
        गौरतलब है कि क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में करीब सात दिन पहले यानी 16 नवंबर को पहली बार संसदीय समिति की एक बैठक हुई थी। इसमें क्रिप्टो एक्सचेंज, ब्लॉकचेन. क्रिप्टो एसेट काउंसिल, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के अलावा अन्य पक्षों को लेकर क्रिप्टोकरेंसी के नियमन और प्रोत्साहन से जुड़े पहलुओं पर विचार किया गया। इस मीटिंग में यह बात सामने आई थी कि क्रिप्टोकरेंसी को रोका नहीं जा सकता। इसके नियमन की जरूरत है।

        सिडनी संवाद में पीएम मोदी ने किया था जिक्र
        बता दें कि पीएम मोदी भी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कई मंत्रालयों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर चुके हैं। इसके अलावा सिडनी संवाद कार्यक्रम के दौरान भी उन्होंने अपने संबोधन में क्रिप्टोकरेंसी का जिक्र किया था। पीएम मोदी ने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी या बिटकॉइन का उदाहरण ले लीजिए। यह बेहद जरूरी है कि सभी लोकतांत्रिक देश इस पर काम करें। साथ ही, सुनिश्चित करें कि यह गलत हाथों में न पड़े, क्योंकि इससे हमारे युवाओं पर गलत असर पड़ेगा।

        विस्तार

        क्रिप्टोकरेंसी के अनियमित उतार-चढ़ाव से निवेशकों को बचाने के लिए मोदी सरकार ने सख्त कदम उठाने का फैसला कर लिया है। इसके तहत भारत सरकार ने मंगलवार (23 नवंबर) को क्रिप्टोकरेंसी बिल लाने का एलान किया, जिसके तहत देश में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा दिया जाएगा। इस खबर के सामने आते ही क्रिप्टो मार्केट बुरी तरह धराशायी हो गया। वहीं, सभी तरह की क्रिप्टोकरेंसी में 25 से 30 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। क्रिप्टो मार्केट में आए इस भूचाल को देखते हुए समझते हैं कि क्या है क्रिप्टोकरेंसी बिल और इसकी मदद से केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर कैसे काबू पाएगी?

        क्या है क्रिप्टोकरेंसी बिल?
        जानकारी के मुताबिक, क्रिप्टोकरेंसी के नियमन के लिए केंद्र सरकार की ओर से संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक 2021 पेश किया जाएगा। इस बिल के माध्यम से सरकार रिजर्व बैंक इंडिया के तहत एक आधिकारिक क्रिप्टोकरेंसी जारी करने के लिए आसान फ्रेमवर्क तैयार करने की योजना बना रही है। इसकी तकनीक और इस्तेमाल को लेकर भी तैयारी की जा रही है। साथ ही, इस बिल के तहत ऐसा प्रावधान लाया जाएगा, जिससे सारी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लग जाएगा। गौरतलब है कि शीतकालीन सत्र में पेश करने के लिए 26 बिल सूचीबद्ध किए गए हैं। इनमें क्रिप्टोकरेंसी बिल भी शामिल है।

        सात दिन पहले हुई थी संसदीय समिति की बैठक
        गौरतलब है कि क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में करीब सात दिन पहले यानी 16 नवंबर को पहली बार संसदीय समिति की एक बैठक हुई थी। इसमें क्रिप्टो एक्सचेंज, ब्लॉकचेन. क्रिप्टो एसेट काउंसिल, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के अलावा अन्य पक्षों को लेकर क्रिप्टोकरेंसी के नियमन और प्रोत्साहन से जुड़े पहलुओं पर विचार किया गया। इस मीटिंग में यह बात सामने आई थी कि क्रिप्टोकरेंसी को रोका नहीं जा सकता। इसके नियमन की जरूरत है।


        सिडनी संवाद में पीएम मोदी ने किया था जिक्र
        बता दें कि पीएम मोदी भी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कई मंत्रालयों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर चुके हैं। इसके अलावा सिडनी संवाद कार्यक्रम के दौरान भी उन्होंने अपने संबोधन में क्रिप्टोकरेंसी का जिक्र किया था। पीएम मोदी ने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी या बिटकॉइन का उदाहरण ले लीजिए। यह बेहद जरूरी है कि सभी लोकतांत्रिक देश इस पर काम करें। साथ ही, सुनिश्चित करें कि यह गलत हाथों में न पड़े, क्योंकि इससे हमारे युवाओं पर गलत असर पड़ेगा।

        क्या आरबीआई को सरकारी बैंकों को विनियमित करने के लिए और अधिकार मिलेंगे?

        शेयर बाजार 05 दिसम्बर 2022 ,15:45

        क्या आरबीआई को सरकारी बैंकों को विनियमित करने के लिए और अधिकार मिलेंगे?

        © Reuters. क्या आरबीआई को सरकारी बैंकों को विनियमित करने के लिए मिलेंगे और अधिकार मिलेंगे?

        नई दिल्ली, 5 दिसम्बर (आईएएनएस)। जब भारतीय बैंकों के शासन की बात आती है तो चीजे असंतुलित हो जाती हैं। उदाहरण के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) निजी बैंकों या विदेशी बैंकों को दिशा-निर्देश जारी कर सकता है, लेकिन पीएसबी को नहीं। क्या वित्त संबंधी स्थायी समिति इस पहेली का उत्तर दे सकती है?इस विसंगति की चर्चा तब हुई जब आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने मार्च 2018 में बैंकिंग नियामक शक्तियों को स्वामित्व तटस्थ होना चाहिए शीर्षक से एक भाषण में कहा कि आरबीआई बैंकिंग नियामक है, पीएसबी को विनियमित करने की शक्तियां सरकार के पास।

        भारत सरकार बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 के तहत पीएसबी को विनियमित करती है।

        पटेल ने कहा था कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम (1949) की धारा 51 स्पष्ट रूप से कहती है कि आरबीआई के पास पीएसबी में शासन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर शक्तियां नहीं हैं।

        आरबीआई किसी पीएसबी के अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक या निदेशकों को नहीं हटा सकता। पीएसबी के मामले में केंद्रीय बैंक विलय या परिसमापन के लिए बाध्य नहीं कर सकता। पीएसबी को क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है? न तो शीर्ष बैंक से लाइसेंस की आवश्यकता होती है और न ही वह उनका लाइसेंस रद्द कर सकता है। इस मामले को संज्ञान में लेते हुए नियमन और शासन के इस पहलू को दुरुस्त करने की कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है।

        हालांकि, जुलाई 2018 में सरकार ने एक परस्पर विरोधी बयान में संसद को सूचित किया था कि आरबीआई के पास सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को विनियमित करने और पर्यवेक्षण करने के लिए व्यापक शक्तियां हैं।

        सरकार के बयान ने आरबीआई की स्थिति का प्रतिकार किया कि केंद्रीय बैंक के पास पीएसयू बैंकों को विनियमित करने के लिए शक्तियों की कमी है, जिसमें बैंकों के बोर्ड और प्रबंधन को खारिज करना शामिल है।

        राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में केंद्र ने कहा था, आरबीआई की शक्तियां व्यापक हैं और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों सहित सभी बैंकों में उत्पन्न होने वाली विभिन्न स्थितियों से निपटने के लिए व्यापक हैं। आरबीआई के पास बैंक का निरीक्षण करने की शक्तियां हैं। इसके बहीखातों में सरकारी बैंकों के बोर्ड में एक नामित सदस्य होता है और बोर्ड के भीतर एक समिति का हिस्सा होता है जो बड़े ऋणों को मंजूरी देता है।

        आरबीआई बैंकों के बोडरें पर अतिरिक्त निदेशकों की नियुक्ति कर सकता है, आरबीआई के पास सभी बड़े क्रेडिट एक्सपोजर के साथ-साथ केंद्रीय धोखाधड़ी रजिस्ट्री के लिए एक भंडार है, जहां बैंक 1 लाख रुपये से ऊपर की सभी धोखाधड़ी की रिपोर्ट करते हैं। इसके पास विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत शक्तियां भी हैं।

        एक समृद्ध निजी क्षेत्र के बैंकिंग स्थान के बावजूद भारत में अधिकांश बैंकिंग परिसंपत्तियां सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास हैं, जो वित्तीय सेवा विभाग के तत्वावधान में हैं।

        पिछले कुछ वर्षों में कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक घोटालों का पता चला है, जिसके कारण विशेषज्ञों ने नियंत्रण के दोहरेपन पर सवाल उठाया है।

        Cryptocurrency: क्रिप्टो संपत्तियों को विनियमित करना जरूरी, बैन लगाने से नहीं चलेगा काम: गीता गोपीनाथ

        Cryptocurrency: IMF की मुख्य अर्थशाष्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा है कि विकासशील देशों क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है? को क्रिप्टो संपत्ति पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बजाय विनियमित करने से लाभ हो सकता है.

        Updated: December 16, 2021 3:49 PM IST

        Cryptocurrency: क्रिप्टो संपत्तियों को विनियमित करना जरूरी, बैन लगाने से नहीं चलेगा काम: गीता गोपीनाथ

        Cryptocurrency: मुद्रा कोष (IMF) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ (Gita Gopinath) के अनुसार, विकासशील देशों (Developing Countries) को क्रिप्टो संपत्ति (Crypto Assets) पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बजाय विनियमित करने से लाभ हो सकता है. 50 वर्षीय प्रमुख अर्थशास्त्री, जो जल्द ही आईएमएफ (IMF) के पहले उप प्रबंध निदेशक के रूप में कार्यभार संभालने जा रही हैं. दुनिया भर में वर्चुअल एसेट्स की बढ़ती मांग को देखते हुए, क्रिप्टोकरेंसी पर एक वैश्विक नीति की तत्काल आवश्यकता बताई हैं.

        Also Read:

        गीता गोपीनाथ (Gita Gopinath) की टिप्पणी नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) द्वारा आयोजित ‘2022 में वैश्विक सुधार और नीति चुनौतियां’ पर एक व्याख्यान के दौरान आई है.

        गोपीनाथ ने कहा, “क्रिप्टोक्यूरेंसी परिसंपत्तियों और मुद्राओं को विनियमित करना आवश्यक है, विशेष रूप से उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए, क्योंकि उन पर प्रतिबंध लगाने से काम नहीं चल सकता है. क्रिप्टो एक्सचेंज अपतटों पर स्थित हैं, जिससे किसी व्यक्ति के लिए प्रतिबंध के बावजूद उनमें व्यापार करना आसान हो जाता है.”

        उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कोई भी देश इस समस्या का समाधान नहीं निकाल सकता है, क्योंकि क्रिप्टो में जटिल तरीके से सीमा पार लेनदेन किया जाता है. इस पर तत्काल एक वैश्विक नीति की बनाने की आवश्यकता है.

        हालांकि, गीता गोपीनाथ ने आगाह किया कि क्रिप्टो करेंसीज को अपनाना उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक चुनौती है, क्योंकि उनमें से अधिकांश के पास विदेशी लेनदेन के आसपास के नियम हैं.

        गोपीनाथ ने कहा, “क्रिप्टो में समस्याएं होती हैं क्योंकि आमतौर पर उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में विनिमय दर नियंत्रण, पूंजी नियंत्रण और पूंजी प्रवाह के उपाय होते हैं.”

        उन्होंने बताया कि क्रिप्टो संपत्ति और मुद्राओं का इस्तेमाल उन नियमों से बचने के लिए किया जा सकता है.

        गीता गोपीनाथ की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत सरकार अपने क्रिप्टोकरेंसी बिल के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेने की योजना बना रही है.

        बता दें, आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 का आधिकारिक क्रिप्टोक्यूरेंसी और विनियमन संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश किए जाने की संभावना थी, लेकिन शीर्ष सरकारी सूत्रों ने संकेत दिया कि इसकी संभावना कम है.

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        Government On Cryptocurrency: क्रिप्टोकरेंसी को भारत में बढ़ावा देने की योजना नहीं, जानें क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है? डिजिटल मुद्रा पर क्या है सरकार का रुख

        Government Stand On Cryptocurrency: क्रिप्टोकरेंसी पर जल्द ही संसद में एक बिल पेश होने वाला है। हालांकि, बिल आने से पहले ही सरकार ने क्रिप्टो को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है। केंद्र सरकार की ओर से सोमवार को संसद में कहा गया कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी के क्षेत्र को बढ़ावा देने की कोई योजना नहीं है।

        क्रिप्टोकरेंसी

        दुनिया भर में जहां क्रिप्टो करेंसी की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है, वहीं कुछ देशों में इसको लेकर अभी माहौल गर्माया हुआ है। भारत भी इन देशों में शामिल है। क्रिप्टो के अनियमित बाजार में निवेशकों की सुरक्षा और डिजिटल करेंसी क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है? के विनियमन के मद्देनजर जल्द ही संसद में एक बिल पेश होने वाला है। हालांकि, बिल आने से पहले ही सरकार ने क्रिप्टो को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है। केंद्र सरकार की ओर से सोमवार को संसद में कहा गया कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी के क्षेत्र को बढ़ावा देने की कोई योजना नहीं है।

        केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने दिया जवाब
        भारत में क्रिप्टो करेंसी विनियमन बिल की बहुप्रतीक्षित शुरुआत से पहले, केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में कहा कि भारत में क्रिप्टो क्षेत्र को बढ़ावा देने की उसकी कोई योजना नहीं है। यह बयान केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दिया। उन्होंने कहा कि जल्द ही इससे संबंधित बिल पेश किया जाएगा, इस बीच यह बात साफ है कि भारत में इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार की कोई योजना नहीं है।

        क्रिप्टो का डाटा एकत्र नहीं करती सरकार
        क्रिप्टोकरेंसी कितनी भरोसेमंद है और क्या सरकार के लिए बाजार को विनियमित करना संभव है, इस प्रश्न के उत्तर में वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि वर्तमान में भारत में क्रिप्टोकरेंसी अनियमित हैं। सरकार इस क्षेत्र पर डाटा एकत्र नहीं करती है। उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के विनियमन पर एक विधेयक को लोकसभा बुलेटिन- भाग II में पेश करने के लिए शामिल किया गया है, जो कि सत्रहवीं लोकसभा, 2021 के सातवें सत्र के दौरान उठाए जाने की उम्मीद है।

        सावधानी से मूल्यांकन करना जरूरी
        केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि क्रिप्टोकरेंसी का बाजार अनियमित होने के साथ ही जोखिम भरा भी है। सरकार के लिए सबसे अहम निवेशकों की सुरक्षा है और इसी को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी के क्षेत्र से जुड़े बहुत से जोखिम हैं जिनका संभावित लाभों के खिलाफ सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।

        रिजर्व बैंक की यह है तैयारी
        गौरतलब है कि कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद सरकार की ओर से संसद में क्रिप्टोकरेंसी बिल पेश किए जाने की उम्मीद है। इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपनी डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) पेश करने की भी योजना बना रहा है। इसको लेकर आरबीआई की ओर से केंद्र सरकार के पास एक प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है।

        विस्तार

        दुनिया भर में जहां क्रिप्टो करेंसी की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है, वहीं कुछ देशों में इसको लेकर अभी माहौल गर्माया हुआ है। भारत भी इन देशों में शामिल है। क्रिप्टो के अनियमित बाजार में निवेशकों की सुरक्षा और डिजिटल करेंसी के विनियमन के मद्देनजर जल्द ही संसद में एक बिल पेश होने वाला है। हालांकि, बिल आने से पहले ही सरकार ने क्रिप्टो को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है। केंद्र सरकार की ओर से सोमवार को संसद में कहा गया कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी के क्षेत्र को बढ़ावा देने क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है? की कोई योजना नहीं है।

        केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने दिया जवाब
        भारत में क्रिप्टो करेंसी विनियमन बिल की बहुप्रतीक्षित शुरुआत से पहले, केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में कहा कि भारत में क्रिप्टो क्षेत्र को बढ़ावा देने की उसकी कोई योजना नहीं है। यह बयान केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दिया। उन्होंने कहा कि जल्द ही इससे संबंधित बिल पेश किया जाएगा, इस बीच यह बात साफ है कि भारत में इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार की कोई योजना नहीं है।

        क्रिप्टो का डाटा एकत्र नहीं करती सरकार
        क्रिप्टोकरेंसी कितनी भरोसेमंद है और क्या सरकार के लिए बाजार को विनियमित करना संभव है, इस प्रश्न के उत्तर में वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि वर्तमान में भारत में क्रिप्टोकरेंसी अनियमित हैं। सरकार इस क्षेत्र पर डाटा एकत्र नहीं करती है। उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के विनियमन पर एक विधेयक को लोकसभा बुलेटिन- भाग II में पेश करने के लिए शामिल किया गया है, जो कि सत्रहवीं लोकसभा, 2021 के सातवें सत्र के दौरान उठाए जाने की उम्मीद है।

        सावधानी से मूल्यांकन करना जरूरी
        केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि क्रिप्टोकरेंसी का बाजार अनियमित होने के साथ ही जोखिम भरा भी है। सरकार के लिए सबसे अहम निवेशकों की सुरक्षा है और इसी को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी के क्षेत्र से जुड़े बहुत से जोखिम हैं जिनका संभावित लाभों के खिलाफ सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।


        रिजर्व बैंक की यह है तैयारी
        गौरतलब है कि कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद सरकार की ओर से संसद में क्रिप्टोकरेंसी बिल पेश किए जाने की उम्मीद है। इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपनी डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) पेश करने की भी योजना बना रहा है। इसको लेकर आरबीआई की ओर से केंद्र सरकार के पास एक प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है।

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