आंकड़ों से पता चला है कि सोने का भंडार 27.1 करोड़ डॉलर घटकर 39.643 अरब डॉलर रह गया है। स्पेशल ड्रॉयिंग राइट्स (एसडीआर) 15.5 करोड़ डॉलर घटकर 17.832 अरब डॉलर रह गया। जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है, आईएमएफ के साथ देश की आरक्षित स्थिति भी समीक्षाधीन सप्ताह में 1 करोड़ डॉलर घटकर 4.926 अरब डॉलर हो गई।

व्यापार घाटे, विदेशी निवेशकों के पैसे निकालने पर निगरानी रखना जरूरी: RBI

10 विषय प्रोग्राम्स में निवेश 2023

एक पाठ्यक्रम एक व्यापक विषय क्षेत्र के भीतर एक विशेष विषय का अध्ययन किया जाता है और एक योग्यता विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? का आधार है. एक ठेठ पाठ्यक्रम व्याख्यान, आकलन और ट्यूटोरियल भी शामिल है.

निवेश में शिक्षा के छात्रों के कौशल है कि संबंधित करियर की एक संख्या में सफलतापूर्वक प्रदर्शन करने के लिए आवश्यक हो सकता है सिखाने के लिए करना है। इन व्यवसायों से कुछ धन प्रबंधन सलाहकार, वित्तीय योजनाकार विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? और निवेश के प्रदर्शन विश्लेषक शामिल हैं।

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Delhi Crime: IGI एयरपोर्ट पर 40 लाख रुपये की विदेशी मुद्रा के साथ यात्री गिरफ्तार, नोटबुक में छिपाकर कर रहा था तस्करी

By: ABP Live | Updated at : 30 May 2022 07:32 PM (IST)

आईजीआई एयरपोर्ट पर यात्री विदेशी मुद्रा के साथ गिरफ्तार

Smuggling Foreign Currency: इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट (IGI) पर तैनात केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवानों ने विदेशी मुद्रा की तस्करी करने के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. यात्री से बरामद विदेशी मुद्रा की कीमत 40 लाख रुपये बताई जा रही है. गिरफ्तार यात्री नोटबुक के अंदर छिपाकर विदेशी मुद्रा की तस्करी करने की फिराक में था. लेकिन इससे पहले वो अपने मकसद में कामयाब हो पाता एयरपोर्ट की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उसे गिरफ्तार कर लिया. सुरक्षाकर्मियों ने आरोपी को पकड़कर कस्टम विभाग के हवाले कर दिया है. जिससे आगे की पूछताछ की जा रही है.

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में आई भारी गिरावट, जानिए कितना बचा है देश के पास रिजर्व

India TV Business Desk

Edited By: India TV Business Desk
Published on: September 03, 2022 17:52 IST

भारत के विदेशी मुद्रा. - India TV Hindi

Photo:INDIA TV भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में आई भारी गिरावट

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, 26 अगस्त को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Indian Forex Reserves) विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? 3.007 अरब डॉलर गिरकर 561.046 अरब डॉलर हो गया है। भंडार में गिरावट का मुख्य कारण विदेशी मुद्रा एसेट्स (एफसीए) में गिरावट थी। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान एफसीए 2.571 अरब डॉलर गिरकर 498.645 अरब डॉलर रह गया।

क्या कहता है आरबीआई?

विदेशी मुद्रा भंडार घटने के पीछे विश्व में आर्थिक मंदी आने के संकेत भी है। भारतीय रिजर्व बैंक इसे कंट्रोल करने की लगातार कोशिशें कर रहा है। उसके हस्तक्षेप से मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार घटने की दर में कमी आई है। आरबीआई अधिकारियों के अध्ययन में यह कहा गया है। अध्ययन में 2007 से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मौजूदा समय में उत्पन्न उतार-चढ़ाव को शामिल किया गया है। केंद्रीय बैंक की विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप की एक घोषित नीति है। केंद्रीय बैंक यदि बाजार में अस्थिरता देखता है, तो हस्तक्षेप करता है। हालांकि, रिजर्व बैंक मुद्रा को लेकर कभी भी लक्षित स्तर नहीं देता है।

आरबीआई के वित्तीय बाजार संचालन विभाग के सौरभ नाथ, विक्रम राजपूत और गोपालकृष्णन एस के अध्ययन में कहा गया है कि 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भंडार 22 प्रतिशत कम हुआ था। यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद उत्पन्न उतार-चढ़ाव के दौरान इसमें केवल छह प्रतिशत की कमी आई है। अध्ययन में कहा गया है कि इसमें व्यक्त विचार लेखकों के हैं और यह कोई जरूरी नहीं है कि यह केंद्रीय बैंक की सोच से मेल खाए।

80 रुपये के करीब पहुंचा डॉलर, गांव रहते हैं या शहर, आप पर भी पड़ने वाला है इसका असर

एक डॉलर का भाव करीब 80 रुपये हुआ (सांकेतिक फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 जुलाई 2022,
  • (अपडेटेड 14 जुलाई 2022, 8:50 PM IST)
  • बढ़ रहा देश का व्यापार घाटा
  • विदेश में पढ़ाई होगी महंगी
  • अशोक गहलोत ने साधा निशाना

डॉलर के मुकाबले रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया है. इस समय एक डॉलर की विनिमय दर (Dollar To INR Exchange विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? Rate) करीब 80 रुपये हो चुकी है. ऐसे में इसका आम आदमी की जेब पर क्या असर पड़ने वाला है? आइए जानते हैं.

महंगी हो जाएंगी इम्पोर्टेड चीजें
Rupee @ Historic Low: सबसे पहले तो ये जान लें विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? कि भारत एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा करने वाला देश है. यानी ऐसी बहुत सी वस्तुएं हैं जिनके लिए हम विदेशों से आयात पर निर्भर करते हैं. इनमें पेट्रोलियम उत्पाद के साथ-साथ खाद्य तेल और इलेक्ट्रॉनिक सामान महत्वपूर्ण है. ऐसे में अब जब डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 80 रुपये के स्तर तक पहुंच गया है, इसका मतलब हम इन सामानों के आयात के लिए ज्यादा पैसा खर्च करेंगे और अंतत: घरेलू स्तर पर इनके दाम में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.

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विदेश में पढ़ाई होगी महंगी
रुपये की कमजोरी सिर्फ घर में महंगाई नहीं बढ़ाएगी. बल्कि भारत से जो बच्चे विदेश पढ़ने गए हैं उनके मां-बाप के लिए भी नया सिरदर्द बनेगी. विदेश में पढ़ाई कर रहे बच्चों को अगर उनके माता-पिता पहले हर महीने 70,000 रुपये भेज रहे थे, तो अब डॉलर में उतनी ही रकम बच्चों को भेजने के लिए उन्हें करीब 80,000 रुपये भेजने होंगे. यानी महीने का खर्च बढ़ा सीधा 10,000 रुपये.

बढ़ रहा देश का व्यापार घाटा
भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक तेजी कई अंतरराष्ट्रीय कारणों की वजह से रुपये में लगातार गिरावट देखी जा रही है. वैश्विक स्तर पर महंगाई अपने चरम पर है, तो वहीं अमेरिका विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? में तो ये अपने 41 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है. इस बीच देश के विदेशी मुद्रा भंडार (India's Forex Reserve) में तेजी से गिरावट आई है. रुपये को संभालने के लिए आरबीआई ने खुले मार्केट में डॉलर की बिक्री भी की है, लेकिन ये प्रयास ना काफी है.

कृषि गतिविधियों के बेहतर रहने की उम्मीद: RBI

लेखकों का मानना है कि हाल में मानसून में हुए सुधार से कृषि गतिविधियों के बेहतर रहने की उम्मीद है, और ग्रामीण मांग जल्द ही तेजी पकड़ सकती है, जिससे रिकवरी को मजबूती मिलेगी.

आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने सोमवार को बैंकों से भारतीय रुपये में निर्यात और आयात ट्रांजैक्शन्स के लिए अतिरिक्त इंतजाम करने को कहा था. केंद्रीय बैंक ने ऐसा ग्लोबल ट्रेडिंग कम्युनिटी की घरेलू करेंसी में बढ़ती रूचि को देखते हुए किया है. केंद्रीय बैंक ने एक सर्रकुलर में कहा था कि इस व्यवस्था को लागू करने से पहले, बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक के फॉरेन एक्सचेंज डिपार्टमेंट से इजाजत की जरूरत पड़ेगी. केंद्रीय बैंक ने कहा कि वैश्विक व्यापार को प्रोत्साहन देने, जिसमें निर्यात पर जोर हो और रुपये में ग्लोबल ट्रेडिंग कम्युनिटी की बढ़ती रूचि को देखते हुए, भारतीय रुपये में निर्यात या आयात की इनवॉयसिंग, पेमेंट और सेटलमेंट के लिए अतिरिक्त व्यवस्था करने का फैसला लिया गया है.

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